Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37302 times)

Bhishma Kukreti

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भनार (चम्पावत ) के भवन (बाखली )  II   में कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण


Traditional House Wood carving Art of  Bhanar ,  Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, उत्तराखंड  के भवन ( बाखली,  तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान , खोली ,कोटि बनाल )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण,-388

 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 चम्पावत से भवनों की सूचना मिलती रही है।  आज भनार के भवन II   (बाखली ) में 'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण पर चर्चा होगी।   भवन II  तिपुर  है व दुखंड है।  भवन के  भ्यूं तल (Ground floor ) में भंडार व  संभवतया गौशाला हैं और कक्षों के द्वारों , सिंगाड़ों में सपाट ज्यामितीय कटान से   निर्मित सपाट  हैं। 
 भवन के भ्यूंतल से पहले तल तक खोली गयी है।   खोली के मुख्य  सिंगाड़  उप सिंगाड़ों /स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए हैं।  उप स्तम्भों  में तीन से अधिक कुम्भी /घुंडी   जो उलटे कमल दल, ड्यूल व सीधे कमल दल के अंकन से निर्मित हुयी है।  खोली का शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड  चौखट है व दुतला (दो तल ) का है।  मुरिन्ड /शीर्ष /header  में दो कड़ियों के मध्य लौह छड़ियों के उप स्तम्भ स्थापित हुए हैं। 
 भनार (चमपवत ) भवन II  (बाखली )  के पहले तल में छाजों /झरोखेों /ढुड्यारों  में  काष्ठ कला -
भनार के प्रस्तुत भवन (बाखली ) के पहले तल (frist  floor ) में  4  जोड़ी छाज /झरोखे /ढुड्यार  हैं।  प्रत्येक छाज में  चौखट  लगभग सपाट  उप स्तम्भ हैं  और ढ़ुड्यार /छेड़ अंडाकार हैं ऊपर सभी के शीर्ष /मुरिन्ड में तोरणम हैं तो नीचे  दो प्रकार के हैं।  एक प्रकार जंगलादार  है याने दो कड़ियों /रेलिंग के  मध्य  बेलनाकार लघु उप स्तम्भ है। दुसरे प्रकार के  सपाट  तख्तों से आधारिक छेद  ढके हैं।  तोरणम के स्कन्धों में प्राकृतिक कला अंकिं हुआ है।  तोरणम के मध्य देव मूर्ती लटकी है। 
.  भनार (चमपवत ) भवन II  (बाखली )  के दूसरे तल में  बरामदा जंगल से सजा है।  जंगल में मुख्त स्तम्भ हैं जो आधार की कड़ी से ऊपर शीर्ष की कड़ी तक हैं।  आधार में स्तम्भ के दोनों ओर  पट्टिकाएँ  हैं।  स्तम्भों के मध्य आधार में दो फिट में  दो कड़ी  हैं।  आईपीआर की कड़ियों के मध्य   XX  आकर के लघु स्तम्भ हैं।  तो तल रेलिंग में बेलनाकार उप स्तम्भ लगे हैं। 
  भनार (चमपवत ) भवन II  (बाखली )  के दीवालों में शंकर कुल के भित्ति चित्र   चित्राकंकण हुआ है। 
 भनार के इस भवन /बाखली में अगस्त १९७७ चित्रकंकण हुआ है।
  भनार (चम्पावत ) के भवन (बाखली )  II   उत्कृष्ट वर्ग का है व प्राकृतिक , ज्यामितीय , प्राकृतिक अलंकरण कला उत्कीर्णन भी उत्कृष्ट वर्ग की ही है।   

सूचना प्रेरणा - अमृता वाल्दिया   
  फोटो आभार : जय ठक्कर
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali    House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  ; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   

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  कापकोट (बागेश्वर ) के एक भवन में  'कुमाऊं शैली; की  'काठ कुर्याणौ' ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, अंकन 

