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  • घी-त्यार (सोर-बागेशर): August 16, 2013
  • घी-त्यार (घृत संक्रान्ति)ओलगिया: August 17, 2013

Author Topic: Ghee Sankranti : घी संक्रांति  (Read 23989 times)

विनोद सिंह गढ़िया

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आप सभी को सपरिवार लोक पर्व 'घी-त्यार' की हार्दिक शुभकामनाएं॥

C.S.Mehta

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Re: Ghee Sankranti : घी संक्रांति
« Reply #11 on: August 17, 2012, 06:22:55 AM »
  मेरे पहाड़ के सभी सदस्यों को घी - त्यार की हार्दिक  शुभकामनाये

विनोद सिंह गढ़िया

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आप सभी को उत्तराखण्ड का लोक पर्व 'घी-त्यार" की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।

उत्तराखण्ड के कुमायूँ क्षेत्र में आज सायं और कल सुबह 'घी-त्यार' मनाया जायेगा। इस त्यौहार में हर व्यक्ति को 'घी' खाना और अपने तालु, कोहनी, ठोढ़ी पर मलना अनिवार्य होता है।

(इस त्यौहार के बारे में विस्तृत जानकारी आप 'मेरा पहाड़ डॉट कॉम' के निम्न लिंक के माध्यम से ले सकते हैं)
http://www.merapahad.com/ghee-tyar-uttarakhand/








Ghee Tyar

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Ghee Sankranti : घी संक्रांति
« Reply #13 on: August 16, 2013, 10:34:51 PM »
घृत संक्रांति –लोक पर्व
सौर मासीय पंचांग के अनुसार सूर्य एक राशि में संचरण करते हुए जब दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं .इस तरह बारह संक्रांतियां होती हैं .इस को भी शुभ दिन मानकर कई त्योहार मनाये जाते हैं .
 भाद्रपद (भादो)महीने की संक्रांति जिसे सिंह संक्रांति भी कहते हैं ,उत्तराखंड में घी संक्रांति या ओल्गी संक्रांति के रूप में मनाई जाती है .वस्तुतः यह कृषि और पशुपालन से जुड़ा हुआ एक लोक पर्व है .बरसात के मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में बालियाँ आने लगती हैं .किसान अच्छी फसलों की कामना करते हुए ख़ुशी मनाते हैं …बालियों को घर के मुख्य दरवाज़े के ऊपर या दोनों और गोबर से चिपकाया जाता है ..बरसात में पशुओं को खूब हरी घास मिलती है .दूध में बढ़ोतरी होने से दही -मक्खन -घी भी प्रचुर मात्रा में मिलता है .अतः इस दिन घी का प्रयोग अवश्य ही किया जाता है.कहा जाता है जो इस दिन घी नहीं खायेगा उसे अगले जन्म में गनेल यानी घोंघे(snail) के रूप में जन्म लेना होगा . यह घी के प्रयोग से शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि का संकेत देता है.
 इस दिन का मुख्य व्यंजन बेडू रोटी है .(जो उरद की दाल भिगो कर, पीस कर बनाई गई पिट्ठी से भरवाँ रोटी बनती है )और घी में डुबोकर खाई जाती है .अरबी के बिना खिले पत्ते जिन्हें गाबा कहते हैं ,उसकी सब्जी बनती है .छोटे बच्चों के सर पर घी लगाया जाता है .

