Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 38349 times)

Bhishma Kukreti

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हर की पौड़ी के एक भवन में   काष्ठ कला

हर की पौड़ी /फैड़ी  के अनुपम स्टोर वाले भवन में 'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन
   Traditional House Wood Carving Art  of  a House in Har ki Pauri  , Haridwar
 उत्तराखंड, के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,जंगलेदार  मकान,खोली,कोटि बना  )  में  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन - 368 
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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हरिद्वार के भवनों की कोई सूचना नहीं मिलती है।  पहली बार हर की पौड़ी के दुकानों के भवन की सूचना मिली है।   पहचानने हेतु इसे अनुपम कला केंद्र भवन नाम दे देते हैं।  अनुपम कला केंद्र दुकान भवन तीन तल की है।  इस श्रृंखला के दृष्टिकोण हेतु हमें पहले तल में  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन का विश्लेषण होगा।
पहले तल में पाषाण  कला वा काष्ठ कला  उल्लेखनीय हैं।  काष्ठ कला दृष्टिकोण हेतु भवन के झरोखों में कष्ट कला की पड़ताल करनी होगी. झरोखे वैसे ही हैं जैसे कुमाऊं की बाखलियों में छाज होते हैं।  झरोखों के अंदरूनी छेदों के ऊपर तोरणम हैं और सभी झरोखों के तोरणम के स्कन्धों में भी प्राकृतिक शैली की कला अंकन हुआ है।  एक झरोखे को काष्ठ पट्टिका से ढका गया है।  इस काष्ठ पट्टिका पर सुंदर  बहुभुजीय देव आकृति चित्रित है (अंकन नहीं है ) । दूसरे भाग में  झरोखों के स्तम्भ काष्ठ  के लग रहे हैं।  स्तम्भ कुछ कुछ गढ़वाल की तिबारियों के स्तम्भों जैसे ही लग रहे हैं।  छपरिका के आधार से भी शंकु नुमा आकर के काष्ठ आकृतियां लटकीं हैं। भवन के   पहले तल में पाषाण कला भी उल्लेखनीय है।  पाषाण पर कला अंकन  काष्ठ  कला के  पूर्णतया  समान  है।  पाषणों आकृतियों के ऊपर चित्र अंकित हैं। 
 निष्कर्ष निकलता है कि हर की पौड़ी में अनुपम  कला केंद्र भवन में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय काष्ठ कला अलंकरण  अंकन  हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: अरविन्द शर्मा 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 गोम (बिजलोट , नैनीडांडा , पौड़ी गढ़वाल )  के मालगुजार भवन (बद्रीनाथ भवन )  में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन
    Tibari House Wood Art in House of Gom ,Nainidanda , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ, उत्तराखंड,की भवन (तिबारी,निमदारी,जंगलादार मकान,,बाखली,खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन - 369
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती    
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 नैनी डांडा से अच्छी संख्या में काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचना मिलीं हैं।  ऐसे ही आज गोम के के मालगुजार भवन (बद्रीनाथ भवन )  में   गढवाली  शैली की     काष्ठ कला अलंकरण, अंकन पर चर्चा होगी।  प्रस्तुत भवन गोम का पहला भवन है।   भवन दुपुर है व दुघर है।  काष्ठ कला विश्लेषण हेतु  हमें भवन के पहले तलपर तिबारी का निरीक्षण आवश्यक है।  तिबारी चार स्तम्भों की तिबारी है।  स्तम्भ देहरी के ऊपर चौखट डौल के ऊपर आधारित हैं।
स्तम्भ के आधार में अधोगामी (उल्टा )  पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित होती है , जिसके  ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी (सीधा ) पद्म पुष्प है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकर धारण कर ऊपर बढ़ता है।  जहाँ पर  स्तम्भ में  लघुतम  मोटाई है वहां पर उलटे कमल पुष्प दल अंकित हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है व पुनः उर्घ्वगामी  पद्म पुष्प की कुम्भी है।  स्तम्भ में आधार से ऊपर तक प्राकृतिक कला अंकित हुयी है।  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प से स्तम्भ थांत (Cricket Bat Blade ) रूप धारण कर ऊपर शीर्ष /मुरिन्ड/header  से मिल जाते हैं।  यहां पर  स्तम्भों के मध्य तोरणम स्थापित हुआ है।  तोरणम के स्कन्धों में  दो दो सूरजमुखी पुष्प व लता का अंकन हुआ है।  शीर्ष के सबसे ऊपर की कड़ी में लघु फर्न पर्णओं  का जैसा अंकन हुआ है। 
ऐसे ही स्तम्भ को दीवार से लगने वाली मध्य कड़ी में भी विशेष जैसे मुरिन्ड की कड़ी में अंकन हुआ है वैसे ही अंकन हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है कि  भवन में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण  कला अंकन  हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: रमाकांत ध्यानी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी  अंकन  ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  अंकन   , 


