निर्बुद्धि राजै कि काथै काथ
( बुद्धिहीन राजा की अनेक कथाएं )
अर्थात् : मूर्खों की मूर्खता भरी बातों का कोई अंत नहीं
सासुल ब्वारि थें कै,ब्वारिल कुकुर थें कै ,कुकुरैल पुछड़ि हल्कै दी
(सास ने बहू से कहा , बहू ने कुत्ते से कहा , कुत्ते ने पूँछ हिला दी )
अर्थात् : उत्तरदायित्व दूसरों पर टालना