हरि ब्यापक सर्बत्र समाना | प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना ||( बाल काण्ड )
देवि पूजि पद कमल तुम्हारे | सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे || (बाल काण्ड )
जिन्ह के रही भावना जैसी | प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी || (बाल काण्ड )
जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू | सो तेहि मिलई न कछु संदेहू || (बाल काण्ड)
का बरषा जब कृषी सुखानें | समय चुकें पुनि का पछताने ||