Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 181009 times)

Bhishma Kukreti

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चंदोली (पौड़ी गढवाल )  में  स्व .केदार सिंह रावत के भवन  में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की   काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी
 
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  ) में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की   काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी-275
  Tibari House Wood Art in House of Chandoli  , Pauri Garhwal     
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 बीरोंखाळ ( थलीसैंण, पौड़ी गढवाल )  से कुछ तिबारी , निमदारियों की सूचना मिली हैं।  इसी क्रम में आज चंदोली  से स्व . केदार सिंह रावत निर्मित तिबारियुक्त  भवन में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की   काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी पर चर्चा  करेंगे। 
  चंदोली के स्व . केदार सिंह रावत का भवन  भ्यूंतळ ( केवल तल मंजिल ) व दुघर  है।   चंदोली के स्व . केदार सिंह रावत की तिबारी म चौखम्या व तिख्वळया  है (चार सिंगाड़ /स्तम्भ व तीन ख्वाळ )  .I  सभी स्तम्भ एक समान हैं।  स्तम्भ देहरी के ऊपर पत्थर के चौकोर डौळ के ऊपर  टिके हैं।   लकड़ी के स्तम्भ का आधार में  उल्टे कमल फूल से कुम्भी निर्मित है , कुमभी के उपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधे कमल दल भड्डू आकृति बनी है।  भड्डू आकृति उपर स्तम्भ लौकी आकर ग्रहण कर ऊपर बढ़ता है।  जहाँ स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां तीन ड्यूल आकृतियाँ अंकित हुयी हैं।  ड्यूल के ऊपर  स्तम्भ में   सीधे कमल दल  की आकृति अंकित है व यहाँ से स्तम्भ   थांत आकर धारण कर  सीधा ऊपर मुरिंड से मिलता है।  यहीं से हीस्तम्भ से अर्ध चाप शुरू होता है व सामने के स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल संपूर्ण .  तोरणम (मेहराब ) बनता है।   तोरणम  के  त्रिभुजाकार स्कन्ध में समकोण में बहुदलीय फूल अंकित है। 
निष्कर्ष निकलता है कि चंदोली (थलीसैण )  में  स्व .केदार सिंह रावत के भवन  में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  प्राकृतिक व ज्यामितीय  कला अलंकरण  हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: माया रावत (मायका - चंदोली
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , भवन नक्काशी  नक्काशी,  मकान की लकड़ी  में नक्श

Bhishma Kukreti

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रांसी (रुद्रप्रयाग में जंगलेदार मकान में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी

(रांसी मकान में काष्ठ कल - भाग -२)
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   , खोली , छाज  कोटि बनाल  ) ' में काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी-  277
 Traditional House wood Carving Art of  Ransi , Rudraprayag 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 रांसी से कई     काष्ठ नक्काशीदार   मकानों  की सूची मिली हैं।  इसी    क्रम   में आज एक अन्य जंगले दार मकान   में लकड़ी पर नक्काशी  की चर्चा की जायेगी।
प्रस्तुत मकान  दुपुर -दुघर शैली से  निर्मित है।   काष्ठ कला दृष्टि से मकान के पहली मंजिल में निमदारी व जंगले की काष्ठ कला  की पर टक्क लगाना आवश्यक है। 
पहली मंजिल में  लकड़ी की  कड़ियों  व पटिलों(तख्तों ) से  निर्मित छज्जा है।   छजे के बाहरी कड़ियों  के ऊपर   बारह से अधिक   खाम /स्तम्भ स्थापित हैं। स्तम्भ आधार (लगभग२फीट )   तक स्तम्भ  षटआयामी  हैं, यहां से स्तम्भ  के ऊपर ड्यूल हैं व फिर स्तम्भ  की कड़ी ( अब कम गोलाई में ) सीधे ऊपर जाता है  व  मुरिन्ड /मथिण्ड  के कुछ नीचे स्तम्भ में ड्यूल है. ड्यूल के ऊपर  स्तम्भ आधार वाला  आकार धारण कर लेता है।  मुरिन्ड /मथिण्ड  शीर्ष  की कड़ी सुडौल है व काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' से ज्यामितीय कटान हुआ है।  स्तम्भ   के आधार दो ढाई फिट  ऊपर एक  भू समान्तरीय कड़ी  है व  छज्जे की  कड़ी ऊपर भी एक   समान्तरीय  कड़ी है। इन दोनों  समान्तर कड़ियों के मध्य , दो ख्वाळो के मध्य चौकोर लघु स्तम्भ हैं। 
बाकी मकान के अन्य भागों में कोई विशेष कला दर्शन नहीं होते हैं।  निष्कर्ष निकलता है कि रांसी (रुद्रप्रयाग)  के प्रस्तुत मकान ( इस श्रृंखला में  रांसी में  दूसरा मकान ) में केवल ज्यामितीय किन्तु आकर्षक कटान  की काष्ठ  कला विद्यमान है। 
सूचना व फोटो आभार:  सुंदर लाल भट्ट
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
 Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag    Garhwal  Uttarakhand , Himalaya   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण , नक्काशी  श्रृंखला 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  - 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला, नक्काशी  ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन, नक्काशी  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में द्वारों में नक्काशी ,  स्तम्भों  में नक्काशी


