Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 180766 times)

Bhishma Kukreti

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  रिखोली (सहसपुर , देहरादून ) के एक मकान में  काष्ठ अंकन लोक कला  अलंकरण, नक्कासी

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ,बाखली  , कोटि बनाल , खोली , मोरी    ) में  काष्ठ अंकन लोक कला  अलंकरण, लकड़ी  नक्कासी -246
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Rikholi, Sahaspur, Dehradun , Garhwal , Uttarakhand , Himalaya -   
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 संकलन - भीष्म कुकरेती
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रिखोली सहसपुर में  500  जनसंख्या वाला गाँव है।  रिखोली  (देहरादून ) से   भी पारम्परिक मकाओं की सुचना मिली है।  आज पत्रकार विजय भट्ट  द्वारा भेजे गए एक पारम्परिक मकान की काष्ठ  कला, अलंकरण  पर  विचार होगा।  अनुमान  लगता है कि मकान की  दीवारें कोटि बनाल शैली में चिनी गयी हैं (लकड़ी के लट्ठ व बिन मिट्टी के पत्थरों के योग से।   )  मकान की पहली मंजिल में  आम गढ़वाली शैली की तिबारी स्थापित है व  मकान प्यूरी तरह से जौनसारी शैली का नहीं है। 
रिखोली गांव के इस मकान की  तिबारी में  पांच स्तम्भ हैं व मकान की दीवाल भाग लकड़ी की बड़ी चौड़ी  पसूण (wood log ) पर टिके  हैं।  पांच सिंगाड़ /स्तम्भ  से चार ख्वाळ  बने हैं।  प्रत्येक स्तम्भ का आधार की कुम्भी  उल्टे कमल दल से बनी है। कुम्भी आम गढ़वाली  तिबारी के स्तम्भ कुम्भी से कुछ लम्बी है।   कुम्भी के ऊपर  ड्यूल है। ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प है।  कमल पंखुड़ियों में पर्ण -लता अंकन हुआ है।  सीधे कमल फूल अंत के बाद सिंगाड़ /स्तम्भ लौकी  ऊपर बढ़ता है।  यहां स्तम्भ में बांसुरी - गड्ढे शैली  अंकन  (flute -flitted )  हुआ है।  जहां पर स्तम्भ सबसे  कम मोटा है वहां उल्टा कमल फूल है , उल्टे कमल दल के ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर खिला सीधा कमल फूल है।  कमल दलों पर भी नक्काशी हुयी।   यहां से स्तम्भ के दो विशेष भाग हैं।  एक सीधा ऊपर का थांत जो मुरिदं (शीर्ष ) से मिलता है व थांत  से मेहराब (तोरणम ) का आधा चाप निकलता है जो सामने वाले स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल पूर्ण महराब (तोरणम ) बनता है।   तोरणम /मेहराब के स्कन्धों ( त्रिभुजों )  में बेल -बूटों  की नक्काशी हुयी है।  नक्काशी से ही मेहराब की दो तीन स्तर निर्मित हुए हैं। तिबारी का  मुरिन्ड/मथिण्ड/शीर्ष  सपाट कड़ी से बना है   जिस पर कोई विशेष कला अंकन नहीं दिखता है।
 निष्कर्ष निकलता है कि प्रस्तुत    रिखोली (सहसपुर , देहरादून ) के  मकान की तिबारी में काष्ठ  कला दृष्टि से   ज्यामितीय , प्राकृतिक कला अलंकरण अंकन हुआ है व मानवीय (पशु -पक्षी , देव आकृति ) का अंकन नहीं हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार : विजय भट्ट 
यह लेख कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी ,. सूचनायें  श्रुति माध्यम से मिलती हैं अत:  मिल्कियत  सूचना में व असलियत में अंतर हो सकता है जिसके लिए  संकलन कर्ता व  सूचनादाता  उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
देहरादून , गढ़वाल में तिबारी , निमदारी , जंगलेदार, बाखली , कोटि बनाल  मकानों में काष्ठ कला , अलंकरण , नक्कासी  श्रृंखला जारी रहगी
 Traditional House Wood Carving of Dehradun Garhwal , Uttarakhand , Himalaya  will be continued -
  House Wood Carving Ornamentation from Vikasnagar Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Doiwala Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Rishikesh  Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Chakrata Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Kalsi Dehradun ;  चकराता , देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  डोईवाला देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  विकासनगर देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ; कालसी देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  ऋषीकेश देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी 


