Author Topic: Idioms Of Uttarakhand - उत्तराखण्डी (कुमाऊँनी एवं गढ़वाली) मुहावरे  (Read 148263 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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"आंग में न लत्ता, चले कलकत्ता "
शरीर में कपडे नहीं, चल दिए कलकता

यानी

यानी विना तैयारी के काम आरम्भ करना 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जैल जगदीश, वीक के रीस
(जिसके भगवान्, उसका कोई नुक्सान नहीं)

(जिस पर प्रभु की कृपा हो, उसको किसका डर)

Devbhoomi,Uttarakhand

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बोलि बेटी कू,सुणाद ब्वारी

               यानी

"पराये को नसीहत देने के लिए अपनों का इस्तेमाल करना"

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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मारे घुना, फूटे आँख

(जो होना चाहा वो नही हुआ)

अथॉत
धुटने पर मारना चाहा मगर आँख फूट गई

हेम पन्त

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मौ बार, कुकुर तेर

शब्दार्थ - बारह परिवारों के तेरह कुत्ते
भावार्थ - कमाने वाले कम, खाने वाले ज्यादा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मुखडी  देखि टुकड़ी

हिंदी : मुख देखर सत्कार करना !

यानी -

हैसियत के हिसाब से अहिमत देना!

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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असोज करेले कातिर्क दही, मरे नही तो पडे सही।

भावाथॅ- असोज के महीने करेले और कातिर्क के महिने दही नही खानी चाहिये
क्योकी तब वह स्वास्थ के लिए हानीकारक मानी जाती है।

(मरेगा नही भी तो पडा तब भी रहेगा)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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तयार पिसी में म्यार मिसी

यानी

तेरे आता में मेरा आटा मिला

(किसी काम में व्यर्थ में अपने योगदान की चर्चा करना)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दातुल आपुन तरफ काटो

यानि
दराती अपनी ओर ही काटती है !

(अपने लोगो की अपने ओर झुकाव होता है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक  बखत मरी चाण
आपाण पराय देखि चाण
(एक बार मरना, अपनों को पहचानना)

यानी  ( मुश्किल वकत में अपनों की पहचान)
 

 

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