Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37242 times)

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1


मयकोटी (रुद्रप्रयाग )  में स्व पीतांबर दत्त वशिष्ठ के  भवन में गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,-
Traditional House wood Carving Art of  Mayakoti  , Rudraprayag         : 
  गढ़वाल, कुमाऊँ,उत्तराखंड की भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली , जंगलादार  मकान ) में गढवाली शैली  की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,- 348 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
-
 रुद्रप्रयाग से भी अच्छी संख्या में  गढ़वाली शैली  में निर्मित  काष्ठ  कला युक्त भवनों की सूचना मिलती जाती रही है। इसी क्रम में आज  मयकोटी  (रुद्रप्रयाग ) के स्व पितांबर दत्त  वशिष्ठ के  गढ़वाली शैली के काष्ठ युक्त भवन में   काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन पर चर्चा होगी।
  दिवाकर चमोली से सूचना  मिली  कि भवन 150  वर्ष पुराना होगा।  भवन दुपुर , दुखंड/दुघर/तिभित्या  भवन है। वर्तमान में छत टीन है।   भवन में काष्ठ कला दृष्टि से तिबारी ही महत्वपूर्ण है।  तिबारी पहले पुर /तल में स्थापित है।  तिबारी  चार सिंगाड़ /स्तम्भ की है व तीन ख्वाळ  की है।  तिबारी के सिंगाड़ /स्तम्भ देहरी पत्थर के आधार पर टिके  हैं।  सिंगाड़ /स्तम्भ के आधार की कुम्भी /घट उलटे कमल फूल से निर्मित हुए हैं , कुम्भै के ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दलअंकन हुआ है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकार ले ऊपर बढ़ता है व जहाँ सबसे कम मोटाई है वहां अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकित है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है।  यहां से स्तम्भ ऊपर की ओर  थांत  आकर ले ऊपर सिरदल से मिलता है।  यहीं से अर्धचाप भी बनता है जो सामने के स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर  तोरणम निर्माण करते हैं।  तोरणम के स्कंध में पुष्प व गुल्म पत्र का अंकन हुआ है।  तिबारी का सिरदल सुडौल कड़ी (बौळी =स्लीपर नुमा ) से निर्मित है।  इस कड़ी से प्रत्येक स्तम्भ के  थांत   के ऊपर
दीवालगीर प्रकट होते हैं।  प्रत्येक दीवालगीर में पक्षी चोंच व हाथी सूंड दृष्टिगोचर होती है।
 निष्कर्ष निकलता है कि मयकोटी (रुद्रप्रयाग )  में स्व पीतांबर दत्त वशिष्ठ के  भवन में प्राकृतिक , ज्यामितीय कला अलंकरण अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार:  दिवाकर चमोली 
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1

 घनशाली  (टिहरी गढ़वाल ) में एक भवन में विशेष गढवाली शैली की काष्ठ  कला,अलकंरण, उत्कीर्णन , अंकन

Traditional House Wood Carving Art of  Ghanshali ,Tehri   
  गढ़वाल, कुमाऊँ, देहरादून, उत्तराखंड भवन  (तिबारी, जंगलेदार, निमदारी ,बाखली, खोली, मोरी, कोटि बनाल  ) में गढवाली शैली की काष्ठ  कला,अलकंरण, उत्कीर्णन , अंकन- 349   

