Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37139 times)

Bhishma Kukreti

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 पुल्ला (लोहाघाट , चम्पावत ) के एक भवन में कुमाऊँ  शैली'   की   काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन


Traditional House Wood carving Art of Pulla , Lohaghat ,  Champawat, Kumaun 

कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की   काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  -516

 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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पिल्ला का  प्रस्तुत  भवन कई खंडों में हैं व कह सकते हैं कि कई भवनों का समूह है।  किनारे वाला भवन धाइपुर व दुखंड है।  तल मंजिल में कई कक्ष हैं।  इन कक्षों के द्वारों /ंवारों के स्तम्भ व द्वार पटीले ( तख्त ) ज्यामितीय कटान के सपाट हैं।  इन कक्षों के मुरिन्ड /मथिण्ड  में मेहराब /तोरणम /Arch स्थापित हैं।  छायाचित्र में  तोरणम के स्कंध सपाट  दृष्टिगोचर हो रहे हैं।   

 पिल्ला के  प्रस्तुत  भवन  के   प्रथम मंजिल में बालकोनी है जिस पर जंगला स्थापित हुआ है।  जंगले चारों  ओर   २० से अधिक स्तम्भ स्थापित हैं।  स्तम्भ आधार से ऊपर की सपाट कड़ी तक स्थापित हैं स्तम्भ ज्यामितीय कटान के अच्छे उदाहरण हैं।  स्तम्भों के निम्न भाग में जंगले XXX  आकार के हैं।  सभी काष्ठ कला के आकर्षक उदाहरण है। 

किनारे के भवन के बगल के भवनों  के  प्रथम मंजिलों में  बालकोनियों में भी जंगले  हैं व ज्यामितीय कटान से निर्मित हैं। 

सूचना व फोटो आभार : जय ठक्कर संग्रह

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021

  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   

Bhishma Kukreti

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  ज्ञानधुरा  , बड़ी पन्याली , (कपकोट , बागेश्वर ) के एक भवन में ज्यामितीय काष्ठ कला

Tradiitonal House wood Carving Art in Gyandhura , Badi  Panyali , Kapkot  Bageshwar, Kumaun
कुमाऊँ, गढ़वाल, के भवन(बाखली, तिबारी,निमदारी,जंगलेदार,मकान, खोली,कोटि बनाल)  में कुमाऊं शैली; की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन- 
संकलन - भीष्म कुकरेती

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  बागेश्वर से कई काष्ठ कला युक्त भवनों की सूची मिली हैं।  इसी क्रम में आज   ज्ञानधुरा  , बड़ी पन्याली , (कपकोट , बागेश्वर ) के एक भवन में ज्यामितीय काष्ठ कला पर चर्चा होगी।  वास्तव में   ज्ञानधुरा  , बड़ी पन्याली , (कपकोट , बागेश्वर )  का भवन  काष्ठ कला  काष्ठ उत्कीर्णनन से अधिक शैली हेतु याद किया जाएगा।    ज्ञानधुरा  , बड़ी पन्याली , (कपकोट , बागेश्वर )  का भवन  दुपुर व दुखंड है।  तल मंजिल में गौशाला कक्ष हैं।  भवन में चार खोली व चार से अधिक छाज (झरोखे ) दरसिहटिगोचर हो रहे हैं।  आश्चर्य है कि  यह भवन शैली में कुमाऊं की  पारम्परिक बाखली का प्रतिनिधित्व करता है,  किन्तु  खोली व छाजों के स्तम्भों में कोई कुम्भी नहीं मिलती है व छाजों  व खोली के ऊपर कोई मेहराब /तोरणम भी नहीं मिलते हैं।  सवर्त्र ज्यामितीय कटान का काष्ठ कार्य ही मिल रहा है। 

सूचना व फोटो आभार: रमेश पांडे

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है नकि मिल्कियत  संबंधी Iभौगोलिक  व मालिकाना   सूचना  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

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 कांडा तहसील , बागेश्वर में परंपरागत मकानों में   काष्ठकला अंकन  ;  गरुड़, बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन  ; कपकोट ,  बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन )

Bhishma Kukreti

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  कुटी (पिथौरागढ़ ) भवन में काष्ठ कला