Traditional House wood Carving Art in Kapkot Bageshwar, Kumaun
कुमाऊँ, गढ़वाल,  के भवन(बाखली, तिबारी,निमदारी,जंगलेदार,मकान, खोली,कोटि बनाल)  में  'कुमाऊं शैली; की  'काठ कुर्याणौ' ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, अंकन- 389
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 धीरे धीरे बागेश्वर से भी मित्र  भवनों की सूचना प्रेषित कर रहे हैं परोक्ष या अपरोक्ष रूप से ।  आज  कपकोट के एक भवन (होम स्टे )   में  'कुमाऊं शैली; की  'काठ कुर्याणौ' ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, अंकन पर चर्चा होगी।
कपकोट का प्रस्तुत भवन (होम स्टे )  दुपुर /दोतल व दुकग्नड़ है।  भवन में  उत्कीर्णन विशेष नहीं है किन्तु  शैलीगत कटान से भवन में काष्ठ कटान की विशेष शैली विद्यमान है।
 कपकोट  के प्रस्तुत भवन के भ्यूंतल  में कक्ष भंडार हेतु प्रयोग हो रहे हैं व इनके कक्षों  के द्वारों, खिड़कियों  में व सिंगाड़ों में ज्यामितीय कटान हुआ है.
  कपकोट का प्रस्तुत भवन (होम स्टे )   में  खोली भ्यूंतल (ground  floor ) से पहले तल तक गयी है।  खोली के स्तम्भ/सिंगाड़    भी ज्यामितीय कटान से सपाट काटे  गए हैं।  खोली के शीर्ष /मुरिन्ड /header  में अंदर की और टोटरनम स्थापित है व यह भी सपाट कटाई से निर्मित है।  ऊपरी मुरिन्ड /header भी चौखट है व स्पॉट कड़ियों से निर्मित हैं।
  कपकोट का प्रस्तुत भवन (होम स्टे )    के पहले तल में  खोली शीर्ष के दोनों ओर   एक एक जोड़ी  छाज स्थापित हैं।  छाजों  के स्तम्भ सपाट कटान के हैं।  छाजों  के छेद  के ऊपर तोरणम हैं जो ज्यामितीय कटान के सपाट हैं।  खड़कियों के पटलों /panels  व स्तम्भों में भी ज्यामितीय कटान हुआ है। 
 निष्कर्ष निकलता है कि   कपकोट का प्रस्तुत भवन (होम स्टे )  में ज्यामितीय कटान से कटाई हुयी है किन्तु शैली आकर्षक है।  भवन आकर्षक है। 
 
सूचना व फोटो आभार:  सुरेंद्र लोहानी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है नकि मिल्कियत  संबंधी Iभौगोलिक  व मालिकाना   सूचना  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कांडा तहसील , बागेश्वर में परंपरागत मकानों में   काष्ठकला अंकन  ;  गरुड़, बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन  ; कपकोट ,  बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन )


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गनौरा (बेरीनाग , पिथौरागढ़ ) में  स्व  महानर  दसौनी   परिवार की बाखली युक्त भवन में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन

(यह लेख मित्र स्व. महानर दसौनी  को समर्पित )
   Traditional House Wood Carving Art  of  Ganaura ( Berinag )  , Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,उत्तराखंड, के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,जंगलेदार  मकान,खोली,कोटि बना  )  में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन, उत्कीर्णन  -  390
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 स्व मनोहर दसौनी  ने मृत्यु से एक या  दो दिन पहले ही पिथौरागढ़ से दो बाखलियों के  छायाचित्र  भेजे थे।  प्रस्तुत है उनके गाँव गनौरा (बेरीनाग , पिथौरागढ़ ) में दसौनी परिवार  की बाखली भवन में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन, उत्कीर्णन पर चर्चा की जायेगी ।
भवन /बाखली ढैपुर अथवा तिपुर  है व दुखंड /दुघर है।  भवन/बाखली के भ्यूंतल /ground floor  में कक्षों के द्वारों के सिंगाड़ों /स्तम्भ व मुरिन्ड /header  में ज्यामितीय कटान की कड़ियाँ व तख्ते प्रयोग हुए हैं।  तीनों तल की खिड़कियों में भी ज्यामितीय कटान के सिंगाड़ /स्तम्भ व मुरिन्ड /header हैं।
गनौरा में दसौनी परिवार की बाखली /भवन  के छाज पहले तल पर स्थापित हैं। छाजों  के सिंगाड़ /स्तम्भ/column में उल्टे  व सीधे कमल दल कटान से घुंडियां /कुम्भियाँ निर्मित हुयी हैं। छाजों  के ऊपरी शीर्ष।/ मुरिन्ड में  अंदर र की ओर  तोरणम हैं।  तोरणम के स्कन्धों में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है. छाज के ढुड्यार /छेद  के निम्न भाग को तख्तों से ढका है। ढक्क्न या तख्ते में भी अंकन हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  गनौरा (बेरी नाग , पिथौरागढ़ ) के दसौनी परिवार की बाखली में काष्ठ  ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है। 
 सूचना व फोटो आभार: स्व महानर  दसौनी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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फरसाड़ी  (बीरोंखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में जुयाल परिवार के भवन गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन


    Tibari House Wood Art in House of  Farsari  ,Beeronkhal  Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ, के  भवन (तिबारी,निमदारी,जंगलादार मकान,,बाखली,खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन , अंकन -391
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 फरसाड़ी  में यह तीसरा भवन है जिसकी काष्ठ कला उत्कीर्णन पर आज चर्चा होगी।  आज फरसाड़ी  (बीरोंखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में  नरेंद्र जुयाल  व भवति जुयाल परिवार   के दुपुर व दुखंड भवन में काष्ठ कला , अलंकरण उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।  भवन की शैली कुछ विशेष है कि  भवन में भव्य प्रकार की खोली है किन्तु  खोली के दोनों  पहले तल में तिबारी  होने के स्थान पर जंगले  हैं।  दोनों ओर  के जंगलों  में सपाट  स्तम्भ हैं।  आधार में दो कड़ियों के मध्य लौह जंगले हैं।
 फरसाड़ी  (बीरोंखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में  नरेंद्र जुयाल  व भवति जुयाल परिवार के भवन में खोली भी विशेष है।  खोली भ्यूंतल (ground floor ) से पहले तल टी है. खोली के दोनों और मुख्य स्तम्भ दो प्रकार के उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं। खोली के मुरिन्ड के तल उप स्तम्भों से निर्मित हैं। 
  फरसाड़ी  (बीरोंखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में  नरेंद्र जुयाल  व भवति जुयाल परिवार के खोली के एक प्रकार के  चार उप स्तम्भों में प्राकृतिक  लता जल का उत्कीर्णन हुआ है।   यह अंकन आकर्षक शैली के हैं।
दूसरे प्रकार के दो उप स्तम्भ के आधार व ऊपर घुंडियां /कम्भी हैं जो अधोगामी पद्म पुष्प दल , डयूल व उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प के उत्कीर्णन से निर्मित हुए हैं। 
खोली का मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष /header  कई स्तरों का है।  ऊपरी स्तर चौखट है। . मध्य स्तर  में तोरणम स्थापित है जिसके स्कंध में  प्राकृतिक उत्कीर्णन के अतिरिक्त स्कंध के दोनों छोर में ऊपर सूर्यमुखी जैसे पुष्प हुए हैं।
तोरणम आकृति के नीची अर्ध वृताकार आकृति उत्कीर्णन हुयी है जिसके ऊपर देव मूर्ति स्थापित है। 
 भवन का चित्र साक्षी है  कि  भवन अपने  शैशव व युवा काल में उत्कृष्ट भवन था व फरसाड़ी  का गर्व  भी था जो आज भी है। 
भवन में प्राकृतिक , ज्यामितीय , मानवीय कला अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है व कला उत्कृष्ट प्रकार की है। 
सूचना व फोटो आभार:  वीरेंद्र जुयाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal    Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवा;ल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी  अंकन  ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  अंकन   ,

