Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37165 times)

Bhishma Kukreti

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  दियारी (कुटौली , नैनीताल ) के एक छाज में  कुमाऊं शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन

 
   Traditional House Wood Carving Art in  Diyari, Kutauli Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान,  खोली, )  में कुमाऊं शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन  - 418
(प्रयत्न किया है कि आलेख में इरानी, इराकी , अरबी   शब्द न हों )
संकलन - भीष्म कुकरेती
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  नैनीताल के दियारी गाँव जग प्रसिद्ध बाखली में काष्ठ उत्कीर्णन कला सर्जक  स्वर्गीय गंगा   राम के कारण प्रसिद्ध है।  समीर बिष्ट की प्रेरणा से इसी गांव में एक छाज की सूचना मिली है।  प्रस्तुत छाज  अलग से दिख रहा है।  छाज/ झरोखा  में दो छेद /ढुड्यार  हैं व उन ढुड्यारों  के ऊपर भी व निम्न ओर भी ढक्क्न हैं जो काष्ठ कला युक्त हैं। 
छाज के नीचे एक  चौकोर आयताकार बौळी/शहतीर   है जिस पर पूरा छाज /झरोखा टिका है।  आयताकार  बौळी में आकर्षक उत्कीर्णन हुआ है।  बौळी में गोलाकार रेखाओं का आकर्षक रिखड़ा  अंकन हुआ है।  मध्य में किनारों पर  तीर के पीछे वाली आकृति अंकन हुआ है। 
छाज में कुल  दो मुख्य स्तम्भ /सिंगाड़  हैं जो दो दो उप स्तम्भों या सिंगाड़ों के युग्म से निर्मित हुए हैं।   प्रत्येक उप स्तम्भ या उप सिंगाड़ों  में कला एक जैसे ही है।  उप स्तम्भ के आधार की कुम्भी अधोगामी पद्म पुष्प दल व ड्यूल व उसके ऊपर  ऊर्घ्वगामी पंकज पुष्प दल  से निर्मित हुए हैं व यही कला आकर स्तम्भ के ऊपर भी स्थापित हैं।  स्तम्भों में अन्य  प्राकृतिक आकार  भी अंकित है। 
 छाजों  के  ढुड्यारों ऊपरी  भाग में तोरणम कुर्याए /उत्कीर्णन हुआ है।  इन तोरणम में  चोटी / धमेली जैसे सर्पीली  लताओं  का अंकन हुआ है। 
छाजों  के  ढक्क्न दो प्रकार के हैं।  ऊपरी भाग साधारण आधुनिक दरवाजों के पैनल जैसे हैं तो निम्न तलों में  हृदयाकार में लतायुक्त आकृतियां अंकन हुआ है।   
निष्कर्ष निकलता है कि  दियारी में  प्रस्तुत   छाज में प्राकृतिक व ज्यामितीय कला अलंकरण अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: अलाप ngo
   सूचना प्रेरणा - समीर सिंह बिष्ट
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital; Traditional House Wood Carving Art in Haldwani,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar, Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन ,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण , उत्कीर्णन 


Bhishma Kukreti

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देवरा  (अल्मोड़ा ) के एक भव्य भवन में कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन   
Traditional House Wood Carving art of,  Deora, Almora, Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन -419 
 (प्रयत्नहै कि इरानी , इराकी , अरबी शब्द वर्जन )
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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  अल्मोड़ा से अच्छी संख्या में  भवनों की सूचना व सूचना सोत्र  मिल रहे हैं।  आज इसी क्रम में देवरा  (अल्मोड़ा )  (होम स्टे ) के एक भव्य भवन में कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  पर चर्चा की जायेगी। भवन बड़ी बाखली (सामूहिक  रहवासियों का वास भवन ) है।  भवन के भ्यूंतल (ground floor ) में कक्षों/खिड़कियों  के  द्वारों , सिंगाड़ों  में ज्यामितीय कटानों की काष्ठ कला विद्यमान है। 
काष्ठ कला अंकन पहले तल में खोली व छाजों  के द्वार , सिंगाड़ों  व खड़कियों के स्तम्भों में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। खोली के व छाजों  के उप स्तम्भों में काष्ठ कला अंकन शैली लगभग एक जैसी ही है व  अधोगामी पद्म पुष्प अंकन , ड्यूल व उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प अंकन  से घुंडियां या कुम्भियाँ  निर्माण मुख्य हैं।  खोली  व छाजों  के कमल दल अंकन के मध्य लिपटी लता /सर्पीली कला अंकन भी हुआ है।
छाजों के अंडाकार ढुड्यारों/छेदों  के ऊपरी  भाग में तोरणम स्थापित हैं।  तोरणम के संधों में भी उत्कीर्णन दृष्टिगोचर होता है।   ढुड्यारों  के निचले तल में ढक्क्नों  में ज्यामितीय कटान का अंकन हुआ है। 
पहले तल की खड़की में सिंगाड़ों  में कमल दलों से घुंडी /कुम्भी निर्मित हुयी है। 
 आश्चर्य है कि भवन में कोई देव मूर्ति दृष्टिगोचर नहीं हुयी है। 
 निष्कर्ष निकलता है कि देवरा  (अल्मोड़ा ) के एक भव्य भवन में  ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण कला अंकन हुआ है।   काष्ठ कला के कलाकार प्रसिद्ध शिल्पी स्व गंगराम थे। 