कुटी (धारचूला , पिथौरागढ़ )  के भवन संख्या ५ में काष्ठ कला व अलंकरण

   Traditional House Wood Carving Art  in  Kuti (Dharchula )   , Pithoragarh

कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की   काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -518

 

 

 संकलन - भीष्म कुकरेती 

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कुटी  (धारचूला , पिथौरागढ़ ) से कई काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचनाएं मिली हैं।  इसी क्रम में आज कुटी में भवन संख्या ५ की काष्ठ कला पर चर्चा होगी।  कुटी (पिथौरागढ़ ) का प्रस्तुत भवन तिपुर  है व दुपुर है। 

भवन में काष्ठ अंकन हेतु निम्न भागों पर ध्यान आवश्यक है -

निम्न तल के कक्ष के सिंगाड़ों में काष्ठ कला अंकन

खोली में काष्ठ कला अंकन या उत्कीर्णन

छाजों के सिंगाड़ों (स्तम्भों ) , तोरणम /मेहराबोब व झरोखों के ढक्क्नों या दरवाजों की काष्ठ कला उत्कीर्णन।

  यह देखा गया है  कि कमरों के , खोली के व छाजों के सिंगाड़ों /स्तम्भों में सामान प्रकार की काष्ठ कला उत्कीर्णन हुआ है - आधार में उलटे कमल दल से बनी कुम्भी फिर ड्यूल व ऊपर सीधे कमल दल से कुम्भी निर्मित हुयी हैं।  कुछ स्थलों में ऊपर दोहराव है व कुछ स्थलों में बेल बूटे  हैं। 

खोली के शीर्ष में मूर्ति थरपी /स्थापित की गयी है।

 खोली के शीर्ष में ज्यामितीय कटान से अंकन हुआ है व अन्य कक्षों व छाजों में भी।

छाजों  के तोरणम के स्कन्धों में प्रकारीतिक कला कृति अंकित हुयी हैं। 

छाजों के ढक्क्नों में कई तरह की प्राकृतिक व  अजीव कला  या अमूर्त आकृतियां उत्कीर्णन हुआ है। 

 कुटी के सभी भवन  शैलीगत कला पक्ष हेतु उत्कृष्ट हैं। 

निष्कर्ष निकलता है कि कोटि (पिथौरागढ़ ) के प्रस्तुत भवन मरे ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण कला उत्कीर्णन हुआ है। 

सूचना व फोटो आभार: अमित शाह संग्रह

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

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 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued

Bhishma Kukreti

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खिर्सू में  वन  विभाग के विश्राम गृह में काष्ठ कला

    Tibari House Wood Art in House of Forest  Rest House , Khirsu   , Pauri Garhwal       

गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -

 

 संकलन - भीष्म कुकरेती   

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पौड़ी निकट खिर्सू पर्यटक स्थल में काष्ठ युक्त कला भवनों की भरमार है।  आज इसी क्रम में  खिर्सू में  वन  विभाग के विश्राम गृह में काष्ठ कला  पर चर्चा होगी।  प्रस्तुत  खिर्सू में  वन  विभाग के विश्राम गृह भ्यूंतल (ground floor ) में है।  भवन की दीवारें सभी बांस के लट्ठों /डंडों निर्मित हैं व ज्यामितीय कला आश्रित हैं।  बरामदे के बाहर जंगला भी बांस डंडों से निर्मित है। 

पूरे   भवन में ज्यामितीय कला का प्रदर्शन आकर्षक है। 

निष्कर्ष निकलता है कि  खिर्सू में  वन  विभाग के विश्राम गृह में केवल ज्यामितीय काष्ठ कला ही दृष्टिगोचर होती है। 

सूचना व फोटो  आभार - हनुमंत कुकरेती व अरुण शर्मा

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 

Bhishma Kukreti

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  मलारी के भवन संख्या १४ में काष्ठ कला

Traditional House Wood Carving Art from Malari, Chamoli   

 गढ़वाल,कुमाऊंकी भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली,खोली) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, - 520

(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 

 

 संकलन - भीष्म कुकरेती     

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मलारी का भवन संख्या १४ भी  गढ़वाल की आदि  भवन काष्ठ कला का प्रतिनिधित्व करता है।  कला आधारभूत है अर्थात ज्यामितीय कटान की कला विद्यमान हैं।