इस पर्व का मूल यद्यपि कृषि और पशुपालन से है तथापि राजाओं के समय में प्रजा अपने राजा को इस अवसर पर भेंट -उपहार दिया करती थी .अपनें खेतों की सब्जियाँ,मौसमी .फल ,घी आदि भेंट दी जाती थी .यही नहीं समाज के अन्य वर्ग शिल्पी ,दस्तकार ,लोहार ,बढई आदि भी अपने हस्त कौशल से निर्मित वस्तुएँ भेंट में देते थे और धन धान्य के रूप में ईनाम पाते थे .अर्थात जो खेती और पशुपालन नहीं करते थे वे भी इस पर्व से जुड़े रहते थे क्योंकि इन दोनों व्यवसायों में प्रयोग होनें वाले उपकरण यही वर्ग बनाते थे .गृह निर्माण हो या हल ,कुदाली .दातुली जैसे उपकरण या बर्तन ,बिणुली जैसे छोटे वाद्य यंत्र हों .इस भेंट देने की प्रथा को ओल्गी कहा जाता है इसी कारण इस संक्रांतिको ओलगिया संक्रांति भी कहते हैं. समाज के हर वर्ग की विशेषता और महत्ता का आदर किया जाता है और सब मिलकर इस पर्व को मनाते हैं !http://kurmanchalparishad.com/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Ghee Sankranti : घी संक्रांति
« Reply #14 on: August 16, 2013, 10:40:27 PM »
घी त्यौहार

मुझे अपने बचपन के दिन याद है जब बचपन में घी त्यौहार मनाते थे,हम सब इस त्यौहार का बेसब्री से इंतज़ार करते थे। त्यौहार के दिन लोगो के घर में घी होना जरुरी है। लोग पकवान के साथ -२ घी भी खाते थे और परम्परा के अनुसार घी को अपने कोहनी एव घुटनों पर भी लगाना जरुरी होता है।

दूसरी ख़ास चीज  जो आज विल्पुत हो गयी है - घी त्यौहार के पांच दिनों तक लोग एक जगह इक्कठा होकर झोडा / चाचरी भी गया करते थे। आधुनिकता के इस दौर में अब यह प्रथा अब गायब है।


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Ghee Sankranti : घी संक्रांति
« Reply #15 on: August 17, 2013, 11:12:08 AM »
बालकृष्ण डी ध्यानी घी संक्रात-त्यार
 
 आच मेरा पाडा मा
 च घी संक्रात
 ये जावा दीदा
 घॆयु खाणु कुन 
 
 लोक पर्व सौर माघ मा सूर्य एक राशि
 दुसर राशि जंदु तब संक्रात अंद
 ये जावा दीदा
 घॆयु खाणु कुन 
 
 इनी बार संक्रात अंद
 बारा मास बारा बार अंद
 ये जावा दीदा
 घॆयु खाणु कुन 
 
 भादो मास मा कू संक्रात
 पाडे मा  लागी घी संक्रात
 ये जावा दीदा
 घॆयु खाणु कुन 
 
 बरखा क़ि  रूपाणी
 आच लागी भात मा बालियाँ 
 ये जावा दीदा
 घॆयु खाणु कुन 
 
 दूध दही -मक्खन खूब च
 घॆयु की भैणी धार च
 ये जावा दीदा
 घॆयु खाणु कुन 
 
 उरद की दाल
 भरवा रोटा खाणा
 ये जावा दीदा
 घॆयु खाणु कुन 
 
 गोबरा की फोफ्ली
 थोफ्याली कूड़ा मा
 ये जावा दीदा
 घॆयु खाणु कुन 
 
 छोट भूलूं मुडमा
 घॆयु मलस दे
 ये जावा दीदा
 घॆयु खाणु कुन 
 
 
 एक उत्तराखंडी
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
 http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
 में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
 
 
 घी-त्यार उत्तराखण्ड का एक लोक उत्सव!
 
 सभी शुभचिंतको को 'घी-त्यार' की हार्दिक बधाई एव शुभकामनाये।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Ghee Sankranti : घी संक्रांति
« Reply #16 on: August 17, 2013, 11:15:54 AM »

Happy Ghee Sankranti



विनोद सिंह गढ़िया

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आज शाम एवं कल सुबह उत्तराखण्ड में लोक पर्व 'घी-त्यार'/ 'घी संक्रान्ति' मनाया जायेगा.

आप सभी को घी-त्यार की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें.



 

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