संकलन - भीष्म कुकरेती 
 -
टिहरी गढ़वाल से निरंतर काष्ठ कला युक्त भवनों की  सूचना  मिलती रहती है।  ऐसे ही घनशाली (टिहरी )  से एक भव्य भवन की सूचना मिली  जो गढ़वाली शैली  काष्ठ  कला अंकन की सृष्टि में  उच्च स्तर का भवन है।  घनशाली (टिहरी )  का  प्रस्तुत  भव्य भवन  दुपुर , दुखंड /दुघर /तिभित्या  है। 
भवन में गढ़वाली शैली की काष्ठ कला विश्लेषण हेतु भवन के भ्यूंतल (ground floor ) में खोली व पहले तल (first floor ) में तिबारी व  भव्य जंगले  पर ध्यान  है।
 घनशाली (टिहरी )  के  प्रस्तुत  भव्य भवन  के भ्यूंतल में भव्य खोली (आंतरिक सीढ़ी  का प्रवेश द्वार )  है।  खोली   पूर्वी उत्तराखंड जैसे  भ्यूंतल  से पहले  तल तक नहीं अपितु  भ्यूं तल में ही है।  खोली के  दोनों ओर मुख्य सिंगाड़  हैं जो उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से निर्मित हुए हैं।  उप स्तम्भ के आधार में अधोगामी  पद्म  पुष्प दल से कुम्बी निर्मित है जिसके ऊपर ड्यूल है व  ड्यूल के ऊपर  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है।  यहां से  उप स्तम्भ ऊपर बढ़ते हैं व शीर्ष से कुछ पहले  यही कुम्भियाँ प्रकट होती है इसके ऊपर उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड /मथिण्ड / सिरदल के स्तर  बन जाते हैं।  सिरदल के ऊपर भी एक संरचना है।  यह संरचना तोरणम नुमा है।   तोरणम के अंदर के चाप में सूर्यमुखी पुष्प व परं लता का अंकन हुआ है व मध्य में  चतुर्भुज देवमूर्ती स्थापित है।  तोरणम के स्कन्धों मे भी सूर्यमुखी पुष्प और लता -पर्ण का अंकन हुआ है।  तोरणम के उपर भी अलंकृत कड़ियाँ हैं। 
खोली के सिरदल के उभय दिशाओं मे उपर छज्जे के दासों से दीवालगीर  आये हैं।  दीवाल्गीरों मे  सिपाही  अथवा  पक्षी चोंच /केले के पुष्पनुमा जैसे कुछ आकृतियाँ अंकित हुयी है।
 घनशाली (टिहरी )  के  प्रस्तुत  भव्य भवन  में पहले तल में भव्य तिबारी स्थापित हुयी है।  घनशाली (टिहरी )  के  प्रस्तुत  भव्य भवन की तिबारी नौ खम्या /नौ सिंगाडया /नौस्तम्भी  है जिसमे  आठ ख्वाळ  हैं।  ख्वाळ  में जंगल भी स्थापित है।
 प्रत्येक स्तम्भ का  आधार  पर अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकन है जो कुम्भी निर्माण।   कुम्भी के ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है व यहां से स्तम्भ लौकी नुमा आकार ले कर ऊपर बढ़ता है।  जहां स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां  उल्टा कमल दल , ड्यूल व सीधा कमल दल अंकन हुआ है।   यहां से स्तम्भ ऊपर जाते थांत  रूप आकर धारण करता है व ऊपर शीर्ष /सिरदल /मुरिन्ड से मिल जाता है।  यहीं से स्तम्भ से अर्धचाप भी प्रकट होता है व सामने वाले स्तम्भ से निकलने वाले अर्ध चाप से मिलकर तोरणम करती है।  तोरणम /चाप के स्कन्धों के त्रिभुजों  में सूर्यमुखी नुमा पुष्प  व  पर्ण  लता का अंकन हुआ है।   

ख्वाल के आधार में डेढ़ फिट के लगभग रेलिंग में  I X I  की आकृति  स्थापित हुयी हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि  घनशाली के भव्य भवन में   काष्ठ कला में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण अंकन  हुआ है।  भवन भव्य व उच्च स्तर की कोटि में आता है। 
  सूचना व फोटो आभार:  भक्त  सिंह कंडारी   
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020/
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; House Wood carving Art from   Tehri;   


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1

   
मुखवा (गंगोत्री ) में  आधार भूत काष्ठ शैली के एक  भवन  (भवन 2 )  में  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, 
  Traditional House wood Carving Art in ,   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में गढवाली शैली के  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- 350

 संकलन - भीष्म कुकरेती     
-
 मुखवा व गंगोत्री क्षेत्र से काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचना निरंतर मिलती जा रही हैं।  मुखवा से काष्ठ  भवनों की सूचना हेतु  रजत  सेमवाल (जिनका  परिवार गंगोत्री मंदिर में पुजारी पद पर हैं )  का योगदान  उल्लेखनीय है। 
प्रस्तुत भवन (मुखवा में भवन संख्या 2 )  एक आधारभूत शैली का भवन है।  प्रस्तुत भवन हमें मार्ग दिखलाता है कि  गढ़वाल   कुमाऊं (विशेषतर उत्तरी उत्तराखंड )  में काष्ठ  भवनों का विकास किस भाँतु हुआ होगा। 
प्रस्तुत भवन बिलकुल आधारभूत  काष्ठ भवन  है व संभवतया जन कुल्हाड़ी व छेनी आदि उत्तरकाशी में उपलब्ध हुआ होगा तो इसी शैली से भवन निर्मित हुए होंगे।   अर्थात  भवन शैली 1000  वर्ष पुरानी ही होगी। 
 मुखवा का प्रस्तुत भवन  आधार बहुत भवन है व भ्यूं तल भवन दृष्टिगोचर हो रहा है।   भवन बौळियों /कड़ियों पर टिका है।  भवन की  भित्तियां /दीवार  तख्ते याने सपाट हैं व खड़े में स्थापित की  गए हैं।   छत /छाद: भी सपाट तख्तों से निर्मित हुए हैं।  भवन त्रिभुज नुमा व आधार भूत है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  मुखवा के भवन संख्या 2 , एक आधारभूत  शैली का काष्ठ भवन है  व प्रस्तुत भवन का महत्व उत्तराखंड में भवन शैलियों के विकास को समझने  हेतु आवश्यक  है।   भवन में खिन भी मिट्टी  व गारा पत्थर उपयोग नहीं हुआ है
सूचना व फोटो आभार :  रजत सेमवाल ,  मुखवा   
 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari , Uttarkashi Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi ,Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
 
 
लाखामंडल (जौनसार , देहरादून )  के भवन  संख्या 3  में   गढ़वाली शैली में   काष्ठ कला अंकन - अलंकरण

