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Mangal Chaupaiyan From Ramcharit Manas - मंगल चौपाइयां (श्री रामचरित मानस से)
hem:
नहिं कलि करम न भगति बिबेकू | राम नाम अवलंबन एकू || (बाल कांड)
समरथ कहुँ नहिं दोष गोसाईं | रवि पावक सुरसरि की नाईं || (बाल कांड)
गुरु के बचन प्रतीति न जेही | सपनेहुँ सुगम न सुख सिधि तेही || (बाल कांड)
जो नहिं करइ राम गुन गाना | जीह सो दादुर जीह समाना || (बाल कांड)
रामकथा सुंदर कर तारी | संसय बिहग उडावनिहारी || (बाल कांड )
हलिया:
मंगल चौपाइयां
जय जय गिरिबर राज किशोरी । जय महेश मुख चंद्र चकोरी ॥
उल्टा नामु जपत जग जाना । बालमिकि भए ब्रह्म समाना ॥
उमा कहेहु मैं अनुभव अपना । सत हरि भजनु जगत सब सपना ॥
अब मोहि भा भरोस हनुमंता । बिनु हरि कॄपा मिलहिं नहि संता ॥
सियाबर रामचन्द्र की जै पद शरणम
Lalit Mohan Pandey:
बहुत खूब राजु दा, पहाड़ मैं वैसे भी knowledge वाले पंडीतु का अभाव हो रहा है
hem:
हरि अनंत हरि कथा अनंता | कहहिं सुनहिं बहु बिधि सब संता || (बाल काण्ड)
अति प्रचंड रघुपति कै माया | जेहि न मोह अस को जग जाया || (बाल काण्ड)
जेहि बिधि नाथ होइ हित मोरा | करहु सो बेगि दास मैं तोरा || (बाल काण्ड)
बड़े सनेह लघुन्ह पर करहीं | गिरि निज सिरनि सदा तृन धरहीं || (बाल काण्ड)
जाके हृदयँ भगति जस प्रीती | प्रभु तहँ प्रगट सदा तेहि रीति || (बाल काण्ड)
Rajen:
धीरज धर्म मित्र अरू नारी।
आपद काल परिखिअहिं चारी ॥
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