Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 38122 times)

Bhishma Kukreti

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रामडा  तल्ला (गैरसैण , चमोली ) में दरबान सिंह की खोली   गढ़वाली  शैली की   'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन 

   House Wood Carving Art  from  Ramda  Talla  , Gairsain  Chamoli   
 गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली , खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में  गढ़वाली   शैली की   'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन, - 358
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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चमोली व रुद्रप्रयाग में ब्रिटिश काल में खोलीनुमा (आंतरिक सीढ़ी का प्रवेशद्वार ) भवनों का प्रचलन में वृद्धि हुयी. और खोली को बहुत अधिक महत्व दिया गया।  इसी क्रम में आज रामडा तल्ला  (गैरसैण , चमोली ) में डरबन सिंह के भवन की खोली में काष्ठ कला अंकन पर चर्चा होगी। 
खोली के दोनों ओर  मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ  पांच पांच उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं।  उप स्तम्भ दो प्रकार के उप स्तम्भ हैं।  एक प्रकार के उप स्तम्भों में  आधार से ही सांकळ /spiral /लता  कला युक्त हैं व ये स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड /मथिण्ड /header के स्तर बन जाते हैं। 
दूसरे भांति के उप स्तम्भों के आधार में  अधोगामी पद्म पुष्प से कुम्भी /घट निर्मित होता है।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल  /गोल छल्ला है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी कमल पुष्प खिला अंकन हुआ है।  यहां एक ड्यूल है व पुनः सीधा कलम  पुष्प खिला है।  यहां से उप स्तम्भों में सांकळ /लता /spiral  प्राकृतिक कला शुरू हो जाती हैं।  सभी उप स्तम्भ ऊपर जाकर  खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड के स्तर बन जाते हैं।  इस तरह खोली के मुरिन्ड /सिरदल मके स्तरों में लता /सांकळ  नुमा कला अंकन हुआ है।
खोली के मुरिन्ड के  तीन भिन्न भाग हैं।  खोली के मुरिन्ड /सिरदल के तल भाग में आंतरिक तोरणम /arch/ मेहराब  निर्मित हुआ  है। तोरणम के स्कन्धों में फर्न नुमा पत्तियों  का आकर्षक अंकन हुआ है। 
मुरिन्ड /सिरदल के तोरणम के   ऊपर  चतुर्भुजीय , आभूषण युक्त गणेश मूर्ति अंकित है।  मुरिन्ड /सिरदल के मध्य भाग में अशोक चक्र  स्थापित है।   
मुरिन्ड / सबसे ऊपर  किनारों   पर हाथी  अंकित   हैं व मध्य में   पुष्प  गुच्छा व गुच्छे के ओर  चलते पत्तियों का अंकन हुआ है। 
रामदा तल्ला में दरबान सिंह की खोली  उच्चकोटि की है जिसमे तीनो प्रकार का अलंकरण हुआ है। 
खोली के शिल्पकार  औतारु थे। 
सूचना व फोटो आभार: नरेंद्र बरमोला   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी


Bhishma Kukreti

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स्यूंटला (रुद्रप्रयाग)में बर्त्वाल परिवार के भवन में  काष्ठ कला