  Traditional House wood Carving Art of lakhamandal,  Jaunsar  , Dehradun   
 गढ़वाल,कुमाऊँ,उत्तराखंड,भवन  (तिबारी,निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,छाज  कोटि बनाल )  काठ कुर्याण  की  गढ़वाली शैली में   काष्ठ कला अंकन - अलंकरण-351   

 संकलन - भीष्म कुकरेती
-
पश्चिमी उत्तराखंड  (उत्तरकाशी से जौनसार तक )  काष्ठ कला युक्त विभिन्न  आकारों व शैलियों के  भव्य भवनों के लिए जग प्रसिद्ध हैं।   ऐसे ही आज जौनसार के लाखामंडल के एक भवन (भवन संख्या 3 ) की काष्ठ शैली व कला , अलंकरण अंकन पर चर्चा होगी। 
लाखामंडल में प्रस्तुत भवन  एक आधारभूत शैली (Basic  style )  का 1 1 /2   पुर (डेढ़ तलों का )  , दुखंड भवन है।  भवन  पत्थरों या  सीमेंट  के आधारों पर टिका है।  तलाधार की कड़ी मोटी  व शक्तिशाली है।  इसी प्रकार त्रिभुजाकार अटारी भी कई पट्टियों  /तख्तों से निर्मित है।  छत आधार व दीवारों के कड़ियाँ भी ज्यामितीय कटान से निर्मित हैं व  सपाट  शैली  की है।  भवन में काष्ठ कला दृष्टिगोचर हेतु सामने की तिबारी नुमा संरचना पर ध्यान देना होगा।  गढ़वाल में  अधिकतर  तिबारियां  पहले तल में होती हैं किंतु यह भवन विशेष  जिसमें तिबारी संरचना भ्यूंतल (ground floor ) में है। तिबारी संरचना में 9 या 10  सिंगाड़ /स्तम्भ दिख रहे हैं।  स्तम्भों के मुरिन्ड  /शीर्ष Header में तोरणम है।  प्रत्येक स्तम्भ के आधार में व ऊपर मुरिन्ड से कुछ नीचे अधोगामी  पद्म पुष्प दल, ड्यूल व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प आकृतियां अंकित हैं।  ऊपरी उर्घ्वगामी पद्म पुष्प के ऊपर चारदलीय पुष्प X आकार  में अंकित हुआ है।  यहीं से अंदर की ओर  अर्धचाप निकलता है जो सामने वाले स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर तोरणम का चाप (arch ) निर्माण करता है।  तोरणम में बाह्य स्तर  तीक्ष कटान लिए  नहीं है अपितु तिपत्ति (trefoil ) का है।  तोरणम के स्कंध के त्रिभुजों में प्राकृतिक अलंकृत अंकन हुआ है।
 भवन नया लगता है संभवतया होम स्टे हेतु निर्मित हुआ होगा।  प्रस्तुत भवन यह भ्रान्ति  निवारण करता है कि  गढ़वाली शैली के भवन नहीं निर्मित होते हैं। 
 लाखामंडल के  प्रस्तुत भवन (संख्या 3 )  में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण अंकन हुआ है।  देव, पशु  या मानव आकृतियां  दृष्टिगोचर नहीं हो रही हैं। 

सूचना व फोटो आभार: अशोक उनियाल
  * यह आलेख भवन कला अंकन संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  Traditional House wood Carving Art of   Dehradun ,    Garhwal  Uttarakhand , Himalaya   to be continued 
ऋषिकेश , देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;  देहरादून तहसील देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   विकासनगर  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   डोईवाला    देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन  ;  जौनसार ,  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
     
धानाचुली  (नैनीताल ) के  भवन संख्या 3  में   कुमाऊं शैली के 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अंकन,अलंकरण 