Bhishma Kukreti

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   ढांगर (मुखीम, टिहरी   गढवाल  )  में पंवार परिवार  की भव्य  तिबारी / निमदारी  में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी

  Traditional House Wood Carving Art of Dhangar ,  Mukhim , Tehri 
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल   ) में काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी -  278 
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 टिहरी गढवाल से उचित संख्या में तिबारियों , निमदारियों की सूचना मिल रही हैं . इसी क्रम में  ढांगर  (मुखीम , टिहरी ) से दिनेश सिंह पंवार की   भव्य तिबारी में काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी  की विवेचना होगी। 
 ढांगर (मुखीम ) में दिनेश सिंह पंवार परिवार  का भवन दुपुर -दुघर है व तिबारी पहली मंजिल पर स्थापित है। ढांगर  में पंवार परिवार की  तिबारी/ निमदारी  के 15 से अधिक  स्तम्भ पत्थर के  छज्जे पर स्थापित है। स्तम्भ छज्जे पर पत्थर के डौळ पर स्थापित हैं व  ऊपर  श्हेर्ष की कड़ी से मिलते हैं।  प्रत्येक स्तम्भ तीन चार फीट ऊपर तक षट आयामी (dimension )  आकार के हैं व इसके ऊपर उल्टा कमल की नक्काशी हुयी है।  उल्टे कमल के ऊपर ड्यूल अंकित हुआ है व ड्यूल के ऊपर फिर से अधोगामी पद्म (उल्टा कमल ) दल अंकन हुआ है व फिर ड्यूल है व ड्यूल के  ऊपर उर्घ्व्गामी पद्म पुष्प दल अंकित हुए हैं।  इस स्थल से स्तम्भ लौकी आकृति ले उपर चलता है।  जहां पर जैसे ही  स्तम्भ  की मोटाई सबसे कम है वहां उल्टा कमल दल अंकित हुआ है , उल्टे कमल के ऊपर ड्यूल है ; ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है।  यहाँ से स्तम्भ से दो भाग निकलते हैं।  स्तम्भ सीधा ऊपर थांत रूप में शीर्ष /मुरिंड /मथिंड से मिलता है।  व दूसरे  भाग में अर्ध चाप निकलता है जो सामने वाले स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर पूर्ण  मेहराब बनाते हैं। थांत में व स्तम्भ के मेहराब के स्कन्ध  में अमूर्त कला  अंकन हुआ है।  शीर्ष की  दोनों कड़ियां  ज्यामितीय  कटान से निर्मित हुयी हैं।  स्तम्भों की कला अंकन बहुत ही आकर्षक  हुयी है।   
निष्कर्ष निकलता है कि  ढांगर (मुखीम, टिहरी  ) में दिनेश सिंह पंवार परिवार के मकान में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण कला अंकन हुआ है व अंकन आकर्षक है।  मकान भव्य है। 
  सूचना व फोटो आभार: पूजा राणा   

यह आलेख कला/नक्काशी  संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटी  संभव है I 
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गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला , लकड़ी नकाशी
Traditional House Wood Carving Art (in Tibari), Bakhai , Mori , Kholi  , Koti Banal )  Ornamentation of Garhwal , Kumaon , Dehradun , Haridwar Uttarakhand , Himalaya -
  Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Tehri Garhwal , Uttarakhand , Himalaya   -   
घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखनी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ; House Wood carving Art from   Tehri; 