Bhishma Kukreti

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हर्षिल (उत्तरकाशी ) के  डाकघर के जंगलेदार  ,  कोटि बनाल शैली के मकान में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी -245
House wood Carving Art in Harsil , Uttarkashi
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 हर्षिल घाटी व  निकटवर्ती घाटियों में विशेष प्रकार के मकानों की  सूचनाएं मिली है।  इसी क्रम में  हर्षिल  (उत्तरकाशी ) में   कोटि बनाल शैली में निर्मित डाकघर  का जंगलेदार भवन  में काष्ठ कला अलंकरण पर चर्चा होगी।  यह  डाकघर  राम तेरी गंगा मैली क्यों में भी फिल्माया गया है। 
मकान की पत्थरों व बड़े बड़े स्लीपरों  (बड़े बड़े कड़ियों )  की चिनाई से साफ़ जाहिर है कि मकान कोटि बनाल शैली का बना है।  तल मंजिल में  कमरे के सिंगाड़ों , दरवाजों व मुरिन्ड में ज्यामितीय कटान ही है और कोई विशेष कला दर्शन नहीं होते हैं।
कोटि बनाल शैली से बने इस  मकान के पहली मंजिल  में बरामदे के बाहर से निमदारी  जिअसे संरचना देखने को मिलती है।  पहली मंजिल में बरामदे के बाहर से  दो ओर  (सामने व  बगल में ) लकड़ी के स्तम्भ /ख़म लगे हैं।  ऊपर मुरिन्ड में एक  सपाट कड़ी है।  स्तम्भ  के आधार में दोनों तरफ  लकड़ी की पट्टिकाएं लगी हैं जिससे ऐस ामहसूस होता है जैसे स्तम्भ आधार मोटा है।  ऊपर सपाट हो मुरिन्ड की कड़ी से मिल जाते हैं। 
स्तम्भ के आधार में   छह सात इंच ऊपर व ढाई फिट ऊपर लकड़ी की एक एक  रेलिंग है।  इन दो रेलिंगों के मध्य लघु उप स्तम्भों से जंगल बना है।  लघु उप स्तम्भ    आयत नुमा है और आधार पर , बीच में व ऊपर बड़ा आयात नुमा आकृति है।
निष्कर्ष निकलता है कि हर्षिल (उत्तर काशी ) के  डाकघर के  कोटि बनाल शैली के जंगलेदार मकान में   ज्यामितीय कटान  अंकन ही दृष्टिगोचर होता है।   
सूचना व फोटो आभार : उपेंद्र स्वामी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of   Bhatwari , Uttarkashi Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi ,Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , भटवाडी मकान लकड़ी नक्कासी ,  रायगढी    उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , चिनियासौड़  उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी   श्रृंखला जारी रहेगी

Bhishma Kukreti

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गराउ  (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं की बाखली में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी

