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Holy Mantras Related To Our Culture - हमारी संस्कृति से संबंधित मंत्र

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हेम पन्त:
पंकज दा ये जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है. मुझे भी यह सब थोङा बहुत सीखना है. मुझे लगता है हिमांशु भी यहां कुछ ज्ञान बांट सकता है. कृपया पिठा (तिलक) लगाने के मन्त्र भी उपलब्ध करायें..

हेम पन्त:
स्नान मन्त्र - स्नान करते हुए उच्चारण करें-

गंगे च यमुने चैव, गोदावरी, सरस्वती
नर्मदे, सिन्धु, कावेरी, जलेस्मिन सन्निधिम कुरू.

स्नान की शुरुआत पैरों से करते हुए फिर शरीर में ऊपर की तरफ़ पानी डालते हुए अन्तत: सिर पर पानी डालना चाहिये. इससे शरीर का तापमान वातावरण के तापमान के साथ आसानी से ढल जाता है.

पंकज सिंह महर:
प्रातः उठकर सबसे पहले अपने हाथों को देखकर निम्न मंत्र पढ़ना चाहिये।


कराग्रे वस्ते लक्ष्मी, कर मध्ये सरस्वती।
 कर मूले तु गोविन्दः, प्रभाते कर दर्शनम्‌॥


भावार्थ- हाथ के अगले भाग में लक्ष्मी जी का वास है और मध्य में मां सरस्वती का वास होता है। हाथ के अंत (कलाई) में भगवान विष्णु का वास है। अतः प्रातः उठने पर अपने हाथ को देखने से इन सभी देवताओं का दर्शन अपने आप हो जाता है।

पंकज सिंह महर:
समुद्र वसने देवी पर्वतः स्तन मंडले।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यम्‌ पादस्पर्शक्षमस्व मै॥

प्रातः उठने के बाद अपने हाथ को देखकर मत्रोंचार करने के बाद ही धरती पर पैर रखने से पूर्व यह मंत्र पढ़ा जाता है।

भावार्थ- 'हे धरती माँ पहाड़ तेरे वक्षस्थल हैं' जिनसे हमें दूध का पोषण मिलता है। तू हमें बनाती और पोषती है। तेरे ऊपर हम पैर रखते हैं। हम तुमसे क्षमा चाहते हैं।

पंकज सिंह महर:
मां भगवती की स्तुति हेतु निम्न मंत्र कहा जाता है।

ऊं जयन्ती मंगला काली, भद्र-काली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री, स्वधा स्वाहा नमोऽस्तुते।।

भावार्थ-  जयन्ती मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा इन नामों से प्रसिद्व देवी तुम्हें मैं नमस्कार करता हूँ।

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