Bhishma Kukreti

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  वाघोरी (उत्तरकाशी ) में  एक पारंपरिक भवन में तिबारी  नुमा संरचना   पर काष्ठ  कला - भाग -2
Traditional House wood Carving Art in Vaghori  ,   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी -2 79 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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उत्तरकाशी , जौनसार ,  उत्तर पूर्वी  पिथोरौरागढ ,  चमोली व रुद्रप्रयाग में पर्यटन सकारात्मक स्तर पर विकास कर रहा है।   कुछ मकानों को छोड़ प्राचीन  शैली के मकान  उजाड़े जा रहे हैं।   नए हेतु प्राचीनता का  उजड़ना  सनातनी नियम है।  किन्तु किसी भी भांति इन  पारम्परिक भवनों का दस्ताविजीकरण आवश्यक है।    इसी क्रम में आज वाघोरी (जहां पर्यटन विकास होने के  पूरे  लक्षण हैं) के एक भवन में तिबारी में लकड़ी के  नक्काशी  पर चर्चा होगी।  भवन  कुछ अलग सा ही है क्योंकि भवन में मंजिल की ऊंचाई गढ़वाल के भवनों की आम  ऊंचाई से कम है।  प्रस्तुत भवन  की ऊंचाई है तो डेढ़ा पुर किन्तु बना है ढाईपुर।   वाघोरी  का प्रस्तुत भवन  के पहली मंज़िल में पत्थर चिनाई है किंतु पहले व डेढ़वे मंज़िल में दीवारें लकड़ी की हैं।  छत ढलवां है।   लकड़ी  से छ यिं   छत  के ऊपर  चद्दर की छत   है। 
 वाघोरी (उत्तरकाशी )  के प्रस्तुत भवन  में विशेष ढंग की तिबारी नुमा संरचना  पहली मंजिल में स्थापित है।   वाघोरी (उत्तरकाशी ) के प्रस्तुत  भवन में स्तम्भ /सिंगाड़  नीचे तल मंजिल के शीर्ष की कड़ी में स्थापित हैं व ऊपर  सीधी मुरिन्ड /मथिण्ड  कड़ी से मिलते हैं।  वाघोरी    के  प्रस्तुत    भवन के स्तम्भ की संरचना ही नहीं अपितु कला पक्ष भी आम गढ़वाली तिबारियों के स्तम्भ से कुछ  अलग ही है।  स्तम्भ  युग्म में हैं व उप स्तम्भ आधार से ही  लौकी आकर ले लेते हैं व  जहां पर उप स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां एक ड्यूल  उभरता है व फिर कमल पुष्प से घुंडी बनती है।  यहां से  स्तम्भ थांत   आकार धारण कर ऊपर नक्काशी युक्त कड़ी से मिल जाता है व दुसरे और मेहराब का अर्ध चाप  शुरू होता है जो दुसरे स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर मेहराब /तोरणम बनाते हैं। अनुमान लगाना सरल है कि  तोरणम /मेहराब के  त्रिभुजाकार  स्कंध  में की नक्काशी नहीं दिख रही है व स्कंध सपाट है।   डेढ़ा पुर की मंजिल में भी   लकड़ी में  सपाट  कटान हुआ है।  .
  निष्कर्ष निकलता है बल  वाघोरी (उत्तरकाशी ) में  एक पारंपरिक भवन में तिबारी  नुमा संरचना   में स्तभों व स्तम्भ भागों में मुख्यतया ज्यामितीय कटान की कल अंकित ह हुयी है।   ज्यामिति कटान से आकर्षक  संरचना निर्मित हुयी है। 
सूचना व फोटो आभार : माधवी दवाडा
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari , Uttarkashi Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi ,Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , भटवाडी मकान लकड़ी नक्कासी ,  रायगढी    उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , चिनियासौड़  उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी   श्रृंखला जारी रहेगी

Bhishma Kukreti

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  लाखामंडल   (देहरादून ) में शिव मंदिर   के निकट एक भवन में ' काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' काष्ठ अंकन लोक कला  अलंकरण, नक्कासी

Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Dehradun , Garhwal , Uttarakhand , Himalaya   
  गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ,  बाखली  , कोटि बनाल , खोली , मोरी    ) में   ' काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' काष्ठ अंकन लोक कला  अलंकरण, नक्कासी - 280
  संकलन - भीष्म कुकरेती

