Uttarakhand > Culture of Uttarakhand - उत्तराखण्ड की संस्कृति
House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल
Bhishma Kukreti:
बामणखोला के एक भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन
Traditional House Wood Carving Art of, Bamankhola Tehri
गढ़वाल, कुमाऊँ, भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन- 598
-
संकलन - भीष्म कुकरेती
बामणखोला का प्रस्तुत भवन दुपुर है व दुखंड है। बामणखोला के भवन के तल मंजिल में दो काष्ठ तिबारी हैं जैसे कि जिठण में मिली थी । तिबारी में चार काष्ठ स्तम्भ हैं। स्तम्भ आम गढ़वाली तिबारी के आम स्तम्भ जैसे हैं अर्थात आधार पर अधोगामी पद्म पुष्प दल , ड्यूल व ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल से निर्मित कुम्भियाँ है और यही क्रम ऊपरी भाग में भी है। स्तम्भ के ऊपर थांत (क्रिकेट बैत ब्लेड जैसे ) है जो ऊपर शीर्ष से मिलते हैं। ऊपरी कमल दल के ऊपर से तोरणम भी स्थापित हैं जिनमे प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।
बामणखोला (गढ़वाल ) का प्रस्तुत भवन ही नहीं काष्ठ कला में भी उत्कृष्ट है व ज्यामितीय कटान व प्राकृतिक अलंकरण कला दृष्टिगोचर हो रही है।
सूचना व फोटो आभार: रमेश ध्यानी
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों के नामों में त्रुटि संभव है I
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार , उत्तराखंड , हिमालय की पारम्परिक भवन (तिबारी, जंगलेदार निमदारी , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल ) काष्ठ कला , अलकंरण , अंकन लोक कला घनसाली तहसील टिहरी गढवाल में पारम्परिक भवन काष्ठ कला ; टिहरी तहसील टिहरी गढवाल में भवन काष्ठ कला , ; धनौल्टी, टिहरी गढवाल में पारम्परिक भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ; जाखणी तहसील टिहरी गढवाल में भवन काष्ठ कला; प्रताप नगर तहसील टिहरी गढवाल में भवन काष्ठ कला, नक्काशी ; देव प्रयाग तहसील टिहरी गढवाल में भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from Tehri
Bhishma Kukreti:
भटियाणा (चमोली ) के भवन संख्या २ में काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन
-
Traditional House Wood Carving Art from Bhatiyana , Chamoli
गढ़वाल,कुमाऊंकी भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली,खोली) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन, -५९९
(अलंकरण व कला पर केंद्रित)
संकलन - भीष्म कुकरेती
-
भटियाणा (चमोली गढ़वाल ) का प्रस्तुत भवन संख्या २ दुपुर भवन है। भवन के कक्षों के सिंगाड़ (स्तम्भ ) काष्ठ कलायुक्त हैं। आधार में प्राकृतिक लता कलायुक्त व अधोगामी पद्म पुष्प दल, ड्यूल , उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल से निर्मित कुम्भियाँ हैं। कक्षों के सिंगाड़ ऊपर म्वार (शीर्ष , header ) में सूर्यमुखी नुमा देव मूर्ति स्थापित की गयी हैं।
भटियाणा (चमोली गढ़वाल ) का प्रस्तुत भवन अपने समय में भव्य भवनों की गिनती में आता था। काष्ठ कला दृष्टि से तिबारी बिहीन होने पर भी काष्ठ कला प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण का उदाहरण मिलता है।
सूचना व फोटो आभार: अजय जोशी
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तु स्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , मोरी , खोली, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन , श्रंखला जारी कर्णप्रयाग में भवन काष्ठ कला, ; गपेश्वर में भवन काष्ठ कला, ; नीति, घाटी में भवन काष्ठ कला, ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, , पोखरी -गैरसैण में भवन काष्ठ कला, श्रृंखला जारी रहेगी
Bhishma Kukreti:
मदनपुर में धुलिया पधान परिवार के भव्य भवन में गढवाली शैली की उत्कृष्ट काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन , अंकन
Tibari, Traditional House Wood Art in House of Dhulia family Madanpur (Langur ) , Pauri Garhwal
गढ़वाल, के भवनों (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन , अंकन -600
संकलन - भीष्म कुकरेती
-
मदनपुर धुळगांव लंगूर पट्टी (पौड़ी गढ़वाल ) का एक जाना माना नाम है। मदनपुर से पधान ( जमींदार बरोबर ) परिवार के भवन में काष्ठ कला की सूचना मिली है।
मदनपुर (लंगूर , पौड़ी गढ़वाल ) में पधान परिवार का प्रस्तत भवन तिपुर या चौपुर है। भवन में दुखंड से अधिक तिखण्ड लगते हैं। मदनपुर (लंगूर , पौड़ी गढ़वाल ) में पधान परिवार के प्रस्तत भवन में काष्ठ कला हेतु निम्न बिंदुओं पर ध्यान देना होगा -
१- भवन की खोली में काष्ठ कला
२- भवन में तीन प्रकार की तिबारियों / नीमदारियों में काष्ठ कला
३- जंगलों की काष्ठ कला
१- भवन की खोली में काष्ठ कला
भवन में निम्न तल से पहले तल तक खोली है। खोली के दोनों और कलायुक्त स्तम्भ हैं। स्तम्भ दो प्रकार के हैं एक प्रकार के स्तम्भों में आधार पर व ऊपर कमल दल कला अंकन वाले व दूसरे प्रकार के लतायक्त अंकित स्तम्भ हैं। कलमल दल वाले स्तम्भ में आधार पर अधोगामी पद्म पुष्प दल , तब ड्यूल , फिर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकित हुए हैं। उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल के ऊपर स्तम्भ लौकी आकार में ऊपर बढ़ता है व जहां सबसे हीन मोटाई है वहां पुनः अधोगामी पद्म पुष्प दल , ड्यूल व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल उपस्थित हुए हैं। आंतरिक स्तम्भ ऊपर मिलकर खोली के तोरणम का निम्न स्तर निर्माण करते हैं। बाह्य स्तम्भ ऊपर जाकर तोरणम के बाह्य स्तर निर्माण करते हैं। तोरणम के मध्य में देव मूर्ति स्थापित या अंकित हुयी है। देव मूर्ति चतुर्भुज गणपति हैं। तोरणम के स्कन्धों में कलाकृति अंकित हुयी हैं।
खोली के तोरणम के दोनों ओर दीवालगीर (ब्रैकेट ) हैं जो तीन सूंडों जैसे आकृति में स्थापित हैं। सूंड ाकृत्यों के सबसे ऊपर दीवालगीर में तेन तीन सिंह आकृतियां दृष्टिगोचर हो रही हैं। सिंह आकृतियां शक्ति , बल व शकुन का प्रतीक हैं।
खोली में छपरिका के नीचे दसियों काष्ठ शंकु आकृतियां लटकी दृष्टिगोचर हो रही हैं।
तिबारियों में काष्ठ कला -
पहले मंजिल में तीन तिबारियां हैं जिनमे दो तिबारियों के स्तम्भ शैली बिलकुल खोली के कमल दल वाले स्तम्भ जैसे ही हैं। (स्तम्भ में आधार पर अधोगामी पद्म पुष्प दल , तब ड्यूल , फिर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकित हुए हैं। उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल के ऊपर स्तम्भ लौकी आकार में ऊपर बढ़ता है व जहां सबसे हीन मोटाई है वहां पुनः अधोगामी पद्म पुष्प दल , ड्यूल व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल उपस्थित हुए हैं )।एक तिबारी के ६ स्तम्भ दृष्टिगोचर हो रहे है व एक में चार स्तम्भ हैं किन्तु प्रत्येक स्तम्भ चार चार उप स्तम्भों के योग से निर्मित हैं।
दुसरे प्रकार की तिबारी में चार सपाट चौकोर स्तम्भ हैं अर्थात ज्यामितीय कटान से निर्मित चार स्तम्भ हैं।
पहले व तीसरे तल में या दूसरे -तीसरे मंजिल में तिबारी व बालकोनी को जंगलों से भी ढका गया है। प्रत्येक जंगले में सपाट स्तम्भ हैं व रेलिंग मध्य भी उप स्तम्भों से जंगले निर्मित हैं।
रचना दृष्टि से गारा , पत्थर , मिटटी व काष्ठ कला , अंकन निर्माण, शैली उत्कृष्ट प्रकार का है व लगता है कि मदनपुर पधान ने भवन दिल लगाकर व उत्साह में निर्माण किया है। भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण प्रकार की उत्कृष्ट काष्ठ कला अंकन दृष्टिगोचर हो रहा है व मुंह से नकलता है वाह !