 फोटो आभार :   रेणुका
  सूचना प्रेरणा - जगदीश रावत
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


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स्वाला (चम्पावत ) के एक जीर्ण भवन में ' कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन 

Traditional House Wood carving Art of  Swala, Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन  -420
( लेख में इरानी , इराकी अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास हुआ है )
 संकलन - भीष्म कुकरेती  
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स्वाला गाँव भुतहा गांव नाम से जाना जाता है।  यहां के कुछ जीर्ण शीर्ण भवनों की सूचना फेसबुक मित्रों से मिली है।  इसी क्रम में आज स्वाला (चम्पावत ) के एक जीर्ण भवन में ' कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन   पर चर्चा की जाएगी। 
प्रस्तुत सूचित  जीर्ण शीर्ण भवन  एक बाखली (सामूहिक भवन )  है जिस पर पहले तल में  सामन्य कुमाऊं शैली के छाज /झरोखे  स्थापित नहीं हुए हैं अपितु  गढ़वाली शैली की तिबारी (बरामदा  स्तम्भों से ढका होना )  स्थापित है।  पहले तल में छज्जा भी पौड़ी गढ़वाल के भवनों जैसा ही है जबकि कुमाऊं में पारम्परिक भवनों में इस प्रकार छज्जा नहीं मिलता है।  भवन दुपुर -दुघर है।
  स्वाला (चम्पावत ) के एक जीर्ण भवन में भ्यूंतल में कक्षों में जो भी है वः ज्यामितीय कटान की कटाई से दरवाजों स्तम्भों में सपाट काष्ठ है।
 स्वाला (चम्पावत ) के एक जीर्ण भवन में पहले तल पर  तीन  अथवा चार तिबारियों के चिन्ह मिलते हैं ।   चित्र में एक तिबारी अभी भी अध्ययन लायक है।  तिबारी सात  मुख्य स्तम्भों /सिंगाड़ों  से निर्मित हुयी है।  प्रत्येक मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए हैं।  उप स्तम्भ आयताकार तो हैं किन्तु आधार में कटान से काट कर कमल दल की  घुंडियां /कुम्भियाँ निर्मित हुए हैं।  सातों सिंगाड़ /स्तम्भ ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड/header  की कड़ियों से मिलते हैं।  मुरिन्ड कड़ियाँ में प्राकृतिक लता नुमा कला अंकित हुयी है। 
आश्चर्य है कि स्वाला (चम्पावत ) के एक जीर्ण भवन में कोई मानवीय (जंतु , देव मूर्ती जैसे ) कोई अलंकरण कला दृष्टिगोचर नहीं होती है।
  निष्कर्ष निकलता है कि स्वाला (चम्पावत ) के एक जीर्ण भवन में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण कला उत्कीर्णन हुआ है।   
सूचना व फोटो आभार : चंदन सिंह   चौधरी (फेसबुक से )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021


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 जाखनी  (     पिथौरागढ़    ) में उप्रेती परिवार के  भवन में  काष्ठ कला