 जौनसार , रवाईं , हरसिल घाटी में   मकान निर्माण शैली  गढ़वाल के अन्य भागों से विशेष शैली  के हैं।  आज अशोक उनियाल द्वारा   लाखा मंडल में प्राचीन शिव मंदिर  के निकट के एक मकान  की दी गयी सूचना आधार पर काष्ठ  कला, अलंकरण पर चर्चा होगी। 
  लाखामंडल में शिव मंदिर  के निकट   प्रस्तुत  भवन   कुछ विशेष है।  लगता है लकड़ी की संरचना  पहली मंजिल पर रखी गयी हो व संरचना कोटि  बनाल शैली में निर्मित दिखती है।    संरचना आठ सिंगाड़ों /स्तम्भों  से तिबारी /निमदारी  निर्मित है।  तिबारी /निमदारी   के सिंगाड़ /स्तम्भ  कड़ियों   पर स्थापित है।  लकड़ी के  स्तम्भ  के आधार में अधोगामी (उल्टा ) पद्म दल आकृति अंकित है।  अधोगामी कमल दल के ऊपर  तीन ड्यूल अंकित हैं।  सबसे ऊपर के ड्यूल के  ऊपर उर्घ्वगामी (सीधा ऊपर की और ) पद्म  पुष्प दल अंकित है।  यहां से सिंगाड़ /स्तम्भ लौकी आकार धारण करता है।  जहां पर स्तम्भ में  उल्टा  कमलाकृति प्रकट होती है।  इस आकृति के ऊपर ड्यूल अंकन है।  ड्यूल के ऊपर अंजलि रूपी  खिला कमल ांकन है।  स्तम्भ सीधा ऊपर  थांत  आकर ले ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष की कड़ी से मिल जाता है।  यहिअ किनारे की कड़ी में चतुस्दलीय पुष्प अंकन भी हुआ है। यहीं से दो संबों के मध्य मेहराब भी निर्मित हुआ है जिसका ऊपरी  बाह्य भाग  मुरिन्ड /मठिंड  शीर्ष की कड़ी से मिल जाता है।  मेहराब /तोरणम के  त्रिभुजाकार स्कन्धों में अमूर्त कला अंकन हुआ है।  मुरिन्ड की कड़ी ऊपर तख्ते हैं जो ा= ढाई पुर /मजिल बनाते हैं। 
    निष्कर्ष निकलता है कि लाखामंडल   (देहरादून ) में शिव मंदिर  के निकट   प्रस्तुत  भवन   में लकड़ी का काम बड़ा भव्य किस्म का ही माना जायेगा।  भवन में ' काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' से    ज्यामितीय व प्राकृतिक  अलंकरण अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार : अशोक उनियाल
यह लेख कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी ,. सूचनायें  श्रुति माध्यम से मिलती हैं अत:  भौगोलिक , मिल्कियत  सूचना में व असलियत में अंतर हो सकता है जिसके लिए  संकलन कर्ता व  सूचनादाता  उत्तरदायी नही हैं .
 Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
देहरादून , गढ़वाल में तिबारी , निमदारी , जंगलेदार, बाखली , कोटि बनाल  मकानों में काष्ठ कला , अलंकरण , नक्कासी  श्रृंखला जारी रहगी
 Traditional House Wood Carving of Dehradun Garhwal , Uttarakhand , Himalaya  will be continued -
  House Wood Carving Ornamentation from Vikasnagar Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Doiwala Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Rishikesh  Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Chakrata Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Kalsi Dehradun ;  चकराता , देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  डोईवाला देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  विकासनगर देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ; कालसी देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  ऋषिकेश देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी   


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  देहरादून के वनगुज्जरों के  मकानों में  काष्ठ  कला , लकड़ी का  उपयोग शैली

