गंगनाथ जी की जागर के कुछ अंश
ओ उणनी निशाण, उणनी निशाण, अफताई आई गैछ
भानवे ओ गंगुआ जोगी डोटी को निशाणा,
भानवे ओ गंगुवा जोगी कालि को मसाणा,
आऽ ऽ ऽ ऽ ओ गहतुआ बाणा, गहतुआ बाणा,
बटुवा मसाणा त्वीलै उल्टा फाड़ी डालो,
भानवे ओ गंगुआ जोगी उल्टा फाड़ी डालो,
ओ खेली हाली ताशा, खेली हाली ताशा,
जाधैं भाना कटीया तू भानवे बामनिया भाना,
बाजुरी को घासा, भानवे बामनिया भाना, बाजुरी को घासा,
ओ खोली हाल ताला, खोली हाल ताला,
काखी में धरिया त्वीले, भानवे बामनिया भाना, कैथे कनू हालो,
भानवे बामनिया भाना, कैथे कनू हालो॥