Author Topic: Ganesh Chaturthi - गणेश चतुर्थी  (Read 15732 times)

Rajen

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,345
  • Karma: +26/-0
Ganesh Chaturthi - गणेश चतुर्थी
« on: September 03, 2008, 01:02:43 PM »

गजाननं भूत गणादि सेवितं कपित्थजम्बूफल चारू भक्षणम।
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।।



गणेश चतुर्थी की सभी बंधुओं को हार्दिक शुभ कामना.

Rajen

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,345
  • Karma: +26/-0
Re: गणेश चतुर्थी
« Reply #1 on: September 03, 2008, 01:11:18 PM »



गणेश समस्त विघ्नों को हटाने वाले हैं, कृपा के सागर हैं, सुंदर हैं, सब प्रकार से योग्य हैं। समस्त विघ्न बाधाओं को दूर करने वाले गणेश विनायक हैं। गणेशजी विद्या के अथाह सागर हैं। बुद्धि के विधाता हैं।

इस संदर्भ में एक कथा है कि महर्षि वेद व्यास ने महाभारत को बोलकर लिखवाया था, जिसे स्वयं गणेशजी ने लिखा था। अन्य कोई भी इस ग्रंथ को लिखने में समर्थ नहीं था।

गणेशजी को हमारे यहाँ मंगल का प्रतीक माना गया है। कोई भी नया कार्य करने से पूर्व गणेशजी की वंदना की जाती है। श्री गोस्वामी तुलसीदासजी ने भी विनय पत्रिका में सर्वप्रथम गणेश वंदना ही की थी। तुलसीदास द्वारा उनकी स्तुति में लिखा गया पद गणेशजी के संपूर्ण व्यक्तित्व और महत्व को भली भाँति दर्शाता है।

''गाइए गणपति जगवंदन।
शंकर सुवन भवानी नंदन॥
सिद्धि-सदन, गज-बदन विनायक।
कृपा-सिंधु, सुंदर, सब लायक॥
मोदक प्रिय, मृदु मंगलदाता।
विद्या वारिधि बुद्धि विधाता॥
मांगत तुलसीदास कर जोरे।
बसहिं रामसिय मानस मोरे॥


इस पद में गणेशजी को गणपति कहा गया है, क्योंकि वे गणों के पति हैं। समूचे ब्रह्माण्ड में वे वंदनीय हैं। अतः जगवंदन हैं। सभी तीज-त्योहारों व शुभ-अवसरों पर गणेश की स्तुति सर्वप्रथम की जाती है।

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
Re: गणेश चतुर्थी
« Reply #2 on: September 03, 2008, 01:13:39 PM »
वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ
निर्विघ्नम कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0
Re: गणेश चतुर्थी
« Reply #3 on: September 03, 2008, 01:24:26 PM »
Ganesh Chaturthi Ki Sabhi ko Shubhkamnaye.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Re: गणेश चतुर्थी
« Reply #4 on: September 03, 2008, 01:25:55 PM »
Wishing u all a very Happy Ganesh Chaturthi


*

Suklam baratharam vishnum sasivarnam chathurbujam
    Prasanna vadanam dyayeth sarva vignopa santhaye

              Vakra thunda maha kaya soorya koti sama praba
             Nirvignam kurume deva sarva  kaaryeshu sarvadha

108 Names of Lord Ganesha and the meanings

Gajananam, Bhootha Ganaathi Sevitham,
                    Kavitha Jambu Manasara Bakshitham
                   Uma sutham, shoka vinaasa haaranam,
                   Namaami Vigneshwara, paada pankajam

                Agajaanana padmaarkam gajanana maharnisam
             Anekadham dham bhakthanam ekadhantham upasmahe


                      Mooshika Vahana Modhaga Hasta
                     Shyamala Karna Vilambitha Sutra
                      Vamana Rupa Maheshwara Putra
                       Vigna Vinayaka Pada Namaste


पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
Re: गणेश चतुर्थी
« Reply #6 on: September 03, 2008, 02:05:29 PM »

भादों   शुक्ला   चतुर्थी   गणेश  चतुर्थी   के   नाम   से    विख्यात   है।इस   दिन    प्रातःकाल    स्नान   करके    सोने,   चाँदी, ताँबे, मिट्टी   या गौ  के    गोबर   से   गणेश   जी    की    प्रतिमा   बनाते   हैं। फिर   नए   घड़े   में   जल   भरकर   उसके   मुँह   पर   नया   वस्त्र   उड़ाकर  उस  पर  गणेश  जी   की   मूर्ति   स्थापित    करें और  पूष्प, धूप-दीप,नैवेद्ध   आदि  से   पूजन  करें। गणेश  जी  को   दक्षिणा   अर्पित  करें   और    आरती   करके   नमस्कार   करें। इस   पूजा   में    २१ लड्डू     रखने   चाहिये। उनमें   से   पाँच    तो   गणेश  जी   की   मूर्ति  के   आगे   और   शेष     ब्राह्मणों   को  देने   के   लिये   रखें।  ब्राह्मणों    के  लड्डू   उन्हें   दक्षिण   सहित  श्रद्धापूर्वक  दे  दें।यह  क्रिया   चतुर्थी   के  दिन   दोपहर  के  समय  करने   की   है। रात्रि  में  चन्द्रमा   के   उदय   होने   पर   चन्द्रमा   का   विधिपूर्वक  पूजन   करके   अर्ध्य     अर्पण   करें।तत्पश्चात   ब्राह्मणों    को   भोजन   कराकर   स्वयं    भी   भोजन   करें। फिर   वस्त्र  से   ढका  कलश   और  दक्षिणा   सहित   गणेश मूर्ति    को   आचार्य  को   देते   हुए   गणेश जी  का   विसर्जन   करें। इससे    सर्वसुख   प्राप्त   होता   है।इस  दिन   चन्द्रमा   का   दर्शन    करना   वर्जित   है।इस   दिन   बच्चों    के   मेंहदी   रचाकर,  मिठाई  और    पैसे   देकर   उनका   सिधारा   किया   जाता   है।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22