कुमाऊं की होली में सिर्फ श्रृंगार, ठिठोली का वर्णन नहीं मिलता, वरन इनमें देश, काल और परिस्थिति को भी स्थान मिला।
कुछ रचनाकारों ने गांधी जी की कुमाऊं यात्रा पर केंद्रित होली गीत तैयार किये हैं। कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं -
भज ले महात्मा गांधी को,
कुली उतार को नष्ट कियो।
हुकुम गवर्मेंट खंडन को,
नौकरशाही को मान घटायो।
सन 21 में बलवा उठी है,
बागेश्वर उत्तरैणी को।
लाट कमिश्नर सोच करत है,
हाकिमों की बेअदबी हो।
हिन्दू मुगलों में मेल करायो,
भारत स्वाधीन होने को।