Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 181010 times)

Bhishma Kukreti

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अपर माल , लाला बजार , अल्मोड़ा  में एक  बाखली नुमा  पुराने  भवन  में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की काष्ठ कला अलंकरण,लकड़ी पर  नक्काशी

Traditional House Wood Carving art of , Upper Mall  Road,  Lala bazar, Almora city  , Kumaon
कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )     में   'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की काष्ठ कला अलंकरण,लकड़ी पर  नक्काशी-  286 
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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   सूचना अनुसार अल्मोड़ा शहर में  अपर माल,   लाला  बाजार  में पुरातन शैली , बाखली शैली के भवन विद्यमान हैं।  इसी क्रम में आज अपर माल , लाला बजार , अल्मोड़ा  में एक  बाखली नुमा  पुराने  भवन  में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की काष्ठ कला अलंकरण,लकड़ी पर  नक्काशी  पर चर्चा होगी।   लाला बजार अल्मोड़ा  का यह मकान दुपुर -दुघर है। 
 तल मंजिल के एक कमरे के ऊपर शहतीर में अंकन उल्लेखनीय है।   अब शहतीर में अंकन स्पष्ट नहीं दिखता किन्तु इसमें दो राय नहीं कि   शहतीर में आकर्षक अंकन हुआ होगा।  तल मंजिल की खड़की के ऊपर भी शहतीर है जिस पर अंकन हुआ है जो आज अस्पष्ट है। 
 पहली मंजिल में मकान में  तीन खूबसूरत छाज /झरोखे  स्थापित हैं।  तीनों छाज  /झरोखे एक दूसरे से सटे  हैं।   प्रत्येक छाज /झरोखे के नीचे चौखट आधार हैं।  किनारे के दोनों चौखट आधारों के ऊपर पीपल  नुमा पर्ण  व    ह्रदय  नुमा पीपल पर्ण  से  निकली केशर नाभियां/ बालियां  अंकित हुयी हैं   मध्य   चौखट आधार  में   समय चक्र  का जाल अंकन हुआ है। 
 प्रत्येक छाज /झरोखे में    दोनों किनारों पर   मुख्य स्तम्भ हैं जो दो दो  उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बने हैं।  यही कारण है कि मध्य के  छाज के दोनों किनारों में मुख्य स्तम्भ के चार चार उप स्तम्भ हैं।     प्रत्येक उप स्तम्भ का आधार अधोगामी कमल दल  का है व जो कुम्भी बनाता है।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल अंकित हुआ है जिसके ऊपर घट के मध्य आकार अंकन हुआ है इस आकार  के ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकन हुआ है।  यहां से उप स्तम्भ कड़ी रूप धारण करता है व छाज /झरोखे के आधी ऊंचाई  तक जाता है।  यहां पर फिर उलटा कमल दल उभरता  है , फिर ड्यूल है , जिसके ऊपर घट आकार अंकन है जिसके ऊपर ड्यूल है व फिर सीधा कमल दल अंकित है।  कमल दल  से उप स्तम्भ फिर कड़ी रूप धारण कर ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड  /शीर्ष का स्तर बन जाता है।   मुरिन्ड के  नीचे केवल के छाज /झरोखे में  सपाट मेहराब /तोरणम है।  मुरिन्ड में कम से कम आठ  स्तर दीखते हैं।  मुरिन्ड /मथिण्ड  के ऊपर छत आधार का काष्ठ  भाग है जिसमे ज्यामितीय कला से कटान हुआ है।
झरोखे के ढुड्यार  के ऊपर आम खिड़कियों के जैसे ही पैनल , मुलिअन्स , स्लाइसेज हैं जो ज्यामितीय अलंकरण का उदाहरण है। 
 निष्कर्ष निकलता है की  अपर माल , लाला बजार , अल्मोड़ा  में एक  बाखली नुमा  पुराने  भवन  में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  से ज्यामितीय , प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है।   
सूचना व फोटो आभार : बलवंत सिंह

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


Bhishma Kukreti

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पाटन ( गौरीगंगा घाटी , पिथौरागढ़ )   में एक भवन में  काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी

House Wood Carving Art  in   house of  Paton ,  Pithoragarh
गढ़वाल,  कुमाऊँ , हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'   काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी-  287
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 सोशल मीडिया में उत्तराखंड के भवनों में काष्ठ  कला श्रृंखला प्रसिद्ध होने से मित्र कई भवनों के चित्र भेज रहे हैं।  बहुत बार मित्र  पूरी सूचना नहीं दे पाते हैं (पट्टी , ब्लॉक, मालिक आदि। ) .  कई बार चित्र व सूचना मिल जाती है तो सूचना दाता  का नाम पूरा नहीं मिलता है।  कहने का तातपर्य है कि श्रृंखला हेतु  सोशल मीडिया में बड़ी सहायता मिल रही है।  यदि गाँव व पट्टी में कुछ कमी रहती है तो यह तो निश्चित है कि भवन  था /है तभी फोटो मिल सकी  है।
पिथौरागढ़ जिले में भवन निर्माण व भवनों में काष्ठ  कला विशेष है।  बहुत बार यह भी देखा गया है कि भवन में लकड़ी का प्रयोग व नक्काशी कुमाऊं के अन्य क्षेत्रों से बिलकुल अलग लगता है।
 पिथौरागढ़ में भवन में काष्ठ  कला , अलंकरण , नक्काशी श्रृंखला में आज पाटन गाँव में एक  भवन में काष्ठ कला पर चर्चा होगी।
प्रस्तुत भवन  बाखली ( समूह में घर ) नहीं है किन्तु मकान में कमरों की शैली बाखली जैसी ही है। 
मकान दुपुर , दुघर है।  काष्ठ कला की दृष्टि  से मकान में  तल मंजिल में खोली , दो बड़े कमरे /भंडार या गौशाला ; पहली मंजिल  में दो छाज /झरोखों  में  नक्काशी को समझना होगा। 
 तल मंजिल में  बड़ी कमरे हैं।  कमरों के दरवाजों, मुरिन्ड /मथिण्ड  पर केवल ज्यामितीय  कौंळ /तकनीक से ही कटान   हुआ है।  दोनों कमरों के ठीक ऊपर ही छाज /झरोखे हैं। 
तल मंजिल से खोली (आंतरिक  सीढ़ी  मार्ग प्रवेश द्वार )  शुरू होती है जो तल मंजिल से सीधे पहली मंजिल की छत तक गयी है।  खोली  के  दरवाजों में ज्यामितीय सपाट कटान से कटान हुआ है।  खोली के दोनों ओर  के मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ  दो दो उप स्तम्भ के युग्म /जोड़ से बने हैं। खोली के मुख्य स्तम्भों के अंदरूनी उप स्तम्भ के आधार में अधोगामी कमल दल है , इसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर भड्डू नुमा आकृति अंकित है।  भड्डू आकृति के ऊपर  कुछ कुछ सीधा कमल व उस फूल से नीचे की ओर  पराग नलिका अंकित है।  इस आकर्षक आकृति  का एक भाग सीधा कमल दल है जिसके ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है।  यह स्थान दरवाजे के कुंडे व टाला के समानांतर है।  यहां से  उप स्तम्भ सीधा हो ऊपर मुरिन्ड/मथिण्ड /शीर्ष  का स्तर  बन जाता है।  खोली के किनारे का उप स्तम्भ  के  आधार  पर उल्टा कमल दल है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर कड़ी में  फर्न के अग्रिम भाग (डेढ़ा -मेड़ा -जलेबी ) जैसे आकृतियां अंकित हैं व यह आकृतियां दरवाजे के कुंडे तक है।  इसके बाद उप स्तम्भ सीधा कड़ी बन ऊपर मुरिन्ड का स्तर बन जाता है।   नक्काशीदार  उप स्तम्भों के अतिरिक्त एक उप स्तम्भ सीधी कड़ी नुमा उप स्तम्भ भी है। 
 मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष  के मध्य  चौखट में देव आकृति  स्थापित है। 
पहली मंजिल में खोली के अगल बगल में एक एक छाज /झरोखे   तल मंजिल के दोनों कमरों के ठीक ऊपर स्थापित हैं।   छाज के ढुड्यार के दरवाजों पर ज्यामितीय कटान से ही पैनल , मुलियन्स , स्लाइसेज  निर्मित हैं।   छाज। झरोखे के  मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ  दो दो उप स्तम्भों से बने हैं।  दो उप स्तम्भों में से एक उप स्तम्भ सीधी कड़ी है और एक उप स्तम्भ में  कला अंकन हुआ है।  कलयुक्त उप स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल फूल (किन्तु ऊपरी पंखुड़ियों नहीं )  के ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर भड्डू आकृति है व फिर ड्यूल है  फिर भड्डू नुमा आकृति अंकन हुआ है व यही आकृतियां क्रमश: अंकित हैं।  अंत में सभी उप स्तम्भ कड़ी रूप में मुरिन्ड /मथिण्ड  के तह /layer  बन जाते हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि  मुनस्यारी क्षेत्र के पाटन (  पिथौरागढ़ )   के प्रस्तुत भवन में     ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय (देव ) अलंकरण अंकन हुआ है।   भवन हर तरह से आकर्षक है। 
सूचना व फोटो आभार:   प्रेम एस . दसौनी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी ;  House wood Carving art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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अमोला (अजमेर ) में  स्व विष्णु दत्त अमोली के  जंगलदार मकान में काष्ठ  कला

