Author Topic: Kumauni Holi - कुमाऊंनी होली: एक सांस्कृतिक विरासत  (Read 313567 times)

पंकज सिंह महर

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मां भगवती का स्तुति गान करती एक होली-


तुम जय काली कल्याण करो--२
         हरे-हरे पीपल द्वार विराजे,
लाल ध्वजा फहराई रहो। जय काली कल्याण करो।
         महाबली मधु कैटभ मारो,
रक्तबीज को जहर हरो, जय......
             तुम शुंभ-निशुंभ महा अभिमानी,
तिनके बल का गर्व हरो, जय.....
             दानव मारे, असुर सब मारे,
देवन जय-जयकार करें, जय......
             दास नारायण अर्ज करत हैं,
अपने भक्तों का कष्ट हरो, जय..........

पंकज सिंह महर

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आजकल भक्तिमय होली का ही दौर है, सो इसी क्रम में एक और होली-


सिद्धि को दाता, विघ्न विनाशन,
होली खेलें, गिरिजापति नन्दन ।२।
          गौरी को नन्दन, मूषा को वाहन ।२।
          होली खेलें, गिरिजापति नन्दन ।२। सिद्धि...
लाओ भवानी अक्षत चन्दन।२।
तिलक लगाओ गिरजापति नन्दन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि....
              लाओ भवानी पुष्प की माला ।२।
          गले पहनाओ गिरजापति नन्दन,
              होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि....
लाओ भवानी, लड्डू वन थाली ।२।
भोग लगाओ, गिरजापति नन्दन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि....
              गज मोतियन से चौक पुराऊं ।२।
          होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि....
ताल बजाये अंचन-कंचन ।२।
डमरु बजावें शम्भु विभूषन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन ।२। सिद्धि....

हेम पन्त

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हमारे गांव में गायी जाने वाली कुछ खङी होलियों के मुखङे याद आ रहे हैं.

भक्तिरस (होली की शुरुआत मे 2-3 दिनों में गाई जाती हैं)

सुमिरो सीता राम भया तुम हिरा जनम नहिं पाओगे
गई-गई असुर तेरि नारि मन्दोदरि, सिया मिलन गई बागा में
नदि यमुना के तीर कदम्ब चढि, कान्हा बजा गयो बांसुरिया
मथुरा में खेले एक घङी


श्रृंगार रस (होली के अन्तिम दिनों मे इस तरह की होलियों की अधिकता रहती है)

जल कैसे भरूं जमुना गहरी...
बलमा घर आये कौन दिना/ बलमा घर आये फागुन में
तेरो हरिया पंख मुख लाल सुआ, बोलिय जन बोले बागा में
झनकारो-झनकारो-झनकारो, गोरि प्यारो लगो तेरो झनकारो

पंकज सिंह महर

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हास-परिहास का अनूठा संगम है होली स्वांग

