Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 38530 times)

Bhishma Kukreti

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सुक्की टॉप (गंगोत्री महा मार्ग , उत्तरकाशी ) में एक लघु भवन में  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन

Traditional House wood Carving Art in  Sukki  Top , Gangotri   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन- 337 
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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   सुक्की टॉप  (भटवाड़ी ) गंगोत्री महा मार्ग  पर एक गांव है  जो संक्रिय  भूकंप  संवेदनशील  क्षेत्र   के अंतर्गत है।  सुक्की गाँव घने थुनेर वनों के लिए प्रसिद्ध है।  प्रस्तुत भवन (जो संभवतया लघु  मंदिर गृह है ) ट्रेक मध्य है।  सुक्की टॉप के प्रस्तुत  भवन का महत्व  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण से अधिक  भवन शैली हेतु महत्वपूर्ण है। 
 भवन अति लघु है।  भवन कोटि बनाल ( काष्ठ कड़ियाँ व पत्थर से निर्मित  ) शैली का निर्मित है।  भवन भ्यूंतल /भूमि तल में ही है।  काष्ठ काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  दृष्टि से भवन के द्वार  के सिंगाड़ों / स्तम्भों व सिलेटी पत्थरों  से निर्मित छत  के आधार के काष्ठ का आकलन आवश्यक है।
चूँकि भवन पुराना है अतः  द्वार  के  सिंगाड़/स्तम्भ   में विशेष कला अंकन  से निर्मित हुए हैं के चिन्ह शेष हैं।  दरवाजों के ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष में तोरणम (चाप , arch ) निर्मित है। 
ढलवां पत्थरों से निर्मित छत के  आधार में काष्ठ कड़ियाँ दृष्टिगोचर हो रही है।  छत आधार की बाह्य कड़ी के बाहर काष्ठ की पट्टिका कुछ कुछ आरी के कटान जैसे कटान दृष्टिगोचर हो रहा है।
चूँकि भवन पुराना है व छायाकार ने पर्यटक ने भवन कला हेतु नहीं अपितु पर्यटक  समळौण  हेतु छाया चित्र लिया था अतः भवन में कला पक्ष संपूर्ण रूप से दृष्टिगोचर नहीं होता है।  किन्तु जो भी सुरक्षित है कहा जा सकता है कि भवन यद्यपि लघु था किन्तु द्वार  के सिंगाड़ों में काष्ठ कला अंकित हुयी थी। 
 

Bhishma Kukreti

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लख्वाड़  (देहरादून ) के  एक भवन में काष्ठ कला अंकन - अलंकरण

  Traditional House wood Carving Art of   Lakhwar , Dehradun   
 गढ़वाल,कुमाऊँ,उत्तराखंड,भवन  (तिबारी,निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,छाज  कोटि बनाल ) 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अंकन - अलंकरण- 338 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
यह एक प्रसन्नता का विषय है कि  अब मित्र पर्यटक स्थलों में यात्रा समय स्थानीय भवनों का छायाचित्र ले लेते हैं और इस लेखक को प्रेषित कर देते हैं।  सभी धन्यवाद के पात्र हैं।  ऐसी ही एक सूचना लखवाड़  के एक भवन की मिली है। 
प्रस्तुत  भवन तिपुर है , दुखंड -दुघर है।  भवन के भूतल  में कोई विशेष काष्ठ कला दृष्टिगोचर नहीं होती है. दूसरे तल में भी ज्यामितीय कटान  से काष्ठ कला दृष्टिगोचर होते हैं। 
प्रथम तल पर  तिबारी स्थापित है।  तिबारी छह सिंगाड़ /स्तम्भों की है जो 5  ख्वाळ  निर्माण करते हैं।   सिंगाड़ /स्तम्भ का आधार काष्ठ  का चौकोर  थांत /ग्वाळ  नुमा  आकर  से निर्मित है।  चौखट ग्वाळ  रुपी  आधार का  ऊपरी सतह पर  चक्र व वानस्पतिक अलंकरण युक्त अंकन हुआ है।  ग्वाळ  के ऊपर soft  edge  के ऊपर भी कुण्डी /जंजीर नुमा अंकन हुआ है।   सिंगाड़ /स्तम्भ के ऊपर एक ड्यूल है।  ड्यूल के ऊपर  उर्घ्वगामी कमल पुष्प पंखुड़ियों  से सज्जित हैं।  यहां से सिंगाड़ की मोटाई कुछ कम होती जाती है व कुछ ऊपर जाकर सिंगाड़ /स्तम्भ  में अधोगामी पुष्प दल सज्जित हुए हैं।  अधोगामी कमल दल के ऊपर ड्यूल हैं व ऊपर सीधा कमल पुष्प पंखुड़ियों अंकित हैं।  यहां से स्तम्भ ऊपर जाते समय आधार के जैसे थांत  की आकृति धारण क्र लेती है।  यहां से स्तम्भ  से चाप /मेहराब /तोरणम का अर्ध चाप निकलता है।  अर्धचाप  दूसरे स्तम्भ के अर्धचाप से मिलकर चाप /तोरणम /arch  बनाते हैं।  तोरणम में भी कला अंकन हुआ है। स्तम्भ के  ऊपरी थांत  में लगभग उसी प्रकार का अंकन हुआ है जैसे आधारिक  तहत में काष्ठ अंकन हुआ है। 
  सिंघाड़ों के मध्य ख्वाळों के मध्य  के आधार में काष्ठ पट्टिकाएं )जैसे खिड़कियों के पट हों )   इन पटों /तख्तों के ऊपर एक रेलिंग है व इस रेलिंग के  एक या पौण फिट ऊपर रेलिंग हैं  . दोनों रेलिंग के मध्य चार चार उप स्तम्भ निर्मित हैं।  जंगलों के सभी उप स्तम्भ   मुख्य स्तम्भ की प्रतिलिपि आकर में हैं।
दुसरे तल में बरामदा  काष्ठ पट्टिकाओं से ढका है।  ये सभी पट्टिकाएं वास्तव में गवाक्ष /खिड़की /झरोखे के पैनल जैसे हैं (ज्यामितीय कटान ) . दुसरे तल की सतह से बाह्य ओर  अंकन युक्त पट्टिका  भी है।  खिड़कियों /झरोखों /गवाक्षों के ऊपरी भाग में  आकर्षक बेल बूटों  का अंकन स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा है। 
निष्कर्ष निकलता है लखवाड़ (देहरादून ) के प्रस्तुत भवन में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार:  राजेश कुकरेती