Traditional House Wood Carving art of  Amola, Ajmer.
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , मोरी , खोली , कोटी बनाल    ) काष्ठ कला , अलंकरण   नक्कासी  -  288
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 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 अजमेर से  कुछ गाँवों से  ही   पारंपरिक भवनों की सूचना मिली है।  इसी श्रृंखला में आज  भूत पूर्व प्रधानाचार्य     स्व.  विष्णु दत्त अमोली  के जंगलेदार भवन में  काष्ठ कला पर चर्चा होगी।   अमोला (अजमेर ) के स्व विष्णु दत्त अमोला का भवन कई  मामलों में कुछ विशेष है  (Exclusive  Style ) . है।  मकान ढैपुर  था व लगता है बाद में तल मंजिल में कमरे जोड़े गए हैं।  मौलिक भवन में  पहली मंजिल के  लकड़ी के छज्जे पर तीन  दिशाओं में जंगले बंधे थे।  सामने की ओर  व पीछे की  ओर  जंगले  े में दस दस स्तम्भ खड़े थे।  बगल /करा  में संभवतया पांच स्तम्भ खड़े थे।  जंगले  के स्तम्भ /खम्बा  सीधे थे व छज्जे की कड़ी से उठकर सीधे ऊपर छत या छपरिका के आधार की कड़ी से मिल जाते हैं।   स्तम्भों के मध्य के ख्वाळ  में दो फिट ऊपर रेलिंग है जो नीचे की रेलिंग के साथ जंगले  बनाते हैं।  रेलिंग के बीच  छोटे छोटे लघु स्तम्भ हैं।  ये लघु स्तम्भ भी सीधे हैं कोई विशेष कला इनमे नहीं दिखती है। 
निष्कर्ष निकलता है कि अमोला में भूतपूर्व प्रधानाध्यापक स्व विष्णु दत्त अमोली निर्मित भव्य मकान में  ज्यामितीय कटान से ही कटान हुआ है व लकड़ी में की उल्लेखनीय कला अंकन दृष्टिगोचर नहीं होता है और इसमें कोई दो राय नहीं भवन अपने युवा समय में भव्य रहा होगा। 
सूचना व फोटो आभार : शांतुन बडोला
  यह लेख  भवन  कला,  नक्कासी संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं . 
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  Traditional House wood Carving Art of West Lansdowne Tahsil  (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur , Shila ), Garhwal, Uttarakhand , Himalaya   
  दक्षिण पश्चिम  गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर ,  डबराल स्यूं  अजमेर ,  लंगूर , शीला पट्टियां )   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलियों, कोटि  बनाल     में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण  श्रृंखला 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya     

Bhishma Kukreti

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चामी (पौड़ी) के एक  जंगलेदार मकान में काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी

