Author Topic: Idioms Of Uttarakhand - उत्तराखण्डी (कुमाऊँनी एवं गढ़वाली) मुहावरे  (Read 134763 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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खवाई बरेती, भुग्तायी गवाह
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यानी

बाराती की इज्जत खाने के बाद तथा गवाह की इज्जत बयान देने के बाद कम हो जाती है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सिधक मुख कुकुर चाटो
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यानी

सीधे व्यक्ति को सभी परेशान करते है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is the Garwali Idoms taken "Aan Kaath" compiled myself and Dayal Pandey Ji
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चलवे थैला, जखी जुला, वाखी खौला

यानी

लेके थैला, जहाँ जायंगे, वही खायंगे

अर्थ :  पहले से कि गयी व्यस्था )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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तखी देखि तवा परात
उख देवी बिताई सारी रात

हिंदी : जहाँ देखा तवा पराद, वही बिताई सारी रात -

मतलब : सुविधाजनक स्थान देखकर विश्राम करना)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जख पोंणज्यो हुए चार, तख दिन न बार
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जहाँ मिले चार पुरोहित, वहां तिथि ना बार!

Meaning
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(जानकार लोगो मै कोई फैसला नहीं होता है)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जै कु पाप, तै कु छाप

जिसका पाप, उसी की छाप

Meaning
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यानी जैसी करनी वैसी भरनी 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आपु चलता रीता, हरु पदौदा गीता

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(अपना नियम के चले तो हरु भी गीता पड़ ने लगा)

जानकार को उपदेश की आवश्यकता नहीं पड़ती

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अंधारा की मार, खबर नी सार !
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अँधेरे की मार, खबर किसी की नहीं !

(बिना पूछताछ के काम करना)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मुश क हाव जोतण

यानी :चूहे के हाल चलाना

अर्थ : किसी कार्य को गभीरता से ना लेना

हेम पन्त

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कब थोरि ब्यालि, कब खोरि खालि..

भावार्थ - पता नहीं कब बछिया ब्याएगी, कब खाने को मिलेगा / सुखी दिनों इन्तजार करते-करते निराश हो जाना    
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काणि क ब्या में नौ खचाव

भावार्थ - कानी (आंख से वंचित) की शादी में बाधाएं ही बाधाएं / सफलता मिलने में मुश्किलों का सामना करना
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भ्यार नौंणि, भितर कौंणि

भावार्थ - बाहरी दिखावा, कथनी-करनी में अन्तर होना
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हगणि-मुतणि, द्याप्त पुजणि

भावार्थ - स्तरीय काम को अयोग्य और नासमझ लोगों के हाथों में देना.
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उपरोक्त सभी मुहावरे कुमांउनी मासिक पत्रिका "पहरू" से साभार

 

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