  * यह आलेख भवन कला अंकन संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  Traditional House wood Carving Art of   Dehradun ,    Garhwal  Uttarakhand , Himalaya   to be continued 
ऋषिकेश , देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;  देहरादून तहसील देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   विकासनगर  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   डोईवाला    देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन  ;  जौनसार ,  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन


Bhishma Kukreti

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ब्रिटिश काल के  नैनीताल में एक दुकान  भवन में  काष्ठ   कला अंकन, अलंकरण 
   Traditional House Wood Carving Art in Mallital Nainital; 
 कुमाऊँ, गढ़वाल,  उत्तराखंड के भवन  ( बाखली,  तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान,  खोली , कोटि बनाल)  में 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अंकन, अलंकरण -239   
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 यह एक सुखद सूचना है कि नैनीताल जैसे स्थलों  के भवनों के  ब्रिटिश काल  के छाया चित्र सोशल मीडिया में उपलब्ध हो रहे हैं।  ऐसे ही मल्लीताल बजार  नैनीताल  के एक दुकान   भवन के स्वतंत्रता से पहले के  छाया चित्र सोशल मीडिया से उपलब्ध हुआ।  भवन अपने समय में भव्य ही रहा होगा। 
मल्लीताल  के प्रस्तुत दुकान  भवन   कुमाऊं ही नहीं उत्तराखंड में भवन शैली परिवर्तन इतिहास का साक्षी भवन भी सिद्ध होगा।  प्रस्तुत    दुकान का भवन तिपुर  व तिखंड दृष्टिगोचर हो रहा है। भवन की छत शैली स्पष्ट रूप से ब्रिटिश शैली की है।   भ्यूंतल /भूतल में ककक्षों के द्वार काष्ठ  ही और लगता है कि  द्वारों के सिंगाड़ों में , पैनलों में  ज्यामितीय कटान से  द्वार व सिंगाड़  निर्मित हुए हैं।
दुकान भवन के पहली व दूसरे तल के बरामदे  बाहर से काष्ठ पट्टिकाओं से ढके हैं।  प्रत्येक तल में लकड़ी के झरोखे /गवाक्ष /छाज निर्मित हैं।  काष्ठ की पट्टिकाएं /पैनल्स  सभी ज्यामितीय कटान से निर्मित हुए हैं।  भवन के काष्ठ पट्टिकाओं /तख्तों/द्वारों /झरोखों के द्वारों में  केवल ज्यामितीय कटान दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  छायाचित्र में कहीं भी  काष्ठ में प्राकृतिक  व मानवीय कला अलंकरण दृष्टिगोचर नहीं हो रहे हैं। 
भवन के भ्यूं तल  व पहले तल के संधि स्थल में काष्ठ के लघु स्तम्भों के जंगले  भी सजे हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि    मल्लीताल बजार , नैनीताल के ब्रिटिश युग में निर्मित दुकान भवन भव्य था व सर्वत्र ज्यामितीय कटान से ज्यामितीय अलंकरण अंकन ही दृष्टिगोचर हुए हैं।   
सूचना व फोटो आभार:दिनेश बलुतिया
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital; Traditional House Wood Carving Art in Haldwani ,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar , Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण 

Bhishma Kukreti

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ड़ा (, इग्यार , अल्मोड़ा ) के  दिनेश बिष्ट के बाखली नुमा  भवन में  काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण,