देहरादून के वन गुज्जरों के इक्कीसवीं सदी  के मकानों में     काष्ठ  कला , लकड़ी का  उपयोग शैली
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Dehradun , Garhwal , Uttarakhand , Himalaya
गढ़वाल,  कुमाऊं , उत्तराखंड ,  हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार , बाखली  , कोटि बनाल , खोली , मोरी    ) में ' काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' काष्ठ अंकन लोक कला  अलंकरण, नक्कासी - 281 
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 संकलन - भीष्म कुकरेती
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  उत्तराखंड में एक  जनजाति है वन गुज्जर जो  देहरादून व उत्तरकाशी व हिमाचल में  घुमन्तु  जाति  है।   उत्तराखंड ,  हिमालय की भवन  काष्ठ अंकन लोक कला  अलंकरण शृंखला में  अब तक स्थिर  वासियों  के मकानों  में काष्ठ  कला अलंकरण पर ही चर्चा होती थी आज घुमन्तु जन जाति  वन गुज्जरों की झोपड़ियों में लकड़ी  के उपयोग   शैली पर ही चर्चा होगी।  देहरादून के वन गुज्जरों के घर /झोपड़ियों की जो सूचना मिली है उससे पता चलता है कि  कुछ झोपडी लिपि पुती होती हैं कुछ झोपड़ी में लकड़ी के  डंडों /टिक्वा  को  गोबर मिट्टी  से नहीं ढका जाता है।  झोपड़ी  की दीवारें लकड़ी की  सुडौल डंडियों / को जमीन में गाड़ा जाता है।  व  इन डंडों को बाहर से  तीन चार समांतर  मोटे  मोटे  डंडों से  बंधा जाता है।  मकान का छत चार बड़ी खामों के ऊपर सुसज्जित होता है व पतली सोटी /बेंतों से छत आधार   छतरी जैसे  बनाई जाती है इस संरचना के  ऊपर घास फूस से छंवांई  की जाती है।
  देहरादून के प्रस्तुत वन  गुज्जरों  की झोपड़ी  में दरवाजो के  लकड़ी के स्तम्भ गोल व सुडोल हैं। 
  देहरादून के प्रस्तुत वन  गुज्जरों  की झोपड़ी  की दिवार मिट्टी- गोबर  से  नहीं ढकी /लिपि है।  हालाँकि बहुत सी झोपड़ियों के दीवार के  लकड़ी के लट्ठों को लीपा जाता है जो ढकी दीवार कहलायी जाती है।  अधिकतर देहरादून भाभर के वन गुज्जर इन घरों को सर्दियों में इस्तेमाल करते हैं व गर्मियों में वे हिमाचल की पहाड़ियों में चले जाते हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि  आज भी इक्कीसवीं सदी में वन गुज्जरों के निवास अति सरल व आदिम शैली के ही हैं।   इन झोपड़ियों में दीवारें , खम्भे सभी लकड़ी के ही हैं।  कटान ज्यामितीय ही हुआ है।   काष्ठ  कला बहुत ही सरल शैली की है
सूचना व फोटो आभार :  शिवानी आजाद टाइम्स , उत्तरांचल वि वि , देवयानी निगहोसकर
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
देहरादून , गढ़वाल में तिबारी , निमदारी , जंगलेदार, बाखली , कोटि बनाल  मकानों में काष्ठ कला , अलंकरण , नक्कासी  श्रृंखला जारी रहगी
 Traditional House Wood Carving of Dehradun Garhwal , Uttarakhand , Himalaya  will be continued -
  House Wood Carving Ornamentation from Vikasnagar Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Doiwala Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Rishikesh  Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Chakrata Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Kalsi Dehradun ;  चकराता , देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  डोईवाला देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  विकासनगर देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ; कालसी देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  ऋषिकेश देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी   


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मुड़ी अमोला (अजमेर , पौड़ी गढ़वाल )   में गोविंद राम अमोली की  एक  जंगलादार  मकान में  काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की   काष्ठ कला , अलंकरण   नक्कासी

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान  , बाखली  , मोरी , खोली , कोटी बनाल    ) में  ' काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की   काष्ठ कला , अलंकरण   नक्कासी  -282
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 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 अजमेर से अब धीरे धीरे  कलायुक्त मकानों की सूचना मिलती जा रही हैं।  ऐसे ही अमोला (अजमेर) से एक मकान की सूचना मिली है।
  मुड़ी अमोला (अजमेर  ) में प्रस्तुत गोविंद राम अमोली  के        मकान दुपुर -दुघर है।   काष्ठ कला दृष्टि से  केवल जंगल के स्तम्भों /खामों की चर्चा ही हो सकती है।  मकान का छज्जा लकड़ी से ही बना है व  सामने ५ स्तम्भ व अगल बगल में दो दो स्तम्भ कड़ी पर आधारित है व ऊपर मथिण्ड  की कड़ी से मिल जाते हैं।   स्तम्भ के आधार पर कोई किसी किस्म की कलायुक्त कटान  दृष्टिगोचर  नहीं होता किंतु मथिण्ड  की कड़ी से मिलने पहले प्रत्येक स्तम्भ में  इस प्रकार का कटान हुआ है जैसे रई /मथनी के डंडे पर रसी के चिन्ह।    कलायुक्त कलाकारी नहीं दिखती है।
निष्कर्ष निकलता है कि   पट्टी अजमेर (पौड़ी गढ़वाल जनपद ) के  मुड़ी अमोला गांव में   गोविन्दराम   अमोला के    मकान में जंगला आकर्षक है और सिद्ध करता है कि सरलता में  जटिलता से अधिक आकर्षण होता है। 

सूचना व फोटो आभार :  रतन  अमोली

  यह लेख  भवन  कला,  नक्कासी संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना  , भौगोलिक जानकारी  जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं . 
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  Traditional House wood Carving Art of West Lansdowne Tahsil  (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur , Shila ), Garhwal, Uttarakhand , Himalaya   
  दक्षिण पश्चिम  गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर ,  डबराल स्यूं  अजमेर ,  लंगूर , शीला पट्टियां )   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलियों, कोटि  बनाल     में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण  श्रृंखला 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya     