 मलारी के इस दुपुर भवन  के पहली मंजिल में बालकोनी /बुर्ज पर जंगला बंधा है।  बालकोनी के बाहर बड़े बड़े  ९ स्तम्भ हैं।  सभी स्तम्भ चौखट व सपाट हैं।  जो भी उत्कीर्णन हुआ है वह ज्यामितीय कटान से हुआ है। दीवारें तख्तों से निर्मित हुयी हैं।

 भवन के बालकोनी के स्तम्भों के आधार में जंगले में उप जंगले हैं जो ज्यामितीय कटान से निर्मित हैं व विशेष आकर्षण केंद्र हैं।  वर्ग व त्रिभुज नुमा छेद  पटलों में किया गया लगता है। 

 सम्पूर्ण भवन में ज्यामितीय कटान की अलंकृत काष्ठ कला ही दृष्टिगोचर होती है।  कला आदि  भवन काष्ठ  कला को प्रतिनिधित्व करती है। 

सूचना व फोटो आभार: हेमंत डिमरी संग्रह

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   

    कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी

Bhishma Kukreti

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कुंजेठी  (रुद्रप्रयाग ) के एक भवन में काष्ठ  कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन

Traditional House wood Carving Art of  Kunjethi , Rudraprayag         : 

गढ़वाल, कुमाऊँ के भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली,जंगलेदार  मकान, खोलियों ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,-५२१   

 

 

 संकलन - भीष्म कुकरेती

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 कुंजेठी  (रुद्रप्रयाग ) का प्रस्तुत भवन  भ्यूंतल (ground floored ) है।  भवन के दो कक्ष हैं व दोनों कक्षों के सिंगाड़ (स्तम्भ ) चौखट व ज्यामितीय कटान से सपाट निर्मित हुए हैं।  सिंगाड़ मध्य में / / का अंकन हुआ है जो क्रमशः  मिलकर आकर्षक आकृति बनाते हैं।  दरवाजे भी सपाट हैं।

 कक्षों के द्वारों के शीर्ष /मथिण्ड  भी सपाट कड़ियाँ दृष्टिगोचर हो रही हैं।   कक्षों के द्वारों के शीर्ष  के बगल में  एक एक दीवालगीर (bracket ) हैं।  मध्य में गणेश जी की  चतुर्भुज प्रतिमा उत्कीर्णित है जो महीन कला अंकन का उदाहरण है। 

दीवालगीर में  आधार के चौखट में दो चिड़ियाएं एक ही वस्तु को चोंच मारती दिख रही हैं व वस्तु थैलानुमा दिख जिसके सर (जहां चिड़ियाएं चोंच मार रही हैं ) से जल फव्वारा फूटता दिख रहा है।

 दीवालगीर  चिड़िया की गर्दन चोंच , ज्यामितित कटान , S  नुमा आकृति , पुष्प दल का बड़ा मोटा भाग से निर्मित हुआ है।   दीवालगीर बड़ी आकर्षक व उत्कृष्ट अंकन का खूबसूरत नमूना है। 

  दीवालगीर के बगल में एक ओर चौखट है जिसमें कुछ अमूर्त कला दिखती है जिसमे कभी कभी मानवीय मुख की भ्रान्ति भी होती है जसमें भौं  व आँखे हैं।  किन्तु दूसरी हिसाब से छाता नुमा व जड़दार आकृति भी लगती है। 

निष्कर्ष निकलता है कि  कुंजेठी (रुद्रप्रयाग ) के प्रस्तुत भवन में मानवीय , ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण का कटान हुआ है व कला महीन व उत्कृष्ट प्रकार की है। 

सूचना व फोटो आभार:   राज किशोर  शर्मा (FB )

  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 

  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021   

  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,

 

Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी, जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी

Bhishma Kukreti

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   हडियाणा ( घनसाली , टिहरी गढ़वाल )  के अम्बा दत्त  जोशी परिवार के     भवन  की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अं
कन
 

Traditional House Wood Carving Art of, Hadiyana  Tehri   

गढ़वाल, कुमाऊँ,  भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल ) में गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन- ५२२   