Traditional House Wood Carving art of ,Ida, Igyar   Almora , Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, उत्तराखंड  के भवन ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )  में   'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण,-  3 40 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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   अल्मोड़ा जनपद से  प्रचुर संख्या में काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचनाएं मिल रही हैं।  आज इसी क्रम में   इड़ा (, इग्यार , अल्मोड़ा ) के  दिनेश बिष्ट के बाखली नुमा  भवन में  काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण  न में  काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण  पर चर्चा होगी।  अनुमान लगता है कि  दिनेश बिष्ट के परिवार का भवन  बाखली का एक भाग है।  भवन आम कुमाउनी बाखली नुमा भवन जैसा ही है जिस पर पहले  तल पर छज्जा नहीं है किन्तु छाज हैं।   इड़ा (, इग्यार , अल्मोड़ा ) के  दिनेश बिष्ट के बाखली नुमा  भवन मे दुपुर व दुखंड /दुघर है।    भवन  के भ्यूंतल (भूतल ) में  दो कक्ष हैं  एक भंडार व एक गौशाला है व उन कक्षों के  द्वार सरल रूप के हैं जो ज्यामितीय कटान से निर्मित हैं।  द्वारों के सिंगाड़ों /स्तम्भों  व मुरिन्ड /म्थिन्ड /शीर्ष में कोई विशेष अंकन , अलंकरण दृष्टिगोचर नहीं हुआ। 
कला आकलन हेतु  भू तल  से निकली खोली , पहले तल में  खोली के दोनों ओर  एक एक  छाज /झरोखा /गवाक्ष  हैं जिनके सिंगाड़ों /स्तम्भों में काष्ठ कला अलंकरण  हुए हैं। 
खोली के सिंगाड़ों के उप स्तम्भों /उप सिंगाड़ों  व छाजों  के मुख्य सिंगाड़ों के उप सिंगाड /स्तम्भ कला दृष्टि से एक सामान हैं।  अतः कला अवलोकन व विश्लेषण हेतु खोली के एक उप स्तम्भ का  अवलोकन  पर्याप्त है।  यहां तक कि  खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष  व छाजों  के मुरिन्ड /म्थिन्डों में भी समानता है। 
इड़ा (, इग्यार , अल्मोड़ा ) के  दिनेश बिष्ट के बाखली नुमा  भवन के खोली , छाजों  के मुख्य स्तम्भों  के उप स्तम्भ के  आधार में अधोगामी पद्म  पुष्प दल (उल्टा कमल पुष्प )  से कुम्भी /घट आकर निर्मित हुआ है। कुम्भी आकर के ऊपर ड्यूल  है ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प दल निर्मित  घट  आकर   है।  खोली के उप स्तम्भों में यहां से उप स्तम्भ सीधे हो ऊपर  मुरिन्ड /म्थिन्ड /शीर्ष की सतह  निर्मित हो जाते हैं।  जबकि छाजों  के उप स्तम्भों में यही घट , ड्यूल व सीधा कमल दल का दुहराव है व ऊपरी कमल दल के ऊपर उप स्तम्भ सीधे हो ऊपर शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड  के स्तर  बन जाते हैं। 
आश्चर्य  होता है कि भवन के खोली में शीर्ष में कोई देव मूर्ति नहीं  स्थापित है। 
भवन भव्य है व खोली , छाजों /झरोखों में कला , अंकन व अलंकरण  भी भव्य है।  मुख्यतया दो  प्रकार के अलंकरण दृष्टिगोचर हो रहे हैं - प्राकृतिक व ज्यामितीय। 
सूचना व फोटो आभार :  दिनेश बिष्ट इड़ा
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


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अगर  (बाराकोट, चम्पावत )  के एक बाखली  युक्त भवन  संख्या 1  (प्रथम )  में  काष्ठ कला , अलंकरण , अंकन