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फरसाड़ी (बीरोंखाल , पौड़ी गढ़वाल )  के  स्व   शिव चरण जुयाल के भवन में गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन

    Tibari House Wood Art in House of Farsari ,Bironkhal  Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ, उत्तराखंड,की भवन (तिबारी,निमदारी,जंगलादार मकान,,बाखली,खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन -370   

 संकलन - भीष्म कुकरेती 
 
बीरोंखाल  क्षेत्र  से   काष्ठ कला अलंकरण अंकित  कई  भवनों की सूचना मिली है।   इसी क्रम में बीरोंखाल क्षेत्र  में फरसाड़ी के  स्व  शिवचरण के भवन में काष्ठ कला अलंकरण, अंकन पर चर्चा होगी।
 फरसाड़ी के  स्व  शिवचरण  का  भवन  दुपुर (0 + 2 )  व दुखंड है।  फरसाड़ी के  स्व  शिवचरण के भवन में काष्ठ  कला अलंकरण अंकन हेतु  भवन की खोली ,  तिबारी व मोरी (लघु गवाक्ष )  पर ध्यान देना आवश्यक है।   भवन की खोली (आंतरिक पंकार / सीढ़ी  प्रवेश द्वार ) भ्यूं तल  (ground floor ) से पहले तल तक पंहुची है। 
  फरसाड़ी के  स्व  शिवचरण के भवन की खोली में मुख्य सत्मव्ह पांच पांच उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुयी है।  उप स्तम्भ आधार से चलते ऊपर खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष /header के पांच स्तर निर्माण करते हैं।  पाँचों स्तरों में व्ही कला अंकन विद्यमान है जो स्तम्भ के अन्य भागों में हुआ है।  स्तम्भों में पुष्प /पर्ण /लता का अन्तर्जालं /जालिका जैसा अंकन हुआ है। मुरिन्ड /header  में धातु   बहुभुजीय देव मूर्ती स्थापित हुयी है। 
    फरसाड़ी के  स्व  शिवचरण के भवन के पहले तल में मोरी /window  के सिंगाड़ों  में भी प्राकृतिक या परं जालिका अंकन दृष्टिगोचर हो रहा है।
तिबारी में  छह सिंगाड़ /स्तम्भ हैं जो पांच ख्वाळ  निर्माण करते हैं।  सिंगाड़ के आधार में उल्टा कलम फूल , फिर ड्यूल व उसके ऊपर सीधा कमल फूल अंकित हुआ है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकर धारण कर लेता है।  जहाँ सबसे लघु मोटाई है वहां अधोगामी पद्म पुष्प अंकन हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर हाथ पसारे उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प दल अंकित हुआ है।  सीधे पद्म पुष्प से स्तम्भ थांत (cricket bat blade जैसे ) आकर धारण क्र ऊपर मुरिन्ड  से मिलता है।  यहां ख्वाळ के ऊपर तोरणम/arch  अंकन हुआ है।  तोरणम  के दोनों स्कंध के दोनों कोणों में सूरज मुखी पुष्प अंकित है व पुष्प लता जैसे गुलबंद का हत्था जैसे आकृति अंकित हुयी है।  मुरिन्ड /मथिण्ड /हैडर की तीन कड़ियों में पर्ण  लतादि का अंकन हुआ है। 
थांत आकृति में भी प्राकृतिक चित्रांकन हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है कि  फरसाड़ी के  स्व  शिवचरण के भवन  में प्राकृतिक व ज्यामितीय कला अलंकरण अंकन हुआ है। 

फोटो - मयंक जुयाल
सूचना व फोटो आभार: वीरेंद्र जुयाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी  अंकन  ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  अंकन   , 

