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House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल
Bhishma Kukreti:
बडोली (एकेश्वर , पौड़ी ) के तेजराम बडोला की निमदारी में भवन काष्ठ कला , उत्कीर्णन
Tibari House Wood Art in House of Badoli , Ekeshwar , Pauri Garhwal
गढ़वाल, के भवनों (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन , अंकन -५३१
संकलन - भीष्म कुकरेती
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बडोली से कुछेक भवनों की सूचनाएं उपलब्ध हुयी हैं। बडोली (एकेश्वर , पौड़ी ) के तेजराम बडोला की निमदारी में भवन काष्ठ कला , उत्कीर्णन पर चर्चा होगी। बडोली (एकेश्वर , पौड़ी ) के तेजराम बडोला की निमदारी दुपुर व दुखंड है। बडोली (एकेश्वर , पौड़ी ) के तेजराम बडोला की निमदारी के सभी कमरों के सिंगाड़ (स्तम्भ ) , द्वारों , व /म्वार /मुरिन्ड /मथिण्ड /header में ज्यामितीय कटान की सपाट कला दृष्टिगोचर होती है। पहली मंजिल पर बालकोनी (निम दारी ) है जिसके बाहर ९ स्तम्भ हैं। कुछ रिंग /कंगना रूप कटान छोड़ स्तम्भ सपाट हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि बडोली (एकेश्वर , पौड़ी ) के तेजराम बडोला की निमदारी में केवल ज्यामितीय कटान का उत्कीर्णन हुआ है।
सूचना व फोटो आभार: सुनील बडोला
यह लेख भवन कला संबंधित है . भौगोलिक स्थिति व मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान ,बाखली , बाखई, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन नक्काशी श्रृंखला जारी
Bhishma Kukreti:
सेम गाँव (चमोली गढ़वाल ) में एक भवन में काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन
Traditional House Wood Carving Art from Sem Ganv , Chamoli
गढ़वाल,कुमाऊंकी भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली,खोली) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन - 532
(अलंकरण व कला पर केंद्रित)
संकलन - भीष्म कुकरेती
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सेम गाँव (चमोली ) की सूचना मिली है। सेम गाँव (चमोली गढ़वाल ) का प्रस्तुत भवन दुपुर व दुखंड है। सेम गाँव (चमोली गढ़वाल ) के तल मंजिल में साधारण कक्षों में ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर हो रही है। तल मंजिल के सभीकमरों के मथिण्ड /मुरिन्ड पर देव आकृति स्थापित हुयी हैं। सेम गाँव (चमोली गढ़वाल ) के प्रस्तुत भवन के तल मंजिल में खोली है। यद्यपि छायाचित्र में सिंगाड़ /स्तम्भ पूरे नहीं दिख रहे है हैं किन्तु अनुमान सत्य है कि सिंगाड़ों में कुम्भी व लताओं , तरंगों का प्राकृतिक चित्रांकन हुआ है। खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड में चतुर्भुज गणपति की मूर्ती स्थापित हुयी है।
सेम गाँव (चमोली गढ़वाल ) के प्रस्तुत भवन के पहले मंजिल में बालकोनी पर जंगला बंधा है , जंगल के मुख्य स्तम्भ व उप स्तम्भ ज्यामितीय कटान से निर्मित हुए हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि सेम गाँव (चमोली गढ़वाल ) के प्रस्तुत भवन में प्राकृतिक , ज्यामितीय , मानवीय अलंकरण कला का उत्कीर्णन हुआ है।
सूचना व फोटो आभार: दिवाकर चमोली
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तु स्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , मोरी , खोली, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन , श्रंखला जारी
कर्णप्रयाग में भवन काष्ठ कला, ; गपेश्वर में भवन काष्ठ कला, ; नीति, घाटी में भवन काष्ठ कला, ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, , पोखरी -गैरसैण में भवन काष्ठ कला, श्रृंखला जारी रहेगी
Bhishma Kukreti:
महड़ (दसज्यूला , रुद्रप्रयाग ) में लक्ष्मी प्रसाद पुरोहित के भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन अंकन
Traditional House wood Carving Art of Mahad , Dashjyula Rudraprayag :
गढ़वाल, के भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली,जंगलेदार मकान, खोलियों ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन अंकन,- 533
संकलन - भीष्म कुकरेती
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महड़ से यह दुसरे काष्ठ कला युक्त भवन की सूचना है। प्रस्तुत महड़ (दसज्यूला , रुद्रप्रयाग ) में लक्ष्मी प्रसाद पुरोहित का भवन दुपुर व दुखंड शैली का भवन है। प्रस्तुत महड़ (दसज्यूला , रुद्रप्रयाग ) में लक्ष्मी प्रसाद पुरोहित के भवन में खोली छोड़ अन्यत्र कमरों में ज्यामितीय कटान से लकड़ी चिरान कर प्रयोग हुआ है। खोली के स्तम्भों में एक स्तम्भ के आधार में अधोगामी कमल दल निर्मित कुम्भी है , फिर ड्यूल आकृति है व फिर अधोगामी कमल दल निर्मित कुम्भी है। फिर ऊपर व स्तम्भ के अगल बगल के स्तम्भ में बेलबूटे की चिकतरकारी अंकन हुआ है। खोली के ऊपर शीर्ष /मथिण्ड /मुरिन्ड/header में सपाट कड़ियाँ हैं जिनमे बेलबूटे जैसे अंकन ही हुआ है। शीर्ष में कोई तोरणम नहीं है। शीर्ष में उत्कीर्णित चतुर्भुज गणेश मूर्ति स्थापित हुयी है।