Traditional House Wood carving Art of   Agar , Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, उत्तराखंड  के भवन ( बाखली,  तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान , खोली ,कोटि बनाल )  में  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण,-341
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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चम्पावत से कई विशेष काष्ठ कला अंकन युक्त  भवनों की सूचनाएं मिलने लगी हैं।  प्रस्तुत है अगर गांव के एक  बाखली युक्त भवन की काष्ठ  कला परिचय !
अगर (बाराकोट  चम्पावत ) का प्रस्तुत भवन   दुपुर व दुखंड /दुघर /तिभित्या /द्विकक्षी  है।  भवन एक आम कुमाऊंनी पारंपरिक भवन जैसे ही है।  भवन के भूतल में गौशाला व भंडार कक्ष हैं।   भूतल से पहली तल तक खोली (आंतरिक सीढ़ी  का प्रवेश द्वार )  गयी है।  भ्यूं तल (ground floor )  के कक्षों के द्वारों व मुरिन्ड /शीर्ष में  ज्यामितीय कटान से ही निर्माण हुआ है।  कोई अंकन दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है। 
भ्यूं तल व पहले तल  (  ground floor  and  first  floor )  के संधि में   लंबी  दो चौखट शहतीर /पटिया /बौळी   हैं  जिन पर ज्यामितीय कटान की संरचना हुयी है। 
खोली  के द्वारों में दोनों ओर  मुख्य स्तम्भ /सिंगाड़  उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए हैं।  उप स्तम्भ के आधार में  अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी /घट या घुंडी निर्मित हुयी है।  कुम्भी के ऊपर  ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प निर्मित है और यहां से उप स्तम्भ  सीधा हो ऊपर खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष/सिरदल  की एक  स्तर  बन जाते हैं।  इस  प्रकार सभी उप स्तम्भ ऊपर जाकर सिरदल /मुरिन्ड के स्तर  बन जाते हैं।  खोली के  द्वार में ऊपर मुरिन्ड के नीचे अंडाकार नुमा तोरणम निर्मित हुआ है।   सिरदल /मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष में देव मूर्ति भी स्थापित है। 
 बाखली युक्त भवन के पहले तल में खोली के दोनों ओर  चार चार खोहों /छाजों /ढ उड़्यारों से निमृत संरचना है जिसे छाज /या झरोखा कहा जाता है।  प्रत्येक खोह /छाज  के  मुख्य स्तम्भ/ सिंगाडड़   उप स्तम्भों /उप सिंगाड़ों  के युग्म से निर्मित हुए हैं।  उप स्तम्भों के संरचना आधार पर खोली के उप स्तम्भों की ही प्रतिलिपि है।  केवल अंतर् यह है कि   छाजों  के उपस्तम्भों में पदम् पुष्प पुनः ऊपर की और स्थापित हैं।  शेष  छाजों  के उप स्तम्भ  की कला , अलंकरण अंकन  खोली के उप स्तम्भ समान ही है और शीर्ष भी समान ही हैं ।  छाजों /ढुड्यारों के शीर्ष /सिरदल के नीचे   अंडाकार तोरणम /चाप /Arch  निर्मित हैं। जैसे खोली के मुरिन्ड /सिरदल के नीचे तोरणम निर्मित है।
 भवन भव्य है व बाखली लम्बी लगती है।  काष्ठ कला भी उत्तम प्रकार की है व भव्य है. अपने समय भवन  चम्पावत  का गर्व रहा होगा (वैसे वर्तमान में भी है ) I  भवन में तीनो प्रकार का अलंकरण  - ज्यामिति , प्राकृतिक व मानवीय दृष्टिगोचर हो रहे हैं।   
दुखंड/दुघर  = बाहर एक कक्ष व अंदर दूसरा कक्ष
तिभित्या  = तीन भीत /भित  याने तीन दीवारे जो दो कक्ष बनाते है
सूचना व फोटो आभार :  भूपेंद्र  सिंह बिष्ट   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali  House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  ;  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  ; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  ;    पूर्णगिरी तहसील ,    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  ;   पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, 


Bhishma Kukreti

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कांडा (बागेश्वर )  में एक  भवन ( होम स्टे ) में  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन 


Tradiitoanal  House wood Carving Art in Kanda Bageshwar
कुमाऊँ , गढ़वाल, उत्तराखंड के भवन(बाखली, तिबारी,निमदारी,जंगलेदार,मकान, खोली,कोटि बनाल)  में 'काठ कुर्याणौ' ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, अंकन- 
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 सोशल मीडिया से कई लाभ हैं और उनमें से  एक लाभ यह भी रहा है कि  लोक अपने आस पास की लोक संस्कृति के प्रति संवेदनशील हो भवनों की सूचना प्रतिदिन भेज रहे हैं।  इसी  क्रम में आज  कांडा (बागेश्वर) के एक भवन ( अब होम स्टे है )  में भवन काष्ठ  कला अलंकरण, अंकन पर चर्चा होगी।
प्रस्तुत कांडा (बागेश्वर ) का भवन एक बाखली है व बहुत ही भव्य है ।  भवन दुपुर , दुघर है।  बाखली में  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन दृष्टि से   भ्यूंतल / भूतल  (ground  floor )  से पहले तल तक पंहुची  तीन खोलियाँ व पहले तल में कम से कम छह छाजों/ ढुड्यारों  /झरोखों /गवाक्षों  की विवेचना होगी। 
कांडा के प्रस्तुत भवन के भ्यूंतल (ground  floor )  में   परंपरागत   सामान्य  कुमाउँनी  बाखली के तरह  ही गौशाला का भंडार गृह हैं।  इन कक्षों के द्वारों  में  विशेष काष्ठ कला अंकन या तो है ही नहीं (अर्थात ज्यामितीय कटान )  अथवा अस्पष्ट है। 
 भूतल व प्रथम तल के संधि क्षेत्रों में छह  चौखट आकारी पटिया (शहतीर , Log ) या बौळी है।  या यूँ कह सकते हैं चौखट स्लीपर लगे हैं।  इन पटियों (बौळियों )    में ज्यामितीय कटान से आयताकार पंक्ति अंकन हुआ है। 
 खोलियों के मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों से निर्मित हुए है।  सभी उप स्तम्भ कला दृष्टि से एक सामान हैं।  कुमाऊं के सामान्य रूप से पाए जाने वाली खोलियों के   उप स्तम्भों  जैसे ही इस भवन की तीनों खोलियों के उप स्तम्भों का आधार अधोगामी पद्म पुष्प अंकन से कुम्भी /घट /घुंडी निर्मित हुयी है।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल (wooden  ring type  plate ) है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है और यह पुष्प दल भी एक विशेष घुंडी निर्माण करता है।  यहां से स्तम्भ /सिंगाड़  सीधे हो ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /सिरदल के स्तर बन जाते हैं।  खोलियों के सिरदल /मुरिन्ड  के ऊपर आकर्षक बेलन नुमा लघु उपस्तम्भों की पंक्ति सी है व इन संरचनाओं के ऊपर भी आकर्षक संरचना है जो ऐसा लगता है जैसे कुछ बेलचे उल्टे  हो बाहर की ओर  छिटक रहे हों।   इसमें दो मत नहीं हो सकते कि  खोलियों में देव आकृतियां भी स्थापित हैं जो अभी स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर नहीं हो प् रहे हैं।  ( यह देखा गया है कि  भवन नवीनीकरण या होम स्टे निरमणीकरण में देव  आकृतियां निकल दी जाती हैं।  )
  भवन के प्रथम तल (first floor )  में  काष्ट  पटियाों के ऊपर छह से अधिक छाज /झरोखे स्थापित हैं।   
 प्रत्येक छाज के दुंळ /ढुड्यार /छेद /झरोखे के बाहर मुख्य स्तम्भ हैं जो उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं।  प्रत्येक  छाज के दुंळ /ढुड्यार /छेद /झरोखे के ऊपरी भाग में अंडाकार तोरणम /चाप /arch  निर्मित है। सभी    छाज के दुंळ /ढुड्यार /छेद /झरोखे  के सभी उप स्तम्भ कला दृष्टि से एक सामान हैं।  घुंडी , पद्म पुष्प कुम्भी अनुसार ये सभी उप स्तम्भ खोली के उप स्तम्भों की प्रतिलिपि ही हैं। 
  छाज के दुंळ /ढुड्यार /छेद /झरोखे के  सिरदल /शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड   चौखट आकर के हैं व आकर्षक हैं। इन  छाज के दुंळ /ढुड्यार /छेद /झरोखे के सिरदलों में भी देव आकृति के दर्शन नहीं होते हैं। 
  निष्कर्ष निकलता है कांडा (बागेश्वर )  में एक  भव्य  भवन ( होम स्टे ) में  ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण का कला अंकन हुआ है।  सभी दृष्टि से भवन उत्कृष्ट है व  काष्ठ कला , अलंकरण अंकन  उच्च स्तर का व चक्षु आकर्षक है। 
दुखंड/दुघर  = बाहर एक कक्ष व अंदर दूसरा कक्ष
तिभित्या  = तीन भीत /भित  याने तीन दीवारे जो दो कक्ष बनाते है
ढुड्यार - अंडाकार   छेद
सूचना व फोटो आभार: चंद्र प्रकाश पंत
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी Iभौगोलिक  व मालिकाना   सूचना  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है,  जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं I.  .  .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 कांडा तहसील , बागेश्वर में परंपरागत मकानों में   काष्ठकला अंकन  ;  गरुड़, बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन  ; कपकोट ,  बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन )


Bhishma Kukreti

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चिटगल (गंगोलीहाट , पिथौरागढ़ )  में  अनुराग पंत परिवार के भवन  में  काष्ठ  कला अलंकरण अंकन

   Traditional House Wood Carving Art  iof  Chitgal , Gangaolihat ,  Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,उत्तराखंड, के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,जंगलेदार  मकान,खोली,कोटि बना  )  में 'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन - 343 
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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पिथौरागढ़ से अच्छी संख्या में भवनों की सूचना मिलती जा रही हैं।  ऐसे ही आद्य (आज )  चिटगल के अनुराग पंत परिवार के भवन में  काष्ठ कला अलंकरण अंकन  पर चर्चा होगी। 
 चिटगल (गंगोलीहाट  पिथौरागढ़ )  में पंत परिवार  का  दूसरे भवन   पर चर्चा होगी।  प्रस्तुत भवन दुपुर -दुघर -तिभित्या   है व छज्जा बिहीन है। भवन के भूतल /भ्यूंतल (Ground Floor ) में कला अंकन दृष्टि से विशेष नहीं है।  भ्यूं तल  में
दो  कक्ष  हैं व दो मोरियाँ (window )  है व उनके द्वारों में ज्यामितीय कटान से कार्य हुआ है।  पहले तल  ( First  Floor )  में खोली , व पांच छाज (झरोखे , ढुड्यार )  में काष्ठ  कला उल्लेखनीय हैं।   खोली संभवतया भू तल में थी जो अब  बाह्य सीढ़ियों  निर्माण
से खोली अब पहले तल से शुरू हो रही है।  मुख्य स्तम्भ व उप स्तम्भों की   काष्ठ अंकन अलंकरण  दृष्टि  से खोली व छाजों  के मुख्य स्तम्भ व उप स्तम्भ एक  सामान है अतः  खोली के स्तम्भों का विश्लेषण ही छाजों  के मुख्य व उप स्तम्भों का विश्लेषण होगा।  खोली व छाजों  के सिंगाड़ /मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म / जोड़ से निर्मित  है।  उप स्तम्भ के आधार पर उल्टे कमल पुष्प पंखुड़ियों के अंकन से कुम्भी /घट निर्मित हुआ है।  इस कुम्भी के उपर  द्युल है व द्युल के उपर सीधे कमल पुष्प अंकन का कुम्भी है।  यहाँ से  बेल बूटों से सजे उप स्तम्भ सीधे उपर मुरिंड/मथिण्ड /सिरदल से मिल सिरदल के स्तर  (layer ) बन जाते हैं।   
 छज्जों में दुंळ /ढुड्यार  का ऊपरी भाग अंडाकार है व चाप /तोरणम /arch  निर्मित हुए हैं।   तोरणम शगुन का प्रतीक माना जाता है।   ढुड्यार /छेद /छाज के निचले भाग में  काष्ठ रेलिंग /कड़ी  के नीचे लघु लघु उप स्तम्भ है जो कुछ हुक्के के ऊपरी काष्ट  छड़ी जैसे आकृति वाले हैं या कला युक्त बेलन नुमा।
निष्कर्ष निकलता है कि  चिटगल (गंगोलीहाट , पिथौरागढ़ )  में  अनुराग पंत परिवार के भवन  में  प्राकृतिक , ज्यामितीय कला अलंकरण अंकन हुआ है।  भवन भव्य  कोटि में रखने  के   योग्य है।   