Bhishma Kukreti

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पलेठी (दशौली , चमोली गढ़वाल ) में गोविन्द सिंह फरस्वाण के भवन  में   'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन,

   House Wood Carving Art  from   Palethi , Dashauli, Chamoli   
 गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली , खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में गढवाली  शैली की   'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन, - 392
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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आज  चमोली गढ़वाल के दशौली , मैठाणा   ग्राम पंचायत के अंतर्गत लेठी (दशौली , चमोली गढ़वाल ) में गोविन्द सिंह फरस्वाण के भवन  में   'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन पर चर्चा होगी. भवन दुपुर दुघर है।  भवन के पहले तल में बरामदे के बाहर काष्ठ  का जंगला बंधा है। भवन  का छज्जा   भी काष्ठ  का है।  जंगले  में खड़े -पड़े में कुल कम से कम १२ स्तम्भ हैं।  स्तम्भ सपाट हैं व ज्यामितीय कटान से चौखट स्तम्भ निर्मित हुए हैं।  स्तम्भों के मध्य दो फ़ीट ऊपर रेलिंग कड़ी  लगी हैं।  रेलिंग के मध्य XX  आकृति निर्मित हुए है।  भवन में अन्य स्थानों में भी काष्ठ पर सपाट कटान प्रयोग हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता है कि पलेठी (दशौली , चमोली गढ़वाल ) में गोविन्द सिंह फरस्वाण के भवन  में   केवल ज्यामितीय अलंकरण  प्रयोग हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: डा शशि भूषण  मैठाणी   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व   संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी


Bhishma Kukreti

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गौंडार (उखीमठ, रुद्रप्रयाग ) में पंवार   परिवार के भवन में गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन

Traditional House wood Carving Art of  Gaundar, Ukhimath,  Rudraprayag         : 
  गढ़वाल, कुमाऊँ,उत्तराखंड की भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली , जंगलादार  मकान ) में गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,- 393   
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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रुद्रप्रयाग से  काष्ठ कला युक्त कई भवनों  की सुचना निरंतर मिलती रहती हैं।  इसी क्रम में आज गौंडार (उखीमठ, रुद्रप्रयाग ) में पंवार   परिवार के भवन में गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन पर चर्चा होगी।   गौंडार (उखीमठ, रुद्रप्रयाग ) में पंवार   परिवार का प्रस्तुत भवन दुपुर व दुखंड /दुघर है।  भवन के भ्यूं तल (ground floor ) में  कक्षों के द्वारों में ज्यामितीय कटान से निर्मित द्वार व अन्य काष्ठ अंग हैं। 
भवन के प्रथम तल में काष्ठ छज्जे पर जंगला स्थापित है।  जंगले में बरामदे के बाहर 12  स्तम्भ खड़े हैं।  आधार से दो ढाई फ़ीट तक स्तम्भ सपाट हैं किंतु दो ढाई फिट के ऊपर स्तम्भों में कमल दलों ( अधोगामी कमल दल , ड्यूल व उर्घ्वगामी कमल दल अंकन ) से घुंडी व कुम्भी निर्मित हुए हैं। 
दो स्तम्भों के मध्य आधार में दो दो कड़ियाँ समांतर में हैं।  दो कड़ियों के मध्य सपाट खड़े उप स्तम्भ स्थापित हैं। जंगले  का शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड /हैडर की कड़ी भी सपाट है।  भवन के भ्यूं तल ground floor  की दीवारों में हिरण , मोर , मंदिर, वृक्ष , लता,  पुष्प  व नदी आदि प्राकृतिक भौगोलिक स्तिथि का चित्रांकन हुआ है। 
 निष्कर्ष निकलता है कि गौंडार (उखीमठ, रुद्रप्रयाग ) में पंवार   परिवार के भवन में  ज्यामितीय , प्राकृतिक काष्ठ  कला उत्कीर्ण हुआ है। दीवारों में मानवीय कला का चित्रांकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार:  अभिषेक पंवार
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