   Traditional House Wood Carving Art in Dhanachuli ,  Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल,  उत्तराखंड के भवन ( बाखली,  तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान,  खोली , कोटि बनाल)  में 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अंकन,अलंकरण - 352 
संकलन - भीष्म कुकरेती
-
धानाचुली ( नैनीताल कुमाऊं ) पारंपरिक भवनों  के अर्थ में बहुत भाग्यशाली क्षेत्र है।   धानाचुली  से कई भवनों की सुचना मिल रही हैं।  चूँकि मित्र इस क्षेत्र में पर्यटक रूप में यात्रा कर  रहे हैं व छायाचित्र  भेज रहे हैं व भवन के स्वामित्व की जानकारी नहीं मिल पा रही है। 
  आज धानाचुली  के पारंपरिक  भवन संख्या 3  के विशेष काष्ठ  कला अंकन पर चर्चा होगी।
  धानाचुली  (नैनीताल ) के  भवन संख्या 3  एक  दुपुर -दुखंड भवन है जो एक बाखली का भाग लगता है।     धानाचुली  (नैनीताल ) के  भवन संख्या 3  एक जीर्ण शीर्ण भवन है जिसकी छत टिन की है याने भवन का जीर्णोद्धार हुआ था।  संरचना से स्पष्ट है कि  भ्यूंतल  (ground floor ) में भंडार व गौशाला रही होगी।  भंडार या गौशाला के उपर  महीन कला युक्त शहतीर / मोटी चौखट बौळी है।  इस बौळी (beem ) चौखट शक्तिशाली व  छुड़ा भी है संभवतया एक फ़ीट लगभग चौड़ा।  बौळी के निम्न भाग व ऊपरी भाग में >> नुमा  (तीर का  अग्र  भाग ) अंकन हुआ है जो आकर्षक छवि प्रदान करता है।  बौळी/मोटी बल्ली  का मध्य भाग सपाट  है।  बल्ली के ऊपर संभवतया मिट्टी पत्थर के बल्ली जिसके ऊपर छाज/झरोखा  स्थापित है। दूसरी  बल्ली के ऊपर द्वार स्थापित है। 
छाजों /झरोखों के दोनों ओर   उपस्तम्भों के युग्म से निर्मित मुख्य स्तम्भ हैं।  मुख्य द्वार के उप स्तम्भ /सिंगाड़  व छाजों के सिंगाड़  /स्तम्भ  कला व आकर में समरूप हैं।  उप स्तम्भ आकार (मोटाई ) में भीं हैं किन्तु कला दरसिहति से एक समान है अतः  एक उप स्तम्भ के कला विवरण छाजों व मुख्य द्वार के उप स्तम्भों का विवरण एक ही होगा। 
उप स्तम्भों के आधार पर  अधोगामी पद्म  पुष्प दल अंकन से कुम्भी /घट निर्मित हुआ है जिसके ऊपर  ड्यूल है ड्यूल के ऊपर कम खिला  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल व उसके ऊपर पूर्ण रूप से खिला उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प दल है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकर ले लेता  .है व  जहां सबसे कम मोटाई है वहां  अधोगामी कमल फूल का अंकन हुआ है जिसके ऊपर  सीधा कमल दल पुनः ड्यूल व सीधा खिला कमल दल का अंकन हुआ है। पुनः कमल दल है व कमल दल के ऊपर  विशेष पुष्प या पर्ण  का अंकन हुआ है। निम्न वाले उर्घ्वगामी पदम् पुष्प के ऊपर सर्पीली मोटी लता व विशेष पर्ण  आकृतियां अंकन हुआ है।  यह अंकन इस भवन की विशेष्ता है व बहुत काम कुमाऊं के छाज उपस्तम्भों में अब तक मिला है।  उप स्तम्भ ऊपर सिरदल /शीर्ष /मुरिन्ड  है व सिरदल /header /मुरिन्ड  के नीचे  आकर्षक  , कलायुक्त तोरणम /चाप है।   
दूसरे   स्तम्भ  में   आधार के ऊर्घ्वाकर पद्म पुष्प के ऊपर  से  सांकळ /लता नुमा व हृदय /अंडा  /जिव्हा आकृति  के अंदर पत्तियों का अंकन   शीर्ष /header   तक हुआ है  . यह  महीनतम  अंकन  अति प्रशंसनीय है व कलाकार के  योग ध्यान का उदाहरण है।  छाज के दो आंतरिक उप स्तम्भ निम्न तल के मुरिन्ड /शीर्ष /header  निर्माण करते हैं तो बाह्य  उप स्तम्भ ऊपरी तल के मुरिन्ड /शीर्ष।   शीर्ष की कड़ियों में भी महीन पर्ण /लता या सांकल /निरंतर छला नुमा अंकन हुआ है व अंडा /जिव्हा आकृति अंकन भी हुआ है।  ऊपरी मुरिन्ड  में भी  प्राकृतिक अंडा /जिव्हा के अंदर भी महीन अंकन का अंकन हुआ है। कलयुक्त ऊपरी शीर्ष के ऊपर सपाट बौळी /बल्ली है। 
   तोरणम के स्कंदों में भी  लघुतम अंडा/जिव्हा आकर  आकृति /सांकळ /जंजीर जैसे अंकन हुआ। है  तथा स्तम्भ त्रिभुजों में कमल पुष्प  किनारे से लटके दृष्टिगोचर हो रहे हैं।   यहां भी महीन अंकन का उदाहरण है व कललकर को नमन करना आवश्यक है।   

सूचना व फोटो आभार: नवीन पांडे 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital; Traditional House Wood Carving Art in Haldwani ,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar , Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण    ,