सूचना व फोटो आभार: भुवनेश जोशी व अनुराग पंत

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी, बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued

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  खैंडुड़ी ( ढांगू , द्वारीखाल, पौड़ी गढ़वाल )  में आनंद सिंह रावत के भवन में काष्ठ कला अलंकरण अंकन

 Traditional House wood Carving Art of    Khainduri , Dwarikhal ,  Pauri  Garhwal   
  गढ़वाल, कुमाऊँ,उत्तराखंड के  भवनों  (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,कोटिबनाल  ) ' काठ - कुर्याण-ब्यूंत '   काष्ठ कला अलंकरण अंकन -344
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 ढांगू से भवनों की सूचना निरंतर मिलती रही है।  आज खैंडुड़ी ( ढांगू , द्वारीखाल, पौड़ी गढ़वाल )  में आनंद सिंह रावत के भवन में काष्ठ कला अलंकरण अंकन पर चर्चा होगी।  खैंडुड़ी  में आनंद सिंह रावत का भवन दुपुर -दुघर/दुखंड /  /तिभित्या   है।
खैंडुड़ी  में आनंद सिंह रावत के भवन में काष्ठ कला अंकन विश्लेषण हेतु  पहले तल पर स्थित तिबारी पर दिन देना होगा।  तिबारी चार सिंगाड़ों /स्तम्भों व तीन ख्वाळों की है।  प्रत्येक सिंगाड़ में कला एक सामान है।  प्रत्येक स्तम्भ का आधार पाषाण के चौखट डौळ के ऊपर टिके हैं। आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित हुयी है कुम्भी के ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प है।  यहां से स्तम्भ चौकोर रूप में सीधे ऊपर मुरिन्ड।/सिरदल से मिल जाते हैं।  आधार से ऊपर मुरिन्ड /सिरदल में प्राकृतिक (बेल बूटे ) का अंकन हुआ है।  मुरिन्ड /मथिण्ड के कड़ी के ऊपर भी प्राकृतिक कला अंकन हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता है कि    खैंडुड़ी ( ढांगू , द्वारीखाल, पौड़ी गढ़वाल )  में आनंद सिंह रावत के भवन में  प्राकृतिक व ज्यामितीय  काष्ठ कला अलंकरण , अंकन हुआ है।     खैंडुड़ी ( ढांगू , द्वारीखाल, पौड़ी गढ़वाल )  में आनंद सिंह रावत के भवन में कहीं  भी  मानवीय अलंकरण के चिन्ह नहीं दृष्टिगोचर होते हैं।   
   
सूचना व फोटो आभार:विवेका नंद जखमोला 
यह लेख  भवन  कला,  नक्काशी संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:   वस्तु स्थिति में अंतर      हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 Traditional House wood Carving Art of West South Garhwal l  (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur , Shila ),  Uttarakhand , Himalaya   
  दक्षिण पश्चिम  गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर ,  डबरालस्यूं  अजमेर ,  लंगूर , शीला पट्टियां )   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलियों  ,खोली , कोटि बनाल  में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण,   श्रृंखला  -
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,  बाखली , खोली, कोटि बनाल   ) काष्ठ अंकन लोक कला)  - 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya - 