Jangla ,  House Wood Art in House of  Chami  Pauri Garhwal   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  ) में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की   काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी- 289     
संकलन - भीष्म कुकरेती   
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पौड़ी तहसील से भी  काष्ठ  कला युक्त मकानों की अच्छी खासी सूचना मिलती जा रही है।  आज इसी श्रृंखला  तहत  चामी के एक जंगलेदार  भवन में काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी पर चर्चा होगी।
चामी गांव का प्रस्तुत मकान  ढैपुर व दुघर शैली का है।   लकड़ी का जंगल भवन के पहली मंजिल  में स्थापित हैं।  चामी के प्रस्तुत मकान  के जंगले  में   दोनों ओर  (सामने भी व कराउ ) छज्जे के   किनारे से  स्तम्भ ऊपर की कड़ी तक गए हैं।  सामने की ओर  चार  व कराउ  में  चार  स्तम्भ हैं।  स्तम्भ आधार में मोठे हैं व ज्यामितीय कटान  से सीधी  सपाट कला दृष्टिगोचर होती है किन्तु एक विशेषता  स्तम्भों की है कि  स्तम्भ में रेलिंग से कुछ ऊपर व ऊपरी कड़ी के कुछ नीचे घुंडियां आकर अंकन हुआ है जो स्तम्भों को आकर्षित बनाने में सफल हुए हैं।   जंगले  के आधार के ढाई फिट पर लकड़ी की रेलिंग है  रेलिंग व आधार के मध्य धातु /लोहे  की सीक लगी हैं जो जंगला बनाते हैं। 
भवन के बाकी क्षेत्रों में ज्यामितीय कटान ही दृष्टिगोचर हो रहा है। 
निष्कर्ष निकलता है कि चामी (पौड़ी) के एक काष्ठ जंगलादार मकान में  स्तम्भों में केवल ज्यामितीय अलंकरण कला अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: अरुण खुकसाल 

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , भवन नक्काशी  नक्काशी,  मकान की लकड़ी  में नक्श

Bhishma Kukreti

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थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग  ) में  मालगुजार स्व  . यशवंत सिंह भंडारी  के   भवन,  में  तिबारी व खोली काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी
Traditional House wood Carving Art of  Parkandi , Rudraprayag 
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   , खोली , छाज  कोटि बनाल  ) 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी-  290
  संकलन - भीष्म कुकरेती
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     तिबारी , खोलियों , निम दारियों , जंगलेदार मकानों के   संबंध में  रुद्रप्रयाग  भाग्यशाली जनपद है जहां भिन्न भिन्नप्रकार व  चित्ताकर्षक कला युक्त मकानों की प्रत्येक दिन सूचना आती ही रहती है।  इसी क्रम में आज  थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग  ) में  मालगुजार स्व  . यशवंत सिंह भंडारी के भवन में काष्ठ तिबारी व खोली में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी पर चर्चा होगी। थाती  परकंडी  एक कृषि समृद्ध गाँव है जिसके बारे में कहावत है कि परकंडी  में पत्थर म बि ल्यासण  जामदो।  अत: यहाँ तिबारीयुक्त व नक्काशीदार खोलियों का होना साधारण घटना मानी जाएगी।
  थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग  ) में  मालगुजार स्व  . यशवंत सिंह भंडारी का  भवन दुपुर व दुघर है। 
  थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग  ) में  मालगुजार स्व  . यशवंत सिंह भंडारी के भवन में काष्ठ कला समझने हेतु  भवन की तिबारी व खोली (आंतरिक मार्ग का प्रवेश द्वार ) पर टक्क लगाना आवश्यक है। खोली के दोनों और मुख्य  काष्ठ  सिंगाड़ /स्तम्भ हैं जो उप स्तम्भों  के युग्म /जोड़ से निर्मित हैं। प्रत्येक  उप स्तम्भ के आधार में कुम्भी रूप में उल्टे कमल दल है फिर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प अंकित है।  यहां से उप स्तम्भ सीधे ऊपर जाकर खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष का स्तर बन जाते हैं। 
खोली में मुरिन्ड के अगल बगल में ऊपर से छप्परिका से लकड़ी के  दो दो दीवालगीर (bracket )  निर्मित हैं।   दीवालगीर के निम्न भाग में पुष्प केशर नाभिका व चिड़िया रूप अंकित हैं।  ऊपरी भाग में हाथी  स्थित हैं। 
 थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग  ) में  मालगुजार स्व  . यशवंत सिंह भंडारी के भवन की तिबारी पहली मंजिल पर है।  तिबारी में चार स्तम्भ हैं जो तीन ख्वाळ बनाते हैं। 
   तिबारी के सभी स्तम्भ पत्थर के छज्जे के ऊपर की देहरी के ऊपर  चौकोर पत्थर के डौळ  के ऊपर स्थापित हैं।  स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल दल से कुम्भी बनी है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल हैं व ऊपर उर्घ्वगामी पदम् पुष्प दल है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकर धारण कर ले ऊपर बढ़ जाता है।  जहां स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां से स्तम्भ ऊपर मुरिन्ड से थांत (Cricket Bat blade ) आकार धारण कर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष से मिलता है।  यहीं से मेहराब की अर्ध चाप भी शुरू होती है जो सामने के स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर मेहराब बनता है।  थांत के ऊपर छत आधार से दीवालगीर आते हैं।  तिबारी के बगल में एक और बरामदा है जो चार साधारण स्तम्भों वाले दरवाजों से ढका है।
निष्कर्ष निकलता है कि  थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग  ) में  मालगुजार स्व  . यशवंत सिंह भंडारी के भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक वा मानवीय अलंकरण कला अंकन हुआ है। 
 सूचना व फोटो आभार:  महेंद्र सिंह बर्तवाल
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
 Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag    Garhwal  Uttarakhand , Himalaya   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण , नक्काशी  श्रृंखला 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  - 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला, नक्काशी  ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन, नक्काशी  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में द्वारों में नक्काशी ,  स्तम्भों  में नक्काशी

