Uttarakhand > Culture of Uttarakhand - उत्तराखण्ड की संस्कृति

Let Us Know Fact About Our Culture - आएये पता करे अपनी संस्कृति के तथ्य

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खीमसिंह रावत:
मजैठी 
हमारे यहाँ पर सावन में मजैठी (एक प्रकार की मेहंदी ) पैर और हाथों में लगाईं जाती है मजैठी लगाने का सिलसिला जन्माष्टमी तक चलता है जन्माष्टमी के बाद मजैठी नहीं लगाईं जाती है\ मजैठी का पौधा सदाबहार नहीं है यह अषाढ़ माह में जमाना शुरू हो जाता है तीन चार महीने बाद अपने आप सुख जाता है उसके बीज जमीन में गिर जाते है फिर अषाढ़ माह में ही अंकुरित होते है / मजैठी का रंग ज्यादा गहरा लगे मजैठी को पिसते समय नीबू का रस भी मिलाया जाता है/ एक लोकोक्ति परचलित है की मजैठी को माथे पर लगावो तो उसका रंग माथे पर नहीं लगता है जिसके माथे पर लग गया उसे भाग्यशाली मन जाता है/[/size]

Devbhoomi,Uttarakhand:
                    क्या आप इस कला  के बारे में जानते है ?

वशुधारा

उत्तराखंड के पहाड़ी गाँवों मैं घर के मंदिर,दहलीज को गेरू से लीपकर बिस्वार की अनेक धाराएँ डाली जाती हैं ! जो दुग्ध धाराओं की तरह प्रतीत होती हैं !
इस प्रकार का चित्रांकन वाशुधारा कहलाता है !इनके अतरिक्त जीवमात्रिका पट्टा,गंगा दशहरे पत्र ,वेदी अंकन सेली (थाली) षष्ठी चौकी,पौ खोड़िया आदि का भी प्रचलन है !

Devbhoomi,Uttarakhand:
नात--रसोई घर की दीवारों पर गेरू तथा बिस्वार से लक्ष्मी-नारायण चैतुआ तथा बिखौती के चित्र बनाकर धन-धान्य की कामना की जाती है !इन प्रतीकात्मक चित्रों को टुपुकभी कहा जाता है !

Devbhoomi,Uttarakhand:
कुमाऊंनी व जौनसार भावर की संस्कृति का होगा समागम



नैनीताल। श्रीराम सेवक सभा के तत्वावधान में आयोजित होली महोत्सव में इस बार कुमाऊंनी होली के साथ ही जौनसार-भाबर की होली के अनूठे रंग भी देखने को मिलेंगे। महोत्सव का मुख्य आकर्षण महिला होली अब 22 फरवरी से होगी।

श्रीराम सेवक सभा के पूर्व अध्यक्ष गंगा प्रसाद साह ने बताया कि 21 फरवरी को सायं 4 बजे बैठकी होली के साथ महोत्सव का आगाज होगा। पिछले कार्यक्रम में बदलाव करते हुए अब 22 व 23 फरवरी को अल्मोड़ा, हल्द्वानी, काठगोदाम व चंपावत की महिला होल्यारों द्वारा होली गायन किया जाएगा। 23 को बैठकी होली का एकल गायन होगा जिसमें कुमाऊं के चार नामी कलाकार हिस्सा लेंगे। 24 को रंग धारण व चीरबंधन, 25 को आंवला एकादशी पूजन तथा 26 को गीत एवं नाटक प्रभाग के कलाकारों द्वारा होली पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। 27 को स्थानीय महिलाओं की होली होगी।

28 को होली स्वांग के अलावा अपराह्न 2.30 बजे से पारितोषिक वितरण समारोह आयोजित किया जाएगा। पहली मार्च को छरड़ी के साथ महोत्सव का समापन होगा। श्री साह ने बताया कि महोत्सव की तैयारियां अंतिम दौर में है। महिला होली को सफल बनाने के लिए स्थानीय महिलाओं की कमेटी का गठन किया गया है।

SOURS DAINIK JAGRAN

हेम पन्त:
आपके वर्णन के अनुसार मुझे तो "वशुधारा" ऐपण का ही दूसरा नाम लग रहा है.


--- Quote from: devbhoomi on January 01, 2010, 08:08:46 PM ---                    क्या आप इस कला  के बारे में जानते है ?

वशुधारा

उत्तराखंड के पहाड़ी गाँवों मैं घर के मंदिर,दहलीज को गेरू से लीपकर बिस्वार की अनेक धाराएँ डाली जाती हैं ! जो दुग्ध धाराओं की तरह प्रतीत होती हैं !
इस प्रकार का चित्रांकन वाशुधारा कहलाता है !इनके अतरिक्त जीवमात्रिका पट्टा,गंगा दशहरे पत्र ,वेदी अंकन सेली (थाली) षष्ठी चौकी,पौ खोड़िया आदि का भी प्रचलन है !

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