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सुकई ( बंगार स्यूं  पौड़ी गढ़वाल )   में बुडियाल   रावत के भव्य भवन में   काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की   गढ़वाली काष्ठ कला अलंकरण, अंकन
    Tibari House Wood Art in House of  Sukayi  , Bangarsyun Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ, उत्तराखंड,की भवन (तिबारी,निमदारी,जंगलादार मकान,,बाखली,खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में 'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत  की  गढ़वाली शैली  '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन -345
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 सुकई  गाँव थोकदारी गाँव के नाम से प्रसिद्ध है।  संतन सिंह रावत ने  सुकई  से कई भवनों की  छायाचित्र सहित सूचनाएं  भेजी हैं।  आज एक भव्य, शक्त   किन्तु जीर्ण शीर्ण  भवन में काष्ठ  कला अंकन पर चर्चा होगी। भवन दुपुर , दुखंड -द्विकक्ष  है।    प्रस्तुत भवन में  गढ़वाली काष्ठ कला , अलंकरण अंकन  हेतु निम्न स्थलों पर ध्यान देना होगा -
खोली व खोली के दीवालगीरों में गढ़वाल  काष्ठ   अंकन कला
खोली के ऊपर छपपरिका  के आधार  में गढ़वाली काष्ठ कला अंकन  पर ध्यान
खोली के  की  बांयी  ओर    छाज / झरोखे   में गढ़वाली  काष्ठ कला  अलंकरण  अंकन
भवन की तिबारी में गढ़वाली  काष्ठ कला  अलंकरण  अंकन
   तिबारी के सिरदल /मुरिन्ड  के ऊपर छत के आधार में   गढ़वाली  काष्ठ कला  अलंकरण  अंकन
    सुकई  के भवन की खोली व खोली के दीवालगीरों में गढ़वाल  काष्ठ   अंकन कला -
  खोली  ( आंतरिक सीढ़ी  हेतु प्रवेश द्वार )   भ्यूं /भूतल से पहले तल  तक पंहुची है। 
खोली के दोनो ओर  मुख्य  अभिनव सिंगाड़ /स्तम्भ हैं व प्रत्येक मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं।   उप स्तम्भ  कई प्रकार के हैं -
  किनारे वाला उप स्तम्भ आधार से लेकर  उप्पर सिरदल तक सीधा व प्राकृतिक बेल बूटों  से अंकित है व उपरर जाकर बाह्य सिरदल का ऊपरी स्तर  निर्मित करता है।
 किनारे से अंदर की ओर  एक अन्य  उप स्तम्भ भी किनारे वाले उप स्तम्भ समान है और यह उप स्तम्भ भी ऊपर सिरदल /मुरिन्ड  का  ऊपरी स्तर  के नीचे वाला स्तर निर्मित करता है।  उप स्तम्भ का तीसरे उप स्तम्भ के  आधार में घुंडी (उलटे कमल व सीधे कमल ) हैं व  घुंडी के ऊपर पुनः प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।  यह प्राकृतिक अंकन युक्त उप स्तम्भ ऊपर जाकर सिरदल के बाह्य सिरदल का तीसरा स्तर निर्मित करता है। 
 किनारे से चौथे  उप स्तम्भ   जो कुछ मोटा है के आधार में  अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित हुयी है जिसके ऊपर ड्यूल है पुनः  ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प  अंकन हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है और पुनः सीधा कमल दल से घुंडी /कुम्भी निर्मित हुयी है।  यहां से  गोल उप स्तम्भ सीधा  ऊपर जाता है व सिरदल से पहले उप स्तम्भ में उल्टा कमल दल , ड्यूल व सीधा कमल दल की घुंडियां निर्मित हुयी हैं।  यहां सिरदल से निकला  दीवालगीर  कुम्भी के ऊपरी भाग से     मिलता है।
इस उप स्तम्भ के पश्चात अंदर की ओर  दो अन्य उप स्तम्भ हैं  जिन पर प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है।  अंकन गढ़वाली शैली का है। 
   खोली का सिरदल /मुरिंड /मथिण्ड  कई स्तरों  व कई आकार लिए हुए है।   सिरदल /मुरिन्ड /मथिण्ड  के तोरणम में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।  तोरणम के अंदर ऊपरी भाग में गणपति  देव मूर्ती स्थापित है।  तोरणम के सन्कध याने दोनों ओर  के त्रिभुजों में  अतिरिक्त सूरजमुखी पुष्प जैसी आकृति अंकन हुआ है। 
खोली के ऊपर छप्परिका है जिसका आधार काठ।   इस आधार से दसियों  शंकु नुमा आकृतियां लटकी हैं।  शंकुओं के मध्य एक विशेष आकृति निर्मित हुयी जो संभवतया कुरमक (कछुआ ) का प्रतीक है।  यही आकृति  दोनों ओर    बने  दीवालगीर में भी स्थापित है। 
 द्वार के मुरिन्ड /सिरदल के दोनों पहलुओं में छप्परिका  से  दोनों ओर  दो दो  दीवालगीर स्थापित हैं।  दीवालगीरों व् द्वार के सिंगाड़ों मध्य स्तम्भ नुमा लंबी आकृति है जिस पर कुम्भी आकृति अंकित हैं जैसे उप स्तम्भों में।  प्रत्येक दीवालगीर  में कई पद  (step ) हैं जो ऐसे लगते हैं जैसे पक्षी चोंच हो ।  उन उप पदों के ऊपर  काष्ठ हाथी  स्थापित हैं।  प्रत्येक उप दीवालगीर के मध्य काष्ठ  संरचना स्थापित है। यह तख्ता  सपाट  है।   
  पहले तल पर भवन मे भव्य तिबारी स्थापित है।  तिबारी में    6 सिंगाड़/स्तम्भ हैं व 5  ख्वाळ हैं I प्रत्येक सिंगाड़ मे कला एक समान है I  प्रत्येक सिंगाड़ /स्तम्भ  के आधार  देहरी पर स्थापित पत्थर के चौकोर डौळ  के ऊपर स्थापित हैं।  स्तम्भ का आधार अधोगामी पद्म  दल से निर्मित कुम्भी स्थापित है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल है (round  ring type  wood plate ) व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकित है।  पुष्प दल के ऊपर से स्तम्भ लौकी आकार धारण क्र ऊपर चलता है।  जहां पर मोटाई सबसे कम है वहां उल्टा कमल फूल से कुम्भी  निर्मित हुयी है।  फिर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल से  विशेष घुंडी निर्मित है।  यहां से स्तम्भ से थांत (Cricket Bat Blade  नुमा )
   