  House Wood Carving Art  in  Garaun , Berinag  house of   Pithoragarh
गढ़वाल,  कुमाऊँ , हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी -243   
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट , बेरीनाग व धारचूला क्षेत्र से कई  कुमाउँनी शैली के मकानों व बाखलियों की अच्छी संख्या में सूचना मिली हैं।  आज   गराऊ (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं की बाखली में  काष्ठ कला , अलंकरण की चर्चा की जाएगी।
  गराऊं (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं  का मकान तिपुर व दुखंड शैली का मकान है।  मकान  बाखली शैली    का ही है।  गराऊं (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं की बाखली  में काष्ठ  कला विवेचना हेतु तीन मुख्य भागों में टक्क लगाना आवश्यक है -
 गराऊ (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं के मकान  के तल मंजिल में  खोळी /खोली में काष्ठ कला व अलंकरण
  गराऊ (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं  के मकान में पहला व दूसरी मंजिल में बड़े छाजों  ,  में काष्ठ कला व अलंकरण
    गराऊं(बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं की बाखली  के तीनों मंजिलों में मोरी / खिड़की या लघु छाजों में लकड़ी नक्काशी  विवेचना।
  ------------: गराऊ (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं के मकान  के तल मंजिल में  खोळी /खोली में काष्ठ कला व अलंकरण  :--------
  गराऊ (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं के मकान  के तल मंजिल में  दो  काष्ठ कलायुक्त खोली दृष्टिगोचर हो रही हैं।  खोली के दोनों ओर  के  लकड़ी के मुख्य सिंगाड़ों /स्तम्भों  व ऊपर दोनों मुरिन्ड तलों में  काष्ठ कला दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  जैसे कि  कुमाऊं में प्रचलन है कि  खोली का मुख्य सिंगाड /स्तम्भ उप स्तम्भों  के युग्म /जोड़ से निर्मित हैं  . उप स्तम्भ दो प्रकार के हैं एक प्रकार के उप स्तम्भों के आधार में उल्टा कमल , फिर ड्यूल व फिर सीधा कमल फूल कटान हुआ है। सीधे कमल फूल उपरान्त स्तम्भ सीधे हो ऊपर चौखट रूपी  मुरिन्ड का एक स्तर बन जाता है।  कमल फूल से व मुरिन्ड स्तर तक पर्ण -लता (बेल बूटे ) की नक्काशी हुयी है।  दुसरे प्रकार के बेल बूटेयुक्त उप स्तम्भ सीधे आधार  से मुरिन्ड की ओर  बढ़ कर बाद में मुरिन्ड के स्तर बन जाते हैं।  स्तम्भों से बना हुआ मुरिन्ड एक चौखट नुमा आकृति है।  अंदरूनी  उप स्तम्भ ऊपर जाकर  मेहराब /तोरणम आकृति में बदल जाते हैं।  मेहराब /तोरणम तिपत्ति नुमा है।  मुरिन्ड के ऊपर एक अन्य मेहराब /तोरणम आकृति है।  इस मेहराब /तोरणम  में देव आकृतियां खुदी है जो बहुत बारीकी से खुदी हैं।
-------------: गराऊं (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं  के मकान में पहला व दूसरी मंजिल मोरियों /खिड़कियों  में काष्ठ कला व अलंकरण :------------
 मकान में कुल 18 मोरी या खिड़की हैं।  खिड़कियों के  ऊपर बाहर गारे -मिटटी के मेहराब  से साफ़ पता चलता है कि मकान पर ब्रिटिश शैली (colonial house art ) का पूरा प्रभाव है और खिड़कियां छाज जैसे भी नहीं हैं।  खिड़की के स्तम्भ  आधार में बिन कमल के हैं व बाकी सब खोली जैसे ही हैं - उप स्तम्भों का मुरिन्ड का स्तर बनना व मुरिन्ड के ऊपर मेहराब /तोरणम।  कहा जा सकता है कि खिड़की की कला लगभग खोली जैसे ही है केवल उप स्तम्भों के आधार में कमल फूलों से बनी कुम्भियाँ नहीं है। व  अंदरूनी स्तम्भ  ऊपर मेहराब भी नहीं बनाते हैं।   खिड़की के ऊपरी मेहराब में देव आकृति भी नहीं खुदी हैं। 
 -----------: गराऊ (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं  के मकान में पहला व दूसरी मंजिल में बड़े छाजों  ,  में काष्ठ कला व अलंकरण :-------------
   गराऊं(बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं  के मकान  /बाखली में पहली मंजिल में चार व दूसरी मंजिल में  कलायुक्त चार  छाज /झरोखे है।    सभी झरोखे /छाज  कला रूप में एक जैसे ही हैं।  केवल दूसरी मंजिल के छाजों /झरोखों में चौखट , जाली नुमा कलयुक्त आधार  नहीं हैं। 
गराउ  के पंत  बंधुओं  के मकान में पहली मंजिल एक  छाजों  /झरोखों  जालीनुमा कलाकारी: ---  गराऊं (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) में पंत बंधुओं  के मकान  के पहली मंजिल के छाजों /झरोखों में  चौखट आधार हैं जिन पर  कई स्तर के चौखट हैं।  मध्य चौखट में प्राकृतिक कलाकारी हुयी है जो कुछ कुछ  अवध नबाबाब के झरोखों से मिलती जुलती है।  अन्य चौखटों या आयतों में भी प्राकृतिक अलंकृत कला का कटान हुआ है।
   गराउ  के पंत   बंधुओं  मकान में पहली मंजिल एक  छाजों  /झरोखों  में मुख्य स्तम्भ - गराउं  के पंत   बंधुओं  मकान में पहली मंजिल एक  छाजों  /झरोखों  में  तीन मुख्य स्तम्भ हैं जो ख्वाळ /छाज/झरोखे बनाते हैं।  प्रत्येक उप स्तम्भ के उप स्तम्भ हैं। किनारे के उप स्तम्भ के आधार में उलटे कमल फूल  , ड्यूल व सीधे कमल फूल से घुंडियां।/कुम्भियाँ बनी हैं ऊपरी सीधे कमल फूल के ऊपर से स्तम्भ सीधा ऊपर जाता है किन्तु  मुरिन्ड  से कुव्ह्ह नीचे फिर से कमल घुंडियां बनती हैं।  मुरिन्ड  से पहले अंदरूनी सिंगाड की तरफ मेहराब /तोरणम बनता है।  केंद्रीय मुख्य स्तम्भ के एक उप स्तम्भ में  बीच में एक बड़ी पत्ती उभरी है जिसके अंदर नसों का  कटान हुआ है।
  प्रतीक ढड्यार /छेद /झरोखे  के दो तल हैं एक ऊपर खुला ढुड्यार /छेद  व नीचे  नक्काशी युक्त जंगला।  जंगले  के उप स्तम्भ कुछ कुछ हुक्के की कड़ी जैसे कलायुक्त हैं या कलाकृत चारपाई के पाए जैसे हैं। याने नीचे लम्बी कुम्भी  फिर ड्यूल ड्यूल से उप स्तम्भ लौकी आकार लेते हैं व  जहां पर कम मोटाई है वहां स्तम्भ कुछ कुछ चौकोर सजला/चिलमों  का रूप सा ले लेता है। 
 छाजों  का मुरिन्ड चौखट है।
  निष्कर्ष निकलता है कि  गराउ  के पंत   बंधुओं  मकान में  भव्य कलाकृति  अंकन हुआ है व तीनों प्रकार का ंकन हुआ है - ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण। 
 सूचना व फोटो आभार : राजेंद्र रावल  , जाजारा
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  .  भौगोलिक , मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी ;  House wood Carving art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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कोयलपुर डांगी (अगस्तमुनि , रुद्रप्रयाग ) के एक खोली में  काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्काशी

 गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   , खोली , छाज  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्काशी-244   
 Traditional House wood Carving Art of  Koyalpur Dangi, Rudraprayag 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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खोली , तिबारियों , निमदरियों के मामले में रुद्रप्रयाग भाग्यशाली जिला है।  रुद्रप्रयाग से  कई खोलियों  , तिबारियों , निमदरियों की सूचना मिली हैं।  इसी क्रम में आज  दर्शन सिंह रौतेला द्वारा भेजी गयी सूचना आधार पर   कोयलपुर डांगी (अगस्तमुनि , रुद्रप्रयाग ) के एक खोली में  लकड़ी नक्काशी पर  चर्चा होगी। 
  कोयलपुर डांगी (अगस्तमुनि , रुद्रप्रयाग ) के एक खोली  के दरवाजों के दोनों ओर मुख्य स्तम्भ   दो  दो   प्रकार के उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से निर्मित हैं।  प्रत्येक दोनों प्रकार के उप स्तम्भ देहरी के ऊपर बड़े पत्थर के चौकोर सुडौल आधार पर टिके हैं। किनारे वाला  उप सिंगाड़/स्तम्भ के आधार पर कटान  से घुंडी नुमा आकृति बनी है जहां से उप सिंगाड़ सीधे  ऊपर मुरिन्ड की और बढ़ते हैं  व  इस उप स्तम्भ में मुरिन्ड  से नीची वीएस ही कटान है जैसे आधार।  यह उप सिंगाड़ /स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड (शीर्ष ) का एक स्तर (layer ) बन जाता है। 
दुसरे प्रकार का सिंगाड़  वास्तव में दो युग्म से बने हैं।  यह अंदर वाला    सिंगाड  पत्थरके आधार पर  टिका  है उप सिंगाड़ /स्तम्भ    का   आधार ड्यूल नुमा  है । दो ड्यूल हैं।  फिर दोनों  चौड़े  उप स्तम्भों की आकृति बदल जाते हैं।  इस स्थान में पौधों के कोशिका जैसे आकृति बनी हैं।  कोशिकाओं के अंदर हाथ , प्राग नलिका जैसे कुछ आकृति बनी हैं जो बारीक नक्काशी का उदाहरण पेश करते हैं।  तीन कोशिकाओं के ये उप स्तम्भतीन तीन फाडों में बदल सीधे ऊपर मुरिन्ड की और बढ़ते हैं।  यहां से उप स्तम्भों  में बेल -बूटों  की सुंदर नक्काशी हुयी है।  ऊपर जाकर इस उप स्तम्भ के  छह  के छह  फाड़  मुरिन्ड के स्तर बन जाते हैं।  मुरिन्ड चौखट है व उसमे देव आकृति अंकित हुयी है। 
  मुरिन्ड के ऊपर छप्परिका  से दोनों दरवाजे के बाहर नीची की   ओर  दो दो दीवालगीर हैं।  दीवाल गीर के आधार में चिड़िया चोंच है जो (चोंच )  केले का फल जैस ेदीखता है।  चोंच फल के ऊपर कला आकृति के आधार गुटके हैं व  एसबीएस ेऊपर चिड़िया की आकृति है।  चिड़िया की चोंच तोते की चोंच जैसे ही है। चिड़िया के पैर  भी अनोखे हैं।  चिड़िया के पंख भी कलयुक्त हैं।
 निष्कर्ष निकलता है कि  कोयलपुर डांगी (अगस्तमुनि , रुद्रप्रयाग ) के एक खोली  में मानवीय , प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण अंकन हुआ है।  कला बारीक हुयी है।
सूचना व फोटो आभार:  दर्शन सिंह रौतेला

  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
 Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag    Garhwal  Uttarakhand , Himalaya   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण , नक्काशी  श्रृंखला 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  - 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला, नक्काशी  ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला अंकन, नक्काशी  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रपयाग में दरवाजों में नक्काशी , रुद्रप्रायग में द्वारों में नक्काशी ,  स्तम्भों  में नक्काशी


Bhishma Kukreti

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ढांगळ (उदयपुर, पौड़ी गढ़वाल ) में    दिगम्बर  कुकरेती  के  जंगलेदार मकान में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्कासी

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , बखाई ,  खोली  ,   कोटि बनाल   )  में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्कासी-- 242
 संकलन -भीष्म कुकरेती
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ढांगळ  उदयपुर पट्टी का एक विशेष गाँव है जो कोटद्वार में  कुकरेती व्यवसायी परिवारों के कारण  पूरे गढ़वाल में भी प्रसिद्ध गाँव है।  आज  ढांगळ (उदयपुर, पौड़ी गढ़वाल ) में एक जंगलेदार मकान में काष्ठ  कला पर चर्चा होगी।
 प्रस्तुत मकान  दुपुर -दुखंड है।  मकान की पहली मंजिल के लम्बे बरामदे पर लकड़ी का जंगला बंधा है।  जंगल पहली मंजिल में स्थापित है।  जंगल में पंद्रह स्तम्भ /खाम /खम्भे हैं।  स्तम्भ ों के  आधार पर कुछ ऊंचाई तक  दोनों ओर पट्टिका लगीं है।  स्तम्भ आधार से सीधे ऊपर जाते हैं।  ऊपर शीर्ष /कड़ी में हर ख्वाळ ( दो स्तम्भ के मध्य स्थान  )  में तोरणम जैसे आकृति निर्मित है।  लम्बे जंगल में कुल पंद्रह स्तम्भ हैं
दिगम्बर कुकरेती  के       में स्तम्भ व शीर्ष /मुरिन्ड कड़ी में तोरणम आकृति  छोड़  कोई  उल्लेखनीय कला दृष्टिगोचर नहीं होती है।  जंगलेदार मकान  आधुनिक,  मकान भड़कीला नहीं है व भव्य किस्म का है.. कहा जा सकता है कि  मकान में ज्यामितीय कटान ही मुख्य कला है। 
सूचना व फोटो आभार : अभिषेक कुकरेती , ढांगळ
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना  -भौगोलिक  जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , कोटि बनाल   ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्कासी   श्रृंखला
  यमकेशर गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;  ;लैंड्सडाउन  गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;दुगड्डा  गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ; धुमाकोट गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला ,   नक्कासी ;  पौड़ी गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;
  कोटद्वार , गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;