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
मझली कोट ( भिकियासैण अल्मोड़ा ) के एक भवन में  कुमाऊं  शैली की   'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण
Traditional House Wood Carving art of , Majhali Kot , Bhikiyasain  Almora , Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, उत्तराखंड  के भवन ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )  में  कुमाऊं  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण,-   353
 संकलन - भीष्म कुकरेती
-
 प्रसन्नता का विषय है कि  अल्मोड़ा से भी अच्छी संख्या में  कुमाऊं शैली  की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचना नरंतर मिलती जा रही है। 
इसी क्रम में आज मझली कोट (भिकियासैण , अल्मोड़ा ) के एक  पुनर्जीवित भवन में कुमाऊं शैली  की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला , अंकन , अलंकरण का विश्लेषण किया जायेगा।  भवन में पुरातन पण  संरक्षित रखा गया है। 
मझली कोट (भिकियासैण , अल्मोड़ा ) के  प्रस्तुत भवन  के  कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला , अंकन , अलंकरण  विश्लेषण   हेतु तीन स्थलों पर ध्यान देना आवश्यक है -
१- मझली कोट (भिकियासैण , अल्मोड़ा ) के  प्रस्तुत भवन  की  खोली में कुमाऊं शैली  की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला , अंकन , अलंकरण
२- मझली कोट (भिकियासैण , अल्मोड़ा ) के  प्रस्तुत भवन  के छाजों में कुमाऊं शैली  की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला , अंकन , अलंकरण 
३- मझली कोट (भिकियासैण , अल्मोड़ा ) के  प्रस्तुत भवन  के लघु मोरियों /खिड़कियों में कुमाऊं शैली  की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला , अंकन , अलंकरण 
शेष स्थलों अर्थात अकमरो के दरवाजे सपाट  है। 
भवन दुपुर , दुखंड।/तिभित्या  है।  संभवतया भवन किसी महा बाखली का अंग रहा होगा। 
१- मझली कोट (भिकियासैण , अल्मोड़ा ) के  प्रस्तुत भवन  की  खोली में कुमाऊं शैली  की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला , अंकन , अलंकरण :-
  प्रस्तुत भवन में खोली  भ्यूंतल (ground floor ) से चल पहले तल (first floor ) तक गयी है।   खोली की विशेषता खोली दोनों ओर  चार से अधिक  उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित मुख्य स्तम्भ /सिंगाड़ हैं।   उप स्तम्भ /सिंगाड़  दो प्रकार के हैं।  एक प्रकार के उप  सिंगाड़/ स्तम्भ आधार से ही पज्यामितीय कटान से निर्मित सिंगाड़ हैं जिनमे उभर -गहराई (flute -Fleet ) का कटान हुआ है।  ये स्तम्भ ऊपर जाकर सिरदल / मुरिन्ड /मथिण्ड /Header  का अंग बन जातेहैं।  दूसरे प्रकार के उप स्तम्भों के आधार में उल्टे कमल फूल से कुम्भी /घट  निर्मित होता है , इसके ऊपर ड्यूल है ड्यूल के ऊपर सीधा कमल पुष्प दल अंकन हुआ है।  यहां से स्तम्भ   उभार  -गहराई युक्त हो सीधा हो ऊपर मुरिन्ड /सिरदल /header  के अंग बन जाते हैं। 
सिरदल /मुरिन्ड /header  चौखट आकार का है जिस पर एक देव आकृति स्थापित की गयी है। 
२- मझली कोट (भिकियासैण , अल्मोड़ा ) के  प्रस्तुत भवन  के छाजों में कुमाऊं शैली  की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला , अंकन , अलंकरण   :- 
 भवन में खोली के दोनों ओर  एक एक छाज झरोखा /गवाक्ष/ ढुड्यार  हैं।  छाज  के दोनों  ओर  मुख्य स्तम्भ /सिंगाड़  है।   उप स्तम्भ दो ही प्रकार के हैं जैसे खोली के उप स्तम्भ।  उप स्तम्भों में कुम्भी /घट निर्माण उसी तरह है जैसे खोली के उप स्तम्भों में।  केवल एक अंतर् है कि  छाज के उप स्तम्भों में उलटे कमल दल व सीधे कमल दल की पुनरावृति होती है।  छाज  का  मुरिन्ड /मथिण्ड  भी खोली की प्रतिलिपि ही है।  चाजों के आधार पर जंगला (लघु स्तम्भों से निर्मित  रेलिंग ) है।  जल के लघु स्तम्भ बेलन नुमा हैं।  भवन की विशेषता है कि  आम कुमाउँनी शैली के स्थान पर खोली व छाज के मुरिन्ड /header  तोरणम विहीन हैं। 
३ - मझली कोट (भिकियासैण , अल्मोड़ा ) के  प्रस्तुत भवन  के लघु मोरियों /खिड़कियों में कुमाऊं शैली  की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला , अंकन , अलंकरण  : -
 
 भवन की विशेषता  इसके प्रत्येक तल (floor ) में   तीन तीन  मोरियाँ लघु खिड़कीयाँ  हैं।  खिड़की के बाह्य ऊपर  मिटटी पत्थर के तोरणम   हाँ तो आंतरिक तोरणम कष्ट का है।  खड़की के दरवाजों पर  व ऊपर तोरणम स्कन्धों में देवीय आकृतियां अंकित हैं।  यह एक विशेष्ता भवन की है।  तोरणम में देव आकृति चतुर्भुज लगती है। 
 निष्कर्ष निकलता है कि   मझली कोट (भिकियासैण , अल्मोड़ा ) के  प्रस्तुत भवन  में  कुमाऊं काष्ठ  अंकन शैली में प्राकृतिक, ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है।  भवन की कला उच्च स्तर की मानी जाएगी। 
सूचना व फोटो आभार : जगदीश तिवारी 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
इसेरा  (चम्पावत ) के  भवन संख्या 1   में कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन , उतकरणंन ,  अलंकरण,