Bhishma Kukreti

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पबेला (देवप्रयाग , टिहरी  गढ़वाल ) के  स्व  चंद्र सिंह  जयाड़ा  के  तिबारीयुक्त मकान में काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी

  Traditional House Wood Carving Art of  Pabela , Devprayag, Tehri   Garhwal 
  गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल   ) में काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी- 291     

संकलन - भीष्म कुकरेती
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देवप्रयाग तहसील व निकटवर्ती क्षेत्र से कई काष्ठ नक्काशीदार मकानों की सूचना मिली हैं।  इसी क्रम में आज पबेला गाँव में   स्व चंद्र सिंह जयाड़ा  के  सतखम्या (सात सिंगाड़ /स्तम्भ ) तिबारी में  काष्ट कला पर  चर्चा होगी।
  पबेला गाँव का प्रस्तुत  मकान  दुपुर -दुघर , पाषाण अलिंद (छज्जा ) है व सात स्तम्भों  -छ ख्वाळों की तिबारी पहली मंजिल में स्थापित है।  तिबारी के सभी स्तम्भ ठोस , टिकायु व एक जैसे हैं।  स्तम्भ  छज्जे के उपर देहरी के ऊपर पाषाण आधार पर टिके हैं।  स्तम्भ का आधार  उल्टे  कमल दल से कुम्भी से निर्मित है , कुम्भी के ऊपर  ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है और यहां से स्तम्भ लौकी आकार ले ऊपर चलता है।  जहां सबसे कम मोटाई है वहां उलटा कमल दल है फिर ड्यूल है।  ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है।  यहां से स्तम्भ ऊपर थांत की आकृति धारण कर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष से मिलता है।  यहां से मेहराब का  अर्ध चाप भी शुरू होता है।  मेहराब के दोनों  स्कंध त्रिभुजों में एक एक  बहुदलीय  फूल  हैं।  थांत  के ऊपर दीवालगीर है और अनुमान लगाना सरल है कि  दीवालगीर में पुष्प नलिका , पक्षी ग्रिव्हा न व हाथी अंकित हुए होंगे।
निष्कर्ष निकलता है कि  पबेला के प्रस्तुत मकान की तिबारी भव्य है व इसमें ज्यामितीय , प्राक्रितिक व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है। 
  सूचना व फोटो आभार: जगमोहन जयाड़ा

यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटी  संभव है I 
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गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला , लकड़ी नकाशी
Traditional House Wood Carving Art (in Tibari), Bakhai , Mori , Kholi  , Koti Banal )  Ornamentation of Garhwal , Kumaon , Dehradun , Haridwar Uttarakhand , Himalaya -
  Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Tehri Garhwal , Uttarakhand , Himalaya   -   
घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखनी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ; House Wood carving Art from   Tehri; 


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जखोल क्षेत्र (उत्तरकाशी ) में एक मकान में  आधारभूत   काष्ठ निर्माण शैली व काष्ट कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी 

