Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37103 times)

Bhishma Kukreti

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  राईला  (नैनीताल )  के एक भवन  में कुमाऊं शैली  की काष्ठ कला अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन

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   Traditional House Wood Carving Art in  Raila Nainital;
कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन (बाखली,तिबारी,निमदारी,जंगलादार मकान,खोली ) में कुमाऊं शैली  की काष्ठ कला अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन-448 
(प्रयत्न किया है कि आलेख में इरानी , इराकी , अरबी   शब्द न हों )
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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 गढ़वाल की तरह ही कुमाऊं में जंगलेदार भवन निर्माण शैली  का मूल संभवतया  हरसिल राजा विल्सन का बंगला है।  इस सर्वेक्षण में पाया गया कि गढ़वाल में जंगलेदार भवनों की संख्या अधिक पायी गयी व कुमाऊं क्षेत्र में न्यून संख्या। 
प्रस्तुत भवन (संभवतया होम स्टे है )  स्वतंत्रता के पश्चात का निर्माण है व छत में ब्रिटिश शैली का प्रभाव है।  प्रस्तुत   राईला  (नैनीताल )  का   भवन  दुपुर व दुखंड /तिभित्या  है।  भवन में काष्ठ उत्कीर्णन /कुर्याण  नहीं है अपितु ज्यामितीय कटान से निर्मित स्तम्भ महत्वपूर्ण (शैली )  है।
  भवन के भ्यूंतल (Ground  Floor ) व पहले तल में  तीनेक फिट के बरामदे हैं दोनों ब्रांडों में बाहर  सात सात ज्यामितीय कटान से निर्मित चौखट स्तम्भ हैं। 
पहले तल में दो स्तम्भों के मध्य दो ढाई फिट की ऊंचाई में जंगला बंधा है और  दो कड़ियों के मध्य ज्यामितीय कटान का सपाट  जंगल है जिसमे XX  आकर की सरंचना निर्मित है।
  निष्कर्ष निकलता है कि   राईला  (नैनीताल )  के  प्रस्तुत  भवन  में ज्यामितीय कटान की कला ही प्रमुख काष्ठ कला है। 
सूचना व फोटो आभार: मनोज मेहता
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar, Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन ,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण , उत्कीर्णन 


Bhishma Kukreti

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अल्मोड़ा बाजार के एक  भवन खोली  (गजेंद्र बिष्ट छायाचित्र ३ ) में  कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन
Traditional House Wood Carving art of, Almora Bazar, Almora district Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन - 449 
 (प्रयत्नहै कि इरानी , इराकी , अरबी शब्द वर्जन )
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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  गजेन्द्र बिष्टसंग्रह से अल्मोड़ा बाज़ार के कई भवनों के छाया चित्र प्राप्त हुए हैं।  आज  गजेन्द्र बिष्टद्वारा प्रेषित अल्मोड़ा बाजार के एक भवन खोली में  कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।  अल्मोड़ा बाजार के प्रस्तुत भवन की खोली  अपने  युवा काल में बड़ी आकर्षक रही होगी और आज भी आकर्षक है। 
खोली में दोनों और तीन उप स्तम्भों  के युग्म से निर्मित मुख्य स्तम्भ हैं।  दो उप स्तम्भ एक प्रकार के हैं व एक भिन्न प्रकार का जिसमें   दूब   घास  की पत्तियों जैसे अंकन हुआ है जो लता नुमा दृष्टिगोचर होती हैं।  शेष दो अन्य उप स्तम्भों के आधार में घुंडियां या कुम्भियाँ का अंकन हुआ है व ड्यूल भी है ऊपरी कुम्भी  के ऊपरी सीधे कमल दल जैसा अंकन हुआ है।  इसके ऊपर उप स्तम्भ में चौखट में पत्तियों का अंकन हुआ है।  उप स्तम्भ ऊपर जाकर शीर्ष /मुरिन्ड /header  के अलग अलग स्तर बन जाते हैं।  इस तरह मुरिन्ड /मथिण्ड /header  के स्तरों /layers  की काष्ठ कला  उप स्तम्भों के ऊपरी भाग जैसी है। 
  मुरिन्ड /मथिण्ड के नीचे वाले भाग में तोरणम स्थापित है।  तोरणम के स्कन्धों में जीरा बीज , पत्ती  जैसे आकृतियों का अंकन हुआ है। 
खोली के ऊपर छपरिका के नीचे काष्ठ कला में ज्यामितीय कटान दृष्टिगोचर होता है।   
निष्कर्ष निकलता है कि अल्मोड़ा बाज़ार के भवन की इस खोली  में प्राकृतिक व ज्यामितीय कला का अंकन हुआ है।  .
सूचना व फोटो आभार : गजेंद्र बिष्ट संग्रह
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