स्यूंटला ( रुद्रप्रयाग )   में  बर्त्वाल परिवार के भवन में गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन
Traditional House wood Carving Art of  Syuntala, Rudraprayag         : 
  गढ़वाल, कुमाऊँ,उत्तराखंड की भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली , जंगलादार  मकान ) में गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन-359   
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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रुद्रप्रायग से प्रतिदिन हीन  से हीन  एक भवन की सूचना मिलती रहती है।  आज इसी क्रम में स्यूंटला के पधान परिवार बर्त्वालों  के  दो तिबारियों वाले भवन (सुशिल बर्त्वाल भागीदार )  की  काष्ठ कला पर चर्चा की जाएगी।
पधान परिवार बर्त्वालों का भवन दुपुर , दुखंड (दुघर ) है।  भवन में काष्ठ कला , अलंकरण दृष्टि से भवन के पहले तल में तिबारी के स्तम्भों के अतिरिक्त खिन विशेष काष्ठ कला अलंकरण नहीं मिलते हैं।  भवन में पहले तल में दो तिबारियां हैं।  प्रत्येक तिबारी छह छह सिंगाड़ों /स्तम्भों की तिबारियां हैं।  सभी स्तम्भ एक सामान हैं व चौखट हैं।  स्तम्भों के आधार में कटान घुंडी /कंगन नुमा आकृति बनी हैं।  यही मुख्य विशेषता बर्त्वालों के भवन की है।  स्तम्भ ऊपर चौखट कड़ी के मुरिन्ड/मथिण्ड /header से मिलते हैं। 
आश्चर्य है कि रुद्रप्रयाग व चमोली की विशेष परम्परा नुसार बर्त्वालों के भवन में कोई खोली दृष्टिगोचर नहीं हो रही है।
भवन भव्य है किन्तु काष्ठ में ज्यामितीय कटान  की कला ही दृष्टिगोचर होती है।   
सूचना व फोटो आभार:  दीपक गौड़
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


Bhishma Kukreti

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डोभ  (चन्द्रवदनी , टिहरी गढ़वाल ) में एक भवन में  गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन

Traditional House Wood Carving Art of Dod, Chandravadani , Tehri   
  गढ़वाल, कुमाऊँ, देहरादून, उत्तराखंड भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी , बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल   ) में गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन, -360   

संकलन - भीष्म कुकरेती 
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टिहरी गढ़वाल से भी अच्छी संख्या में काष्ठ क्लयूलट भवनों की सूची  प्रतिदिन मिल रही हैं।  आज इसी क्रम में  डोभ  (चन्द्रवदनी , टिहरी गढ़वाल ) में एक भवन में  गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन पर चर्चा होगी। प्रस्तुत भवन भ्यूंतळ (ground floor ) का  है।   भवन की तिबारी भ्यूंतल में ही हैं तिबारी छह सिंगाड़ों /स्तम्भों की है।  सिंगाड़ सरल कृति के हैं चौखट हैं।  स्तम्भ के मूल से और ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /header तक सिंगाड़ों  के ऊपर तीर के पश्च भाग जैसे कुछ आकृति अंकित हुयी है और ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड की कड़ी में भी यही आकृति नुमा अंकन हुआ है।  शेष भवन में कोई विशेष काष्ठ कला दृष्टिगोचर नहीं हो रही है।
 निष्कर्ष निकलता है कि  डोभ  (चन्द्रवदनी , टिहरी गढ़वाल ) में एक भवन में   सरल प्राकृतिक अलंकरण व ज्यामितीय कटान की कला के दर्शन होते हैं।   
  सूचना व फोटो आभार: बिलेश्वर झल्डियाल   
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
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गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; House Wood carving Art from   Tehri;   


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बजारी कठूड़ (ढांगू , पौड़ी गढ़वाल ) में कालिका प्रसाद कुकरेती के  जंगलेेदार भवन में  गढ़वाल शैली की  ' काठ - कुर्याण-ब्यूंत '   काष्ठ कला अलंकरण अंकन,