Traditional House wood Carving Art in  Jakhol region  ,   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी -292 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 जखोल भारत का एक  विरासत गाँव में शामिल है।   इस क्षेत्र से कई प्रकार के लकड़ी के मकानों की फोटो व सूचनाएं मिली हैं।  कुछ लकड़ी के  मकान  आधार भूत  शैली में  निर्मित हुए हैं।  प्रस्तुत मकान में भी लकड़ी  की कला व मकान निर्माण शैली आधारभूत प्रकार के हैं।  मकान  के  पिछले   भाग में आम मिट्टी -पत्थर  की चिनाई से निर्माण हुआ है।  मकान   के अग्र  भाग   लकड़ी से निर्मित है।
मकान दुपुर -दुघर है।  मकान में जो भी कला /शैली है व सभी ज्यामितीय कटान से निर्मित हुआ है।   तल मंजिल  व पहले मंजिल के बीच की गांज लकड़ी के बड़े बड़े लट्ठों  (बौळियों  व कड़ियों ) से बना है।  तल मंजिल का बरामदा व बड़े कमरे भी बड़े बड़े लकड़ी के तख्तों  से ढके हैं।  पहले मंजिल में आगे  दो बरामदे ( बड़े बड़े कमरे  )  हैं. पहली मंजिल में आठ स्तम्भ हैं जिनके मध्य के ख्वाळों  में व दीवार की जगह लकड़ी के टिकाऊ तख्ते लगे हैं। ख्वाळों के आधार में रेलिंग हैं जिसमे X नुमा आकर है। 
 स्तम्भ के ऊपरी भाग में कड़ी है जो मजबूत व टिकाऊ है। 
 लकड़ी में आरा , बसूला व रन्दे  व छेनी से   लकड़ी में ज्यामितीय कटान  से ही लकड़ी  कला का कार्य सम्पन हुआ है व कटान से आकर्षक निर्माण हुआ है। 
जाखोल क्षेत्र  )  (उत्तरकाशी के प्रस्तुत मकान की शैली व कटान आधारभूत शैली का है व आकर्षक है।   

सूचना व फोटो आभार :  आनंद सिंह पंवार
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari , Uttarkashi Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi ,Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , भटवाडी मकान लकड़ी नक्कासी ,  रायगढी    उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , चिनियासौड़  उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी   श्रृंखला जारी रहेगी


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कोटि गाँव (देहरादून ) में   स्व रणजोत  सिंह रावत परिवार के तिबारी   युक्त मकान में  काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी 


