Author Topic: Kumauni Holi - कुमाऊंनी होली: एक सांस्कृतिक विरासत  (Read 238505 times)

shailikajoshi

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ये होली last din गाकर आशीष देते हुए अगली बार फिर होली आने की बात कही जाती है

गावे खेले देवें आशीष,
घर को सयानो जीवे लाख बरीस
गावें खेलें देवें आशीष,
घर की रस्यारी जीवें लाख बरीस 
घर का कमौणी जीवें लाख बरीस
घर की घस्यारी जीवें लाख बाईस
घर का नन्तिना जीवें लाख बरीस
आज की होली नहे गे छ
फागुन औलो के गे छ
जी रया जाग रया के गे छ
फागुन औलो के गे छ
हो हो होलक रे


aaye Khele Dewe Ashish,
Ghar Ko Sayano Jiwe Lakh Bareesh,

सुधीर चतुर्वेदी

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Kumaoni Holi at Sui Village, Lohaghat (Champawat)

हेम पन्त

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पिथौरागढ़ की होली

होली अनोखी खेले..
27012011016

हलिया

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भलो भलो जनम लियो श्याम

भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में...2
कौन पुरी में जनम लियो है,
कौन पुरी में वास राधिका.... भलो जनम......
मथुरा पुरी में जनम लियो है,
गोकुल कीजो वास राधिका..... भलो जनम......
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में...2
काहे के कोख में जनम लियो है,
कौन पिलाये दूध राधिका.. भलो जनम......
देवकि कोख में जनम लियो है
यशोदा पिलाये दूध राधिका... भलो जनम......
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में...2
काहे के वंश में जनम लियो है
काहे के लाल कहाय राधिका... भलो जनम......
बसुदेव वंश में जनम लियो है
नंद के लाल कहाय राधिका...  भलो जनम......
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में...2
बाल ही लीला करत है कन्हैया,
दधि माखन को खाय राधिका..... भलो जनम......
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में  -2

हलिया

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जय बोलो यशोदा नंदन की

जय बोलो यशोदा नंदन की, जय बोलो यशोदा नंदन की
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,
भाल बिराजे चंदन की... जय बोलो यशोदा नंदन की
मधुर मधुर स्वर बांस मुरलिया,
बाजत यशोदा नंदन की जय बोलो यशोदा नंदन की
जय बोलो यशोदा नंदन की .....
यमुना के तीरे  धेनु चरावे,
हाथ लकुटिया चंदन की, जय बोलो यशोदा नंदन की
जय बोलो यशोदा नंदन की....
दुष्ट दलन कंसासुर मारे,
रक्षा करी सब संतन की जय बोलो यशोदा नंदन की
जय बोलो यशोदा नंदन की......
बृंदाबन में रास रच्यो है,
सहसन गोपी चंदन की जय बोलो यशोदा नंदन की
जय बोलो यशोदा नंदन की....
सारा जग प्रभु चरण लुभाये,
सुख दायक दु:ख भंजन की जय बोलो यशोदा नंदन की
जय बोलो यशोदा नंदन की....

हलिया

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श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..

श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..2
बिप्र सुदामा द्वार खडे हैं,
पूछत कृष्ण कहां हैं हरी, बिप्र सुदामा आये हरी
श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..
हाजिर वासी गये जब भीतर,
द्वार खडे हैं बिप्र हरी, हाँ हाँ बिप्र हरी, बिप्र सुदामा  आये हरी
बालापन के मित्र हमारे,
रोकोनहीं क्षण मात्रहरी, हाँ हाँ क्षण मात्रहरी  बिप्र सुदामा  आये हरी
श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..
बांह पकड के निकट बैठाये,
रुकमणी चरण दबाये हरी श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..2
तीन मुट्ठी तंदुल लाये,देने में आये लाज हरी, हाँ हाँ लाज हरी,
श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..
दुख दरिद्र सब दूर कियो है,
सुख सम्पति सब दीजे हरी, हाँ हाँ दीजे हरी, बिप्र सुदामा आये हरी
श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Holi of my village.


www.merapahadforum.com kumoani holi (khadi Holi video ...
 
   
www.youtube.com/watch?v=FVmsPqOdWoQ9 Mar 2011 - 34 sec - Uploaded by mehtamp

हेम पन्त

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पिथौरागढ के पन्त्युड़ी गांव में खड़ी होली गायन..

Our Holi Celebration at Panthuri (Pithoragarh)

विनोद सिंह गढ़िया

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खड़ी, बैठकी होली की अनूठी परम्परा है कुमाऊं में

पहाड़ में होली गायन की अनूठी परंपरा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां खड़ी होली की धूम मचती है वहीं शहरों में बैठकी होली गायन की विशेष परंपरा है। होली गायन में महिलाएं भी पीछे नहीं रहती हैं।
होली गायन पौष महीने के पहले रविवार से शुरू होती है जो टीके के दिन तक अविरल चलती रहती हैं। पौष माह के पहले रविवार को गाई जाने वाली होली को निर्वाण की होली कहा जाता है। बसंत पंचमी तथा शिवरात्रि से रोज बैठकी होली होने लगती है। शिवरात्रि को शिव की होली गाई जाती है। वहीं खड़ी होली चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी से गाई जाती है। इस दिन कदंब के पौध पर चीर बंधन किया जाता है। खड़ी होली की खास बात है कि वह चीर बंधन के बाद ही गाई जाती है जबकि बैठकी होली पौष महीने से गाई जाती हैं। चीर बंधन गांव के एक जगह पर सामूहिक रूप से बांधी जाती है। होल्यारों पर लाल, हरा, पीला तथा नीला रंग छिड़का जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में होल्यार घर-घर जाकर होली के गीतों का गायन करते हैं। छरड़ी के दिन सभी होल्यारों को आशीर्वाद बचन दिया जाता है। गांव में घर-घर चीर के टुकड़े के साथ कहीं गुड़ तो कहीं आटे से बना हलवा भी दिया जाता है। होली गायन में महिलाएं भी पीछे नहीं रहती हैं। वह भी टोलियां बनाकर होली के गीतों का गायन करती हैं।

स्वांग होली का खास आकर्षण होता है

पहाड़ों में जहां होली गायन अपने आप में विशेष परंपरा है वहीं होली में रचा जाने वाला स्वांग भी खास आकर्षण होता है। स्वांग में जहां महिलाएं पुरुषों के कपड़े पहनकर किसी खास का अभिनय करती हैं तो पुरुष भी साड़ी धोती पहनकर नृत्य करते हैं। स्वांग देखने के लिए लोग आतुर रहते हैं। स्वांग रचने वाला किसी का भी अभिनय कर सकता है। इस बात का कोई बुरा भी नहीं मानता है। होली के बाद सब सामान्य हो जाता है।

स्रोत : अमर उजाला

Risky Pathak

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