 Traditional House wood Carving Art of  Bajari , Kathur Pauri  Garhwal   
  गढ़वाल, कुमाऊँ,उत्तराखंड के  भवनों  (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,कोटिबनाल  ) में  गढ़वाल शैली की  ' काठ - कुर्याण-ब्यूंत '   काष्ठ कला अलंकरण अंकन: 361  - 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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बजारी कठूड़  ढांगू उदयपुर -डबराल स्यूं में क्षेत्रफल व जनसंख्या  दृष्टि से  दीर्घतम  गाँव है ।  कठूड़ से कई काष्ठ कलयुक्त भवनों की सूचना मिली है।  आज बजारी  कठूड़ में कालिका प्रसाद कुकरेती के जंगलेदार भवन में काष्ठ  कला अलंकरण अंकन पर चर्चा की जाएंगी।
   बजारी कठूड़ (ढांगू , पौड़ी गढ़वाल ) में कालिका प्रसाद कुकरेती  का भवन दुपुर व दुखंड है।  भवन में पहले तल (first floor ) पर जंगले  का ही विश्लेषण किया जायेगा। 
भवन में पहले तल पर छज्जे के ऊपर बरामदे    में जंगला बंधा है।  जंगल में दस स्तम्भ /खाम हैं।  सभी स्तम्भ चौखट नुमा है व मूल से उप्पर मुरिन्ड /शीर्ष कड़ी मिलन तक सपाट  ही हैं।  शीर्ष की कड़ी में भी कोई विशेष अंकन दृष्टिगोचर नहीं होता है। 
स्तम्भों के मूल से  ऊपर  दो फिट तक एक एक कड़ी है इस कड़ी के ऊपर एक रेलिंग /कड़ी  भू  समानांतर है।  जिसके नीचे लोहे की छड़ियों से जंगल निर्मित होता है। 
शेष स्थलों में ज्यामितीय कटान नियमों के तहत कटान कर काष्ठ  कार्य हुआ है।  बजारी कठूड़  में कालिका प्रसाद कुकरेती का  भवन अपने समय का आलिशान जंगला माना जाता था।  सूचना व फोटो आभार: सतीश कुकरेती 
यह लेख  भवन  कला,  नक्काशी संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:   वस्तु स्थिति में अंतर      हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 Traditional House wood Carving Art of West South Garhwal l  (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun, Langur, Shila ),  Uttarakhand, Himalaya   
  दक्षिण पश्चिम  गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर ,  डबराल स्यूं  अजमेर ,  लंगूर , शीला पट्टियां )   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलियों  ,खोली , कोटि बनाल  में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण,   श्रृंखला  -


Bhishma Kukreti

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  मुखवा ( उत्तरकाशी) में भवन  संख्या 3  में  काष्ठ कला

मुखवा (गंगोत्री , उत्तरकाशी ) में  परम्परागत भवन संख्या 3  में आधारभूत, काष्ठ  कटान शैली ,   काष्ठ  कला  व  अंकन

  Traditional House wood Carving Art in ,   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में गढवाली शैली के  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,-

 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 मुखवा व गंगोत्री क्षेत्र से रज सेमवाल ने कई भवनों की सूचनाएं भेजी हैं किंतु  स्वामित्व की सूचना नहीं  भेज सके।   ऐसे ही मुखवा (शीतकालीन गंगोत्री )  से एक आधारभूत शैली का भवन पर आज  चर्चा होगी. मुखवा में भवन संख्या 3 , पिरामिडाकार  है व दुपुर , दुखंड है।  भवन में  ऊपरी भाग को संबल देने वाले स्तम्भ या भू समानांतर कड़ियाँ/बौळियां  सभी ज्यामितीय कटान से कटी हैं।  तख्ते /पट्टियां  भी सपाट ज्यामितीय कटान से काटी गयीं हैं।   भवन की छत ढलवां व काष्ठ पट्टियों  से निर्मित हैं।
मुखवा में प्रस्तुत परम्परागत आधारभूत भवन  ( संख्या 3 ) में   कोई  कला अंकन / art carving   दृष्टिगोचर नहीं हुयी हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि मुखवा (गंगोत्री , उत्तरकाशी ) में  परम्परागत भवन संख्या 3  में केवल ज्यामितीय कटान से  काष्ठ कला निर्मित हुयी है।  भवन आधारभूत है। 
 
सूचना व फोटो आभार : रजत सेमवाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   


Bhishma Kukreti

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मसूरी (देहरादून ) में  दो भवनों  (मसूरी भवन संख्या 1 )  में  काठ कुर्याण  की  गढ़वाली शैली में   काष्ठ कला अंकन - अलंकरण
  Traditional House wood Carving Art of  Mussoorie , Dehradun   
 गढ़वाल,कुमाऊँ,  भवन  (तिबारी,निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,छाज  कोटि बनाल )  काठ कुर्याण  की  गढ़वाली शैली में   काष्ठ कला अंकन - अलंकरण- 363