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नीति (चमोली गढ़वाल ) के एक भवन (संख्या 1 ) में  गढवाली  शैली की   'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन 


   House Wood Carving Art  from  Niti, Chamoli   
 गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली , खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में गढवाली  शैली की   'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन, - 371
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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जिस तरह उत्तरी पश्चम उत्तरकाशी , उत्तरी पूर्व पिथौरागढ़  विशेष  काष्ठ कला युक्त भवनों हेतु प्रसिद्ध हैं उसी भांति  उत्तरी चमोली से भी विशेष काष्ठ कला भवनों की सूची निरंतर मिलती जा रही है।  इसी क्रम में आज नीति के भवन संख्या 1  में  गढवाली  शैली की   'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन पर विशेष चर्चा होगी।
  नीति के भवन संख्या 1 दुपुर व दुखंड है. भवन की मुख्य विशेषता है कि पहले तल में भवन में तिबारी भी है व तिबारी के बाहर  स्तम्भयुक्त जंगला भी स्थापित है. भवन में पाषाण छजजा नहीं है किन्तु काष्ठ पत्तियों से निर्मित छज्जा है। 
  नीति के भवन संख्या 1 की  तिबारी चार सिंगाड़ों /स्तम्भों से निर्मित है जिससे तीन ख्वाळ  निर्मित हो जाते हैं।
    नीति के भवन संख्या 1 की  तिबारी  के स्तम्भों में आधार पर अधोगामी पद्म पुष्प अंकन हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है का ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी कमल दल है जहां से स्तम्भ लौकी आकर ले ऊपर चढ़ता है। स्तम्भ में  जहां सबसे कम मोटाई है वहां उलटा कमल दल है उसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल।  सीधे कमल दल से थांत आकृति शुरू होती है जो ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड/header  से मिल जाता है। थांत के ऊपर भी कला अंकन दृष्टिगोचर होता है।  जहां से थांत आकृति शुरू होती है वहीं से तिबारी के तोरणम  के अर्ध चाप भी शुरू होते हैं।  तोरणम के स्कन्धों में विशेष  दो दो बहु दलीय पुष्प /जैसे सूर्य मुखी पुष्प का अंकन हुआ है है।  तोरणम के स्कंध में प्राकृतिक कला अंकन भी हुआ है।
तिबारी से बाहर पहले मेल में काष्ठ छज्जे पर  जंगला बंधा है और इस जंगले में कम से कम 8  स्तम्भ तो हैं ही।  स्तम्भ भी कलयुक्त हैं।  स्तम्भों के दो ढाई फिट के मोठे  काष्ठ  आधार के ऊपर स्तम्भ में कला तिबारी की प्रतिरूप ही है।  आकर पतला /बारीक है।  जंगले  के मुरिन्ड/header  के कड़ी में  अंडे या शाल के पत्तों जैसे आकर का अंकन हुआ है।  जंगले  के आधार में रेलिंग दो कड़ियों से निर्मित हुआ है।  रेलिंग में बेलन नुमा आकृति के उप स्तम्भ स्थापित हैं।
निष्कर्ष निकलता है नीति के भवन संख्या 1 में  प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण कला अंकन हुआ है।   
सूचना व फोटो आभार:पंकज हटवाल   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी

Bhishma Kukreti

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द्यूलख (चोपड़ा, रुद्रप्रयाग ) में भाष्करा नंद त्रिपाठी के भवन में गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन भाग 1