Bhishma Kukreti

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सौड़  (चम्बा , टिहरी गढ़वाल )  में एक भवन  (2 ) गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन

Traditional House Wood Carving Art of   Saur, Chamba,  Tehri   
  गढ़वाल, कुमाऊँ,  भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी , बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल  ) में गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन, - 394   

संकलन - भीष्म कुकरेती 

  चम्बा व टिहरी के अन्य क्षेत्रों से अच्छी संख्या में भवनों की सुचना मिल रही हैं।  इसी क्रम में आज सौड़  (चम्बा , टिहरी गढ़वाल )  में एक भवन में गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन पर चर्चा होगी।  सौड़  (चम्बा , टिहरी गढ़वाल )  में  प्रस्तुत  भवन दुपुर व दुखंड है।  भवन में कष्ट कला दृष्टि से भवन के पहले तल (first floor ) में तिबारी व खड़की के ढक्क्न या द्वार में ही कला उल्लेखनीय है।  अन्य स्थानों में भवन काष्ठ कला सपाट ज्यामितीय ही हैं।
  प्रथम तल में पांच स्तम्भों , चार ख्वाळों  की तिबारी स्थापित है। स्तम्भ के आधार में कमल दलों के अंकन से घुंडी व कुम्भी निर्मित दिख रही हैं. यहां से स्तम्भ सीधे हैं व सीधे ऊपर स्पॉट कड़ी के शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड /header  हैं। 
शीर्ष के ऊपर छत आधार से  आरी नुमा कार की पट्टिका भी हैं। 
निष्कर्ष निकलता है बल   सौड़  (चम्बा , टिहरी गढ़वाल ) के  एक भवन (२ ) में  ज्यामितीय व प्राकृतिक कला अंकन हुआ है। 

  सूचना व फोटो आभार:  नरेंद्र बिष्ट   
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; House Wood carving Art from   Tehri; 

Bhishma Kukreti

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  बागोरी (हरसिल , उत्तरकाशी ) में   चाय  दुकान  भवन  ( भवन संख्या 4 )   में गढवाली शैली के  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन


  Traditional House wood Carving Art in Bagori, Harsil Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड ,  की  परम्परागत भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में गढवाली शैली के  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- 395
प्रयत्न - ईरानी , अरबी शब्दों का  निषेध   
 संकलन - भीष्म कुकरेती    
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  बागोरी हरसिल क्षेत्र का सीमान्त गांव है जहाँ से कई  भवन सूचनाएं मिलती जा रही हैं। सोशल मीडिया   मित्र  ने  रोमेश भट्टाचार्य (पर्यटन फोटोग्राफर )  द्वारा एक चाय दुकान  की १९८३  में ली गयी  फोटो  भेजी।  फोटो से स्पष्ट है कि  दुकान  भवन काष्ठ का ही निर्मित है जैसा इस क्षेत्र में सामन्य है।  यह दुकान  उत्तरकाशी में भवन कला समझने हेतु एक मील स्तम्भ भी है। 
दुकान भवन की दीवारें काष्ठ की ही हैं व ज्यामितीय कटान निर्मित सपाट हैं।  भवन में  काष्ठ  स्तम्भ  में आकर्षक चित्रांकन  हुआ।  है।  स्तम्भ का निम्न भाग  लगभग चौखट व सपाट  है किन्तु ऊपरी भाग में आकर्षक चित्रकारी अंकन /उत्कीर्णन हुआ है।  चित्रउत्कीर्णन देखने लायक है।  स्तम्भ  के ऊपरी भाग में में  तीन छल्ले कटे  हुए है।  इन छलों के ऊपर भव्य अधोगामी पद्म पुष्प दल उत्कीर्ण हुआ है।  कमल दल दो स्तरों में उत्कीर्णित हुए हैं।  कमल दल भव्य हैं।  अधोगामी  पद्म  पुष्प   आधार पर   बाह्य पुष्प  दल आधार (sepals )  उत्कीर्ण हुए हैं।  बाह्य पुष्प  दल  के ऊपर ड्यूल   उत्कीर्णन  से घुंडी  निर्मित हुयी है।  ड्यूल के ऊपर कमल फूल का बाह्य दल गुच्छा है जिसके ऊपर खिला उर्घ्वगामी पदम् पुष्प दल का उत्कीर्णन हुआ है।
 बागोरी (हरसिल ) में प्रस्तुत चाय की दुकान भवन छायाचित्र ऐतिहासिक है क्योंकि अब यह दुकान  नहीं है।  यह चित्र अवश्य ही  हरसिल ,  उत्तरकाशी में भवन निर्माण शैली व काष्ठ कला  इतिहास  समझने हेतु बहुत ही महत्वपूर्ण चित्र है। 
 चित्र से स्पष्ट है कि  भवन में सपाट कटान व प्राकृतिक  अलंकरण उत्कीर्णन  हुआ है। 
फोटो आभार : रोमेश भट्टाचार्य  (1983 )
सूचना प्रेरणा - दिलीप चौहान
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   


