"बाँधी क नाचदू,खोली का नि नाचदू"बंदकर तो नाचता है लेकिन खुला छोड़ने पर नहीं नाचती हैअर्थात -रेई(मथनी) छांस छोलने के लिए जो सांदन नामक लकड़ी से बनाया जाता हैइसे गढ़वाली रौडी भी कहते हैं , लेकिन रौडी और मथनी में थोड़ा अंतर है!