Traditional House wood Carving Art of Dyulakh,  Chopra, Rudraprayag         : 
  गढ़वाल, कुमाऊँ,उत्तराखंड की भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली , जंगलादार  मकान ) में गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,- 372 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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आज रुद्रप्रयाग के  द्यूलख (चोपड़ा,) में भाष्करा नंद त्रिपाठी के भवन में गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन पर चर्चा होगी।  भवन दुपुर , दुघर है।  भवन में दो दो तिबारियां हैं। आज एक तिबारी वाले भवन की काष्ठ कला अंकन का विश्लेषण होगा।  आज रुद्रप्रयाग के  द्यूलख (चोपड़ा,) में भाष्करा नंद त्रिपाठी के इस भवन  में खोली व तिबारी में काष्ठ  कला का विश्लेषण होगा।
  आज रुद्रप्रयाग के  द्यूलख (चोपड़ा,) में भाष्करा नंद त्रिपाठी के भवन में खोली भ्यूंतल (Ground Floor )   तक ही सीमित है।  खोली के दोनों और पांच  उप सिंगाड़ों/उप स्तम्भों से निर्मित मुख्य स्तम्भ है।  चार उप स्तम्भ एक सामान हैं व एक स्तम्भ कुछ विशेष   कलायुक्त है।  चारों उप स्तम्भों में   पत्र आकर व लता आदि अंकन हुआ है (प्रर्कीतिक अलंकरण ) I सभी उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड /मथिण्ड /header के साथ /स्तर निर्मित करते हैं।  अतः   मुरिन्ड /header  में  वही कला अंकित है जो उप स्तम्भों में अंकित है।   बाहर की ओर पांचवें  उप स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकित हुआ है इसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प अंकित हुआ है।  यहां से  उप स्तम्भ पतला हो ऊपर चढ़ता है।  कुछ ऊपर कमल दलों का वही दुहराव होता है व सीधे कमल दल से  सीधा हो स्तम्भ ऊपर जाकर  मुरिन्ड /header  का स्तर निर्मित हो जाता है।  कमल दल के ऊपर स्तम्भ में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।
मुरिन्ड में मध्य में चतुर्भुज गणेश की मूर्ती सजी है व ऊपर तीन अन्य देव मूर्तियां  स्थापित हैं।  मुरिन्ड /header  के दोनों ओर  छज्जे के नीचे दो दो प्रकार के  दीवालगीर  स्थापित हैं।  एक दीवालगीर के निम्न भाग में पुष्प पंखुड़ियां  स्थापित हैं।  इन पंखुड़ियों के ऊपर आधार है व आधार के ऊपर हाथी की मूर्ति स्थापित है।  दूसरे दीवालगीर में ऊपरी भाग में हाथी के स्थान पर मयूर स्थापित है। 
  द्यूलख (चोपड़ा,) में भाष्करा नंद त्रिपाठी के भवन  के पहले तल में तिबारी स्थापित हुयी है।  तिबारी में चार मुख्य स्तम्भ हैं व प्रत्येक मुख्य स्तम्भ चार चार उप स्तम्भों  के युग्म से निर्मित हुए हैं।  अर्थात सोलह उप स्तम्भों से तुंबरि निर्मित हुयी है।  उप स्तम्भ में कमल दलों का क्रम व्ही है जो खोली के पांचवें  उप स्तम्भ में है।  ऊपरी कमल दल से उप स्तम्भ  के थांत  आकृति उभरती है।  ऊपर दो मुख्य स्तम्भों के मध्य तोरणम (arch ) अथापित है।  तोरणम के स्कन्धों में  प्राकृतिक लता आदि का अंकन हुआ है। 
तिबारी के मुरिन्ड /header  की कड़ियों में प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है। 
  द्यूलख (चोपड़ा,) में भाष्करा नंद त्रिपाठी के भवन  की कला उत्कृष्ट प्रकार की है व प्राकृतिक , ज्यामितीय  व मानवीय कला अलंकरण अंकन हुआ है।   
सूचना व फोटो आभार: आश्विन गौड़ 
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


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श्रीकोट (टिहरी गढ़वाल ) के एक  भवन (२सरा ) में गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन

Traditional House Wood Carving Art of  Shrikot , Tehri Garhwal   
  गढ़वाल, कुमाऊँ, देहरादून, उत्तराखंड भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी , बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल   ) में गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन,-373     

संकलन - भीष्म कुकरेती 
 
श्रीकोट  का  प्रस्तुत भवन (२सरा )  दुपुर व दुखंड है।  भवन में पहले तल पर तिबारी स्तम्भ के अतिरिक्त अन्य स्थानों में काष्ठ कला उल्लेखनीय नहीं है, केवल ज्यामितीय कटान के हैं ।  तिबारी अपने समय की भव्य तिबारी है जिसपर 6 सिंगाड़ /स्तम्भ सजे हैं जो 5  ख्वाळ  निर्मित करते हैं।  तिबारी के प्रत्येक सिंगाड़ /स्तम्भ के आधार में लम्बी अधखिली कलियों का अंकन हुआ है ,इस स्थल से स्तम्भ ऊपर चलता है जिसके ऊपर  खिले कमल पुष्प अंकन हुआ।  यहां से स्तम्भ सीधी ऊपर चलकर मुरिन्ड के सीधी कड़ी से मिल जाते हैं।  इन सभी संरचनाओं के ऊपर लता पर्ण  निर्मित    जाले का अंकन हुआ है। मुरिन्ड /शीर्ष /header  की कड़ी में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है कि  श्रीकोट के इस भवन में प्राकृतिक कला अंकन व ज्यामितीय अंकन ही विशेष उल्लेख निय है। 