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कुमाऊं  उत्तराखंड के एक गाँव में बाखलीनुमा आकृति के मकान में काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की   काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी

कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में  'काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की   काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी-  283
संकलन - भीष्म कुकरेती
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     उत्तराखंड में  पारंपरिक मकानों  में  काष्ठ  कला की सूचना देते समय  सूचना दाता  व यह लेखक  गांव व भवन मालिक की सूचना  देने -लेने में भूल हो जाती है।  ऐसा ही प्रस्तुत कुमाऊं के एक  गांव में एक जीर्ण  शीर्ण मकान की सूचना मिली जिसमे गाँव व मालिक की पूरी सूचना नहीं मिली। 
प्रस्तुत मकान बाखली नुमा आकृति का  कुमाऊं क्षेत्र का   एक आम मकान है। मकान दुपुर -दुघर है।  मकान में छज्जा नहीं है।  तल मंजिल में भंडार गृह या गौशाला के चिन्ह विद्यमान हैं। 
बाखलीनुमा मकान में  लिखाई ( 'काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'' से   कला समझने  हेतु तल मंजिल  में दो खोलियों ( सीढ़ियों से ऊपर जाने हेतु आंतरिक मार्ग ), तल मंजिल में दोनों भंडार गृहों के मुरिन्ड /मथिंडों  में काष्ठ कला व अलंकरण   व पहली मंजिल में खोली के अगल बगल   एक एक छाजों/झरोखों में कला समझना आवश्यक है। 
भंडार गृहों के मुरिन्ड  में  कड़ी ऊपर चौकोर पटिला हैं  ।  पटिला /तख्ता  में प्राकृतिक फूल -पत्ती नुमा आकृति अंकित  हुयी हैं  जो किनारे पर  प्राग नलिकाएं नीचे लटकते दीखते हैं। 
दोनों खोलियाँ तल मंजिल  से पहली मंजिल तक गयी हैं   तथा  कला दृष्टि से  एक सामान हैं।   खोलियों के मुख्य स्तम्भ /सिंगाड़  दो  उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बने हैं।  एक उप स्तम्भ पतला है व एक उप स्तम्भ मोटा है।  दोनों  उप स्तम्भों में आधार पर उल्टा कमल दल है जिसके ऊपर  ड्यूल (Ring Type  Wood Plate ) है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी कमल दल है। सीधे कमल दल के ऊपर ड्यूल है व फिर सीधा  खिला कमल दल  है।  दोनों उप स्तम्भ कमल दल के ऊपर  जाकर  मुरिन्ड /मथिण्ड  के स्तर बन जाते हैं।  कमल दल के ऊपर उप स्तम्भों में पर्ण -लता का अंकन हुआ है जो मुरिन्ड /मथिण्ड  के स्तरों में भी दृष्टिगोचर होता है।  मुरिन्ड /मथिण्ड  के ऊपर शहतीर है। शहतीर में कला पूरी तरह दृष्टिगोचर नहीं हो रही है किंतु  अनुमान लगाना सरल है कि  शहतीर में प्राकृतिक (पर्ण -लता , पुष्प ) का अंकन हुआ होगा व बीच में देव आकृति स्थापित होगी।
आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि  पहली मंजिल के दोनों   छाजों  के  मुख्य स्तम्भ भी  दो दो उप स्तम्भों के जोड़ /युग्म से निर्मित हैं।    छाजों  के उप स्तम्भों  की कला अंकन व खोली के उप स्तम्भों के कला अंकन में बिलकुल समानता है।   छाजों  के आधार में दो ढाई फ़ीट तक पटिला  /तख्ते हैं व ढुड़्यार   (छेद /झरोखा  )  तख्ते के ऊपर हैं।
 निष्कर्ष निकलता है कि  दिनेश कांडपाल द्वारा भेजी गयी सूचना वाले  बाखली नुमा मकान में  काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' से प्राकृतिक , ज्यामितीय  कला अलंकरण मिलता है।   
सूचना व फोटो आभार: दिनेश कांडपाल 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला  , पिथोरागढ़  में  बाखली   काष्ठ कला ; चम्पावत में  बाखली    काष्ठ कला ; उधम सिंह नगर में  बाखली नक्काशी  ;     काष्ठ कला ;; नैनीताल  में  बाखली  नक्काशी   ;
Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of Garhwal , Kumaun , Uttarakhand , Himalaya  House wood  carving Art in Bakhali Mori, chhaj   in Almora Kumaon , Uttarakhand ; House wood  carving Art in Bakhali Mori, chhaj   in Nainital   Kumaon , Uttarakhand ; House wood  carving Art in Bakhali Mori, chhaj   in  Pithoragarh Kumaon , Uttarakhand ;  House wood  carving Art in Bakhali Mori, chhaj   in  Udham Singh  Nagar Kumaon , Uttarakhand ;    कुमाऊं  में बाखली में नक्काशी  ,  ,  मोरी में नक्काशी  , मकानों में नक्काशी   ; कुमाऊं की बाखलियों में लकड़ी नक्काशी  ,  कुमाऊं की बाखली में काष्ठ कला व   अलंकरण , कुमाऊँ की मोरियों में नक्काशी   श्रृंखला जारी  रहेगी   ...