Traditional House Wood carving Art of   Isera ,  Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, उत्तराखंड  के भवन ( बाखली,  तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान , खोली ,कोटि बनाल )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण,-354
 संकलन - भीष्म कुकरेती
-
 शनै  शनैः  चम्पावत से भी  परंपरागत भवनों की सूचना  मिलने लगी है।     आज इसेरी   के भवन संख्या 1  की /तख्त कला पर चर्चा होगी।  भवन जंगलेदार श्रेणी (balcony  type ) श्रेणी का भवन है तथा भवन एक बाखली का भाग है।  प्रस्तुत काष्ठ  जंगलेदार  भवन जटिल भी है व सरल भी है।  भवन तिपुर , दुखंड /दुभितर शैली का है। 
   इसेरी   के  भवन संख्या 1   में   भ्यूं  तल (ground floor ) में दो  कक्ष हैं व उनके द्वारों पर कोई विशेष कला या अंकन दृष्टिगोचर नहीं हो रही है।  भ्यूंतल के ऊपर पहला  तल  भ्यूं  तल के ऊपर काष्ठ के कड़ियों /बौळियों /wood slab  के ऊपर टिका  है।     पहले तल में बाहर की ओर   बड़ा बरामदा है व जिसके अंदर परंपरागत  छाज /झरोखे हैं।  बरामदे /बालकोनी में  छह स्तम्भ हैं जो सपाट हैं व आधार से लेकर एक समान है जो ऊपर दूसरे  तल के स्लैब /बौळी  से मिलते हैं जो वास्तव में बरामदे का सिरदल /मुरिन्ड  भी है। स्तम्भ के आधार में रेलिंग हैं व सपाट उप स्तम्भ से जंगला निर्मित हुआ है। 
 बरामदे के अंदर  चार छाज /झरोखे  दृष्टिगोचर  हो रहे हैं।   छाजों /झरोखों / गवाक्षों /ढुड्यारों  के द्वारों पर मुख्य स्तम्भ हैं जो उप स्तम्भों के युग्म /योग से   निर्मित  हैं।  पहले प्रकार के  उप स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित हुयी है जिसके ऊपर ड्यूल है, ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल से निर्मित कुम्भी /घट  है। 
इसके ऊपर स्तम्भ सीधा ऊपर जाता है किन्तु कुछ ऊंचाई पर पुनः इसी क्रम में अधोगामी पुष्प , ड्यूल व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल का अनुसर होता है।  यहीं से छाज /ढुड्यार  का तोरणम / मेहराब भी शुरू होता है। 
छाज के अंदर झरोखा ऊपर अंडाकार है व तोरणम युक्त है।  छाज के छेद /ढुड्यार  के निम्न  तल में पटिला/तख्ते हैं। 
तीसरे तल (third  floor ) का बरामदा  काष्ठ  के मोटे  स्लैब/बौळी  पर टिका है।     बौळी के ऊपर पर्ण -लता -पुष्प का प्राकृतिक अलंकृत कला अंकन हुआ है।  उत्कीर्णन महीन है। 
तीसरे तल का बरामदा काष्ठ  तख्तों से निर्मित पैनलों से ढके हैं।  कुछ पैनल्स /तख्ते /पटला सपाट हैं व कुछ तख्तों /पटिलों में भिन्न प्रकार के पुष्प दल जैसे सरसों पुष्प दल या अन्य पुष्प दलों का उत्कीरण हुआ है।   एक   पैनल /तख्ते के  दोनों  लघु पैनल्स में नर्तकी अथवा कोई देव आकृति का अंकन हुआ है।  यह इस भवन की विशेष्ता है।   
तीसरे तल क ऊपर की कड़ी के बाहर  कलात्मक पतला पटिला  लटका दिख रहा है जिस पर सूर्यमुखी परिवार के फूलों  के आकर का अंकन हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है कि  भवन में प्राकृतिक , ज्यामितीय कटान से व मानवीय अलंकरण कला अंकन हुआ है।  भवन अपने समय का उत्कृष्ट भवन था इसमें दो मत नहीं हो सकते हैं। 
 
सूचना व फोटो आभार :  बसंत पांडे 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali  House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  ; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
Sinful Thoughts bring Bad Results
General Rules of Morality -7
 CEO must understand the Etiquette and Behavioural Science – 7
 (CEO-Logy, the science of CEO’s working based on Shukra Niti)
(Examples from Shukra Niti helpful for Chief executive Officer)
Successful Strategies for successful Chief executive Officer – 196
Guidelines for Chief Executive Officers (CEO) series – 196     
By: Bhishma Kukreti (Management Acharya)
s = आधी अ
-
मनसा चिन्तयन पापं कर्मणा नाभिरोचयेत् II9
तत् प्राप्नोति फलं तस्येत्येव धर्मविदो विदु: I
  One should not act as per sinful thoughts in mind. According to religious scholars, man has to enjoy the effects of sinful acts. 