  सूचना व फोटो आभार: भिलेश्वर झल्डियाल     
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; House Wood carving Art from   Tehri;   

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  मुखवा ( शीत गंगोत्री , हरसिल , उत्तरकाशी ) के भवन संख्या 4  में  गढवाली शैली के  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन

  Traditional House wood Carving Art in , Mukhuva   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की  परम्परागत भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में गढवाली शैली के  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- 374
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
 
 मुखुवा व एनी निकटवर्ती क्षेत्र भवन काष्ठ कला हेतु अति उल्लेखनीय क्षेत्र है I आज भवन संख्या 4 थे की काष्ठ कला , अलंकरण पर चर्चा होगी I
मुखुवा (उत्तरकाशी )  का भवन संख्या 4 दुपुर है  I भवन के भ्यूंतल (ground floor) व पहले तल में बरामदे के बाहर  काष्ठ स्तम्भ हैं व पहले तल में बरामदे के बाहर काष्ठ  जंगला भी है I
भ्यूंतल व पहले तल के बरामदे पर लगे स्तम्भों की कला एक सामान सी ही है I
स्तम्भ कुछ कुछ  चौकोर नुमा है . आधार में  उलटा कमल दल है , इसके उपर  ड्यूल  है जिसके उपर सीधा कमल दल है I यहाँ से स्तम्भ लौकी आकर धारण करता है I जहाँ सबसे कम मोटाई है वहन उलटा कमल दल उभरता है , इसके उपर ड्यूल है और इसके उपर से स्तम्भ उपर जाकर शीर्ष /मुरिंड/header की  कड़ी से मिल जाते हैं I मुरिंड कड़ी सपाट है I.
पहले तल के बरामदे बाहर रेलिंग है जिसकी दोनों कड़ियाँ सपाट हैं . in रेलिंग कड़ियों के मध्य उप स्तम्भ हैं जो सपाट भी हैं व कई उप स्तम्भों में तितली , पत्तियों , आदि का अंकन हुआ है Iकुछेक उप स्तम्भ बेलन या हुक्के की उपरी नई जैसे शक्ल के भी हैं I
 
सूचना व फोटो आभार :  सुमन कुकरेती
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी 

Bhishma Kukreti

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लाखामंडल के एक  ध्वस्त भवन (भवन संख्या 4 ) में  काठ कुर्याण  की  गढ़वाली शैली में   काष्ठ कला अंकन - अलंकरण

  Traditional House wood Carving Art of  a  House ,  Lakhamandal , Dehradun   
 गढ़वाल,कुमाऊँ,  भवन  (तिबारी,निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,छाज  कोटि बनाल )  काठ कुर्याण  की  गढ़वाली शैली में   काष्ठ कला अंकन - अलंकरण- 