संकलन - भीष्म कुकरेती 

 घनसाली क्षेत्र में हडियाणा  गाँव प्रसिद्ध गाँव है।  आज इसी क्रम में हडियाणा ( घनसाली , टिहरी गढ़वाल )  के जोशी परिवार के     भवन में काष्ठ कला पर चर्चा होगी। हडियाणा  में जोशी परिवार का प्रस्तुत भवन दुपुर है , दुखंड है व द्वितिबारीवळ  भवन है अर्थात दो तिबारियों वाला प्रसिद्ध भवन है। 

भवन में काष्ठ  विश्लेषण हेतु - तिबारी , खोली व खलोई के शीर्ष में दीवालगीर (Bracket ) में ध्यान देना होगा। 

खोली तल मंजिल से ऊपर आधे मंजिल तक है। सचिदा नंद जोशी अनुसार   खोली के सिंगाड़ /स्तम्भ कला युक्त चौखट हैं। खोली के मथिण्ड /मुरिन्ड /शीर्ष header  में गणेश जी की चतुर्भुज मूर्ति उत्कीर्णित हुयी है।  मूर्ति के अगल बगल में भी उत्कीर्णन हुआ है किन्तु दृष्टिगोचर नहीं हो सक रहा है कि किसकी आकृति अंकित हुयी है। 

 खोली के शीर्ष के अगल बगल में छपरिका के नीचे  दो दो दीवालगीर हैं व प्रत्येक  दीवालगीर पुष्प के बड़े फल जैसे केला व चारपाई के पहिये जैसे आकृति का अंकन लग रहा है। ऐसा लगता है  दीवालगीरों में हाथी सूंड भी अंकन  हुआ था।

पहले मंजिल में स्थित प्रत्येक तिबारी  चार चार स्तम्भों /सिंगाड़ों से निर्मित हुयी हैं और सभी सिंगाड़ व ऊपर निर्मित तोरणम /मेहराब एक समान हैं।

  स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल पुष्प से निर्मित कुम्भी है जिसके ऊपर ड्यूल है व फिर सीधे कमल दल की कुम्भी है। कुछ ऊपर इसी क्रम का दोहरावहै अर्थात कुम्भी , ड्यूल व सीधे कमल दल से बनी कुम्भी।  कुम्भी के ऊपर से स्तम्भ थांत (cricket bat blade type ) की शक्ल अख्तियार क्र उपरर मथिण्ड से मिल जाता है। 

तिबारी में तीन तोरणम /मेहराब /आर्च हैं जिनके स्कन्धों में  उत्कीर्णन हुआ है जो प्राकृतिक (बेल बूटे व जाल नुमा ) दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  बालकोनी के अंडे कक्षों के ऊपरी भाग में भी उत्कीर्णित कला दिखती है।

निष्कर्ष निकलता है कि हडियाणा ( घनसाली , टिहरी गढ़वाल )  के अम्बा दत्त  जोशी परिवार के     भवन  में काष्ठ कला वा उत्कीर्णन उत्कृष्ट प्रकार का है व ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण कला के उत्तम उदाहरण है। 

अम्बा दत्त जोशी के पौत्र सचिदा नंद जोशी अनुसार भवन लगभग सौ वर्ष प्राचीन है। 

  सूचना व फोटो आभार: जयंती नवानी व सचिदा नंद जोशी     

यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020

गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की पारम्परिक भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में   पारम्परिक भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  पारम्परिक  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from  Tehri;

Bhishma Kukreti

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नेलांग -बागोरी क्षेत्र के १६ वे -१७ वे -१८ वे भवनों में काष्ठ कला  अलंकरण उत्कीर्णन

  Traditional House wood Carving Art in , Nelong -Bagori  region   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ ,  के भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में पारम्पपरिक    गढवाली शैली  की    काष्ठ  कला,  अलकंरण, अंकन उत्कीर्णन - 523

 

 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 नेलांग -बागोरी (भटवाड़ी , उत्तरकाशी ) से कई भवनों की सूचनाएं मिलीं है।   