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नथुवाखान  (रामगढ़ , नैनीताल  कुमाऊं ) में एक बाखली नुमा पारंपरिक  भवन   में  'काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की   काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी
Traditional House Wood Carving Art of Nathuwakhadn, Nainital, Kumaon 
कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , पारंपरिक  भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में  'काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की   काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी-  284
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 कुमाऊं , उत्तरकाशी , उत्तरी चमोली , रुद्रप्रयाग भाग्यशाली   क्षेत्र      हैं जहां पर्यटन  उद्यम  से पारंपरिक भवनों की कला कुछ  सीमा तक सुरक्षित  हो रही है . ऐसा ही नथुवाखान , रामगढ़ , नैनीताल में भी भवनों को होम स्टे में बदलकर कला सुरक्षित की जा रही है .
आज नथुवाखान (रामगढ़ , नैनीताल ) कुमाऊं के एक बाखली कलायुक्त  मकान में 'काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की   काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी पर चर्चा की जायेगी Iनथुवाखान के मकान में काष्ठ कला समझने हेतु निम्न   केंद्रों में विशेष टक्क लगाने की आवश्यकता है।
तल मंजिल में कुठार /गौशाला  के कमरों के दरवाज़ों /मुरिंडों में काष्ठ कला
पहली मंजिल में  दो छाजों  झरोखों  में  काष्ठ कला। 
बगल की दीवार में पहली मंजिल में छाज नुमा आधुनिक  खिड़की  में काष्ठ कला अंकन या लकड़ी नक्काशी।
मकान  दुपुर -दुघर है। मकान छज्जा /बुर्ज बिहीन है व खोली को बंद कर बाहर से सीढ़ी निर्मित कर दी गयी हैं (संभवत या होम स्टे में बदलने के कारण ऐसा किया  गया हो )।
  तल मंजिल में ज्यामितीय कटान ही से कटान , हुआ है।
पहली मंजिल में  दो छाजों के चिन्ह साफ़ साफ़ दिख रहे हैं।  एक झरोखे /छाज में दो  उप छाज  हैं व प्रत्येक उप छाज में  उप स्तम्भों के योग से निर्मित मुख्य स्तम्भ हैं।  अनुमान लगाना सरल है कि  उप स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल , ड्यूल व फिर सीधा कमल की आकृति अंकित हैं व फिर उप स्तम्भ ऊपर जाकर मथिंड का स्तर बन जाते हैं।  दोनों छाजों के बीच के उप स्तम्भ  से मध्य में मोटा स्तम्भ निर्मित हुआ है।
पहली मंजिल  में  बगल की दीवार में परंपरागत छाजोङ या   झरोखों को आधुनिक खिड़कियों में बदल दिया गया है व ज्यामितीय कटान ही हुआ है।  विशेष अंकन दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है। 
निष्कर्ष निकलता है कि नथुवाखान , रामगढ़ , नैनीताल के प्रस्तुत बाखलीनुमा  मकान में प्राकृतिक व ज्यामितीय कला अलंकरण अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: अजय सिंह बिष्ट 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला  , पिथोरागढ़  में  बाखली   काष्ठ कला ; चम्पावत में  बाखली    काष्ठ कला ; उधम सिंह नगर में  बाखली नक्काशी  ;     काष्ठ कला ;; नैनीताल  में  बाखली  नक्काशी   ;
Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of Garhwal , Kumaun , Uttarakhand , Himalaya  House wood  carving Art in Bakhali Mori, chhaj   in Almora Kumaon , Uttarakhand ; House wood  carving Art in Bakhali Mori, chhaj   in Nainital   Kumaon , Uttarakhand ; House wood  carving Art in Bakhali Mori, chhaj   in  Pithoragarh Kumaon , Uttarakhand ;  House wood  carving Art in Bakhali Mori, chhaj   in  Udham Singh  Nagar Kumaon , Uttarakhand ;    कुमाऊं  में बाखली में नक्काशी  ,  ,  मोरी में नक्काशी  , मकानों में नक्काशी   ; कुमाऊं की बाखलियों में लकड़ी नक्काशी  ,  कुमाऊं की बाखली में काष्ठ कला व   अलंकरण , कुमाऊँ की मोरियों में नक्काशी   श्रृंखला जारी  रहेगी   ...


