जा तू परदेसी घर जा रे बिरहन रोती रहे
लिये यादों की सौगात बिरहन रोती रहे
तपती दोपहरी , शाम उदासी ,
रातें बड़ी घनघोर, बिरहन रोती रहे ............II जा तू परदेसी....... II
सब घर आये , तुम नहीं आये
बिन सावन मेघा बरसाए
तकते रहे तेरी राह ,बिरहन रोती रही ...........II जा तू परदेसी....... II
चार दिनों की ये जिंदगानी , आग धुनी बनी अपनी कहानी
जो पल पल सुलगे जाय, बिरहन रोती रही.........II जा तू परदेसी....... II
जा तू परदेसी घर जा रे बिरहन रोती रहे
लिये यादों की सौगात बिरहन रोती रहे
स्वरचित होली
होली : सन् '2000
स्थान : लोधी कालोनी ब्लाक -5 " बरसाती "