जाखनी  (गंगोलीहाट ,   पिथौरागढ़ ) उप्रेती परिवार के  पारम्परिक भवन में  कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन
   Traditional House Wood Carving Art  of   Jakhani ,  Gangolihat  Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन - 421
(प्रयत्न है कि ईरानी , इराकी व अरबी  शब्दों  की वर्जना हो )   
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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पारम्परिक भवनों में कुमाऊं शैली की काष्ठ उत्कीर्णन  संदर्भ में आज  जाखनी  (गंगोलीहाट ,  पिथौरागढ़  ) में उप्रेती परिवार के  पारम्परिक भवन में में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन पर चर्चा होगी।
प्रस्तुत  जाखनी  (गंगोलीहाट , पिथौरागढ़  ) में उप्रेती परिवार का   पारम्परिक भवन तिपुर (तीन तल floors  वळ )  है व दुखंड /दुघर/तिभित्या  है।  भवन बाखली /सामूहिक वसाहत  वाला पारम्परिक भवन है। 
  जाखनी  (गंगोलीहाट , पिथौरागढ़) में उप्रेती परिवार के  पारम्परिक भवन/ बाखली में काष्ठ कला दृष्टि से निम्न स्थल महत्वपूर्ण हैं -
१- भ्यूं तल /ground floor में  काष्ठ कला -
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भ्यूं तल /ground floor  के कक्षों के द्वारों, द्वार के  सिंगाड़ों, मुरिन्ड /header में व ऊपरी तलों के  कुछ झरोखों /छाजों  के निम्न तल के पटिलों  में ज्यामिति कटान से निर्मित सपाट पन  है।
२- कमल दल उत्कीर्णन कला -
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 खोली , सभी छाजों /ढुड्यारों /झरोखों/ग्वाख /वातायनम्   के सिंगाड़ों /स्तम्भों या उप सिंगाड़ /स्तम्भों  में  अधोगामी (उल्टे ) पद्म  पुष्प दल अंकन, ड्यूल उत्कीर्णन , उर्घ्वगामी  (सीधे ) पद्म पुष्प दल उत्कीर्णन  से कुम्भियाँ /घुंडियां या घटपेट निर्मित हैं।  कुछ सिंगाड़ों में कुम्भी निर्माण का दुहराव है कुछ में नहीं है।   खोली , ढुड्यारों, गवाक्षों में अधिसंख्य सिंगाड़ों /columns  में कुम्भी  उपरांत स्तम्भों /सिंगाड़ों  के उपरांत स्तम्भों /सिंगाड़ों  में प्राकृतिक कला उत्कीर्णन (लता नुमा या गुंथी लताएं )
तोरणम में काष्ठ कला -
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खोली व प्रत्येक ढुड्यार /छाज/गवाक्ष के ऊपरी   भाग  में अंदर की ओर तोरणम / arch निर्मित हुए हैं।  तोरणम स्कन्धों में या तो प्राकृतिक कला उत्कीर्णन हुआ है या सपाट  दृष्टिगोचर हो रहे हैं।
खोली के मुरिन्ड /header ऊपर के चौखट में काष्ठ कला उत्कीर्णन -
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 खोली के मुरिन्ड /header के ऊपर छपरिका  के नीचे एक आयताकार काष्ठ आकर है जिसमे  ६   वर्गाकार चौखट  के अंदर ६ भिन्न भिन्न चतुर्भुज डिवॉन की प्रतिमाएं स्थापित हैं।  ये देव सुरक्षा (जैसे हनुमान ) , सुख के प्रतीक हैं। 
 बौळी / शहतीर में काष्ठ कला -
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पहले तल के छाज /गवाक्ष /ढुड्यार  शक्तिशाली चौखट , आयाताकार  काष्ठ कड़ी  /बौळी   पर स्थित  हैं।  इस तरह की दो बौळियां  हैं।  बौळि  के अंदर आयातकार अंडाकार रूप में  गुंथे लता लड़ियों  का आकर उत्कीर्णन हुआ है व लकीरों का भी उत्कीर्णन हुआ है।  बौळी /girder  के किनारे दो दो लघु स्तम्भ भी स्थापित हुए हैं जिन पर  कमल पुष्प दल उत्कीर्णन  से कुम्भी निर्मित हुयी हैं। 
छाज /ढुड्यार /गवाक्षों के निम्न ढक्क्नों में कला -
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पहले तल के छाज /ढुड्यार /गवाक्षों के निम्न ढक्क्नों में सपाट कला है। 
दूसरे तल के छाज /ढुड्यार /गवाक्षों के निम्न ढक्क्नों में भिन्न भिन्न प्रकार की कला उत्कीर्णन हुआ है।  एक ढक्क्न में  चार हृदयाकार पीपल पत्तियों जैसी आकृतियां अंकित हुयी हैं।  दूसरे ढक्क्न में घड़े के अंदर पत्तियों का जैसा अंकन हुआ है व बाहर लम्बी पत्तियां दृष्टिगोचर हो रही हैं।  तीसरे ढक्क्न में ज्यामितीय आकृतियां अंकित हई हैं संभवतया आकर्षण हेतु।  चौथे ढक्क्न में  लघु पत्तियों का सुंदर अंकन हुआ है। 
पहले व दूसरे तल की मोरियों /खिड़कियों के स्तम्भ सपाट  ही दृष्टिगोचर हो रहे हैं। 
 निष्कर्ष निकलता है प्रस्तुत  जाखणी , गंगोलीहाट के उप्रेती परिवार का  भवन /बाखली भव्य है व भवन में भव्य , आकर्षक काश्त कला उत्कीर्णन हुआ है जिसमे ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण  प्रयोग हुआ है।   
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सूचना व फोटो आभार: जगदीश चंद्र
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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फलदा  गांव के एक भवन में  गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन

    Tibari House Wood Art in House of   Falda Village, Kaljikhal  , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ,की भवन (तिबारी,निमदारी,जंगलदार मकान,,बाखली,खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -422
  ( ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास )
 संकलन - भीष्म कुकरेती    
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 कल्जीखाल ब्लॉक से कई  काष्ठ कला युक्त भवनों की  सुचना मिली है।  आज मनोस्ज़ इष्टवाल द्वारा प्रेषित फलदा  के एक भवन में 'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन पर चर्चा होगी।  प्रस्तुत भवन तिपुर व दुखंड है।  भवन भव्य श्रेणी में आता है।  भवन के भ्यूं तल (ground floor ) व पहले तल में कक्षों के द्वारों में व कक्षों में साधारण ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर हो रही है। 
भवन कला दृष्टिकोण से , फलदा  के भवन के तिपुर में  काष्ठ छज्जे  पर बाहर जंगला   उल्लेखनीय है।  फलदा के इस भवन  के तीसरे तल के जंगल में  सामने की  ओर  से तरह स्तम्भ स्थापित हुए हैं।  स्तम्भ सीधे सपाट कला युक्त हुए हैं।  जंगल के आधार पर उप जंगल हैं जहां रेलिंग के मध्य XX  उप स्तम्भ निर्मित हुए हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि  फल्दा (कल्जीखाल , पौड़ी ) के एक भवन में ज्यामितीय अलंकरण कला अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: प्रसिद्ध पत्रकार मनोज इष्टवाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal    Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवा;ल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी  अंकन  ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  अंकन   , 