आज नेलांग -बागोरी क्षेत्र के १६ वे -१७ वे -१८ वे भवनों में काष्ठ कला  अलंकरण उत्कीर्णन  पर चर्चा होगी।  )  नेलांग बागोरी क्षेत्र के भवन संख्या १६ में स्तम्भ अलग हैं जिनमे कमल दलों के कटान से घुंडियां निर्मित हुए हैं।  इस भवन के स्तम्भों के आधार  रिक्त स्थान तो पटिलों /तख्तों से ढका गया है।  स्तम्भों में गंदी कटान छोड़ सारे भवन में ज्यामितीय कटान की काष्ठ कला दृष्टिगोचर हो रही है। 

भवन संख्या १७ (१६ के पीछे ) के भवन में स्तम्भ व जंगला ( बालकोनी के बाहर तरफ  ) में ज्यामितीय कटान की कला है।

बाकी सभी भवन पिरामिड नुमा भवन हैं व आदि से आदि कालीन शैली के हैं।  भवनों की दीवारें व छत सभी सपाट पटिलों /तख्तों से निर्मित हुए है जो कि ज्येतिय कटान के अलंकरण के उदाहरण हैं।   

सूचना व फोटो आभार : नेलांग डौट कौम ( भडुक-भडुक   राणा 

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     

 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;  पारम्परिक   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  पारम्परिक , रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  पारम्परिक  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   

Bhishma Kukreti

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जिवाणु  भवन काष्ठ कला

 
 जिवाणु (देहरादून ) के भवन संख्या २ व ३  में काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन

गढ़वाल,  कुमाऊँ , के  भवन  ( कोटि बनाल   , तिबारी , बाखली , निमदारी)  में   पारम्परिक गढ़वाली शैली   की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन -524

Traditional House wood Carving art of , Jaunsar , Dehradun

 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 जौनसार से कई स्थानों से अभिनव काष्ठ कला युक्त भवनों की सूची मिलीं हैं।  इसी क्रम में आज   जिवाणु (देहरादून ) के भवन संख्या २  व ३ में काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी। 

दोनों भंवनों में काष्ठ कार्य कला दृष्टि से कम शैली दृष्टि से अधिक रोचक हैं।  दोनों भवन  तिमजिले  या दुमंजिले हैं।  तिमंजिल भवन के तीसरे मंजिल में बालकोनी है व बालकोनी के बाहर कीओर  स्तम्भ स्थापित हैं।  स्तम्भों में ज्यामितीय कटान की कला दिख रही है।  सर्वत्र ज्यामितीय कटान की कला दिख रही है। 

दुपुर  संख्या ३ में पहले मंजिल पर बालकोनी के बाहर जंगला बंधा है और मुख्य स्तम्भ व जंगले के उप स्तम्भ व पत्तियां ज्यामितीय कटान कला के उम्दा उदाहरण हैं।  दोनों घरों में केवल ज्यामितीय कटान की कला ही मिल रही है। 

सूचना व फोटो आभार : मनोज इष्टवाल

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

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Bhishma Kukreti

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चौंडली में भवन काष्ठ कला
 
 चौंडली (मनयारस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में भवन संख्या १ में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन

    Tibari House Wood Art in House of Chaundali , Maniyarsyun   , Pauri Garhwal       

गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -५२५

 

 संकलन - भीष्म कुकरेती   

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जगमोहन डांगी  ने मनियारस्यूं से कई भवनों की सूचनाएं भेजीं हैं।  आज इसी क्रम में चौंडली (मनयारस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में भवन संख्या १ में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन पर चर्चा होगी।

चौंडली (मनयारस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में भवन संख्या १ दुपुर  व दुखंड है।  आज जीर्णावस्था में है किन्तु कभी मनियारस्यूं के भवनों में इस भवन की गणत  होती थी।  भवन के पहले मंजिल में छज्जे पर जंगला बंधा है।  जंगले के स्तम्भ कलयुक्त हैं व ज्यामितीय कटान का अंकन हुआ है।  कमल दल के दलों  के उत्कीर्णन से निर्मित घुंडियों के स्थान पर ज्यामितीय कटान के सपाट घुंडी हैं।

जंगले के आधार पर उप जंगला  संभवतया उजड़ गया है। 

सार निकलता है कि चौंडली (मनयारस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में भवन संख्या १ में सर्वत्र ज्यामितीय कटान से अलंकृत काष्ठ कला ही दृष्टिगोचर हो रही है। 

सूचना व फोटो आभार: जगमोहन डांगी

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 

 

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