Bhishma Kukreti

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कोटी बनाल (जौनसार , देहरादून ) में रावत परिवार के एक भवन (भवन संख्या 2   )   में गढ़वाली शैली के 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  की काष्ठ कला अलंकरण अंकन , उत्कीर्णन
गढ़वाल,  कुमाऊँ , के  भवन  ( कोटि बनाल   , तिबारी , बाखली , निमदारी)  में  गढ़वाली शैली के 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  की काष्ठ कला अलंकरण अंकन , उत्कीर्णन -
Traditional House wood Carving art of , Koti ,  Jaunsar , Dehhradun
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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जौनसार बाबर से   अच्छी  संख्या में भवनों व  काष्ठ कलयुक्त देवालयों  की  सूचना मिल रही हैं।  वास्तव में जौनसार , रवाईं ,  सीमान्त उत्तरकाशी  में भवनों में काष्ठ कला उत्कीर्णन उतना विशेष नहीं है जितना कि निर्माण शैली।  काष्ठ कटान व निर्माण शैली का अधीन अभी भी शेष है।  मेर दृष्टि से ऊपरी ऊपरी तौर पर अधिन हुआ है। 
 कोटि बनल गांव  में प्रस्तुत भवन भी  अलंकरण उत्कीर्णन  दृष्टि से विशेष नहीं किन्तु निर्माण शैली  विशेष है।  प्रस्तुत भवन,  पारम्परिक जौनसारी भवन (कोटि बनाल निर्माण  शैली )  का साढ़े तीन पुर का है।  भ्यूं तल (ground floor ) में तल ऊँचा है।  भ्यूं तल में कोटि बनाल शैली का निर्माण स्पष्ट दिखाई दे रहा है।  भ्यूं तल के ऊपर पिरामिड नुमा शैली का भवन निर्माण हुआ है।  दूसरे से तीसरे तल में सपाट कटान के तख्तों से दीवालें निर्मित हुयी हैं।   सभी  काष्ठ पटिलों में सपाट  ज्यामितीय कटान का ही प्रभुत्व है।  जंगले , स्तम्भ , कड़ियाँ सभी ज्यामितीय कटान  की कला दृष्टिगोचर हो रहा है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  कोटी बनाल (जौनसार , देहरादून ) में रावत परिवार के एक भवन (भवन संख्या 2   )  में भवन निर्माण शैली,  काष्ठ कटान , व काष्ठ उपयोग बहुत विशेष है तथा  कला दृष्टि से कोटी बनाल (जौनसार , देहरादून ) में रावत परिवार के एक भवन (भवन संख्या 2   )  में ज्यामितीय अलंकरण कला ही स्पष्ट उभरी है। 
सूचना व फोटो आभार : दिनेश रावत
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar Dehradun; Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar, Uttarkashi;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar, Chakrata;     Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar, Kalsi;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar Devdhar;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar, Bharam ;  Koti Banal House Wood carving art in  Tyuni, Jaunsar;   कालसी जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;    त्यूणी जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;     चकरोता जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  बड़कोट   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;     भरम जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  हनुमानचट्टी   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  यमुनोत्री   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;