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किमोली (चम्पावत ) के  दूसरे  जंगले दार भवन (संख्या २ ) में ' कुमाऊँ  शैली'   की  पारम्परिक  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन
Traditional House Wood carving Art of  Kimoli , Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की  पारम्परिक  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  -450
( लेख में इरानी , इराकी अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास हुआ है )
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 किमोली से दो एक भवनों की सूची मिली है।   आज किमोली (चम्पावत ) के  दुसरे   जंगले दार भवन (संख्या २ ) में ' कुमाऊँ  शैली'   की  पारम्परिक  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।
किमोली का प्रस्तुत भवन जंगलेदार भवन है व तिपुर व दुखंड है।   भवन के भ्यूंतल व पहले तल में बरामदे स्थापित  हैं।  भ्यूंतल (Ground  floor  ) के  बरामदे  क्र बाहर दो तीन सपाट  चौखट स्तम्भ हैं जो ज्यामितीय कटान के उदाहरण हैं।
  पहले तल के बरामदे के बाहर ओर   सामने सात  व आड़े भी सात खड़े सपाट स्तम्भ हैं।  स्तम्भ के आधार में दोनों ओर खपचों  से स्तम्भ को  खड़े में आधार  देते हैं।  स्तम्भों के मध्य काष्ठ  जंगले  स्थापित हैं जिनमे   ज्यामितीय  कटान के XX  नुमा कटान से जंगले  बने हैं। 
ऊपर  मुरिन्ड / header की कड़ी भी सपाट है। 
 किमोली  के प्रस्तुत जंगलेदार भवन  में भव्य शैली का आकर्षण है व  काष्ठ  में  ज्यामितीय कटान की कला दर्शनीय है। 
सूचना व फोटो आभार : के एस  बोरा (जय ठक्कर संग्रह )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali    House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali, House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   


Bhishma Kukreti

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  नबी (धारचूला , पिथौरागढ़ ) के एक बाखलो युक्त  भवन में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन


   Traditional House Wood Carving Art  of Nabi (Dharchula ), Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की 'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -451
(प्रयत्न है कि ईरानी , इराकी व अरबी  शब्दों  की वर्जना हो )   
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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पिथौरागढ़   सीमावर्ती क्षेत्रों  से  विशष  काष्ठ  कला युक्त भवनों  की सूचना मिली हैं।     इसी क्रम में आज नबी (धारचूला , पिथौरागढ़ ) के एक भवन में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन , अंकन  पर चर्चा होगी। 
नबी धारचूला का प्रस्तुत भवन  दुपुर व दुखंड  पारम्परिक भवन है। भवन के भ्यूंतल (ground floor ) में   यद्यपि भंडार कक्ष व गौशाला कक्ष हैं अपितु इन कक्षों के स्तम्भों  में चित्रकारी हुयी है।   इन कक्षों के स्तम्भों /सिंगाड़ों व खोली और छाजों के उप सिंगाड़ों/उप स्तम्भों के चित्रकारी उत्कीर्णन एक जैसे ही हुयी हैं।
सिंगाड़ों /उप सिंगाड़ों  के आधार में उल्टे कमल पुष्प पंखुड़ियां, ड्यूल व पुनः सीधे कमल पुष्प पंखुड़ियों के आकर उत्कीर्णन से घुंडियां। कुम्भियाँ उतपन्न हुयी हैं।  कक्षों , खोलियों के   सिंगाड़ों  में ऊपरी कमल दल के ऊपर से सिंगाड़  सीधे हो अपने अपने मुरिन्ड /मथिण्ड /header से मिल जाते हैं।  छाजों के सिंगाड़ों  में ऊपर पुनः अधोगामी  पद्म पुष्प दल , ड्यूल व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल उत्कीर्णन की पुनरावृति दृष्टिगोचर हो रही है। 
खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड header के ऊपर एक चौखट आकृति स्थापित है जिसमें देव आकृति स्थापित हुयी है।
 भ्यूंतल  में दोनों बड़े कक्षों के ऊपर पसूण /बौळी /शहतीर लगी हैं।  ये पसूण मोठे व चौखटाकृति की हैं व इन चौखटों में कला कृति उत्कीर्णित हुयी है किन्तु छाया चित्र में प्यूरी प्रकार से दृष्टिगोचर नहीं हो रही है। 
शेष कक्षों , खोली  के दरवाजों व छाजों  के ऊपरी ढक्कणों में सपाट ज्यामितीय कटान मिलता है।  छाजों /झरोखों के नीचे वाले ढक्कणों  में अंकन हुआ है किन्तु अंकन पूरी तरह नहीं दिख रहा है।
 छाजों के ऊपरी भाग में अंदर की ओर  तोरणम निर्मित हुए हैं।  इन तोरणमों के स्कन्धों की कला उत्कीर्णन भी स्पष्ट नहीं है।
निष्कर्ष निकलता है कि  नबी (धारचूला , पिथौरागढ़ ) के  बाखली के भाग में कुमाऊं शैली की  ज्यामितीय, प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण कला उत्कीर्ण हुयी हैं।  भवन अपने युवा काल में भव्य था। 