(Shukra Niti Second Chapter Raja, Rashtra VA Samanya Lakshan, 9)   
References                     
1-Shukra Niti, Manoj Pocket Books Delhi, page -124   
Copyright@ Bhishma Kukreti, October, 2020
Guidelines for Bad thoughts bring bad results for  Chief Executive Officer; Guidelines for Bad thoughts bring bad results for Managing Director; Guidelines for Bad thoughts bring bad results for Chief Operating officer (COO); Guidelines for Bad thoughts bring bad results for  General Manager; Guidelines for Bad thoughts bring bad results for Chief Financial Officer (CFO) ; Guidelines for Bad thoughts bring bad results for Executive Director ; Refreshing Guidelines for Bad thoughts bring bad results for  CEO; Refreshing Guidelines for Bad thoughts bring bad results for COO ; Refreshing Guidelines for Bad thoughts bring bad results for CFO ; Refreshing Guidelines for Bad thoughts bring bad results for  Manager; Refreshing Guidelines for Bad thoughts bring bad results for  Executive Director; Refreshing Guidelines for Bad thoughts bring bad results for MD ; Refreshing Guidelines for Bad thoughts bring bad results for Chairman ; Refreshing Guidelines for Bad thoughts bring bad results for President



Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1


कुटी ( धारचूला , पिथौरागढ़  में   भवन  संख्या 1  की  कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन 
   Traditional House Wood Carving Art  iof  Kuti , Dharchula   , Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,उत्तराखंड, के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,जंगलेदार  मकान,खोली,कोटि बना  )  में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन -356   
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
-
 पिथौरागढ़ का सीमावर्ती क्षेत्र धारचूला से  कई भवनों की सूचनाएं उपलब्ध हैं।  प्रस्तुत है  धारचूला तहसील के  कुटी गाँव से भवन  संख्या 1 की  कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन पर चर्चा। 
कुटी का प्रस्तुत भवन  (संख्या १) दुपुर(दो तल वाला ) , दुखंड /दुघर शैली का है।   भवन संभवतया किसी बाखली का प्रमुख भाग है।  भवन में  भ्यूं तल (ground floor )  में
कक्षों के द्वारों में  ज्यामितीय कटान से निर्मित  सपाट द्वार व सिंगड़ ही हैं।  दो खोली है जो द्योत्तक कि  भवन कभी बाखली (समूह का चिपके भवन )  ही थी।  खोली में काष्ठ कला व अंकन आकर्षक व प्रशंसनीय है।  खोली भ्यूं*भूमि तल  से पहले तल तक पंहुची हुयी है।   खोली के दोनों ओर मुख्य स्तम्भ /सिंगाड़  हैं जो कई उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं। 
खोली के मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ में दो प्रकार उप स्तम्भ हैं।  पहला उप  स्तम्भ प्रकार है जिसके आधार में कमल पुष्प अंकन से कोई घुंडी /कुम्भी निर्मित नहुी  हुयी है।  उप स्तम्भ मूल से ही प्रकृकित कला अंकन (लता , पर्ण )  से युक्त हो ऊपर मुरिन्ड /सिरदल /header का स्तर बनता है।   दूसरे प्रकार के उप स्तम्भ में कलमल फूलों के अंकन से घट /कुम्भियाँ निर्मित  हुयी हैं।   ऐसे उप स्तम्भ के मूल  में  अधोगामी पद्म पुष्प  अंकन से कुम्भी /घट निर्मित हुआ है। कुम्भी के ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प निर्मित हुआ है। यह कला  दो बार उतपन्न होती है।   यहां से स्तम्भ सीधा हो ऊपर मुरिन्ड /सिरदल का स्तर (layer ) बनने चढ़ते हैं।  यहाँ से उपस्तम्भों में प्राकृतिक कला अंकन हुआ दृष्टिगोचर हो रहा है। 
खोली का निम्न तलीय  मुरिन्ड  चौखट नुमा है, मुरिन्ड  के स्तर उप स्तम्भों से निर्मित हुए हैं   व इसके ऊपर कोई देव आरती स्थापित की गयी है।  मुरिन्ड  के इस /सिरदल /header  के ऊपर भी एक चौखट काष्ठ  आकृति निर्मित हुयी है।  आकृति के दूँ और व ऊपर उप स्तम्भ आकृति के वस्तु सजे हैं। बाह्य उप स्तम्भ या स्तर में सांकळ /chain या सर्पीली लता का अंकन हुआ है जबकि आंतरिक उप संभिय संरचना में खोली के उप स्तम्भों जैसे ही पद्म पुष्प अंकन से कुम्भी /घट /घुंडी निर्मित हुए हैं।  प्रस्तुत चौखट संरचना के मध्य कोई शगुन की देव आकृति अंकित है।  चित्र में यह देव आकृति किसी पशु सर सा दृष्टिगोचर हो रहा है। दोनों खोलियों में एक सामान कला अंकन हुआ है। 
 कुटी ( धारचूला , पिथौरागढ़  में   भवन  संख्या 1  में पहले तल (first floor ) में दो छाज /गवाक्ष /झरोखे /ढुड्यार  हैं।  छाज के दोनों ओर उप स्तम्भों के योग से निर्मित मुख्य स्तम्भ हैं। उप स्तम्भ दो प्रकार के हैं सर्पिल लता अंकित व घुंडी /कुम्भी जस अंकित युक्त उपस्तम्भ।  दोनों प्रकार के उप स्तम्भ कला में खोली के पूरे प्रतिरूप (Copy ) हैं।   छाज के मूल के तख्ते में आकर्षक   कला अंकन हुआ है।   उप  स्तम्भों  के ऊपरी  कुम्भी के ऊपर परं , पुष्प व  S  नुमा लता युक्त कला अंकन हुआ है। उप स्तम्भों में इस प्रकार की विशेष अंकन कला धारचूला के कई अन्य गांवों में  भी  मिलती हैं।  एक छाज के ढकने के ऊपर/सभी पैनलों के ऊपर   सर्वथा विशेष  नयनाभिरामी कला अंकन हुआ है। 
छाज के अंदर सिरदल के नीचे तोरणम है व तोरणम के स्कन्धों में अंकन हुआ है। 
 निष्कर्ष निकलता है कि  महीन अंकन कला से युक्त कुटी ( धारचूला , पिथौरागढ़ )  में   भवन  संख्या 1  में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय कला अलंकरण अंकन हुआ है।  भवन कला  व शैली दृष्टि से  उच्च स्तरीय  था।   अब जीर्ण शीर्ण हो चुका है। 
खंड/दुघर  = बाहर एक कक्ष व अंदर दूसरा कक्ष
तिभित्या  = तीन भीत /भित  याने तीन दीवारे जो दो कक्ष बनाते है
ढुड्यार - अंडाकार   छेद
सूचना प्रेरणा : सचिदानंद सेमवाल 
  फोटो आभार: अमित शाह   (काफल )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी, बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
 