Bhishma Kukreti

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मलसैणा (खिर्सू, पौड़ी गढ़वाल ) में  वैद्य राज बहुगुणा परिवार के जंगलेदार मकान मे काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी


गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी-249   
  Tibari House Wood Art in Malsana, Khirsu   , Pauri Garhwal   
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 मित्र स्वदेश नेगी ने मलसैणा  (कटूल स्यूं , खिर्सू पौड़ी गढ़वाल ) में प्रसिद्ध वैद्य परिवार के मकान की सूचना भेजी है।  सूचना देते स्वदेश नेगी ने  लिखा है कि मकान 130  साल पहले  प्रसिद्ध वैद्यराज स्व पितांबर दत्त  बहुगुणा के पिता जी ने निर्माण करवाया था व  60 वर्ष पहले मकान का  जीर्णोद्धार कराया गया था।  पथिकों के लिए यह मकान कई तरह से आश्रय देता था। 
  मलसैणा  (कटूल स्यूं , खिर्सू पौड़ी गढ़वाल ) में प्रसिद्ध वैद्य परिवार  का जंगलादार मकान दुपुर व दुखंड /दुघर है।  मकान के तल मंजिल में खोली है।  खोली भव्य दिखती है किन्तु छाया चित्र में छवि स्पष्ट न होने से अधिक  विवरण पानं कठिन है।    स्तम्भ  मोटे  हैं ।  स्वदेश नेगी ने सूचना दी है बल खोली व मकान कत्यूरी व गोरखा शैली के हैं। 
मकान के पहली मंजिल में 16  या 17 खम्या  जंगला बंधा है याने जंगले में 16 खाम /स्तम्भ स्थापित हैं।  सभी स्तम्भ लकड़ी के छज्जे की कड़ियों के ऊपर सुस्सज्जित हैं।  स्तम्भ सीधे हैं व आधार से  सीधे  ऊपर मुरिन्ड की कड़ी से मिल जाते हैं।  आधार से दो फ़ीट के ऊपर  दो स्तम्भों के मध्य लकड़ी का चौखट बिठाया गया है जिस पर  धातु जंगला है।  स्तम्भ का आधार लगभग दो फ़ीट तक मोटाई लिए हैं व ऐसे ही मुरिन्ड से  दोएक  फ़ीट  नीचे भी स्तम्भ मोटा है।
  मलसैणा  (कटूल स्यूं , खिर्सू पौड़ी गढ़वाल ) में प्रसिद्ध वैद्य परिवार  के मकान के पहली मंजिल में बाह्य बरामदे के अंदर पांच  सपाट स्तम्भों से सजी तिबारी भी दृष्टिगोचर हो रही है।  सभी स्तम्भों में ज्यामितीय कटान ही हुआ है।
  मलसैणा  (कटूल स्यूं , खिर्सू पौड़ी गढ़वाल ) में प्रसिद्ध वैद्य परिवार का मकान भव्य प्रकार का मकान है व ज्यामितीय कटान से ही मकान में भव्यता लायी गयी है जो प्रशंसनीय है। वर्तमान में  वैद्यराज स्व पीतांबर दत्त बहुगुणा  के पोते सुबोध बहुगुणा मकान की भली भांति देखरेख कर रहे हैं। 
सूचना व फोटो आभार: स्वदेश नेगी 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , भवन नक्काशी  नक्काशी,  मकान की लकड़ी  में नक्श


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अट्टा , टोला (  यमकेश्वर , पौड़ी ) में भट्ट परिवार के  तिबारी युक्त मकान में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्कासी


गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , बखाई ,  खोली  ,   कोटि बनाल   )  में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्कासी-- 248
Traditional House Wood Carving Art in  Atta , Tola, Yamkeshwar , pauri garhwal
 संकलन -भीष्म कुकरेती
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  यमकेश्वर क्षेत्र से  तिबारियों व निमदारियों की अच्छी खासी संख्या में सूचना  मिलती रहती है।  इसी क्रम में आज अट्टा गाँव के  यमकेश्वर  ब्लॉक के ब्लॉक प्रमुख श्रीमती  आशा  भट्ट व यमकेश्वर के वरिष्ठ प्रमुख  दिनेश भट्ट के मकान में काष्ठ  कला व अलंकरण पर चर्चा होगी।   भट्ट परिवार का मकान दुपुर व दुघर है।   मकान में खोली है किन्तु खोली का काम  आंतरिक सीढ़ी नही है।  मकान के पहली मंजिल में तिबारी स्थापित है। 
दो खोलियों  में   सिंगाड़ /स्तम्भ सीधे हैं व इनमे कोई  विशेष नक्काशी दृष्टिगोचर नहीं होती है। मुरिन्ड (खोली का शीर्ष या मथिण्ड ) चौखट है। खोली के मुरिन्दमे फूल उकेरे गए हैं
 तिबारी  चौखम्या (चार स्तम्भ ) व तिख्वळया  है।  स्तम्भ पत्थर के छज्जे के ऊपर देहरी में स्थापित हैं।  स्तम्भ का आधार कुम्भी नुमा है जो उल्टे कमल से निर्मित है , उल्टे कमल के ऊपर ड्यूल है और ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प है। सीधे कमल से स्तम्भ  लौकी आकर ले ऊपर बढ़ता है।  जहां स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां से स्तम्भ ऊपर एक थांत  बन ऊपर चलते चौखट सादे मुरिन्ड से मिल जाता है।  यहीं से तोरणम का आधा चाप निकलता है व सामने के स्तम्भ के  अर्ध  चाप से मिल पूर्ण तोरणम बनता है।  तोरणम /मेहराब के दोनों स्तम्भ के स्कंध में एक एक फूल है।   
निष्कर्ष निकलता है कि  मकान आधुनिक है व शैली  पारम्परिक  शैली का है  व  लकड़ी  प्राकृतिक व ज्यामितीय अंलकरण हुआ है।   लकड़ी में नक्काशी  'काठ  कुरण ' शैली में हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार : हरीश कंडवाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , कोटि बनाल   ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्कासी   श्रृंखला
  यमकेशर गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;  ;लैंड्सडाउन  गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;दुगड्डा  गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ; धुमाकोट गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला ,   नक्कासी ;  पौड़ी गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;
  कोटद्वार , गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;