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डुंगर (पोखरी, चमोली )  के  बलबीर सिंह परमार परिवार  के  भवन में पारम्परिक गढवाली  शैली की 'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन
  Traditional  House Wood Carving Art  from   Dungar, Pokhari   , Chamoli   
 गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली, खोली) में  पारम्परिक गढवाली  शैली की 'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन, -423   
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 आज  डुंगर  (पोखरि , चमोली ) प्रसिद्ध इतिहासकार राय बहादुर पातीराम परमार के कुल के भवन में पारम्परिक गढवाली  शैली की 'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन पर चर्चा होगी। डूंगर  का परमार भवन भव्य भवन है।  डुंगर ९चमोली ) का प्रस्तुत परमार भवन दुपुर , दुखंड है।  डुंगर के परमार कुल भवन में  निम्न स्थलों में निम्न प्रकार की काष्ठ कला , काष्ठ अलंकरण दृष्टिगोचर होता है।
  भ्यूंतल में रसोई के  मुरिन्ड  header में  कष्ट कला - मुरिन्ड में कड़ियों में रेखाओं का उत्कीर्णन कर  सजाया गया है। इस कड़ी के निम्न भाग या मुरिन्ड के आंतरिक भाग में  तोरणम तो है किन्तु तोरणम का ऊपरी भाग धनुष्कार नहीं है अपितु ऊपर कड़ी का चौखट है।  तोरणम के स्कन्धों में बिच्छू जैसी आकृति व मुड़ी लता/केशर आकर स्थापित हुआ है। 
रसोई  कक्ष व बगल के कक्ष के ऊपर लम्बोतर समांतर व आड़े में काष्ठ चौखट हैं इन चौखटों के निम्न भागों में चारपाई के पाए जैसे स्तम्भ उत्कीर्णित हैं।  रसोई के व दूसरे कक्ष में ऊपर की दीवाल में मध्य में   कला युक्त   आला है जो आकर्षक है।
भ्यूं तल में दासों जो छज्जों को आधार देते हैं भी आकर्षक  कला युक्त हैं जिनमे हाथी मुख व  मोटा  पुष्प केशर की आकृति  दृष्टिगोचर हो रही है। 
भ्यूंतल में काष्ठ कला युक्त खोली भी विद्यमान है।  खोली में दोनों ओर  मुख्य स्तम्भ /सिंगाड़  हैं जो दो प्रकार के उप स्तम्भों /सिंगाड़ों  के युग्म से निर्मित हुए हैं।  एक प्रकार के उप स्तम्भ के आधार में उलटे कमल दल , ड्यूल व सीधे कमल दल से कुम्भियाँ /घुंडियां निर्मित हुए हैं।  इन कुम्भी के ऊपर सिंघाड़ों में लड़ी दर लता पुष्प आदि का प्राकृतिक अंकन हुआ है। 
खोली के मुरिन्ड header  में  चतुर्भुज गणेश मूर्ति स्थापित है।  मुरिन्ड के ऊपर aura /देव आभा प्रतीक भी उत्कीर्ण हुआ है।  मुरिन्ड /header के ऊपरी भाग (छपरिका के नीचे )  पत्ती  आदि का अंकन आकृति / झालर अंकन हुआ है। 
भवन के पहले तल में काष्ठ कला युक्त स्तम्भों से तिबारी निर्मित हुयी है।  तिबारी में चार स्तम्भ हैं व   भव्य तिबारी है जो गढ़वाल की तिबारी का पूर्ण रुपेण प्रतिनिधित्व करती है।  चरों स्तम्भ एक समान हैं।  स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प इसके ऊपर ड्यूल व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प अंकन हुआ है इसके ऊपर स्तम्भ लौकी आकर है और पुनः इन  पदम् पुष्प दल की पुनरावृति हुयी है।  स्तम्भ ऊपरी कमल दल से थांत आकर हो ऊपर मुरिन्ड /header कड़ी से मिलता है। ऊपर दो स्तम्भों के शीर्ष में आकर्षक तोरणम स्थापित हुआ है।  तोरणम के आंतरिक स्तरों में व स्कन्धों में प्राकृतिक कला दृष्टिगोचर होती है।  तोरणम के ऊपर कोई  देव प्रतीकात्मक आकर भी स्थापित है।
  निष्कर्ष निकलता है प्रसिद्ध इतिहासकार  राय बहादुर पातीराम परमार  के कुल की इस  भव्य तिबारी  में  ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण कला अंकन हुआ है।
  यह भवन भी सिद्ध करता है कि  तिबारी शैली के भवनों का  सन 1900 के लगभग ही निर्माण शुरू हुआ।  स्व पतिराम के पोते बलबीर सिंह परमार ने यह भवन निर्माण करवाया अर्थात ब्रिटिश काल में  स्व पातिरम के समय तब इस  शैली के भवन नहीं निर्मित होते थे।  यदि होते तो इसे बलबीर सिंह परमार का भवन न कहा जाता। 
 
सूचना व फोटो आभार:  संजय चौहान   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath , Chamoli Garhwal, Uttarakhand;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी

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जसोली (रुद्रप्रयाग ) के एक भवन में पारम्परिक  गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन

Traditional House wood Carving Art of Jasoli, Rudraprayag         : 
  गढ़वाल, कुमाऊँ,के भवन (तिबारी, निमदारी, जंगलेदार  मकान, खोलियों) में पारम्परिक गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,-  424
(लेख में ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों की वर्जना )
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
-
 रुद्रप्रयाग के जसोली के एक भवन  की पारम्परिक  गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन पर चर्चा की जाएगी। 
जसोली का प्रस्तुत भवन  दुपुर व दुघर /दुखंड है।  भ्यूंतल (ground floor ) में भंडार व गौशाला कक्ष हैं।  छायाचित्र से विदित होता है कि गौशाला व भंडार कक्षों के मुरिन्ड /header में किनारे  काष्ठ तोरणम स्कंध थे जिन पर उत्कीर्णन हुआ है। एक कक्ष के  तोरणम स्कंध  में ॐ  भी उत्कीर्ण हुआ है।
 भ्यूंतल में शेष स्थलों में उल्लेखनीय काष्ठ  कला दृष्टिगोचर नहीं हो रही है।
  जसोली (रुद्रप्रयाग ) के  प्रस्तुत भवन में पहले तल में चार स्तम्भों (तीन ख्वाळों ) की एक आकर्षक  तिबारी है  जिसने पता नहीं कितनी बरातों का स्वागत किया होगा।  तिबारी के स्तम्भों के आधार में ज्यामितीय कटान से ही घुंडी  निर्मित हुयी हैं और शेष स्थल सपाट हैं।  तिबारी के मुरिन्ड /header  की कड़ी भी सपाट है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  जसोली (रुद्रप्रयाग ) के  प्रस्तुत भवन में मुख्यतया ज्यामितीय कटान की कला ही महत्वपूर्ण है।  अपने समय में भवन भव्य था। 
सूचना व फोटो आभार:  अरविन्द भट्ट
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


Bhishma Kukreti

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  टिहरी  गढ़वाल के एक गाँव के भव्य सात स्तम्भों की तिबारी में  पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन

Traditional House Wood Carving Art of  a Village  , Tehri   
  गढ़वाल, कुमाऊँ,  भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन- 425     
(लेख में ईरानी, इराकी, अरबी की वर्जना हुयी है। )

संकलन - भीष्म कुकरेती 
प्रसन्नता है कि टिहरी  गढ़वाल से कई क्षेत्रों से काष्ठ  कला युक्त भवनों की सूची मिलती जा रही है।    आज इसी क्रम में टिहरी गढ़वाल जनपद के एक गाँव में भव्य व सात स्तम्भों (छह ख्वाळ ) वाली तिबारी की काष्ठ कला पर चर्चा होगी। 
सभी स्तम्भ एक सामान हैं।  स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल , ड्यूलों , गुलबंदों जैसे आकृतियों  व ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी संरचना निर्मित हुयी हैं।  इसके ऊपर स्तम्भ लौकी आकर धारण कर लेता है।  जहां  स्तम्भ की सबसे हीन मोटाई है वहां से उल्टे कमल दल , माला , ड्यूल व सीधे कमल दल का उत्कीर्णन हुआ है जो कुम्भी निर्माण करते हैं।  यहीं से स्तम्भ उत्कीर्णित थांत (cricket bat blade type structure ) की आकृति धारण कर ऊपर मुरिन्ड/ header  की कड़ियों  से मिल जाता है। स्तम्भ के ऊपर कमल दलों में भी कला उत्कीर्ण हुयी है।   यहीं पर तोरणम का एक अर्धचाप भी निर्मित होता है।  तोरणम /arch  में प्राकृतिक /लता पर्ण  का उत्कीर्णन हुआ है।  मुरिन्ड /header  की कड़ियों में प्राकृतिक जले जैसे आकृति का उत्कीर्णन हुआ है।
  निष्कर्ष निकलता है कि तिबारी भव्य है और ज्यामितीय  व प्राकृतिक कटान का अंकन हुआ है।  आश्चर्य है कि  मानवीय /दैवीय अलंकरण दृश्टिगचर नहीं हुआ है। 
  सूचना व फोटो आभार: सुरेंद्र  सिंह कंडारी   
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की पारम्परिक भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में   पारम्परिक भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  पारम्परिक  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from  Tehri;


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  कुमाटी (उत्तरकाशी ) के एक भवन में गढवाली शैली  की   काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन

  Traditional House wood Carving Art in Kumati, Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ ,   के   पारम्पपरिक   भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में  गढवाली शैली क की   काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- 426
प्रयत्न - ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों का निषेध
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
-
  उत्तरकाशी सदियों से काष्ठ कलयुक्त भवनों हेतु गढ़वाल में प्रसिद्ध रहे हैं।  इसी कर्म में आज   कुमाटी (उत्तरकाशी ) के एक भवन में गढवाली शैली  की   काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन पर चर्चा होगी।  भवन कुछ कुछ उत्तरकाशी के आदि काल शैली प्रभावित है।  भवन दुपुर दुखंड है।  भवन के अगले भाग में भ्यूंतल व पहले तल में सत्मव्ह /खाम स्थापित हैं।  पहले तल में सामने बरामदे  के छज्जे ऊपर  जंगला बंधा है।  जंगल में चार स्तम्भ /खाम स्थापित हुए हैं।  बरामदे व बगल की दीवार को काष्ठ के पट्टियों /तख्तों से ढके हैं। 
समस्त भवन में जहां भी काष्ठ प्रयोग हुआ है वः ज्यामितीय कला से कटान हुआ है।  भवन में आदि काल की कला सर्वत्र दृष्टिगोचर होती है। 
सूचना व फोटो आभार :  देवेंद्र चौहान  (FB )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;  पारम्परिक   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  पारम्परिक , रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  पारम्परिक  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   