गंगा सलाण (ढांगू , डबरालस्यूं , उदयपुर , अजमेर , लंगूर , शीला पट्टियां ) में इस प्रकार का भवन एक ही प्रकार का मिला है। भवन अभिनव है।
सूचना व फोटो आभार: विकास धुलिया व सहयोगी बिक्रम तिवारी
यह लेख भवन कला संबंधित है . भौगोलिक स्थिति व मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान ,बाखली , बाखई, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन नक्काशी श्रृंखला जारी रहेगी
Bhishma Kukreti:
कोटनाली ( पोचाकैडी रिखणीखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में कोटनाला परिवार के भवन जंगले में काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन , अंकन
Tibari, Traditional House Wood Art in House of Kotnali, Rikhani Khal Pauri Garhwal
गढ़वाल, के भवनों (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन , अंकन -601
संकलन - भीष्म कुकरेती
-
कोटनाली (रिखणीखाळ , पौड़ी ) से चार पांच काष्ठ कला युक्त भवनों की सूची मिली है व अन्यों काष्ठ का युक्त भवनों की सूची मिलनी बाकी है। कोटनाली में बीरेंद्र कोटनाला का प्रस्तुत भवन दुपुर , दुखंड है। कोटनाला परिवार का प्रस्तुत भवन अपने . समय का भव्य भवन है जो उपरोक्त पट्टी में प्रसिद्ध भवन कहा जाता था।
कोटनाला परिवार के प्रस्तुत भवन में आधार तल पर जो भी काष्ठ कला है वह सामन्य (जैसे दरवाजों , खिड़कियों ) स्थलों में सामन्य होती है। भवन में पहले तल में काष्ठ जंगला बंधा है व बल्कोनी लम्बी है जिसके आधार में लकड़ी के हैं व नीचे भी लकड़ी के ही चौखट आयताकार दास दृष्टिगोचर हो रहे हैं। कोटनाला परिवार के भवन जंगले में आयताकार १४ स्तम्भ से सजे हैं व इन आयताकार आकृति के आधार पर दोनों और चौखट आयताकार आकृतियां जुडी हैं जो स्तम्भों को आकर्षक निर्मित करने में सक्षम हुए हैं। जंगले में तीन रेलिंग हाँ व दो रेलिंग के मध्य लोहे की छड़ियाँ उप स्तम्भों का कार्य क्र रही हैं। या पशु या मानव आकृति नहीं दिखाई दे रहा है।
निष्कर्ष निकलता है कि कोटनाली (रिखणीखाल ) के कोटनाला परिवार के जंगलेदार भवन में आकर्षक ज्यामितीय कटान की काष्ठ अलंकृत कला विद्यमान है।
सूचना व फोटो आभार:कृष्ण कुमार कोटनाला
यह लेख भवन कला संबंधित है . भौगोलिक स्थिति व मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान ,बाखली , बाखई, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन नक्काशी श्रृंखला जारी रहेगी -
Bhishma Kukreti:
कोटनाली ( पोचाकैडी , रिखणीखाल , पौड़ी गढ़वाल ) के कोटनाला परिवार के जंगलेदार भवन में काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन , अंकन
Tibari, Traditional House Wood Art in House of, Kotnali, Rikhanikhal Pauri Garhwal
गढ़वाल, के भवनों (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन , अंकन 602
संकलन - भीष्म कुकरेती
-
प्रस्तुत भवन कोटनाली में मनोहर कोटनाला का जंगलेदार भवन है। भवन दुपुर व दुखंड है। प्रथम तल मर बालकोनी पर जंगला बंधा है जो संभवतया चारों ओर है। जंगल में एक ओर १३ स्तम्भ हैं। स्तम्भ आम गढ़वाली जंगलों के स्तम्भ जैसे ही हैं। स्तम्भ चौखट हैं व आधार पर शक्तिशाली बड़े छिलपट हैं जयस्तम्भ को आकर्षक शक्ल दे सकने में समर्थ हैं। आधार पर दो कड़ियों की रेलिंग हैं व मध्य लोहे की स्रियाँ हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि कोटनाली के मनोहर कोटनाला के भवन के जंगल में ज्यामितीय कटान की कला विद्यमान है। जंगल उत्कृष्ट प्रकार का है।
सूचना व फोटो आभार: कृष्ण कुमार कोटनाला
यह लेख भवन कला संबंधित है . भौगोलिक स्थिति व मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान ,बाखली , बाखई, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन नक्काशी श्रृंखला जारी रहेगी,पौड़ी गढ़वाल के भवनों की काष्ठ कला , उत्तराखंड भवनों की काष्ठ कला
Navigation
[0] Message Index
[#] Next page
[*] Previous page
Go to full version