सूचना: नरेंद्र दसौनी  (FB )
फोटो आभार:  हरीश नबियाल 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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  बड़ेथ (ढाईज्यूली , थली सैण , पौड़ी गढ़वाल ) के  चौहान परिवार भवन में  काष्ठ व धातु मिश्रित कला निरीक्षण

    Tibari House Wood Art in House of  Village Bareth, Dhaijyuli , Thalisain  , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊ के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलदार मकान,,बाखली,खोली ,मोरी,कोटि बनाल ) में  गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -452
  ( ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास )
 संकलन - भीष्म कुकरेती    
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 थलीसैण  क्षेत्र से  कई भवनों की सूचना मिली है।  इसी क्रम में आज बड़ेथ (ढाईज्यूली , थली सैण , पौड़ी गढ़वाल ) के  चौहान परिवार के भव्य आकर्षक भवन  (विनोद सिंह चौहान व त्रिलोक सिंह चौहान ) में  काष्ठ व धातु मिश्रित कला पर चर्चा होगी।  बड़ेथ (थलीसैण ( के   चौहान भवन में काष्ठ  कला से अधिक शैलीगत महत्व है।  बड़ेथ  (थलीसैण ) का चौहान भवन दुपुर -दुखंड है।  भ्यूंतल में बरामदा है व पहले तल में बालकोनी है।    भ्यूं तल  (ground floor ) के दो कक्षों के सिंगाड़ों  में उलटे कमल दल , तब ऊपर ड्यूल व सीधे कमल दल से निर्मित घुंडियां दृष्टिगोचर हो रही हैं। 
  बल्कोनी में धातु व काष्ठ के मिश्रण से जंलगा बंधा है। बालकोनी के आधार व ऊपर  सपाट काष्ठ   कड़ियाँ हैं।  आधारिक कड़ी से ऊपर की और लगभग १५ से अधिक धातु कड़ी हैं व आधार में धातु जंगला  बंधा है ।   
निष्कर्ष निकलता है कि  बड़ेथ  का  चौहान भवन  भव्य , आधुनिक , बीस कक्षों के लगभग बड़ा भवन है जिसमे प्राकृतिक (पद्म पुष्प आदि )  व ज्यामितीय कटान की कला विद्यमान है।  मानवीय कला अलंकरण दर्शन नहीं हुए।

सूचना व फोटो आभार: नरेश उनियाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal    Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवा;ल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी  अंकन  ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  अंकन 


Bhishma Kukreti

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किमाणा (जोशीमठ,   चमोली ) में पांडव भवन में  पारम्परिक गढवाली  शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन,