पाली , इड़िया (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल )  में  रावत  परिवार के भवन में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन
    Tibari House Wood Art in House of Pali Iriya, Dhumakot    , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ, उत्तराखंड,की भवन (तिबारी,निमदारी,जंगलादार मकान,,बाखली,खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन -357
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
-
 धुमाकोट क्षेत्र अपनी विशिष्ठ तिबारियों हेतु ब्रिटिश काल में ही प्रसिद्ध क्षेत्र था।   आज इस क्रम  में पाली , इड़िया (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल )  में  रावत  परिवार के भवन में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन  पर चर्चा होगी।
  पाली इड़ा  में   रावत परिवार   का भवन  दुपुर , दुखंड  है।  ऐसा प्रतीत होता है कि  भवन का जीर्णोद्धार हुआ है।   
भवन में काष्ठ  कला दृष्टि से तिबारी व जंगले  पर ध्यान देना होगा।
तिबारी के बाहर चार छह सपाट  स्तम्भों का जंगला स्थापित हुआ है। लगता है जंगला  रक्षा हेतु बांधा गया है।
तिबारी में 6  (छह ) सिंगाड़/ स्तम्भ लगे हैं।  प्रत्येक सिंगाड़ आकार , आकृति , कला में एक समान ही है।  सिंगाड़  के आधार में  अधोगामी (उल्टा ) पद्म पुष्प दल से कुम्भी /घट निर्मित हुआ है जिसके उप ड्यूल है और ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है।  पदम् पुष्प दल से स्तम्भ  लौकी आकार धारण कर ऊपर बढ़ता है।  जहां पर स्तम्भ सबसे कम मोटा है वहां तीन चूड़ियां  (ड्यूल ) एक के ऊपर अंकित हुयी है।   सबसे ऊपरी चूड़ी के ऊपर चौकोर उर्घ्वगामी  कम खिला कमल दल  है।  आधार से इस कमल दल तक साड़ी संरचना के ऊपर पर्ण -लताओं का अंकन भी हुआ है। इस चोर कमल दल के ऊपर आकर्षक फर्न पत्तीनुमा  व जिह्वा पत्ती नुमा  प्राकृतिक अंकन हुआ है। 
 स्तम्भ के ऊपरी कमल भाग से स्तम्भ के ऊपर एक थांत आकृति (Cricket bat blade shape ) ।यह थांत  सीधे ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड  की कड़ी /बौळी  से मिलता है।  मुरिन्ड  की कड़ी के ऊपर भी सुंदर अंकन हुआ है। 
मुरिन्ड के नीचे  तोरणम/arch  भी  लगाए  गए हैं और तोरणम  के स्तम्भों में आकर्षक  पर्ण  लता की  चित्रकारी हुयी है।   मुरिन्ड के ऊपर छत आधार पर  पांच छह काष्ठ आकृतियां भी बिठाई गयी हैं जैसे + हों। 
 तिबारी के दोनों अंचलों /corner   में  में दीवालगीर  स्थापित हैं ऊपरी स्तर  पर हाथी स्थापित है व निम्न स्तर पर संभवतया घोडा या अन्य कोई पशु। 
 निष्कर्ष निकलता है कि पाली , इड़िया (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल )  में  रावत  परिवार के भवन में  प्राकृतिक, ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है।  भवन  कला दृष्टि से उत्तम प्रकार है।   

सूचना व फोटो आभार: मनोज मधवाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020


 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22