सुकई ( बंगार स्यूं पौड़ी गढ़वाल ) में बुडियाल रावत के भव्य भवन में काठ कुर्याणौ ब्यूंत ' की गढ़वाली काष्ठ कला अलंकरण, अंकन
Tibari House Wood Art in House of Sukayi , Bangarsyun Pauri Garhwal
गढ़वाल, कुमाऊँ, उत्तराखंड,की भवन (तिबारी,निमदारी,जंगलादार मकान,,बाखली,खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत की गढ़वाली शैली ' की काष्ठ कला अलंकरण, अंकन -345
संकलन - भीष्म कुकरेती
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सुकई गाँव थोकदारी गाँव के नाम से प्रसिद्ध है। संतन सिंह रावत ने सुकई से कई भवनों की छायाचित्र सहित सूचनाएं भेजी हैं। आज एक भव्य, शक्त किन्तु जीर्ण शीर्ण भवन में काष्ठ कला अंकन पर चर्चा होगी। भवन दुपुर , दुखंड -द्विकक्ष है। प्रस्तुत भवन में गढ़वाली काष्ठ कला , अलंकरण अंकन हेतु निम्न स्थलों पर ध्यान देना होगा -
खोली व खोली के दीवालगीरों में गढ़वाल काष्ठ अंकन कला
खोली के ऊपर छपपरिका के आधार में गढ़वाली काष्ठ कला अंकन पर ध्यान
खोली के की बांयी ओर छाज / झरोखे में गढ़वाली काष्ठ कला अलंकरण अंकन
भवन की तिबारी में गढ़वाली काष्ठ कला अलंकरण अंकन
तिबारी के सिरदल /मुरिन्ड के ऊपर छत के आधार में गढ़वाली काष्ठ कला अलंकरण अंकन
सुकई के भवन की खोली व खोली के दीवालगीरों में गढ़वाल काष्ठ अंकन कला -
खोली ( आंतरिक सीढ़ी हेतु प्रवेश द्वार ) भ्यूं /भूतल से पहले तल तक पंहुची है।
खोली के दोनो ओर मुख्य अभिनव सिंगाड़ /स्तम्भ हैं व प्रत्येक मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं। उप स्तम्भ कई प्रकार के हैं -
किनारे वाला उप स्तम्भ आधार से लेकर उप्पर सिरदल तक सीधा व प्राकृतिक बेल बूटों से अंकित है व उपरर जाकर बाह्य सिरदल का ऊपरी स्तर निर्मित करता है।
किनारे से अंदर की ओर एक अन्य उप स्तम्भ भी किनारे वाले उप स्तम्भ समान है और यह उप स्तम्भ भी ऊपर सिरदल /मुरिन्ड का ऊपरी स्तर के नीचे वाला स्तर निर्मित करता है। उप स्तम्भ का तीसरे उप स्तम्भ के आधार में घुंडी (उलटे कमल व सीधे कमल ) हैं व घुंडी के ऊपर पुनः प्राकृतिक कला अंकन हुआ है। यह प्राकृतिक अंकन युक्त उप स्तम्भ ऊपर जाकर सिरदल के बाह्य सिरदल का तीसरा स्तर निर्मित करता है।
किनारे से चौथे उप स्तम्भ जो कुछ मोटा है के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित हुयी है जिसके ऊपर ड्यूल है पुनः ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प अंकन हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है और पुनः सीधा कमल दल से घुंडी /कुम्भी निर्मित हुयी है। यहां से गोल उप स्तम्भ सीधा ऊपर जाता है व सिरदल से पहले उप स्तम्भ में उल्टा कमल दल , ड्यूल व सीधा कमल दल की घुंडियां निर्मित हुयी हैं। यहां सिरदल से निकला दीवालगीर कुम्भी के ऊपरी भाग से मिलता है।
इस उप स्तम्भ के पश्चात अंदर की ओर दो अन्य उप स्तम्भ हैं जिन पर प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है। अंकन गढ़वाली शैली का है।
खोली का सिरदल /मुरिंड /मथिण्ड कई स्तरों व कई आकार लिए हुए है। सिरदल /मुरिन्ड /मथिण्ड के तोरणम में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है। तोरणम के अंदर ऊपरी भाग में गणपति देव मूर्ती स्थापित है। तोरणम के सन्कध याने दोनों ओर के त्रिभुजों में अतिरिक्त सूरजमुखी पुष्प जैसी आकृति अंकन हुआ है।
खोली के ऊपर छप्परिका है जिसका आधार काठ। इस आधार से दसियों शंकु नुमा आकृतियां लटकी हैं। शंकुओं के मध्य एक विशेष आकृति निर्मित हुयी जो संभवतया कुरमक (कछुआ ) का प्रतीक है। यही आकृति दोनों ओर बने दीवालगीर में भी स्थापित है।
द्वार के मुरिन्ड /सिरदल के दोनों पहलुओं में छप्परिका से दोनों ओर दो दो दीवालगीर स्थापित हैं। दीवालगीरों व् द्वार के सिंगाड़ों मध्य स्तम्भ नुमा लंबी आकृति है जिस पर कुम्भी आकृति अंकित हैं जैसे उप स्तम्भों में। प्रत्येक दीवालगीर में कई पद (step ) हैं जो ऐसे लगते हैं जैसे पक्षी चोंच हो । उन उप पदों के ऊपर काष्ठ हाथी स्थापित हैं। प्रत्येक उप दीवालगीर के मध्य काष्ठ संरचना स्थापित है। यह तख्ता सपाट है।
पहले तल पर भवन मे भव्य तिबारी स्थापित है। तिबारी में 6 सिंगाड़/स्तम्भ हैं व 5 ख्वाळ हैं I प्रत्येक सिंगाड़ मे कला एक समान है I प्रत्येक सिंगाड़ /स्तम्भ के आधार देहरी पर स्थापित पत्थर के चौकोर डौळ के ऊपर स्थापित हैं। स्तम्भ का आधार अधोगामी पद्म दल से निर्मित कुम्भी स्थापित है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल है (round ring type wood plate ) व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकित है। पुष्प दल के ऊपर से स्तम्भ लौकी आकार धारण क्र ऊपर चलता है। जहां पर मोटाई सबसे कम है वहां उल्टा कमल फूल से कुम्भी निर्मित हुयी है। फिर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल से विशेष घुंडी निर्मित है। यहां से स्तम्भ से थांत (Cricket Bat Blade नुमा )
सूचना व फोटो आभार: संतन सिंह रावत
यह लेख भवन कला संबंधित है . भौगोलिक स्थिति व मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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