अब कुछ भक्ति मार्ग की ओर चला जाय
तुम भक्तन के सुखदायक हरि,
तुम भक्तन के हितकारी हरि,
तुम भक्तन के................
गज और ग्राह लड़े जल भीतर-२
लड़्त-लड़त गज हारो हरि,
तुम भक्तन के................
जौं भर सूंड रहे जल ऊपर-२
तब गज नाम उचारो हरि,
ओऽऽहो तब गज नाम उचारो हरि,
तुम भक्तन के................
गज की टेर सुनी मधुबन में,
आन सहाय भयो हैं हरि,
ओऽऽहो आन सहाय भयो है हरि,
तुम भक्तन के................
द्रौपदी टेर सुनी मधुबन में,
आन सहाय भयो हैं हरि,
तब आन सहाय भयो हैं हरि,
तुम भक्तन के................
खैंचत-खैंचत अन्त न पायो,
अम्बर ढेर लगावें हरि,
ओऽऽहो अम्बर ढेर लगावें हरि,
तुम भक्तन के................
दुःशासन की बांह हटाई,
द्रौपदी कैसी लाज धरी,
ओऽऽऽऽहो द्रौपदी कैसी लाज धरी,
तुम भक्तन के................
प्रह्लाद भक्त खम्भे पर बांधो,
नरसिंह रुप धरियो है हरि,
ओऽऽऽहो नरसिंह रुप धरियो है हरि,
तुम भक्तन के................
दुर्बल गति सुदामा आये,
दुःख दरिद्र हरो है हरि,
ओऽऽहो दुःख दरिद्र हरो है हरि,
तुम भक्तन के................
भिलनी के बेर सुदामा के तंदुल,
रुचि-रुचि भोग लगायो हरि,
ऒऽऽहो रुचि-रुचि भोग लगायो हरि,
तुम भक्तन के................
दुर्योधन के मेवा त्यागे,
साग विदुर घर खायो हरि,
ओऽऽहो साग विदुर घर खायो हरि,
तुम भक्तन के................
देवताओं को सुख दियो है,
कंस के वंश को मारो हरि,
ओऽऽऽहो कंस के वंश को मारे हरि,
तुम भक्तन के................
ओऽऽऽऽहो तुम भक्तन के................॥