निष्कर्षज निकलता है कि प्रस्तुत महड़ (दसज्यूला , रुद्रप्रयाग ) में लक्ष्मी प्रसाद पुरोहित के भवन में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकृत कला अंकन हुआ है।
सूचना व फोटो आभार: सुभाष चौहान
* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी। भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
रुद्रप्रयाग , गढवाल तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों ,खोली, कोटि बनाल ) में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of Rudraprayag Tehsil, Rudraprayag Garhwal Traditional House wood Carving Art of Ukhimath Rudraprayag. Garhwal; Traditional House wood Carving Art of Jakholi, Rudraprayag , Garhwal, नक्काशी, जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला, ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला अंकन, उत्कीर्णन , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन , रुद्रप्रयाग में द्वारों में उत्कीर्णन श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी
Bhishma Kukreti:
बमण गाँव (बद्रीनाथ ) भवन में काष्ठ कला
बमण गाँव (बद्रीनाथ ) के एक भवन (संख्या १ ) की काष्ठ कला
Traditional House Wood Carving Art from Baman Ganv , Badrinath , Chamoli
गढ़वाल,कुमाऊंकी भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली,खोली) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन, - 571
(अलंकरण व कला पर केंद्रित)
संकलन - भीष्म कुकरेती
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बमण गाँव (बद्रीनाथ ) से दो भवनों की सूचना मिली है। प्रस्तुत बमण गाँव (बद्रीनाथ ) का भवन दुपुर व दुखंड है। भवन के पहली मंजिल में बालकनी (बड़ा छज्जा ) के बहार जंगला बंधा है। जंगले में कम से कम आठ स्तम्भ हैं व सभी स्तम्भ ज्यामितीय कटान से सपाट निर्मित हुए हैं। दो स्तम्भों के आधार में रेलिंग मध्य II व XXX नुमा उप जंगले स्थापित हुए हैं।
प्रस्तुत बमण गाँव (बद्रीनाथ ) के भवन के छत के ऊपरी भाग (संभवतया ढैपुर ) एक त्रिभुज नुमा आकृति है। ईद त्रिभुजाकार आकृति के अंदर सपाट लकड़ी की छड़ियों से सूर्य आकर निर्मित हुआ है। लकड़ी की छड़ियों से सूर्य किरण बनाई गयी हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि आज प्रस्तुत बमण गाँव (बद्रीनाथ ) के भवन पुराना लग रहा है किन्तु युवा समय में यह भवन आकर्षक था व भवन में ज्यामितीय कटान की कला अलंकरण अंकन हुआ है।
सूचना व फोटो आभार: बृज कुकरेती
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तु स्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , मोरी , खोली, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन , श्रंखला जारी
कर्णप्रयाग में भवन काष्ठ कला, ; गपेश्वर में भवन काष्ठ कला, ; नीति, घाटी में भवन काष्ठ कला, ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, , पोखरी -गैरसैण में भवन काष्ठ कला, श्रृंखला जारी रहेगी
Bhishma Kukreti:
धानाचूली भवन काष्ठ कला
धानाचूली (नैनीताल ) में भवन संख्या ८ खोली व छाज की काष्ठ कला, अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन
Traditional House Wood Carving Art in Dhanachuli , Nainital;
कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान, खोली, ) में कुमाऊं शैली की काष्ठ कला, अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन - 574
संकलन - भीष्म कुकरेती
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धानाचूली भवन काष्ठ कला श्रृंखला में आज धानाचूली (नैनीताल ) में भवन संख्या ८ खोली व छाज की काष्ठ कला, अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी। भवन दुपुर व दुखंड ही लगता है। भवन की खोली व छाज ही नहीं अपितु शहतीर में भी कला अंकन हुआ है।
खोली के दोनों ओर तीन तीन स्तम्भों के युग्म से मुख्य स्तम्भ निर्मित हुए हैं। एक मध्य के स्तम्भ में जड़ से ऊपर मथिण्ड /शीर्ष /मुरिन्ड तक प्राकृतिक कला अंकित हुयी है जबकि शेष स्तम्भों के आधार व ऊपर अधोगामी व उर्घ्वगामी कमल दलों व ड्यूल से कुम्भी निर्मित हुए हैं। आधार पर ऊपरी उर्घ्वगामी कमल दल से स्तम्भ में बेल बुते तरंगों का अंकन हुआ है व तब ये स्तम्भ मथिण्ड /मुरिन्ड /header से मिलते हैं। निम्न मुरिन्ड के तहें (layers ) में व्ही अंकन हुआ है जो स्तम्भों में हुआ है।
ऊपरी मुरिन्ड में चार चौखट में अलग अलग देव मूर्तियां उत्कीर्ण हुयी है।
शहतीर में महिला गुंथी छोटी जैसे अलंकरण कला उत्कीर्णित हुयी है।
शहतीर के ऊपर छाज (झरोखा ) युग्म है। छाज के स्तम्भ कला में खोली के स्तम्भ का प्रतिरूप हैं। खोली में ऊपरी ओर तोरणम उत्कीर्णित हुए है व स्कंध में सपाट ज्यामितीय कटान दृष्टिगोचर हो रहा है।
छाज के दुंळ /छेद के नीचे सपाट तख्ते /पटिला लगे हैं।
काष्ठ कला दृष्टि से भवन उत्कृष्ट किस्म में आता है। काष्ठ कला अंकन महीन भाँती हुआ है। भवन में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय कला अलंकरण मिलता है।
सूचना व फोटो आभार: मुक्ता नायक
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
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