Author Topic: Holy Mantras Related To Our Culture - हमारी संस्कृति से संबंधित मंत्र  (Read 27167 times)

hem

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.मैं इस विषय का आधिकारिक ज्ञाता नहीं  हूँ और न इसका ज्ञान मुझे उत्तराधिकार या विरासत में मिला है. फिर भी जितना लोगों के सत्संग और अध्ययन से जान पाया हूँ , पंकज जी के आग्रह पर इस थ्रेड पर लिखने का यत्न कर रहा हूँ. यदि त्रुटियाँ हों तो विज्ञ जन सुधार दें जिससे सभी लाभान्वित हो सकें.

पूजन से पूर्व स्वयं एवं सामग्री की शुद्धि हेतु मन्त्र -


अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा |
यः स्मरेत पुण्ड़रीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः  ||


आसन शुद्धि का मन्त्र -

ॐ पृथ्वी ! त्वया ! धृता लोका, देवि त्वं विष्णुना धृता |
     त्वं च धारय मां देवि ! पवित्रं कुरु चासनं ||     


आचमन -

      १- ॐ केशवाय नमः
     ॐ नारायणाय नमः
     ॐ माधवाय नमः

   २- ॐ ऋग्वेदाय नमः
     ॐ यजुर्वेदाय नमः
     ॐ सामवेदाय नमः
     ॐ अथर्व वेदाय स्वाहा   

hem

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पंकज दा ये जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है. मुझे भी यह सब थोङा बहुत सीखना है. मुझे लगता है हिमांशु भी यहां कुछ ज्ञान बांट सकता है. कृपया पिठा (तिलक) लगाने के मन्त्र भी उपलब्ध करायें..

यजमान द्वारा ब्राह्मण को तिलक मन्त्र -

नमो बाह्मण देवाय गो ब्राह्मण हिताय च |
जगद्विताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः ||



ब्राह्मण द्वारा यजमान को तिलक मन्त्र -

ॐ भद्रमस्तु शिवं चास्तु महालक्ष्मीः  प्रसीदतु |
रक्षन्तुत्वां सुरा सर्वे संपदा सुस्थिरा भवः  ||


सौभाग्यवती  तिलक मन्त्र -

ॐ श्रीश्चते लक्ष्मीश्च पत्न्यामवहोरात्रे पार्श्वे नक्षत्राणि रूपमश्विनौ व्याप्तम |  इष्णन्निशाणां   मुम्म इषाण सर्व लोकम्म इषाण |  सौभाग्यवती भवः आयुष्मती भवः |

कन्या तिलक मन्त्र -

ॐ अम्बे अम्बिकेऽम्बालिके न मानयति कश्चन | ससत्यश्वकः सुभद्रिकाम कामपील वासिनीम |   दीर्घायु भवः | 



विधवा तिलक मन्त्र -

तद्विष्णो  परमम्पद सदा पश्यन्ति सुरयः | दिवीव चषुरा राततम् | त्रीणि पदे विचक्रमे विष्णु र्गोपाऽअदाब्भ्यः |अतो धर्माणि धारयन | तद्विप्रासी विपन्यवो जाग्रवासः | सम्मिन्धते विष्णोर्यतः परम परम् | आयुष्मती धर्मवती विष्णु व्रत वती भवः कल्याणमऽस्तु |

hem

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पंकज दा ये जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है. मुझे भी यह सब थोङा बहुत सीखना है. मुझे लगता है हिमांशु भी यहां कुछ ज्ञान बांट सकता है. कृपया पिठा (तिलक) लगाने के मन्त्र भी उपलब्ध करायें..