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धानाचूली  (नैनीताल ) के एक भवन  के   छाजों  में कुमाऊं शैली  की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अंकन,अलंकरण


   Traditional House Wood Carving Art in Dhanachuli,  Nainital; 
  कुमाऊँ,गढ़वाल के भवन (बाखली, तिबारी निमदारी, जंगलादार  मकान, खोली,कोटि बनाल)  में कुमाऊं शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला, अंकन,अलंकरण,उत्कीर्णन - 397
(प्रयत्न किया है कि आलेख में इरानी , इराकी , अरबी शदब न हों )
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 नैनीताल से भी  काष्ठ  कला युक्त भवनों  की  सूचना  मिल रही हैं।  आज  धानाचूली के एक भवन के  छाजों /झरोखों में काष्ठ कला , अंकन अलंकरण, उत्कीर्णन   पर चर्चा होगी। भवन  छाज पहले तल पर स्थापित हैं। 
छाज भ्यूं तल के ऊपर  काष्ठ बौळी / धरन /Beam  है  जिस पर पहला तल  के  छाज आधारित हैं।  बौळी  चौकोर है व कम से कम  छह  इंच  चौड़ी होगी।     बौळी के इस भाग में महीन व उत्कृष्ट कला उत्कीर्णन हुआ है।  बोळी के किनारे के  आयत में  लतानुमा तरंगित उत्कीर्णन हुआ है।  मध्य के आयत में सरसों के पुष्प दो तीन    चौकोरों के अंदर  अंकित हुए हैं।  कुछ पुष्प हृदय आकृतियों के अंदर भी उत्कीर्ण हुए हैं।   अंकन महीन व  बहुत ही आकर्षक हुआ है। 
छाजों /झरोखों /गवाक्षों /windows के स्तम्भ दो प्रकार के कला शैली के स्तम्भ हैं।  एक प्रकार के स्तम्भ में सामान्य व लौक्य कला  है।  ऐसे स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकित हैं , ऊपर ड्यूल हैं व ऊपर उर्घ्वगामी पद्म दल अंकन हुआ है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकार में ऊपर चढ़ता है और फिर कला की व्ही पुनरावृति होती है।  दूसरे प्रकार के स्तम्भ में स्तम्भ सपाट भाग के मध्य में चक्र व लता कला अंकनीत हुयी हैं।  तीसरे प्रकार के स्तम्भ में वृष व लता अंकन हुआ है। 
छाजों के निम्न  ढक्कनों फर्न पत्तियों आदि प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है। 
 दो छाजों  के शीर्ष में तोरणम  (मेहराब ) स्थापित हुए हैं।  तोरणम के स्कन्धों में परं , लता जाल आदि का अंकन हुआ है।  छाजों के अतिरिक्त स्तम्भों के मध्य ऊपर से नीचे के तख्तों में पुष्प व पुष्प जाल अंकन हुआ है।  छाजों  के ऊपर मुरिन्ड  में भी प्राकृतिक कला अंकन हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता है कि धानाचूली  (नैनीताल ) के एक भवन  में   छाजों  में  प्राकृतिक व ज्यामितीय कला , अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है।  कला उत्कृष्ट है व महीन है। 
सूचना व फोटो आभार: सुमन अर मुक्ता नाइक
प्रेरणा - सुभाष कठैत
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar, Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
धानाचूली नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण . धानाचुली में भवन कला 


 

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