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चौपाता  ( देवलथल , पिथौरागढ़ )  में  उमेश्वर सिंह सामंत की बाखली  नुमा मकान में में   'प'हाड़ी काठ कुरण  ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी

House Wood Carving Art  in   house of   Pithoragarh
गढ़वाल,  कुमाऊँ , हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी --250
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 पिथोरागढ़ से  कई बाखलियों की सूचना मिली हैं जिसमें अनोखी काष्ठ कला के  दर्शन होते हैं।   इसी क्रम में आज पिथौरागढ़ के देवलथल तहसील के चोपाता गांव के उमेश्वर सिंह सामंत की बाखली शैली के मकान में काष्ठ कला , अलंकरण पर चर्चा होगी।   चौपाता  ( देवलथल , पिथौरागढ़ )  में  उमेश्वर सिंह सामंत का मकान तिपुर व दुखंड /दुघर है।  मकान में कोई छज्जा नहीं है।  मकान के खिड़लकियों  के ऊपर बाहर से पत्थर का गोल मेहराब साफ़ बताता है कि  मकान पर ब्रिटिश /कोलोनियल हाउस  बिल्डिंग  स्टाइल का पूरा प्रभाव है।   मकान के तल मंजिल में  आम  कुमाऊंनी  मकानों जैसे भंडार व गौशाला ही है।  चौपाता  ( देवलथल , पिथौरागढ़ )  में  उमेश्वर सिंह सामंत के मकान में  काष्ठ कला विवेचना हेतु बाखली के  निम्न भागों  में टक्क लगाया जाना आवश्यक है। 
१-  चौपाता     ( देवलथल , पिथौरागढ़ )  में  उमेश्वर सिंह सामंत के मकान में खोली  (प्रवेश द्वार ) में लकड़ी नक्काशी
२-  चौपाता  ( देवलथल , पिथौरागढ़ )  में  उमेश्वर सिंह सामंत के मकान में  तीन  छाजों (झरोखों ) में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन
३- चौपाता  ( देवलथल , पिथौरागढ़ )  में  उमेश्वर सिंह सामंत   में छोटी खिड़कियों या मोरियों में काष्ठ  कला , अलंकरण , नक्काशी - मकान में   6 लघु मोरी व तीन मध्य आकार की मोरी/खिड़की  हैं।  जिनमें  ज्यामितीय कटान ही हुआ है।  कोई अन्य  काष्ठ  कटान   नहीं हुआ है
  चौपाता  ( देवलथल , पिथौरागढ़ )  में  उमेश्वर सिंह सामंत  के मकान की खोली में  काष्ठ कला अंकन - मकान की खोली तल मंजिल से   पहली मंजिल तक खोली  स्थापित है।  खोली में 'काठ कुरण ' या लिखाई शैली का काष्ठ  अंकन हुआ है।   खोली में ' काठ कुरण  कौंळ '   विश्लेषण हेतु स्तम्भ , मुरिन्ड व मुरिन्ड के ऊपर ऊपरी मुरिन्ड में ध्यान देना आवश्यक है। 
खोली के दोनों और मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ तीन मुख्य उप स्तम्भों से बनें है। यही उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड (शीर्ष ) के तह /layers बनाते हैं।  प्रत्येक मुख्य उप स्तम्भ के  आधार में कुम्भी है जो उल्टे कमल से बने हैं। कुम्भी के ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर सीधे कमल से बनी कुम्भी /घुंडी है व ड्यूल है फिर सीधा कमल दल है जिसके ऊपर से उप स्तम्भ  सीधे ऊपर मुरिन्ड  का एक स्तर  बन।   ऊपरी कमल दल से मुरिन्ड के स्तर में  'काठ कुरण  ब्यूंत ' से बेल -बूटों  जैसे अंकन हुआ  है। मुरिन्ड  (शीर्ष ) चौखट नुमा है। इस मुरिन्ड में एक देव मूर्ति भी स्थापित है।  मुरिन्ड के नीचे भाग में तोरणम भी स्थापित है।  इस मुरिन्ड के ऊपर एक अर्ध मेहराब नुमा मुरिन्ड है जिसके स्कंध में  बीच में चौकोर आयत व  बाहर की और  त्रिभुज अंकित हुए है।  खोली के मुरिन्ड के ऊपर बाहर  पत्थर का धनुष नुमा  मेहराब बना है। 
  चौपाता  ( देवलथल , पिथौरागढ़ )  में  उमेश्वर सिंह सामंत  के मकान  मंजिल पर तीन छाज हैं जो तीनो एक जस ही हैं।  प्रत्येक छाज आड़े शहतीर (transom )  ऊपर स्थापित हैं।  आड़ा  /पड़ा शहतीरचौकोर है व चौकोर आकृति में ही तीन मुख्य भागों में विभाजित है।   शहतीर के  बीच वाले  चौखट   मे विशेष काठ -कुरण हुआ है व बाहर के दो चौखटों में भी प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है। 
 छाज में दो ओर  मुख्य स्तम्भ हैं व बीच में   बड़े आकर का मुख्य स्तम्भ है. सभी मुख्य स्तम्भ उप  स्तम्भों  से बने हैं। उप स्तम्भों में अंकन  बिलकुल  खोली के उप स्तम्भ जैसे ही हैं।  प्रत्येक छाज में दो ढुड्यार /छेद /मोरी हैं ढउड़्यार अंडाकार हैं।   ढुड्यारों  को ढकने हेतु काठ  के  पैनल /पटिल्या हैं जिन पर ज्यामितीय अंकन हुआ है।  ढुड्यार के ऊपरी भाग में तोरणम है। 
निष्कर्ष निकलता है कि   चौपाता  ( देवलथल , पिथौरागढ़ )  में  उमेश्वर सिंह सामंत के तिपुर  मकान में बाखली कला के अनुरूप  'पहाड़ी काठ -कुरण  ब्यूंत' से  लकड़ी का ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण अंकन  हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार : पंकज महर
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  .  भौगोलिक व मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं। 
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 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी ;  House wood Carving art in Pithoragarh  to be continued