 संकलन - भीष्म कुकरेती

 लाखांदल में कई भवन हैं जिनकी काष्ठ कला अंकन विशेष हैं।  आज इसी क्रम में एक जीर्ण शीर्ण या ध्वस्त सा भवन  की  काष्ठ  कला अलंकरण , अंकन पर चर्चा होगी।    पत्थर व देवदारु की शक्तिशाली कड़ियों की संरचना  सीधा ही कह रही है कि  भवन कोटी बनाल शैली से निर्मित हुयी है।   लाखांमंडल  का प्रस्तुत भवन दुपुर , दुखंड है और काष्ठ  कला हेतु इस भवन पर खोली , पहले तल में मोरी के स्तम्भों (खिड़की के सिंगाड़ )  में काष्ठ  कला अलंकरण अंकन पर दृष्टि डालनी आवश्यक है। 
 खोली भू तल से शुरू होती है।  खोली के  दोनों और के मुख्य स्तम्भ चार चार उपस्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए हैं।  उप सम्भव के ऊपर  पत्ती , लता के युग्म से निर्मित जलयुक्त अला अंकित हुयी है।  उप स्तम्भ ऊपर जाकर  मुरिन्ड/शीर्ष /header  के स्तर बन जाते हैं।  मुरिन्ड से नीचे  शीर्ष में चौखट आकृति स्थापित हुयी है।  इस चौखट में  धामिर्क प्रतीकों का अंकन हुआ है।  मुरिन्ड के ऊपर  कई काष्ठ कड़ी तल स्थापित हुए हैं।  एक तल में बेलन नुमा आकृतियां स्थापित हुयी हैं।  इस कड़ी के ऊपर   की कड़ी में जलयुक्त प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।  इस कड़ी के ऊपर की कड़ी में साल पत्ती  के ऊपर चिड़िया चोंच नुमा आकृति की कृतियां स्थापित हुयी हैं।   मुरिन्ड के ऊपर की सबसे ऊपरी कड़ी में  जंजीर -जाल युक्त अंकन हुआ है।  हैं। 
मुरिन्ड के ऊपर दोनों ओर  दीवालगीर स्थापित हुए हैं।  दीवालगीरों में  हाथी सूंड आकृति स्थापित हुयी है।
खड़कियों के  सिंगाड़ों  में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।   दो खिड़की के  दरवाजे में  धार्मिक प्रतीक अंकन हुआ है।   अन्य खड़कियों व दुजयळों  (छेद ) के   काष्ठ स्तम्भ व मुरिन्ड सपाट  हैं।
  भवन  ध्वस्त अवस्था में है किन्तु  भवन साक्षी है कि  लाखामंडल का प्रस्तुत  भवन (भवन संख्या 4  ) भव्य है व इसमें काष्ठ कला अलंकरण अंकन उत्कृष्ट प्रकार का है ।  लाखामंडल के प्रस्तुत विवेच्य भवन में  प्राकृतिक, ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण कला अंकित हुयी है।   भवन व काष्ठ  शिल्पकारों की कला प्रसंसनीय है।   
सूचना व फोटो आभार:  अशोक उनियाल
  * यह आलेख भवन कला अंकन संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  Traditional House wood Carving Art of   Dehradun,    Garhwal Uttarakhand, Himalaya   to be continued 
ऋषिकेश, देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;  देहरादून तहसील देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   विकासनगर  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   डोईवाला    देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन  ;  जौनसार ,  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन


Bhishma Kukreti

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टोरी ( बेतालघाट , नैनीताल ) के  भवन (बाखली ) में  कुमाऊं शैली  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अंकन,अलंकरण  विवेचना 

   Traditional House Wood Carving Art in  Patori, Betalghat,  Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल,  उत्तराखंड के भवन ( बाखली,  तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान,  खोली , कोटि बनाल)  में कुमाऊं शैली  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अंकन,अलंकरण - 376
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 फेसबुक जैसे सोशल मीडिया का लाभ यह हुआ कि  सदस्य फोटो व सूचना साझा सरलता से कर लेते हैं।  इसी क्रम में  आज  पटोरी ,  बेताल घाट  (नैनीताल )  में एक बाखली में काष्ठ कला अंकन पर चर्चा होगी।  भवन ब्शुत लम्बा है जैसे परम्परागत बाखलियाँ होती हैं।  बाखली दुपुर , दुखंड है।   भूतल के कक्षों में  काष्ठ कला विवेचना लायक कोई विशेष लक्ष्य नहीं हैं।  भूतल में सभी कक्षों के द्वार -सिंगाड़ों-मरिंडों   में सपाट कटान हुआ है। 
कला दृष्टि से पहले तल में खोलियों व छाजों/झरोखों के सिंगाड़ों (स्तम्भों ) व मुरिन्डों  की काष्ठ कला ववेचनीय है।  पूरे बाखली में सभी खोलियाँ व छाज  एक सामान हैं।  खोली के मुख्य सिंगाड़  तीन उप सिंगाड़ों /स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए हैं।  उप सिंगाड के आधार में  उल्टे कमल पुष्प , फिर ड्यूल व उसके ऊपर सीधे कमल दल का अंकन से कुम्भियाँ निर्मित हुयी हैं।  यहां से  उप स्तम्भ  सपाट हो ऊपर मुरिन्ड /शीर्ष /header  के स्तर बन जाते हैं।  मुरिन्ड  चौखट हैं व मुरिन्ड में उड़ते पंछियों व देव मूर्तियां अंकन हुआ है।
   कला दृष्टि से छज्जों के उप स्तम्भ भी खोली के उप स्तम्भों सामान (कुम्भी निर्माण )  ही हैं।  छज्जों के मुरिन्ड /header  सपाट कड़ियों वाले हैं।   मोरियों के ऊपर पत्थर में  मानवीय अलंकरण कला दृष्टिगोचर हो रही है।   एक छाज के उप स्तम्भ सादे स्तम्भ हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि पटोरी (बेताल घाट , नैनीताल ) की बाखली में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण कला अंकन हुआ है।  बाखली दर्शनीय है। 
सूचना व फोटो आभार:  दीपक  बिष्ट
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar, Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण


Bhishma Kukreti

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सटोली (अल्मोड़ा ) में   काष्ठ प्रसिद्ध शिल्पी  स्व . गंगराम के  बाखली भवन  में काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण

Traditional House Wood Carving art of Satoli, Almora, Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, उत्तराखंड  के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )    कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण-  377
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 स्वर्गीय गंगाराम अल्मोड़ा के प्रसिद्ध   बाखली  भवन काष्ठ  शिल्पी हुए हैं।  उन्होंने बाखली काष्ठ शिल्प को  'लेखनी ' नाम दिया है।  प्रसिद्ध काष्ठ शिल्पी स्व गंगाराम    की प्रस्तुत  बाखली  भवन  परम्परागत कुमाउँनी बाखली है।  बाखली दुपुर व दुखंड भवन है।  परम्परागत भ्यूं तल (ground floor )  में गौशाला व भंडार गृह हैं।   छायाचित्र  में भ्यूंतल (ground floor )  में कक्षों के द्वार -सिंगाड़ों /स्तम्भों में  सपाट  ज्यामितीय कटान के अतिरिक्त कोई विशेष कला अंकन  दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है।  काष्ठ अलंकरण अंकन पहले तल में खोली व छाजों  के स्तम्भों व मुरिन्ड  तोरणम में दृष्टिगोचर हो रहा है। पहले तल में स्तिथ खिड़कियों में ज्यामितीय सपाट कटान के द्वार -सिंगाड़ (स्तम्भ ) हैं। 
खोली  व छाजों के उप  सिंगाड़ (उप स्तम्भ )  जुड़कर मुख्य सिंगाड़  निर्मित करते हैं।  खोली व छाजों  के उप स्तम्भों के आधार की कला (कुम्भी निर्माण कला ) लगभग एक जैसी है व सभी छाजों के द्वार -सिंगाड़ों (उप स्तम्भों ) की कला भी एक सामान है।
 खोली व छाजों /झरोखों /ढुड्यारों  के उप स्तम्भ /सिंगाड़  के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित होती है , इसके ऊपर ड्यूल हैं व ड्यूल के ऊपर  उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प अनित हैं जो कुम्भी /घुंडी निर्मित करते हैं।   खोली में यहां से स्तम्भों में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है जब कि   छाजों  के उप स्तम्भों में कुछ ऊपर जाकर कुम्भियों में दुहराव होता है।  खोली व छाजों  में  सभी उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड /शीर्ष /header  के स्तर layer  बन जाते हैं।
खोली में मुरिन्ड  चौखट नुमा है व कहीं भी तोरणम नहीं है।   खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड /header  में की देव मूर्ति दृष्टिगोचर नहीं होती है। 
छाजों  के छेद कुछ कुछ अंडाकार हैं।  ऊपरी भाग  में तोरणम स्थापित हुए हैं।  तोरणम के स्कन्धों में  प्राकृतिक कला अंकन हुआ है छेद  के नीचे के तख्ते में भी प्राकृतिक कला अंकन हुआ है। 
 स्व  गंगराम  की बाखली भवन भव्य है व कला उत्कृष्ट है  व ज्यामितीय , प्राकृतिक  अलंकरण कला  से सम्पन है। 
सूचना व फोटो आभार :   इंदिरा चौधरी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


 

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