  Traditional  House Wood Carving Art  from Pandava Bhavan , Kimana , Joshimath   Chamoli   
 गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली, खोली) में  पारम्परिक गढवाली  शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, - 453
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती      
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किमाणा  गाँव एक ऐसा गाँव है जो  सतोपंथ जाते समय पांडव  प्रवास  के लिए प्रसिद्ध है।  किमाणा  में  पाण्डु खेत व पाण्डु धार भी हैं।  प्रस्तुत भवन के बारे में मान्यता है कि  पांडवों ने इस भवन का निर्माण किया था और  स्वर्गारोहण पूर्व यहाँ टिके थे।  मान्यता है कि पांडवों ने यहीं अपने अस्त्र -शास्त्र छोड़े थे। 
भवन निर्माण की शैली विशेष है व ऐसी  शैली  गढ़वाल , जौनसार में नहीं मिलती।  भवन कोटि बनाल शैली का है व सहत्तर प्रतिशत काष्ठ व ३० प्रतिशत पाषाण उपयोग किया गया है।  भवन निर्माण में देवदारु लगने से भवन कई  पुराण है। 
 किमाणा के पांडव भवन में कष्ट कला निरीक्षण हेतु हमें तिपुर  भवन के भ्यूंतल (ground floor ) के द्वारों व  भवन के सामने ऊपर खंड में कष्ट कार्य का अवलोकन किया जायेगा।   किमाणा के पांडव भवन के भ्यूंतल में एक बड़ा कश द्वार है जिसके  दोनों ओर के सिंगाड़ो/स्तम्भों   कलयुक्त अंकन से सजे हैं।  सिंगाड़ गढ़वाल की तिबारियों के सिंगाड़ /स्तम्भ जैसे ही हैं।
 सिंगाड़ों के आधार में  अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकन से कुम्भी निर्मित हुयी है जिसके ऊपर ड्यूल (जैसे गागर आदि भर उठाने हेतु सर पर रखा जाता है )  है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है जो कुम्भी निर्माण करता है।  इसके ऊपर सिंगाड लौकी आकार लेता है।  जहां सिंगाड़  सबसे न्यून मोटा है वहां पुनः उल्टे कमल फूल पंखुड़ियां , ड्यूल व सीधे कमल फूल पंखुड़ियों का अंकन हुआ है।  ऊपरी पद्म पुष्प आकृति से तोरणम का चाप शुरू होते हैं जो द्वार के  ऊपर शीर्ष /मुरिन्ड में तोरणम निर्माण करते हैं।  तोरणम भी कुछ विशेष है।  तोरणम के स्कन्धों में कला अंकन अस्पष्ट हैं।  मुरिन्ड के ऊपर एक काष्ठ कड़ी दृष्टिगोचर हो रहे है।
किमाणा (चमोली )  के पांडव भवन के ऊपरी भाग में कोटी बनल शैली निर्माण स्पष्ट झलकता है।  एक दिशा में ऊपर खिड़की है जिसके सिंगाड़ , द्वार आदि सभी सपाट ज्यामितीय कटान कल के उदाहरण हैं। 
भवन के  सामने वाले भाग के ऊपरी भाग में  न्यून से न्यून चार स्तरों में काष्ठ पटिले/तख्ते /पट्ट   लगाए गए हैं।  पहले  स्टार के पट्टियों  /पट्टी में कोई कला अंकननहीं  ही है. सभी पत्तियां सपाट हैं।  दूसरे स्तर की काष्ठ पत्तियों में चौखट में  छह बहुदलीय  पुष्प स्थापित /अंकित हैं।  पुष्प गणेश पूजते समय चौकी में जैसे पंडित बनाते हैं वैसे ही बहुदलीय पुष्प हैं।  कुछ कुछ सूरजमुखी परिवार के हैं।  प्रत्येक पुष्प भिन्न भिन्न प्रकार के पुष्प अंकित हैं।  मध्य में एक आला भी है। 
  पहले स्तर के पटिलों ऊपर की कड़ी में अर्ध पात या अर्ध चाप की कड़ियों में / chain में  कला अंकन हुआ है व आकर्षक हैं। 
इस कड़ी के ऊपर तीसरे  स्तर  में कई  पट्टियां   लगी हैं।  प्रत्येक पट्टी आयताकार है।  प्रत्येक आयत में एक आकर अंकन हुआ है जैसे बंद पत्र (लिफाफा ) इनकी संख्या नौ है एक आयत में चिड़िया अंकन मिलता है।  संभवतया कुछ अन्य आयतों में भी कुछ चित्र अंकित रहे होंगे अब दृष्टिगोचर नहीं हो रहे हैं।  इस स्तर में भी एक आला है।
  तीसरे स्तर के ऊपर के कड़ी में अनोखा अंकन हुआ है। 
इस कड़ी के ऊपर त्रिभुजाकार स्तर है जो छत के पिरामिड आधार के नीचे हैं।  इस त्रिभुज के अंदर चार बहुदलीय (सूर्यमुखी परिवार का पुष्प ) का अंकन हुआ है।  मध्य में एक स्तम्भ है
  जो कड़ी के ऊपर है व छत आधार की कड़ियों के मिलन स्थल में मिलता है।  इस स्तम्भ का आधार    भ्यूं  तल के दरवाजे के सिंगाड के आधार की कुम्भी जैसा ही है। 
छत के आधार से  चरों ओर कई  काष्ठ की  शंकुनुमा आकृतियां (जैसे हुक्के की नई की आकृति हों ) लटकी हैं वा आकर्षित करती हैं। 
भवन निर्माण शैली कुछ कुछ जौनसार /उत्तरकाशी जैसे है किन्तु भिन्न भी है। 
 निष्कर्ष निकल सकता है कि  किमाणा के पांडव भवन में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण कला अंकन हुआ है। 
सूचना आभार  :   महेंद्र बर्त्वाल व संजय चौहान   
छायाचित्र - भुवनेश चंद्र उनियाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath , Chamoli Garhwal, Uttarakhand;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी

Bhishma Kukreti

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कोटि बड़कोटि (रुद्रपरायग ) में   एक भवन में काष्ठ कला उत्कीर्णन

Traditional House wood Carving Art of Koti, Barkoti Rudraprayag         : 
  गढ़वाल, कुमाऊँ, केभवन (तिबारी, निमदारी, बाखली,जंगलेदार  मकान, खोलियों) में पारम्परिक  गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,- 454 
(लेख में ईरानी, इराकी अरबी शब्दों की वर्जना )
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 आज  कोटि बड़कोटि (रुद्रप्रयाग ) के एक  जंगले दार भवन में  पारम्परिक  गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन पर चर्चा होगी।  कोटि बड़कोटि का प्रस्तुत भवन दुपुर व दुघर है।  काष्ठ कला समझने हेतु  पहले तल पर जंगले का निरीक्षण करना पड़ेगा।  पहले तल में बालकोनी है जिसपर जंगला स्थापित है।  बालकोनी में बाहर की ओर आठ स्तम्भ हैं जिनसे जंगला निर्मित हुआ है।  आठों स्तम्भ सपाट हैं व ज्यामितीय कला के उदाहरण हैं।  स्तम्भों के आधार में दो कड़ियों की रेलिंग लगी हैं।  इन दो रेलिंग के मध्य लघु लघु स्पॉट कड़ियाँ है जो ज्यामितीय कटान से निर्मित हुए हैं।
छज्जे के आधार पर की कड़ियां  व ऊपर छत आधार की कड़ी भी ज्यामितीय कटान से काटी गयी हैं।
   कोटि बड़कोटि  के प्रस्तुत पूरे भवन में  सर्व स्थलों में ज्यामितीय कटान की ही कला दृष्टिगोचर होती है।  कहीं भी प्राकृतिक वा मानवीय अलंकरण दृष्टिगोचर नहीं हुयी। 

सूचना व फोटो आभार:  उमेश पुरोहित
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


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सिरसेड़    (कड़ाकोट , टिहरी ) के एक    भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन

Traditional House Wood Carving Art of, Sirserh, Karakot , Tehri   
गढ़वाल, कुमाऊँ, भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, खोली, मोरी  ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन-455   
(लेख में ईरानी, इराकी, अरबी की वर्जना हुयी है। )