दीप बिष्ट, नैनीताल: होली के गीतों की गूंज घर-घर सुनाई देने लगी है। बैठकी होली पूरे शबाब पर है। होल्यारों का जोश भी देखते ही बनता है। होली की अनूठी विधा है महिला स्वांग। समाज में व्याप्त अच्छाई व बुराईयों को विभिन्न चरित्रों के माध्यम से महिलाएं स्वांग के जरिए दर्शाती हैं। बसंत के आगमन पर प्रकृति में चारों ओर नाना प्रकार के रंग-बिरंगे फूल अपनी होली तो खेल चुके हैं। अब इंतजार है सब लोगों को अपनी होली का। बरसाने (मथुरा) की लठमार होली जहां विश्र्व भर के लोगों को आकर्षित करती है वहीं कुमाऊं की होली भी अपनी विशिष्ट शैली के लिए लोकप्रिय हैं। कुमाऊं में जहां खड़ी व बैठकी होली प्रमुख रूप से धमार, खमाज, पीलू, देश, जैजेवंती व विहाग जैसे रागों पर आधारित होती है वहीं होली की अनूठी परम्परा समेटी महिला स्वांग होली का अपना ही आनंद है। नैनीताल के रंगकर्मी बृजमोहन जोशी के अनुसार महिला स्वांग होली पर महिलाओं का वर्चस्व नकारा नहीं जा सकता। घरों पर आयोजित होने वाली महिलाओं की होली में महिलाएं सामाजिक घटनाक्रमों, राजनीतिक व प्रसिद्ध व्यक्तियों का चरित्र हास्य व्यंग्य के माध्यम से प्रस्तुत करती हैं। दहेज प्रथा, शराबी पति, महंगाई, बाल-विवाह आदि मुद्दे भी होली पर स्वांग के माध्यम से उठाए जाते हैं। गौर्दा, गुमानी पंत व मौलाराम जैसे लोकप्रिय जन कवियों ने अपनी होली रचनाओं में स्वांग का प्रयोग किया है। उत्तराखंड के लोकप्रिय जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा महिला स्वांग होली पर कहते हैं कि होली रंगों के पर्व के साथ अभिव्यक्ति का पर्व भी है। होली पर महिलाएं विभिन्न सामाजिक चरित्रों को स्वांग के जरिए उजागर करती हैं। गिर्दा बताते हैं कि स्वांग को होली थेटर भी कहते हैं। स्वांग में महिलाएं पुरुष चरित्रों को प्रमुखता से उठाती हैं। नैनीताल में विगत 30 सालों से महिला स्वांग होली को समर्पित पार्वती बिष्ट कहती हैं कि स्वांग में मुख्यत: वर्तमान समय की समस्याओं को व्यंग्य व चरित्रों के माध्यम से पेश किया जाता है। इस समय बाबा रामदेव, अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा, लालू यादव, सोनिया गांधी, अमिताभ बच्चन, ओसामा बिन लादेन के चरित्र बेहद लोकप्रिय हैं। पार्वती बिष्ट के अनुसार युवा पीढ़ी का स्वांग के प्रति रुझान न होना चिंता का विषय है।

 

पंकज सिंह महर

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एक बिल्कुल शास्त्रीय होली पिथौरागढ़ से,
गायक श्री प्रमोद जोशी
हारमोनियम- भाष्कर कर्नाटक
तबला- सन्तोष शाह


http://www.youtube.com/watch?v=DT8GkAVAgMk

आज बाजत होली बरसाने की.......................तुल्फ लीजिये

पंकज सिंह महर

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कुमाऊंनी होली का विस्तार बहुत ज्यादा है, इसका सहज अनुमान लगाया जाया सकता है, वहां गायी जाने वाली होलियों में, इस होली में गिरिराज हिमालय से लेकर गणेश जी, रिद्धि-सिद्धि, ब्रह्मा-विष्णु, लक्ष्मी जी, शिव-गौरा, राम-सीता, श्रीकृष्ण-राधा सहित नैना देवी-नन्दा देवी को भी अपने साथ होली खेलने का अनुरोध किया जा रहा है-


आओ गिरिराज खेलें होली-४
गणपति माथे तिलक लगो है-२
रिद्धि-सिद्धि मांग भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि...............
ब्रह्मा विष्णु माथे तिलक लगो है-२
लक्ष्मी मांग भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि..............


शिवशंकर माथे तिलक लगो है-२
गौरा भांग भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि..................


रामचन्द्र माथे तिलक लगो है-२
सीता मांग भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि........................


श्री कृष्णा माथे तिलक लगो है-२
राधा मांग भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि..................


भक्तन माथे तिलक लगो है-२
नैना मैय्या मां भरी होली! ओहो रिद्धि-सिद्धि..................