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  जागेश्वर मंदिर  समूह  (अल्मोड़ा ) निकट  एक प्राचीन मकान में  ' काठ कुर्याणै  पाड़ी ब्यूंत ' की काष्ठ कला अलंकरण,लकड़ी पर  नक्काशी भाग -1

Traditional House Wood Carving art of  Jageshwar  area , Almora , Kumaon
 
कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में काष्ठ कला अलंकरण,लकड़ी पर  नक्काशी  -252
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 पर्यटक रूप में  अल्मोड़ा गयीं  कुमाऊं  प्रवासी श्रीमती सुमिता प्रवीन  ने  जागेश्वर मंदिर समूह निकट के गाँवों व अल्मोड़ा के कुछ बहुत पुराने मकानों की सूचना व फोटो भेजी हैं।  आज  इसी क्रम में   जागेश्वर  मंदिर समूह निकट एक मकान में काष्ठ कला अलंकरण,लकड़ी पर  नक्काशी  की  विवेचना होगी। 
 चित्र से लगता है मकान दुपुर व दुखंड है व  कुमाऊं की आम बाखली शैली का है ।  मकान में गढ़वाल जैसा छज्जा  नहीं है।  तल मंजिल की फोटो से साफ जाहिर है बल तल मंजिल भंडार व गौशाला रूप में उपयोग होता था व वास पहली मंजिल में होता रहा होगा।   
तल मंजिल का भंडार द्वार काफी बड़ा है।   तल मंजिल के भंडार मुरिन्ड - मथिण्ड (शीर्ष )  में तोरणम (मेहराब )  के निशान हैं।  भंडार का मुरिन्ड एक  चौखट समानांतर शहतीर ( आम भाषा में स्लीपर )  है।  चौखट शातिर में अंदर कई आयाताकार परते हैं व   प्रत्येक परतों में नक्काशी के चिन्ह बचे हैं।  पहली मंजिल में बाहर झाँकने हेतु एक बड़ा छाज  /ढुड्यार ( झरोखा )  व एक छोटा छाज  है। 
भंडार शहतीर के ऊपर पहली मंजिल की एक मजबूत  कड़ी स्थापित है।  शहतीर व कड़ी  के ऊपर बड़ा   छाज   (झरोखा ) है।   किनारों में एक एक नक्काशीयुक्त स्तम्भ हैं  जिनके आधार पर  कुम्भी , ड्यूल , कुम्भी (घुंडी )  जिअसि आकृतियां कुर्यायी गयी है , अंकन लेखनी शैली या '' काठ कुर्याणै  पाड़ी ब्यूंत' से हुआ है।  बड़ी छाज में  किनारे केसंतभो के अतिरिक्त अंदर की और पांच अन्य स्तम्भ है।  इन स्तम्भों में जायमितीय कटान से अंकन हुआ है।  ढुड्यार  (झरोखे का छेद  या छाज ) बंद करने के लिए  काष्ठ तख्तियां (जैसे खिड़कियों में  हाइपैनेल आदि  होते हैं ) लगी हैं।  छाज के तख्तियों  में  भी '' काठ कुर्याणै  पाड़ी ब्यूंत' से जायमितीय  आकर्षक अलंकरण हुआ है।   बड़े छाज के मथिण्ड /मुरिन्ड /शिरसज की कड़ियों में कोई विशेष अंकन नहीं हुआ है। 
 छोटा छाज (झरोखा ) भी  पत्थर की दीवाल के  अंदर बिठाई गयी मजबूत कड़ी के ऊपर स्थापित है।  छोटा छाज  व बड़ा छाज ऊंचाई में एक जैसे हैं केवल चौड़ाई में अंतर है।  छोटे  छाज के दोनों किनारों में खूबसूरत स्तम्भ सिंगाड़  हैं।  सिंगाड़ के आधार में घुंडी /कुम्भी उल्टे कमलाकृति से निर्मित। है।  अधोगामी कमलाकृति  के ऊपर ड्यूल है।   ड्यूल के ऊपर चौखटनुमा उर्घ्वगामी (सीधा ) कमलाकृति है फिर एक ड्यूल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल (कमल पंखुड़ियां  ) है।  यहां से सिंगाड़ /स्तम्भ में   ' काठ कुर्याणै  पाड़ी ब्यूंत' से   घुमावदार लता (जैसे कद्दू की लता  में घुमाव होता है, या जैसे इमरती में घुमाव  ) का अंकन हुआ है।  ' काठ कुर्याणै  पाड़ी ब्यूंत' से नक्काशी का बेहतरीन  नमूना दीखता है।  घुमावदार अंकित सिंगाड़। स्तम्भ ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष से मिलकर उसी आकृति रूप में  मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष की एक स्तर /परत (layer  ) बन जाता है। छोटे छाज का   मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष चौखट रूपी है।  इस मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष के ऊपर एक और चौखट  आकृति या ऊपरी मुरिन्ड है जिसके  दो स्तर है।  नीचे वाले मुरिन्ड से लगते चौखट में  व  ऊपरी  चौखट जो छत आधार से जुड़ा है में अंकन हुआ है और अंकन स्पष्ट नहीं दीखता है किन्तु अनुमान लगाना सरल है कि निम्न स्तर में प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है व ऊपरी चौखट में जंतु या देव आकृतियों  है। 
पुराने जीर्ण शीर्ण मकान होने के बाब जुड़ कहा जा  सकता है  कि  जागेश्वर मंदिर समूह के निकट गांव के इस मकान में ' काठ कुर्याणै  पाड़ी ब्यूंत' से  बारीक नक्काशी हुयी है।  अंकन अलंकरण प्राकृतिक , ज्यामितीय  व मानवीय  है।   
दोनों छाजों /झरोखों के ऊपर शीर्ष (मुरिन्ड , मथिण्ड ) चौखट आकर कड़ियों से बने हैं व छत के लकड़ी के दासों  (ओढ़ी ) के आधार  से मिले हैं। 
सूचना व फोटो आभार : सुमिता प्रवीन
 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;