संकलन - भीष्म कुकरेती 

 कड़ाकोट क्षेत्र क्वाठाभितर व काठ युक्त भवनों हेतु प्रसिद्ध क्षेत्र था।  आज भी  इस क्षेत्र से कई भवनों की सूची मिलती है। 
आज    (कड़ाकोट , टिहरी ) के एक    भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन पर चर्चा होगी।  प्रस्तुत    (कड़ाकोट , टिहरी ) का     भवन  दुपुर व दुखंड है।  भवन में काष्ट  कला दृष्टि से पहले तल में स्थापित तिबारी ही है। प्रस्तुत    (कड़ाकोट , टिहरी ) का     भवन  की तिबारी चार सिंगाड़ों /स्तम्भों से निर्मित हुयी है।   प्रत्येक स्तम्भ एक ही। 
 प्रत्येक सिंगाड़ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल का अंकन  से कुम्भी निर्मित हुआ है व ऊपर ड्यूल अंकन  हुआ है। ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल से बड़ा कुम्भ अंकन हुआ है।  कमल दलों के ऊपर भी अंकन है।  उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प से सिंगाड़ /स्तम्भ लौकी आकर धारण क्र ऊपर बढ़ता है व जहाँ सबसे न्यून मोटाई है वहां पुनः अधोगामी पद्म पुष्प ऊपर ड्यूल व सबसे ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल के अंकन से निर्मित कुम्भियाँ उभर कर आती हैं।  यहां से सिंगाड़  three dimension  में थांत (cricket bat blade जैसे ) आकर ले ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /header  से मिलता है।  यहीं से तोरणम (Arch ) के अर्ध चाप भी शुरू होते हैं।  तोरणम के स्कन्धों में जालीदार कला अंकन हुआ है।
तिबारी का मुरिन्ड /मथिण्ड /header   भी सपाट कड़ी ही है।
  निष्कर्ष निकलता है बल प्रस्तुत    (कड़ाकोट , टिहरी ) का     भवन  भव्य है व उसमें ज्यामितीय  व प्राकृतिक अलंकरण कला उत्कीर्णन हुआ है। 
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  फोटो आभार:  सुरेंद्र भंडारी     
सूचना - राजेंद्र कुंवर 'फरियादी'
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की पारम्परिक भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में   पारम्परिक भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  पारम्परिक  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from  Tehri;


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  नेलांग (उत्तरकाशी ) के भवन संख्या ८ में पारम्पपरिक    गढवाली शैली  की   काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन

  Traditional House wood Carving Art in ,  Nelong , Nelang  Harsil  Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ ,    के   भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में पारम्पपरिक    गढवाली शैली  की   काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- 456
प्रयत्न - ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों का निषेध
 संकलन - भीष्म कुकरेती    
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 नेलंग गाँव से कई काष्ठ कला   पारम्परिक भवनों की  सूचना मिली है।  नेलांग (उत्तरकाशी ) के भवन संख्या ८ में पारम्पपरिक    गढवाली शैली  की   काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन पर चर्चा होगी।
नेलंग के भवन संख्या ८ का जीर्णोद्धार हुआ है और काष्ठ संरचना भी नई ही है। संभवतया  नेलंग  के भवन संख्या ८ ढाई पुर है किन्तु दुपुर दृष्टिगोचर हो रहा है।  भवन के भ्यूं तल  (ground  floor  ) व पहले तल में एक के ऊपर बालकोनियाँ हाँ।  भ्यूं तल की बालकोनी को िनत या पत्थर के पिलरों का सहारा है किन्तु पहले तल में जंगल बंधा है। 
पहले तल के बालकोनी के बाहर के जंगले  में दो तरह के मुख्य स्तम्भ हैं।  एक प्रकार का स्तंभ चौखट /ज्यामितीय अलंकरण का स्तम्भ /सिंगाड़  है।  दुसरे प्रकार के सिंगाड़ /स्तम्भ में घुंडीया या कुम्भियाँ हैं।  आधार में दो रेलिंग के मध्य में 8  प्रकार की चिट्ठकारी हुयी है जिसके मध्य में सिलिंड्रिकल या हुक्का की नई जैसे उप स्तम्भ स्थापित हुए हैं।  बालकोनी के आधार व शीर्ष /मुरिन्ड /header  की कड़ियों व पटलों /तख्तों में ज्यामितीय कटान का सपाटपन ही है।
  निष्कर्ष निकलता है कि नेलांग (उत्तरकाशी ) के भवन संख्या ८ में  ज्यामितीय कटान की कला उपयोग हुआ है।   
सूचना व फोटो आभार : नेलंग डॉट कॉम FB मित्र
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     