(परिवार के पुरुष सदस्य का नाम लेकर)_ _ _ _ _ माथे तिलक लगो है,
(परिवार की महिला सदस्य का नाम लेकर) _ _ _ _ _ मांग भरी होली।

खीमसिंह रावत

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ek holi geet chhu ho maharaj/

आ हा है कोई योधा इस कपिदल में, लाये संजीवनी बूटी हरी /
आ हा उठो हो जल्दी देर ना लगे लौटी आवो आधी राता हरी /
आ हा कौन दिशा में संजीवनी बूटी, कैसे हैं बूटी के पाता हरी /
आ हा द्रोणाचल में संजीवनी बूटी, ज्योति जले दिन राता हरी /

पंकज सिंह महर

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तुम सिद्धि करो महाराज, होलिन के दिन में,
तुम विघ्न हओ महाराज, होलिन के दिन में,
गणपति, गौरा, महेश मनाऊं-२
सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि..........................।

ब्रह्मा, विष्णु, महेश मनाऊं_२
सबको न्योतूं, आज होलिन के दिन में।
तुम सिद्धि..........................।
सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि..........................।

राम-लखन, सीता मैया मनाऊं-२
सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि..........................।

राधा, कृष्णा, गोपियन को मनाऊं-२
इन सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि..........................।

गोल्ज्यू मनाऊं, भोला नाथ मनाऊं-२
सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि..........................।

नैना मैय्या, पाषाण देवी मनाऊं,
सब देवे न्यूंतूं आज, होलिन के दिन में,
सबको न्योतूं आज होलिन के दिन में,
तुम सिद्धि..........................।

पंकज सिंह महर

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रंग डारि दियो रे अल बेलिन में, रंग डारि दियो,
गये राम चन्द्र रंग लेने को गये,
गये लछिमन रंग लेने को गये,
रंग डालि दिये रे सीता देहिन में, बहू रानिन में,
रंग डारि दिये रे अलबेनिन में, रंग डालि दियो....।

गये भी कृष्ण लेने को गये,
रंग डारि दियो रे, राधा रानी में,
सखि-गोपियन में, रंग डारि दियो,
रंग.......।

गये शिव शंकर रंग लेने को गये,
रंग डारि दियो रे गौरा में,
रंग.....।


एक और होली हेम दा की पसंदीदा होगी (श्रृंगार रस वाली) ठेठ अंदाज में कहा जाये को स्याणियों वाली  ;D  ;D ;D  :D  ;)

मल दे गुलाल मोहे, कि आई होली आई रे,
चुनरी पे हरु रंग सोहे, कि आई होली आई रे,
आज कोई उनको भेज दे संदेश रे-२
राह तके दुल्हनियां, जाने को परदेश रे,
 आये रे याद तेरी आये, कि पिया गये परदेश रे,
मल...।

प्यार से गले मिलो, भेद-भाव छोड़ के,
लोक-लाज की दीवार आज सनम छोड़ के,
दामन य कोई उलझाये, कि हिल-मिल होरी खेलें,
मल दे गुलाल मोहे, कि आई होली आई रे,
चुनरी पे हरु रंग सोहे, कि आई होली आई रे,

पंकज सिंह महर

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कैसे आऊं रे सांवरिया तेरी बृज नगरी,
इत गोकुल, उत मथुरा नगरी,
बीच बहे जमुना गहरी, कैसे आऊं?
कैसे आऊं रे सांवरिया...............।

धीरे चलूं, पायल मोरी बाजे,
कूद पड़ूं तो डूबूं सगरी, कैसे आऊं।
कैसे आऊं रे सांवरिया...............।

भर पिचकारी मेरे मुख पर डारी,
भीज गई रंग से चुनरी, कैसे आऊं।
कैसे आऊं रे सांवरिया...............।

केसर कींच मग्यो आंगन में,
रपट पड़ी राधे गवरी, कैसे आऊं।
कैसे आऊं रे सांवरिया...............।

मोर सखी मजा बाल कृष्णा छवि,
चिरंजी रहे सुन्दर जोरी, कैसे आऊं,
कैसे आऊं रे सांवरिया...............।

 

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