 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 जैसा कि कई  समय लिखा जा चूका है कि  मित्र पर्यटक रूप में भवनों का छायाचित्र लेते हैं किन्तु स्वामित्व  से अवगत नहीं होते हैं।  ऐसे ही मसूरी के एक भवन में काठ कुर्याण  की  गढ़वाली शैली में   काष्ठ कला अंकन - अलंकरण पर चर्चा होगी।
प्रस्तुत मसूरी भवन संख्या 1  तिपुर, तिखण्ड है।  भवन आधारभूत भवनों  जैसे उत्तरी  उत्तरकाशी अथवा नीति जैसे आधारभूत भवनों जैसे ही है।  भवन पिरामिड नुमा है।  भवन के मध्य दीवारें स्तम्भ के अंदर  कांच की हैं। भवन लगभग काष्ठ निर्मित भवन है।  स्तम्भ सपाट हैं व भू समानांतर कड़ियाँ भी सपाट ही है।  पैनल्स /पट्टियां भी सपाट ही हैं।
भवन का महत्व काष्ठ कला हेतु नहीं अपितु इसकी पिरामिड नुमा  संरचना। तीसरे तल की विशेष संरचन ,  व आधारभूत शैली हेतु महत्वपूर्ण है। 
सरे भवन में ज्यामितीय कटान की कटाई से कार्य हुआ है व कला दृष्टि सारा भवन  सपाट ही है।   
सूचना व फोटो आभार:  गजेंद्र सिंह
  * यह आलेख भवन कला अंकन संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
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मझेड़ा (गरमपानी, नैनीताल )  में पांडे परिवार  के छाज  व खोली  युक्त भवन में  कुमाऊं शैली  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अंकन,अलंकरण
   Traditional House Wood Carving Art in Majhera, Garampani,  Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल,  उत्तराखंड के भवन ( बाखली,  तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान,  खोली , कोटि बनाल)  में कुमाऊं शैली  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अंकन,अलंकरण - 364 
संकलन - भीष्म कुकरेती
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श्रृंखला के इस अध्याय में आज मझेड़ा (गरमपानी, नैनीताल )  में पांडे परिवार  के छाज  व खोली में  कुमाऊं शैली  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अंकन,अलंकरण   पर चर्चा होगी। ऐसा प्रतीत होता है कि भवन दुपुर व दुखंड है अथवा था। 
मझेड़ा में पांडे परिवार के भवन खोली कलयुक्त, अलंकृत अंकन युक्त  व आकर्षक है।   खोली के दोनों ओर  ५ , ५ उप  सिंगाड़ों स्तम्भों के युग्म   से निर्मित मुख्य स्तम्भ हैं।  प्रत्येक उप स्तम्भ  के ऊपर मूल से उप स्तम्भ के  सिंगाड़  के स्तर निर्मित होने तक में लता /सांकळ नुमा प्राकृतिक अलंकरण अंकित हुआ है।  एक उप स्तम्भ में लता व पुष्प अंकन हुआ है।  खोली का सिरदल वास्तंव में तोरणम आकर ले लेता है।  तोरणम के अंदर सबसे अंदर का तोरणम भी आकर्षक है व स्कन्धों में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।  शिरदल के मध्य में भी तोरणम निर्मित हुआ है जिस पर पुष्प , ला व अमूर्त कला अंकन हुआ है।   खोली के सिरदल ले ऊपर देव मूर्ति स्थापित है। 
 मझेड़ा में पांडे परिवार  के भवन के पहले तल पर  5 छाज /झरोखे /गवाक्ष /ढुड्यार हैं।   प्रत्येक छाज के दोनों ओर  मुख्य स्तम्भ हैं।  मुख्य स्तम्भ के मूल में अधोगामी पद्म पुष्प अंकन से कुम्भी निर्मित हुयी है।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर लम्बा उर्घ्वगामी पदम् पुष्प अंकन हुआ है।  पद्म पुष्प के ऊपर से स्तम्भ लौकी आकार का है।  जहां स्तम्भ कम मोटा है वहां से पुनः पदम् पुष्प की  कुम्भी अंकन हुआ है, इसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पदम् पुष्प अंकित हुआ है।  यहां से  स्तम्भ सपाट कड़ी रूप धारण कर ऊपर सिरदल/मुरिन्ड/शेष /header  की  कड़ी से मिल जाते हैं।  किनारे के दो ढुड्यार / छाज /झरोखे तख्तों /पटलों से ढके हैं व इनसे तीन पैनल्स निर्मित हुए हैं।  पैनल्स  ऊपर की और तोरणम युक्त हैं व मध्य में मुयर पक्षी अंकित हुआ है।  छज्जों /झरोखों के सिरदल /मुरिन्ड /header  सपाट काष्ठ कड़ी हैं। 
मध्य के दो छाजों में एक छाज सपाट तख्ते /पट्टिका से ढका है व एक  लघु पट्टियों  से निर्मित पट्टी से ढका है।   मध्य ढुड्यार के सिरदल में तोरणम है व मध्य में  छाजदार /झरोखेदार जंगला  स्थापित है। 
निष्कर्ष निकलता है कि मझेड़ा (गरमपानी, नैनीताल )  में पांडे परिवार  के छाज  व खोली  युक्त भवन में  कुमाऊं शैली से प्राकृतिक, ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण से अंकन हुआ है।  अंकन महीन है व उत्कृष्ट प्रकार की कलायुक्त  है। 
खोली के
सूचना व फोटो आभार: मोहित पांडे
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani ,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar , Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण


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छाना ( भनोली, अल्मोड़ा ( में बिष्ट परिवार के भवन  में कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण

Traditional House Wood Carving art of, Chhana, Almora, Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, उत्तराखंड  के भवन ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )  में  कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण -  365   
 संकलन - भीष्म कुकरेत
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अल्मोड़ा भवन वास्तु कला हेतु प्रसिद्ध रहा है।  प्रसन्नता होती है कि  अल्मोड़े से मित्र प्रतिदिन भवनों की सूचनाएं साझा करते जा रहा हैं।  इसी क्रम में आज छाना (मेल्टा , भनोली, अल्मोड़ा ( में बिष्ट परिवार के भवन कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण पर विस्तृत चर्चा होगी।  भवन कला दृष्टि से उत्कृष्ट प्रकार का है। कला अंकन महीन व आकर्षक है। 
छाना ( भनोली, अल्मोड़ा  ) में बिष्ट परिवार का  भवन  दुपुर , दुखंड है। भ्यूं  तल (ground  floor ) में भंडार व गौशाला होने से कला हेतु ये कक्ष महवतपूर्ण नहीं हैं। 
कला दृष्टि से भ्यूंतल से पहले तल (first floor ) तक गयी खोली ( आंतरिक प्रवेश द्वार ) व छाजों  /ढुड्यारों /झरोखों /गवाक्षों  के स्तम्भ महत्वपूर्ण हैं।
खोली  कुमाऊं शैली की खोली है किन्तु आश्चर्य है कि  खोली के उप स्तम्भों /सिंगाड़ों  में  कुम्भियाँ नहीं अंकित हैं जब कि  छाजों  के उप स्तम्भों में कुम्भियाँ अंकित हुयी है। 
खोली के दोनों ओर के उप स्तम्भ  युग्म हो मुख्य स्तम्भ  निर्मित  करते हैं।  उप स्तम्भ वैसे सपाट हैं किन्तु उनके ऊपर  लता -पर्ण  की सांकळ /जंजीर नुमा अंकन हुआ है।   खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड /हैडर के तीन ों भाग चौखट हैं।  खोली के शीर्ष के आंतरिक भाग में तोरणम /arch /मेहराब  स्थापित किया गया है।   तोरणम गोल नहीं अपितु कुछ कुछ चौखट ही है।  arch /तोरणम का निम्न भाग  शंकुनुमा पाए जैसे हैं। तोरणम के स्कन्द में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।   मुरिन्ड /मथिण्ड /header  के सभी स्तरों में  वही  अंकन हुआ दीखता  है जो उप स्तम्भों में हुआ है।  मुरिन्ड /मथिण्ड /header   के ऊपर या का ऊपरी भाग भी  चौखट है। चौखट के अंदर  पुष्प या मछली या मयूर आकृतियां अंकित हैं।  चूँकि छायाचित्र में आकृतियां स्पष्ट नहीं है तो अनुमान ही लगाया जा सकता है।
.  छाना (  भनोली , अल्मोड़ा )  में बिष्ट परिवार के भवन के छाजों के उप स्तम्भों की संरचना व उनमे काष्ठ कला अंकन  प्रशंसनीय है।  छाज के दोनों ओर उप स्तम्भों  के युग्म से निर्मित मुख्य स्तम्भ हैं।  प्रत्येक उप स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प की कुम्भी निर्मित है ,कुम्भी के ऊपर कलयुक्त ड्यूल  है , ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है पुनः यही दुहराव है।  यहां ऊपरी उर्घ्वगामी कमल पुष्प  के ऊपरी भाग में  उठे  हाथ  जैसे कुछ आकृति अंकित है।  कमल दल के ऊपर भी शगुन वाली त्रिभुजाकार आकृति अंकित हुयी है।  यहां से उप स्तम्भ सपाट हो ऊपर बढ़ता है।  कुछ ऊपर अधोगामी कमल दल प्रकट होता है। उल्टा लटका  कमल दल ऐसे दीखता है जैसे  पंखुड़ियां अंगुलियां हो।  ड्यूल के स्थान पर कई स्तर  के अकनृत्यं अंकित हुयी है जो अभिनव हैं व आकर्षित करती हैं।  कई स्तर के ड्यूलों के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प उभरता है।  यह पुष्प दल स्तम्भ के निम्न भाग के जैसा ही है। 
छाजों के मुरिन्ड /मथिण्ड /header चौखट हैं।  छाजों के  मुरिन्ड /header  के अंदर के तोरणम  कला में  बिलकुल  खोली के आंतरिक तोरणम की ही प्रतिलिपि हैं।  छाजों को ढकने के दरवाजे या पटिले /तख्ते सपाट ही कहे जायेंगे या ज्यामितीय कटान युक्त । 
निष्कर्ष निकलता है कि   छाना (  भनोली , अल्मोड़ा  ) में बिष्ट परिवार के भवन में  काष्ठ कला अंकन  उत्कृष्ट प्रकार का  है व ज्यामितीय, प्राकृतिक अलंकरण युक्त है। 

सूचना व फोटो आभार :  बिष्ट श्री
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


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सेरी  /शेरी  ( पाटी , चम्पावत ) के एक  तिपुर भवन में  कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण

Traditional House Wood carving Art of Seri Village ,   Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, उत्तराखंड  के भवन ( बाखली,  तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान , खोली ,कोटि बनाल )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण,-366
(केवल कला अंकन पर ध्यान )
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 चम्पवात से कई प्रकार के बाखलियों की सूचना मिली हैं।  आज सेरी गांव के एक टीपुर भवन में कुमाऊं शैली की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण पर चर्चा होगी।
कला दृष्टि से उत्कृष्ट भवन है और अपने यौवन कल में भवन  क्षेत्र में प्रसिद्ध भवनों में से एक  भवन रहा होगा।  प्रस्तुत भवन  बाखली (लम्बा एक साथ जुड़ा कई परिवारों का  सामूहिक  भवन )  का भाग है।  भवन में भ्यूंतल में भंडार व गौशाला के चिन्ह प्रस्तुत हैं व कक्षों के द्वारों व अन्य स्थल यथा खिड़कियों में सपाट ज्यामितीय कटान का कार्य हुआ है।  अर्थात भ्यूं तल (ground floor ) में काष्ठ कला अंकन दृष्टि से विशेष कुछ उल्लेखनीय नहीं है।
भवन में काष्ठ कला अंकन पहले व  दूसरे  तल (first  and second  floors )  में विशेष उल्लेखनीय हैं।  खोली भी लगभग पहले तल पर स्थापित है। सेरी के   प्रस्तुत  भवन खंड में काष्ठ कला समझने हेतु निम्न भागों में ध्यान देना ावहसिक होगा -
भ्यूंतल (ground floor ) के ऊपर पहले तल को संभालने हेतु चौखट  बौळी /शहतीर /धरन/girder   
पहले तल में छाजों /गवाक्षों /झरोखों के  उप स्तम्भों में काष्ठ  कला व अलंकरण अंकन
  पहले तल में छाजों /गवाक्षों /झरोखों   के ढुड्यार /छेद के अंदर ऊपर तोरणम /arch /मेहराब में  काष्ठ  कला व अलंकरण अंकन 
   पहले तल में छाजों /गवाक्षों /झरोखों  के ऊपर मुरिन्ड /शीर्ष /सिरदल /header  में काष्ठ कला, अलंकरण अंकन
भवन के तिपुर /दूसरे  तल  में जंगले /रेलिंग व बरमदे के बाहर स्तम्भों आदि में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन संपादन
    सेरी के भवन में   बौळी/girder /शहतीर /धरन  में काष्ठ  कला , अलंकन , अंकन -
बौळी  चौड़ी , मोटी , चौखट है।   सेरी के भवन में   बौळी/girder /शहतीर /धरन  पर ज्यामितीय कटान से दो आयत निर्मित हैं।  बाह्य आयत कुछ कम  ऊंचाई का है और आंतरिक आयत को घेरे हुए है।  दोनों आयतों में परं -लता- पुष्प कली  /सांकळ  का मिला जुला रूप अंकन देखा जा सकता है या सबका जाल जैसा।   
      सेरी (चम्पावत )  के भवन में      छाजों के स्तम्भों में   काष्ठ कला , अलंकरण अंकन संपादन  --