Traditional House wood Carving Art of  village Koti  Banal  , Dehradun   
 गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   , खोली , छाज,   कोटि बनाल   ) 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी- 292
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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कोटि गाँव का प्रस्तुत मकान काष्ठ  कला से कुछ विशेष है जिसमे तिबारी व जंगले पर चर्चा होगी। 
कोटि गाँव भी है व  जौनसार  बावर , उत्तरकाशी में कोटि   शैली  के मकान भी  मिलते हैं।  कोटि में थोकदार /जमींदार   स्व  . रणजोत  सिंह रावत  परिवार के कई भवन काष्ठ  कला दृष्टि से अप्रतिम , विशेष व विश्लेषण लायक है।   कोटि गाँव में रावत परिवार का प्रस्तुत मकान गढ़वाल दृष्टि से अधिक विशेष नहीं माना जाएगा किन्तु  जौनसार दृष्टि से यह मकान कुछ अलग ही माना जाएगा।  कोटि  गांव के  रावत परिवार के प्रस्तुत मकान कोटि शैली का नहीं है (तिपुर , चपुर, पंचपुरि  नहीं अपितु दुपुर  व दुघर है।   तल मंजिल के कमरों से अनुमान लगाना सरल  है कि तल मंजिल में दोनों  बड़े कमरे  भंडार या गौशाला हेतु  सुरक्षित रखे होंगे।  तल मंजिल के कमरों के मुरिन्ड /मथिण्ड  ऊपरतोरणम / मेहराब हैं जो मकान की खूबसूरती बढ़ाने में कामयाब हैं।  मकान में छज्जा भी  चौड़ा है। 
 कोटि गाँव के  रावत परिवार के मकान  के पहली  मंजिल में  लकड़ी के पांच  स्तम्भों व चार ख्वाळों  की तिबारी देहरी के ऊपर स्थापित है।  मुख्य स्तम्भ  का आधार घड़े का आधार (लम्बा ड्यूल )  जैसा है।  इस ड्यूल के ऊपर स्तम्भ  सीधे कमल दल का आकार ले बड़ा घट आकर जैसा है यहां से स्तम्भ ऊपर  घड़े का  लंबा    गले  जैसा ऊपर चलता है।  जहां पर स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां से अंजलि नुमा कमल दल की आकृति स्थापित होती हैं।  यहां से स्तम्भ थांत  आकृति ले ऊपर मुरिन्ड से मिलते हैं।  यहीं से मेहराब का अर्ध चाप भी शुरू होता है जो सामने के स्तम्भ के अर्ध मेहराब से मिल पूर्ण मेहराब  बनाता है।  थांत  के ऊपर मुरिन्ड से डेवलगीर भी निकले हैं।  महराब के  स्कंध में भी नक्काशी हुयी है।  तिबारी की विशेषता है कि  मुख्य स्तम्भ के दोनों ओर  बिन नक्काशी  के सपाट स्तम्भ भी हैं।  याने तिबारी में कुल 21  स्तम्भ हैं (7  कमल दल वाले स्तम्भ व 14  सपाट स्तम्भ ) । 
कोटि गांव के प्रस्तुत रावत परिवार के मकान की एक अन्य विशेषता है कि  मकान तिबारी के बांयी ओर छज्जे पर जंगला सजा है।  जंगले  के रेलिंग में आधार पर कड़ी छज्जे से मिली है व डेढ़ दो फिट ऊपर दूसरी रेलिंग कड़ी है व एक रेलिंग कड़ी सबसे ऊपर है।  डेढ़ फिट की ऊंचाई वाले रेलिंग व आधार इ रेलिंग के मध्य सपाट  उप स्तम्भ स्थापित हैं। 
 निष्कर्ष निकलता है कि  देहरादून के कोटि गाँव  में रावत परिवार के प्रस्तुत मकान में काष्ठ अंकन में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण दृष्टिगोचर होता है। 
सूचना व फोटो आभार:  दिनेश रावत
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  Traditional House wood Carving Art of   Dehradun,    Garhwal Uttarakhand , Himalaya     
ऋषिकेश , देहरादून के मकानों में लकड़ी नक्काशी ;  देहरादून तहसील देहरादून के मकानों में लकड़ी नक्काशी ;   विकासनगर  देहरादून के मकानों में लकड़ी नक्काशी ;   डोईवाला    देहरादून के मकानों में लकड़ी नक्काशी ;  जौनसार ,  देहरादून के मकानों में लकड़ी नक्कासी

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गल्लागाँव (चम्पावत ) के एक  जंगलेदार मकान में  काष्ठ कला अलंकरण,  लकड़ी पर नक्कासी