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  कोटि कानासार   (चकराता , देहरादून ) के एक भवन में आकर्षक  अलंकरण अंक

  Traditional House wood Carving Art of  Koti Kanasar  Chakrata , Dehradun   
 गढ़वाल,कुमाऊ के भवन(तिबारी,निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,छाज  कोटि बनाल )  में  पारम्परिक  गढ़वाली शैली  की  काठ कुर्याण  की  काष्ठ कला,अलंकरण- 457

 संकलन - भीष्म कुकरेती

उत्तरकाशी व देहरादून का जौनसार क्षेत्र कलायुक्त काष्ठ  भवनों हेतु सैकड़ों वर्षों से प्रसिद्ध रहे हैं।  आज इसी क्रम में कोटि कानासार   के एक भवन में पारम्परिक  गढ़वाली शैली  की  काठ कुर्याण  की  काष्ठ कला,अलंकरण पर चर्चा होगी। 
प्रस्तुत भवन कला उत्कीर्णन के लिए उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना  महत्वपूर्ण है।  कोटि कानासार  (देहरादून ) का प्रस्तुत  भवन धाइपुर है। भवन  भ्यूंतल ground  floor  में कई स्तम्भों पर टिका है जैसे भवन को बर्फ या जल मग्न होने से बचाने हेतु भवन निर्माण होते हैं।  कोटि कानासार  (देहरादून ) के  प्रस्तुत  भवन  में भ्यूं  तल के स्तम्भ कलायुक्त हैं।  स्तम्भ के  आधार   में अधोगामी लम्बोतर पद्म पुष्प से बहु आयामी कुम्भी निर्मित हुआ है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधे कमल दलों का अंकन उत्कीर्णन हुआ है। यहां से स्तम्भ ऊपर बढ़ता है व शीर्ष कड़ी से मिलने से पहले स्तम्भ में लटकते पुष्प दलों का अंकन /उत्कीर्णन हुआ है फिर दो स्तम्भों का सम्मलित चौकोर ड्यूल है व ऊपर स्तम्भ में बड़े बड़े पुष्प अधोगामी पुष्प दल उभरे हैं जिसके ऊपर कड़ी है। दूर से ये स्तम्भ ऐसे दीखते हैं जैसे कलायुक्त  चारपाई के पाए हों। 
पहले तल में व डेढ़ वे तल में मिटटी पत्थर की दीवार नहीं हैं अपितु  ज्यामितीय कला लिए तख्ते  व भर स्तम्भ युक्त संरचना से दीवार निर्मित हुयी है।  तख्तों को जोड़ने वाले पहले तल व डेढ़ वे तल के बीस से अधिक स्तम्भ कला में  भ्यूं तल के स्तम्भों की प्रतिछाया हैं।  और इस तरह भवन का आकर्षण वृद्धि हुआ है। द्रस्वाजे के मुरिन्ड में ज्यामितीय कटान का तोरणम स्थापित है। छत टिन की है। 
शेष स्थलों में ज्यामितीय कटान की ही कला दृष्टिगोचर होती है। कहीं  भी मानवीय (पशु पक्षी , देव आकृति ) अलंकरण  के दर्शन नहीं हुए। 
 संभवतया यह भवन होम स्टे है। 

सूचना व फोटो आभार:   चंद्रमोहन सिंह चौहान 
  * यह आलेख भवन कला अंकन संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  Traditional House wood Carving Art of Dehradun, Garhwal  Uttarakhand, Himalaya   to be continued 
ऋषिकेश, देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;  देहरादून तहसील देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   विकासनगर  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   डोईवाला    देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन  ;  जौनसार ,  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन


 

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