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रीठाखाल  साहिब (  ड्यूरी, चम्पावत , कुमाऊं )  क्षेत्र में एक भवन  की तिबारियों  में 'काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी 

कुमाऊँ ,गढ़वाल,  हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में  'काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत 'की   काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी- 285
Traditional House Wood carving Art in  Reethakhal  , Champawat, Kumaun
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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  चम्पावत  (कुमाऊं )  से    एक विशेष भवन की सूचना मिली  है  .यह भवन  रीठाखाल  गुरुद्वारा साहिब क्षेत्र  में  स्थित है।   दुपुर -दुघर  भवन आम कुमाऊं  भवनों से बिलकुल विशेष व अलग है।  कुमाऊं में छाजों  का प्रचलन है किन्तु  लोधिया -रतिया संगम में ड्यूरी  गांव के  रीठाखाल साहिब क्षेत्र के इस  तिबारीदार  भवन में ना तो छाज हैं ना ही खोली अपितु  पहली मंजिल में  दो ओर  तिबारियां हैं जो गढ़वाल में अधिकतर मिलते हैं।  या  तो ऐसी तिबारियां पश्चिम नेपाल में ही मिलती हैं। 
लोधिया व
   रीठाखाल  (चम्पावत )  के प्रस्तुत  भवन में  तल  मंजिल में दो भंडार या गैशाला कमरे है  . अनुमान है कि  पहले तल मंजिल में दो कमरोस से बड़ा बरामदा बना था जिसमे अब दीवार चिनकर  दो कमरे बना लिए गए हैं। 
पहली मंजिल में सामने की ओर चार कमरों के बरामदे (जो तल मंजिल में बरामदे के ठीक ऊपर है )  में तिबारी  स्थापित  है व एक तिबारी बगल की ओर   जो डोकंरों के बरामदे पर स्थापित है। 
  सामने की तिबारी  9  सिंगाड़ /स्तम्भ हैं व  दो स्तम्भ मध्य ऊपर मेहराब बने हैं।  बगल की   तरफ  की तिबारी में  पांच सिंगाड़ /स्तम्भ हैं व चार ख्वाळ  हैं प्रत्येक ख्वाळ के सबसे ऊपर  मेहराब हैं।   
 14  के 14  सिंगाड़ /स्तम्भ व मेहराब सभी डिरिशति से एक सामान हैं।  स्तम्भ का आधार  पर उल्टे कमल   दल से कुम्भी निर्मित हुआ है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर खिलता सीधा कमल दल है।   सीधे कमल दल से स्तम्भ लौकी आकार ले लेता है। जहां  स्तम्भ की सबसे कम मोटाई है वहां से स्तम्भ में उलटे कमल की कम्भी उभरती है फिर ड्यूल व फिर सीधे कमल का भड्डू नुमा आकृति  . भड्डू नमा आकृति के उभरे   हैं जिसके ऊपर  स्तम्भ सीधा थांत  रूप धारण कर  तिबारी के मुरिन्ड (छत आधार के नीचे, व  छपरिका के  आधार के नीचे  ) से मिल जाता है।  यहीं से मेहराब का अर्ध चाप  भी शुरू होता है जो सामने वाले स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर पूर्ण मेहराब बनता है।  मेहराब व मुरिन्ड में  व तहत के ऊपर चित्र अंकित   दीवालगीर के चिन्ह पूरे हैं किन्तु साफ़ साफ़  छाया चित्र में नहीं हैं। 
 निष्कर्ष निकलता है कि   ड्यूरी  गांव के रीठाखाल स्थान का यह मकान कुमाऊं वास्तुकला के हिसाब से बिलकुल विशेष है क्योंकि  ऐसी तिबारियां गढ़वाल में ही अधिक प्रचलित थीं  ना कि कुमाऊं में।  पश्चिम नेपाल दोती क्षेत्र में अवह्स्य ही ऐसे टीबारियुक्त भवन देखने को मिले हैं .
सूचना व फोटो   आभार : कनिष्ठा पांडे

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali  House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;    पूर्णगिरी तहसील ,    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;   पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;   

 

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