Author Topic: Holy Mantras Related To Our Culture - हमारी संस्कृति से संबंधित मंत्र  (Read 27137 times)

hem

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मन्त्र जाप के लिए प्रायः तुलसी की माला का उपयोग किया जाता है | किन्ही परिस्थितियों में  माला उपलब्ध न हो या एक सौ आठ से कम मन्त्र जाप करना हो तो निम्न प्रकार से उँगलियों की सहायता से करमाला बनाते हुए मन्त्र जाप किया जा सकता है |

  उँगलियों पर मन्त्र जपने की पद्धति –

1- दाहिने हाथ की अनामिका की मध्य पोर
2- दाहिने हाथ की अनामिका की प्रथम पोर ( हथेली से लगी हुई)
3- दाहिने हाथ की कनिष्ठिका की प्रथम पोर ( हथेली से लगी हुई)
4- दाहिने हाथ की कनिष्ठिका की मध्य पोर
5- दाहिनी हाथ की कनिष्ठिका की अंतिम पोर ( सबसे ऊपर)
6- दाहिने हाथ की अनामिका की अंतिम पोर (सबसे ऊपर)
7- दाहिने हाथ की मध्यमा की अंतिम पोर (सबसे ऊपर)
8- दाहिने हाथ की मध्यमा की मध्य पोर
9- दाहिने हाथ की मध्यमा की प्रथम पोर (हथेली से लगी हुई)
10-दाहिने हाथ की तर्जनी की प्रथम पोर (हथेली से लगी हुई)

इस तरह दस मंत्रों के जाप की एक कर माला हुई |  पूरे एक सौ आठ मन्त्र जपने के लिए शेष आठ मन्त्र इस प्रकार जपे जायेंगे –

1- दाहिने हाथ की अनामिका की प्रथम पोर (उंगली से लगी हुई)
2- दाहिने हाथ की कनिष्ठिका की प्रथम पोर (उंगली से लगी हुई)
3- दाहिने हाथ की कनिष्ठिका की मध्य पोर
4- दाहिने हाथ की कनिष्ठिका की अंतिम पोर (सबसे ऊपर)
5- दाहिने हाथ की अनामिका की अंतिम पोर (सबसे ऊपर)
6-  दाहिने हाथ की मध्यमा की अंतिम पोर (सबसे ऊपर)
7- दाहिने हाथ की मध्यमा की मध्य पोर
८- दाहिने हाथ की मध्यमा की प्रथम पोर ( उंगली से लगी हुई)

hem

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आज जन्यो पुन्यु को भद्रा तिथि होने के कारण कुछ असमंजस की स्थिति थी.कुछ पंडितों के अनुसार आज की भद्रा पाताल में स्थित है. पाताल स्थित भद्रा में शुभ काम किये जा सकते हैं.अतः जनेऊ बदलने या राखी बंधवाने में कोई आपत्ति नहीं. वैसे भी भद्रा शाम ४.२० तक है.जिन्होंने अब तक जनेऊ  नहीं बदली है वे शाम को ४.३० से ६ बजे के बीच शुभ के चौघडिये में बदल सकते हैं.

अधिकांश उत्तराखंडी  कर्मकांड आदि में विश्वास करते हैं . उत्तराखंडी घरों में  पूजा पाठ आदि होती रहती है. शुभ कार्य के लिए दिनों के अनुसार निम्न समय निर्धारित हैं.इन्हें शुभ चौघडिया कहा जाता है. शुभ चौघडियों के नाम इस प्रकार हैं - शुभ, अमृत, लाभ और चर. 

रविवार - दिन में ७.३० से ९ (चर),९ से १०.३० (लाभ), १०.३० से १२ (अमृत)१.३० से ३ (शुभ)
             रात में ६से ७.३० (शुभ), ७.३० से ९ (अमृत),९से १०.३० (चर) १.३० से ३ (लाभ),  ४.३० से ६ (शुभ)

सोमवार - दिन में ६ से ७.३०(अमृत), ९ से १०.३० (शुभ),१.३० से ३ (चर), ३ से ४.३० (लाभ), ४.३० से ६ (अमृत)
               रात में ६ से ७.३० (चर), १०.३० से १२ (लाभ), १.३० से ३ (शुभ) ३ से ४.३०(अमृत),४.३० से ६ (चर)

मंगलवार - दिन में ९ से १०.३० (चर),१०.३० से १२ (लाभ),१२ से १.३० (अमृत), ३ से ४.३०(शुभ)
                 रात में ७.३० से ९ (लाभ),१०.३० से १२ (शुभ),१२ से १.३० (अमृत), १.३० से ३(चर)
 
बुधवार - दिन में ६ से ७.३० (लाभ), ७.३० से ९ (अमृत),१०.३० से १२ (शुभ),३ से ४.३० (चर),४.३० से ६ (लाभ)   -.
             रात में ७.३० से ९ (शुभ),९ से १०.३० (अमृत)१०.३० से १२ (चर) ३ से ४.३० (लाभ)