Traditional House Wood carving Art   of  Champawat, Kumaun   
कुमाऊँ ,गढ़वाल,  हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में  'काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत 'की   काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी-293
(art and Ornamentation)
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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प्रसिद्ध  भवन काष्ठ  कला गुरु जय ठक्कर के अनुसार चम्पावत में  हिमालय की परिस्थिति व जलवायु के हिसाब से निर्मित परम्परागत भवन निम्न प्रकार के  हैं  (वर्नाक्युलर - आर्किटेक्चर  ऑफ़  कुमाऊं , उत्तराखंड , नार्थ वेस्ट हिमालय ) -
क  -   एक मंजिला पृथक  पृथक    पंक्तिबद्ध  मकानों का  समूह
ख -  दो मंजिले  पृथक  पृथक    पंक्तिबद्ध  मकानों का  समूह (दुपुर )
ग - एक मंजिले   अलग  मकान  ( पहली मंजिल वाला )
घ - बहुमंजिले अलग  अलग मकान  (दुपुर - तिपुर  या अधिक )
च -  बहु  मंजिले मकानों का समूह
ज -  बहु मंजिले बाखली नुमा मकान।  (जहां कई परिवारों के मकानों की  दीवार  संयुक्त होती है। 
झ - उपरोक्त प्रकार के भवन जिनमे  भित्ति चित्र भी हैं
  इसी क्रम में  आज    जिले के गल्लागाँव    जंगलेदार  एक  मंजिले भवन (जो बाखली से चिपका है )    में काष्ठ  कला , अलंकरण  की चर्चा की जायेगी।
मकान दुपुर -दुघर है।  तल मंजिल  में गौशाला व भंडार गृह हैं।  पहली मंजिल पर लकड़ी का चौड़ा  छज्जा है।  तख्ते वाले छज्जा  लकड़ी की कड़ियों के ऊपर है  (इसीलिए  विद्वान जय ठक्कर ने कुमाऊं के मकानों हेतु इन्हे कोटि बनाल शैली नाम दिया है)।    छज्जे के बहरी कड़ी पर  दस  खम्भे (स्तम्भ ) स्थापित है।  प्रत्येक  स्तम्भ आधार से लेकर ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड  की कड़ी से मिल जाते  हैं।  प्रत्येक स्तम्भ सपाट  हैं व चौखट आकर लिए हैं जो ज्यामितीय कटान का प्रतिफल है।  मुरिन्ड /मथिण्ड की कड़ी  पर छत  के  दस  सर अधिक  कड़ियों  से बने आधार भी टिके  हैं। 
कमरे के दरवाजों व खिड़कियों में  सिंगाड़ों  व तख्तों में भी सपाट ज्यामितीय कटान हुआ है।  मकान में कोई विशेष कला अंकन दृष्टिगोचर नहीं होता है। 
कला वा वास्तु दृष्टि से गल्लागाँव के इस  आधारभूत कला , अलंकरण अंकन  हुआ है
सूचना व फोटो आभार :  भवन काष्ठ कला  गुरु जय ठक्कर

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali  House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;    पूर्णगिरी तहसील ,    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;   पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;

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गंगोलीहाट (पिथौरागढ़ ) के एक मकान में   काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी

Traditional House Wood Carving Art   of  Gangolihat  , Pithoragarh
गढ़वाल,  कुमाऊँ , हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' 
 काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी- 294
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 गंगोलीहाट से कई मकानों की सूचना मिली हैं  जिनमे लकड़ी नक्काशी विशेष हैं।  इसी  क्रम   में आज पंकज महर द्वारा  भेजी गयी सूचना मुताबिक़  गंगोलीहाट के  एक मकान की काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी पर चर्चा की जायेगी। 
प्रस्तुत मकान दुपुर व संभवतया तिघर  है।  मकान बाखली का एक हिस्सा लग रहा है।  काष्ठ कला दृष्टि से प्रस्तुत मकान में तल मंजिल के कमरों के सिंगाड़ व दरवाजों ; पहली मंजिल में शहतीर ; पहली मंजिल में  सामने चार छाजों  / झरोखों ; पहली मंजिल मर अगल में पांच छाजों /झरोखों में काष्ठ  कला का निरीक्षण आवश्यक है। 
पहली मंजिल में बगल  के छाजों  को छोड़  बाकी जगह ज्यामितीय कटान से सपाट कला ही  दृष्टिगोचर होती है। पहली मंजिल में बगल  में  दोनों छाजों  /झरोखे में मेहराब है जो आम कुमाऊं के छाजों /झरोखों में मेहराब कला मिलती है।
पंकज महर द्वारा गंगोलीहाट  से  भेजी गयी सूचना  का यह मकान अपने  शुरू के  समय भव्य रहा होगा और आज जीर्ण शीर्ण लगता है।  मकान में लगभग सभी स्तरों में ज्यामितीय कला /कटान का प्रयोग हुआ है।   छाजों में आज मेहराब नहीं दिख रहे हैं किन्तु यह लगता है कि छाजों  में मेहराब अवश्य रहे होंगे।  महर द्वारा भेजे कई सोचना अनुसार मकान की एक विशेषता यह भी है कि झरोखों /छाजों  के सिंगाड़ /स्तम्भ  सपाट हैं जबकि  कुमाऊं के आम छाजों के सिंगाड़ /स्तम्भ  में कमल आकृति अंकित होते ही हैं। 
सूचना व फोटो आभार: पंकज महर
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी ;  House wood Carving art in Pithoragarh  to be continued

 

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