शास्त्रों में १६ संस्कार कहे गये है, जिनमे उपनयन संस्कार का अपना महत्त्व है| उपनयन संस्कार के दिन द्विजो को यज्ञोपवीत(जनेऊ) पहनाया जाता है| ऐसा माना जाता है की इस दिन से व्यक्ति का दूसरा जन्म होता है, इसलिए उसे द्विज कहा जाता है| जनेऊ(यज्ञोपवीत) द्विज ज़ाति का १ अभिन्न अंग है|
उपनयन संस्कार के बाद व्यक्ति विभिन्न कर्मकांडो में भाग ले सकता है| विवाह संस्कार से पहले व्यक्ति का उपनयन संस्कार होना आवश्यक है, इसलिए आजकल लोग विवाह से १-२ दिन पहले ही दुल्हे को यज्ञोपवीत धारण करवा देते है|