गुरुवार - दिन में ६ से ७.३० (शुभ),१० .३० से १२ (चर), १२ से १.३० (लाभ),१.३० से ३ (अमृत),  ४.३० से ६(शुभ)
              रात में ६ से ७.३० (अमृत),७.३० से ९ (चर),१२ से १.३० (लाभ),३ से ४.३० (शुभ),  ४.३० से ६ (अमृत)

शुक्रवार - दिन में ६ से ७.३० (चर),७.३० से ९ (लाभ) ९ से १०.३० (अमृत) १२ से १.३० (शुभ) ४.३० से ६ (चर)
              रात में ९ से १०.३० (लाभ),१२ से १.३० (शुभ),१.३० से ३ (अमृत) ३ से ४.३० (चर)

शनिवार - दिन में ७.३० से ९ (शुभ),१२ से १.३० (चर),१.३० से ३ (लाभ), ३ से ४.३० (अमृत)
              रात में ६ से ७.३० (लाभ),९ से १०.३० (शुभ), १०.३० से १२ (अमृत),१२ से १.३० (चर), ४.३० से ६ (लाभ)



खीमसिंह रावत

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हेम जी आप तो पूरे पडित जी हो /
आपके  इस प्रयास से कई लोगो को फायदा होगा /
धन्यवाद

hem

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आज कृष्ण जन्माष्टमी है. अनेक स्थानों में यह पर्व कल मनाया जावेगा.

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
आदिपुरुष अपरम्पार अलेखपुरुषाय नमः

वसुदेवसुतम देवं कंस चाणूर मर्दनं
देवकी परमानन्दं कृष्ण वन्दे जगतगुरुम्   

आदो देवकी-देव गर्भ जनन गोपी गृहे वर्धनम
मयापूतन जीवताप हरणम् गोवर्धनं
केशछेदन कौरवादि हनन कुंती सुत पालनं
एतद भागवत पुराण कथित श्रीकृष्णलीलाअमृतं

hem

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देश के कुछ हिस्सों में आज गणेश चतुर्थी मनायी जा रही है. पहाड़ों में संभवतः कल है.

|| ॐ गं गणपतये नमः ||



स जयति सिन्धुरवदनो देवो यत्पादपंकजस्मरणम् |
वासरमणिरिव तमसां राशीन्नाशयति विघ्नानां ||


सुमुखश्चैकदंतश्च  कपिलो     गजकर्णकः |
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः ||
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः |
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छ्रिणुयादपि ||
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा |
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते. ||

मंगलम् भगवान् विष्णुः मंगलम् गरुड़ध्वजः |
मंगलम् पुण्डरीकाक्षो मंगलायतनो हरिः ||

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभम् |
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||

एकदन्तं माहाकायम् लम्बोदर गजाननं |
विघ्ननाशकरम् देवं हेरम्बम् प्रणम्याम्हं ||

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बूफलचारुभक्षणं |
उमासुतं  शोकविनाशकारकं नमामि  विघ्नेश्वरपादपंकजं ||


hem

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कल ४ सितम्बर से पितृ पक्ष प्रारंभ हो रहा है. अनेक श्रद्धालु जो प्रतिदिन तर्पण नहीं कर पाते हैं, इस पक्ष में प्रतिदिन या कम से कम एक दिन - पितृ मोक्ष अमावस्या को श्रद्घापूर्वक तर्पण करते हैं -


एकैकस्य तिलैर्मिश्रांस्त्रींस्त्रीन दद्याज्जलान्जलीन |
यावज्जीवकृतं   पापं   तत्क्षणादेव  नश्यति ||



{ एक-एक पितर को तिलमिश्रित जल की तीन-तीन अन्जलियाँ प्रदान करे |(इस प्रकार तर्पण करने से) जन्म से लेकर
तर्पण के दिन तक किये गए पाप उसी समय नष्ट हो जाते हैं}

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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शनि पौराणिक मंत्र-
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामी शनैश्चरम्‌॥


शनि का व्रत करने से लाभ

शनिवार की पूजा सूर्योदय के समय करने से श्रेष्ठ फल मिलता है।
शनिवार का व्रत और पूजा करने से शनि के प्रकोप से सुरक्षा के साथ राहु, केतु की कुदृष्टि से भी सुरक्षा होती है।
मनुष्य की सभी मंगलकामनाएँ सफल होती हैं।
व्रत करने तथा शनि स्तोत्र के पाठ से मनुष्य के जीवन में धन, संपत्ति, सामाजिक सम्मान, बुद्धि का विकास और परिवार में पुत्र, पौत्र आदि की प्राप्ति होती है। 
                                                                                                     
By : ज्योतिषाचार्य पं. हरिश्चंद्र लखेड़ा

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दिनांक १९-०९-०९ से शारदेय नवरात्र प्रारंभ हैं -

देवि  प्रपन्नर्तिहरे  प्रसीद पसीद  मातर्जगतोsखिलस्य |
प्रसीद विश्वेसरि पाहि विश्वं त्वामीश्वरी देवि चराचरस्य || 

पंकज सिंह महर

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हेम जी,
पूर्णिमा के व्रत हेतु पूजन विधान और चन्द्रमा के पूजन हेतु संक्षिप्त मन्त्र आदि उपलब्ध कराने की कृपा करें।

 

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