 




सूचना व फोटो आभार: संतन सिंह रावत
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , 


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गडसीरा (नारायण बगड़  चमोली )   के एक भव्य भवन  में  गढवाली  शैली गत  काष्ठ कला  अलंकरण अंकन

   House Wood Carving Art  from Gadsira , Narayan Bagar    , Chamoli   
 गढ़वाल,  कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान, बाखली  , खोली  , मोरी , कोटि बनाल ) में  गढवाली  शैली की  काष्ठ कला  अलंकरण अंकन, - 347
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 चमोली में नारायण बगड़ क्षेत्र से अच्छी संख्या  में  काष्ठ  कला युक्त भवनों की सूचनाएं मिल रही है यह सकारात्मक  सोच का प्रमाण है ।  गडसीरा  का  प्रस्तुत  भव्य भवन  दुपुर, दुखंड /तिभित्या है।   भवन में काष्ठ  कला के कई आयाम दृष्टिगोचर होते हैं। 
 गडसीरा (चमोली ) के इस भवन में प्रत्येक तल में  तीन  तीन  कक्ष है और प्रत्येक कक्ष के द्वारों के  सिंगाड़ /स्तम्भ कला युक्त हैं।    सिंगाड़  के आधार में उल्टे कमल पुष्प से  कुम्भी।/घुंडी निर्मित हो रही है जिसके ऊपर ड्यूल है व  ड्यूल के ऊपर  सीधा कमल पुष्प निर्मित हुआ है जो कि  घुंडी /कुम्भी निर्माण करता है।  इस घुंडी के ऊपर से सिंगाड़  सीधा या बेलबूटे युक्त हो ऊपर सिरदल /मुरिन्ड /मथिण्ड  से मिल जाता है।  सभी कक्षों के सिरदल /मुरिन्ड /मथिण्ड  के कड़ी में देव मूर्ति गड़ी हुयी हैं।  कक्षों के द्वारों के पैनल/फलको ज्यामितीय कटान से आकर्षक  आकार में निर्मित हुए हैं। 
प्रत्येक तल में तीन तीन मोरी /लघु गवाक्ष /खिड़कियां निर्मित हैं और एक छोड़ सभी मोरियों के द्वारों के सिंगाड़  कला रूप में  दीर्द्घ कक्षों के प्रतिरूप ही दृष्टिगोचर होते हैं। 
  चमोली जनपद की संस्कृति अनुसार ही गडसीरा  के इस भवन की खोली भी भव्य है।  खोली (आंतरिक सीढ़ी प्रवेश द्वार ) भूतल /भ्यूंतल से पहले तल तक है।  खोली के मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ पांच पांच उप स्तम्भों के युक्ति /युग्म से निर्मित है।  दो उप स्तम्ों के आधार से ही   पर्ण/लताओं से सुस्सज्जित हो ऊपर  जाकर मुरिन्ड /सिरदल का एक स्तर बन जाते हैं। शेष    तीन स्तम्भों के आधार लगभग अन्य कक्षों जैसे ही हैं (कमल दलों से कुम्भी निर्माण ) व ऊपरी पद्म  पुष्प से सभी उप स्तम्भों में पर्ण -लता अंकन से  सजावट हुयी है और सभी उप स्तम्भ ऊपर जाकर सिरदल /मुरिन्ड /मथिण्ड  के स्तर बन जाते हैं।  इस प्रकार मुरिन्ड /मथिण्ड /सिरदल के स्तर  में प्राकृतिक अलंकृत अंकन हुआ है। 
खोली के शीर्ष कड़ियों  सबसे ऊपर में  कई पत्र दल  का अंकन हुआ दृष्टिगोचर होता है। मुरिन्ड  के  ऊपर से नीचे की कड़ी  एक चौखट है जिस पर सूर्यमुखी पुष्प का अंकन हुआ है व आकर्षक छवि प्रदान करते हैं।   मध्य में चतुर्भुज देव आकृति स्थापित हुयी है। खोली के ऊपर छप्परिका  स्थापित है व छपरिका के नीचे कई प्रकार के ज्यामितीय कटान से निर्मित संरचनाएं है।  जो दीवालगीर भी हैं। 
 निष्कर्ष निकलता है कि गडसीरा  (नारायण बगड़, चमोली  )  के भवन में प्राकृतिक, ज्यामितीय व आध्यात्मिक /मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है।  भवन  उत्तम श्रेणी में आता है। 
दुपुर = दो तल
दुखंड /दुघर /तिभित्या = दो कक्ष  वाला एक कक्ष  बाहर एक  कक्ष अंदर ,
तिभित्या  = तीन दीवालें  जो दो  कक्ष  निर्माण करती है। 
सूचना व फोटो आभार:विवेका नंद जखमोला   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी


 

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