बालक को तिलक करने  का मन्त्र -



यावत् गंगा कुरुक्षेत्रे यावत् चंद्रार्क मेदिनी
यावत् रामकथा लोके तावत जीवेतु बालकः   

पंकज सिंह महर

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हेम जी को इस अमूल्य जानकारी हेतु कोटिशः धन्यवाद एवं अनुरोध कि सामान्य जीवन एवं सामान्य अनुष्ठानों में प्रयुक्त होने वाले मंत्रों से हमें परिचित कराते रहें।

hem

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हेम जी को इस अमूल्य जानकारी हेतु कोटिशः धन्यवाद एवं अनुरोध कि सामान्य जीवन एवं सामान्य अनुष्ठानों में प्रयुक्त होने वाले मंत्रों से हमें परिचित कराते रहें।
ये सभी मन्त्र दैनिक चर्या में प्रयुक्त होते हैं. सभी मंत्रों को अलग अलग देने के बाद एक पोस्ट में सिलसिलेवार   उनका उपयोग बताने की  चेष्टा  करूंगा

तिलक करने के अन्य मन्त्र (इनसे स्वयं को भी तिलक किया जा सकता है.) -

१- चन्दनं महत्पुण्यं पवित्रं पापनाशनम |
     आपदं हरते नित्यम लक्ष्मीः  तिष्ठति सर्वदा ||

२- आदित्या वसवो रुद्रः विश्वेदेवा मरुद्गणः |
   तिलकं ते प्रयच्छन्तु धर्म कामार्थ सिद्धये.||       

hem

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पंचदेव पूजन में माँ दुर्गा का ध्यान मन्त्र -

सिंहस्था शशिशेखरा मर्कतप्रख्यैश्च्तुर्भिर्भुजैः
शंखं चक्रधनुःशरान्श्च दधती नेत्रैस्त्रिभिः शोभिता |
आमुक्तांगदहारकंकणरणत्काञ्चीरणन्नूपुरा
दुर्गा दुर्गतिहारिणी भवतु नो रत्नोल्ल्सत्कुण्डला ||
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ॐ श्रीदुर्गायै नमः  |             

hem

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विष्णु भगवान का ध्यान मन्त्र -

उद्यत्कोटिदिवाकराभमनिशं शंखं गदां पंकजं
चक्रं बिभ्रतमिन्दिरावसुमतीसंशोभिपार्श्वद्वयम् |   
कोटीरांगदहारकुण्डलधरं पीताम्बरं कौस्तुभै-
र्दीप्तं विश्वधरं स्ववक्षसि लासच्छ्रीवत्सचिन्हं भजे ||
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ॐ विष्णवे नमः |


शिवजी  का ध्यान मन्त्र -

ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं   
रत्नाकल्पोज्ज्वलान्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नं |     
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृतिं वसानं   
विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रं  ||   
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ॐ शिवाय नमः |         


गणेशजी का ध्यान मन्त्र -

खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुंदरं
प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलं
दंताघातविदारितारिरुधिरैः सिन्दूरशोभाकरं
वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदं ||           
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ॐ श्रीगणेशाय नमः |           


सूर्यदेव का ध्यान मन्त्र -

रक्ताम्बुजासनमशेषगुणैकसिन्धुं
भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि |
पद्मद्वयाभयवरान् दधतं कराब्जै-
र्माणिक्यमौलिमरुणांगरुचिं त्रिनेत्रं ||           
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ॐ श्रीसूर्याय नमः | 

hem

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दीप प्रज्वलित करने हेतु मन्त्र-

१-   साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया |
    दीपं  गृहाण देवेश  त्रैलोक्यतिमिरापहं  ||
    भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने |
    त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ||

२- भो दीप देव रूपस्त्वं कर्म साक्षी  ह्यविघ्नकृत् |
    यावत् कर्म समाप्ति स्यात् तावत् त्वं सुस्थिरो भव ||

३- शुभम् करोति कल्याणं आरोग्यं  धन संपदा |
   दुष्ट बुद्धि विनाशाय दीप ज्योति नमोऽस्तुते  ||

पंकज सिंह महर

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इन मंत्रो के लिये धन्यवाद, कृपया निम्न के लिये मंत्र बता दें-

१- स्वयं को, पत्नी को एवं बच्चों (कन्या एवं बालक दोनों के लिये)
* परदेश में रह रहे लोगों को पंडित जी के अभाव में इन मंत्रों की आवश्यकता होती है।
२- भोजन मंत्र
३- स्नान तथा ध्यान (संध्या) हेतु कुछ मंत्र

hem

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भगवान राम की वन्दना -


दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा |
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे  रघुनन्दनम्   ||

 

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