तात तीनि अति प्रबल खल काम क्रोध अरु लोभ |
मुनि बिग्यान धाम मन करहिं निमिष महुं छोभ ||
श्रीराम भाई लक्षमण से कहते हैं -( हे तात ! काम, क्रोध और लोभ - ये तीन अत्यंत प्रबल दुष्ट हैं | ये विज्ञान के धाम मुनियों के भी मन को पल भर में क्षुब्ध कर देते हैं ||)
लोभ कें इच्छा दंभ बल काम कें केवल नारि |
क्रोध के परुष बचन बल मुनिबर कहहिं बिचारि ||
( लोभ को इच्छा और दंभ का बल है, काम को केवल स्त्री बल है और क्रोध को कठोर बचनों का बल है ; श्रेष्ठ मुनि विचार कर ऐसा कहते हैं ||)