 प्रस्तुत भवन कला दृष्टि से अब तक के सर्वेक्षण में  उत्कृष्ट तम   भवनों में से एक  है।  स्तम्भों पर आश्चर्य चकित करने वाला अंकन हुआ है। 
 छाजों के मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म /जोड़  से निर्मित हैं।  उप स्तम्भों में  अधोगामी पद्म  पुष्प दल , उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दलों से कुम्भी निर्माण के अतितृकत उप स्तम्भों के ऊपर  पुष्प कली से निर्मित  सांकळ /जंजीर नुमा आकृतियों का अंकन , कुम्भियों  हृदय नुमा पत्तियों का अंकन , कुम्भियों के ऊपर मत्स्य आकार अंकन  और यही अंकन उठे हस्त में परिवर्तित भी होने का अंकन , कुम्भियों में  अंदर सूरजमुखी नुमा पुष्प अंकन  तथा कई प्रकार के पुष्प , लता अंकन , उल्लेखनीय है और यही अंकन शीर्ष /मुरिन्ड/ header  के स्तरों का भी अंकन निर्मित करते हैं।   संभ के ऊपरी भाग में मत्स्य आकृति भी उभर कर आयी हैं। 
  सेरी (चम्पावत )  के भवन में      छाजों  के तोरणम में  काष्ठ कला , अलंकरण अंकन ---
रत्येक छाज (ढुड्यार ) के ऊपर तोरणम / arch /मेहराब निर्मित हुआ है।   तोरणम के स्कन्धों में भी महीन कला अंकन हुआ है।  तोरणम के स्कन्धों में  मुख्यतया प्राकृतिक लता व पत्तियों के जल नुमा अंकन हुआ है।  जो छाज काष्ठ पट्टिकाओं से ढके हैं उनमे भी पत्तियों व लताओं के युग्म से निर्मित आकृतियां अंकित हुयी हैं व आकर्षक आकृतियां हैं। 
    सेरी (चम्पावत )  के भवन में     तीसरे तल के जंगले /reling में काष्ठ कला -
सेरी का यह भवन तिपुर  है व  तीसरे तल (दूसरा मंजिल )  में बरामदे हैं जिनके बाहर खम्बे /स्तम्भ हैं व ब्रांडों के छेद  काष्ठ पट्टिकाओं से ढके हैं या उनमे ढक्क्न नहीं हैं।  ब्रांडों के आधार से दो ेल फिट में एक कड़ी हैं व आधार की व इस कड़ी के मध्य  XX नुमा आकृतियां स्थापित हैं।  स्तम्भ या खम्भे सपाट कटान लिए हुए हैं।  स्तम्भों के दोनों और कुछ ऊंचाई तक छोटे पट्टिकाएं लगी हैं जो स्तम्भ के जड़ में मोठे होने का आभास देते हैं। 
निष्करण निकलता है कि  शेरी।  श्रेय (चम्पावत ) के इस भवन में ज्यामितीय कटान , प्राकृतिक कला व मानवीय कला अलंकन अंकन हुआ है।   भवन उत्कृष्ट प्रकार है.
सूचना प्रेरणा - अमृता वाल्दिया
सूचना व फोटो आभार :  जय ठक्कर
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali    House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  ; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   