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धानाचूली  (नैनीताल ) के एक भवन के छाज में कुमाऊं शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन 

            धानाचूली भवन संख्या ४ में   काष्ठ  कला चर्चा

   Traditional House Wood Carving Art in Dhanachuli Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान,  खोली, )  में कुमाऊं शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन-427
(प्रयत्न किया है कि आलेख में इरानी , इराकी , अरबी   शब्द न हों )
संकलन - भीष्म कुकरेती
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धानाचूली  से कई भवनों की सूचना मिली हैं।  इसी क्रम में आज  धानाचूली  (नैनीताल ) के एक भवन के छाज में  कुमाऊं शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन  पर चर्चा होगी।  छाज  भ्यूं तल  के ऊपर  आकर्षक  कलयुक्त बौळी/ beam  /शहतीर  पर टिका है। बौळी  आयताकार आकर में है।  बौळी के चरों और चौकोर लकीरें कटी हैं।  ये लकीरें बिंदु व //// आकर की कला अंकन हुआ है।  मध्य के चौखट के अंदर  चार पुष्प दल का अंकन बाहर की और हुआ है।  अंदर के तल में हृदय के अंदर चौपत्तियों  का  जाल अंकन हुआ है।   बौळी सुडौल है।
          भवन में दो छाज/ ढुड्यार /झरोखे  हैं।  इन छज्जों के  बायीं व दायीं ओर  के छेदों  को आकर्षक व कलायुक्त पट्टियों /तख्तों से ढके हैं।  इन ढक्क्नों में चार पत्तियों के अंकन जाल अंकन हुआ है।  इन ढक्क्नों के दोनों और बड़ी तख्ती है जिन पर  अशोक चक्र  व पुष्प  पट्टी आदि का आकषक अंकन हुआ है।  इन पट्टियों के किनारे स्तम्भ हैं स्तम्भ स्थापित हैं जिनमें घुंडियों /कुम्भियों का अंकन हुआ है।
   छज्जों के मुख्य स्तम्भ /सिंगाड़  उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए हैं।  स्तम्भ के आधार में अधोगामी  पद्म पुष्प दल अंकन से कुम्भी निर्मित हुयी है , इस कुम्भी के ऊपर ड्यूल अंकित हुआ है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकन हुआ है पुनः ड्यूल है जिसके ऊपर खिला उर्घ्वगामी  पद्म पुष्प  अंकन हुआ है।  इसके ऊपर से स्तम्भ लौकी आकर ले ऊपर बढ़ता है।  जहां पर सबसे हीन मोटाई है वहां से अधोगामी पद्म पुष्प दल अकन हुआ है इसके ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर सीधा कमल दल अंकित है।  यहां से स्तम्भ  थांत   (cricket  Bat  blade  जैसा ) आकृति  धारण करते ऊपर कलयुक्त कड़ी से मिल जाता है।  यहीं से छाज के छेदों के ऊपरी भागों के तोरणम का अर्ध चाप भी शुरू होता है।  छाज के अंदर ऊपरी भाग के तोरणम  के स्कन्धों में भिंटल /छोटी जैसे , लता व पत्तियों के आकर्षक जाल का अंकन हुआ है।  तोरणम के स्कन्धों में  चक्षु आकर्षी  कुर्याण /अंकन / उत्कीर्णन हुआ है।  छज्जों के ऊपर की कड़ियों में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है। 
छाजों  के नीचे के  दोनों दुंळ /छेद  के ढक्क्नों में भी  फर्न , पत्ती  ादियों  का अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है। 
 निष्कर्ष निकलता है कि धानाचूली के भवन संख्या ४ के  छाजों  व बौळी  में  आकर्षक  काष्ठ  का ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण कला अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: सुरेंद्र  मेहता
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar, Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन ,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण , उत्कीर्णन 

 

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