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कीम सेरा (कण्वाश्रम , कोटद्वार, गढ़वाल  )  में कुकरेती बंधुओं के जंगलेदार मकान में  'काठ कुर्यांणौ   पाड़ी   ब्यूंत   की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी 

लंगूर ,  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल   ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी  - 253
 Traditional  House Wood Art in Kanwashram Keemsera  , Pauri Garhwal
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 भाभर-देहरादून  गढ़वाल  में अब पुरातन शैली के मकान जैसे तिबारी , जंगलेदार मकान  नहीं दीखते ना ही उन ध्वस्त तिबारियों की  कोई फोटो उपलब्ध हैं।  भवन काष्ठ कला श्रृंखला मी आज कोटद्वार तहसील , कण्वाश्रम केएम सीरा गाँव में  स्व गिरिजा दत्त कुकरेती , स्व  बृज मोहन कुकरेती व स्व  दाता  राम  कुकरेती  द्वारा निर्मित अपने समय की ख्याति प्राप्त जंगलेदार मकान में लकड़ी नक्काशी पर चर्चा करेंगे। 
मकान दुपुर - व दुखंड /दुघर / तिभित्या  है।  मकान  12 खम्या जंगलेदार है।  जंगल पहली मंजिल में स्थापित है।  कीम सेरा (कण्वाश्रम , कोटद्वार, गढ़वाल  )  में कुकरेती बंधुओं के जंगलेदार मकान  के सभी खाम /स्तम्भ एक सामान हैं।  स्तम्भ सपाट  हैं , छज्जे के  ऊपर कड़ी पर आधारित हैं व    'काठ कुर्यांणौ   पाड़ी   ब्यूंत ' से ज्यामितीय कटान से बनाई गयी हैं।  स्तम्भ के आधार में दो फिट तक दोनों ओर पट्टिकाएं लगाई गयी हैं जिससे स्तम्भ आधार पर मोटा दीखता है व  स्तम्भ को संबल भी देता है।  दो फिट की ऊंचाई पर एक रेलिंग है जो नीचे  छज्जे  की आधार कड़ी जैसा ही है।
 शेष मकान में कोई विशेष काष्ठ कला देखने को नहीं मिलती।  निष्कर्ष निकलता है कि   कीम सेरा  (कण्वाश्रम ) में कुकरेती बंधुओं  मकान में  'काठ कुर्यांणौ   पाड़ी  ब्यूंत' से निर्मित जंगला   शानदार, जानदार  व दिलकश    है। 
सूचना व फोटो आभार : हर्ष कुकरेती
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक , मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्कासी   - 

Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, नक्कासी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नैनी डांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; रिखणी खाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; जहरी खाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , नक्कासी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी , भवन नक्कासी  नक्कासी


 

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