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बजेड़ (पिथौरागढ़ ) के स्व पठान चंद के भवन में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन

Traditional House Wood Carving Art  of  Bajer , Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,उत्तराखंड, के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,जंगलेदार  मकान,खोली,कोटि बना  )  में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन - 
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 बजेड़ (पिथौरागढ़ ) में स्व पठान चंद के भवन की सूचना मिली है जिस पर आज चर्चा होगा।   भवन दुपुर व दुखंड का है।
स्व पठान चंद के भवन में काष्ठ  कला समझने हेतु  भवन के दोनों खोलियों व पहले तल में  तीन बाखलियों  (झरोखों ) में काष्ठ कला उल्लेखनीय है।
खोलियां  भी आम  कुमाउनी  खोली जैसी हैं।  खोली के मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म /जोड़  से निर्मित हुए हैं।     . उप स्तम्भ ऊपर बढ़कर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष /header  का स्तर बन जाते हैं , मुरिन्ड में वही  कला दृष्टिगोचर होती है जो उप स्तम्भ में है।   खोली के उप स्तम्भ के आधार  पर अधोगामी कमल फूल, इसके ऊपर ड्यूल व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प हैं। 
खोली के आंतरिक भाग में ऊपर तोरणम है।  तोरणम के स्कन्धों में कई तरह के प्राकृतिक कला अलंकरण अंकन हुआ है। 
खोली के ऊपर दो स्तरों का मुरिन्ड / मथिण्ड हैं। मुरिन्ड के तोरणम नुमा हैं व उनमे मूर्त व अमूर्त कला दृष्टिगोचर होती है। 
बाखलियों  के  भी उप स्तम्भों के जोड़ से निर्मित मुख्य स्तम्भ हैं।  उप स्तम्भ में कला व अलंकरण बिलकुल  खोलियों के उप स्तम्भों सामान ही हैं।  इसी तरह बाखलियों के तोरणम भी खोली के तोरणम जैसी ही हैं। 
खोलियों के ऊपरी मुरिन्ड तोरणम के दोनों ओर  मयूर पक्षी स्थापित हैं।   खिड़कियों के मुरिन्ड /शीर्ष /header  में भी  काष्ठ कला अंकित हुयी हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि बजेड़  के स्व पठान चंद के भवन /बाखली में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण कला अंकन मिलता है। 
सूचना व फोटो आभार: विराट चंद रजवार
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


 

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