Author Topic: Nanda Devi Fair (Saato-Aatho) Saupati- सातो आठो (सौपाती) माँ नंदा देवी मेला  (Read 14879 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आठूं में महिलाए गीतों द्वारा "गौरा" के दुःख का वर्णन करते है!

उससे पूछते है :

"ये दुःख बाधो गवारो की खाणों
की आछे
जेठ उनी तू उमिया बुकूनी
कातिक उनी टी सिरौली बुकुनी !

(हे गौरा - तू इस भूखे भादों में आकर अब क्या खाती है? जेठ के महीने में आती तो गेहू, कार्तिक के महीने आती तो चावल खाती)

Devbhoomi,Uttarakhand

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सातूं-आंठू की तर्ज पर होगा होली महोत्सव
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सातूं-आंठू पर्व की तर्ज पर इस बार पिथौरागढ़ में होली महोत्सव आयोजित किया जायेगा। इसके लिए मथुरा, बरसाना, कासगंज आदि से भी होली टीमों को बुलाया जायेगा।

रामलीला प्रबंधकारिणी समिति की एक बैठक भूपेन्द्र सिंह माहरा की अध्यक्षता में हुई, जिसमें वक्ताओं ने कहा इस वर्ष भी सोर घाटी में होली महोत्सव का आयोजन किया जायेगा। होली महोत्सव में दिल्ली, नैनीताल, कासगंज, मथुरा, बरसाना, अल्मोड़ा से टीमें आमंत्रित की जायेगी। इसी के साथ पिथौरागढ़ के हर गांव से भी होली दल बुलाये जायेंगे। होली महोत्सव का प्रारम्भ आमल एकादशी को आंवल के पौध की पूजा कर किया जायेगा। बैठक में सचिव पद पर सेवानिवृत्त शिक्षक पदमादत्त पंत का मनोनयन किया गया। श्री पंत पिछले पचास वर्षो से रामलीला समिति से जुड़े हुए हैं। इसी दौरान एक उपसमिति भी गठित की गई जिसमें विक्रांत पुनेड़ा अध्यक्ष, चन्द्र प्रकाश खत्री, उमेश लाल साह, दीपक खन्ना, गिरीश पाठक, मनोज, गणेश सौन, चतुर, हेमंत, सूरज, पंकज आदि को शामिल किया गया है। बैठक का संचालन जगदीश पुनेड़ा ने किया।

Source dainik jagran

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पहाडो में नंदा अष्टमी की धूम है आजकल

गढ़वाल और कुमाऊँ के राजाओं की भी नंदा देवी इष्ट रही है। गढ़वाल और कुमाऊँ की जनता के द्वारा प्रतिवर्ष नंदा अष्टमी के दिन नंदापार्वती की विसेष पूजा होती है। नंदा के मायके से ससुराल भेजने के लिए भी 'नन्दा जात' का आयोजन गढ़वाल-कुमाऊँ की जनता निरन्तर करती रही है। अतः नन्दापार्वती की पूजा - अर्चना के रुप में इस स्थान का महत्व युगों-युगों से आंका गया है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उर्गम Ghati

नंदा अष्टमी पर्व के मौके पर उर्गम के घंटाकरण चौक से यात्रा शुरू होकर हिमालय की ओर बढ़ चुकी है जिसे श्रद्धालु नंदा अर्थात पार्वती का बुलावा मानते हैं। उर्गम घाटी की जात यात्रा बंशीनारायण से मेनवा खाल तथा ओसारी पंच गैंग की जात डुमक बजीर से शुरू होकर नंदी कुंड पहुंचते हैं। मेनवा खाल जात यात्रा के मुखिया डुमक के बजीर होते हैं जो यात्रा का पथ प्रदर्शन करते हैं। यात्रा के दौरान श्रद्धालु ब्रह्म कमल तोड़कर गांव में लाते हैं और इनकी पूजा कर भगवान को समर्पित करते हैं। घाटी के भरकी में नंदा के चौक से यात्रा शुरू होकर नंदा व स्वनूल देवी की छतौलियां पंचमी तिथि को फ्यूंला नारायण जाती हैं जहां रात्रि जागरण के दौरान श्रद्धालु देवी के जागर गीत गाते हैं। सप्तमी तिथि को जात यात्रा मनाई जाती है। इन दौरान दशमी तिथि तक उर्गम घाटी में मेला जारी रहता है। जोशीमठ क्षेत्र में नंदा अष्टमी पर्व पर मेरग, परसारी, बड़ा गांव, लाता, नीती, थैंग, चांई, पाण्डुकेश्वर, बामणी, डुमक कलगौठ में श्रद्धालु देवी की पूजा कर मनौतियां मांगते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मां नंदा देवी का मेला
 
 
 

 
कुमाऊँ मंड़ल के अतिरिक्त भी नन्दादेवी समूचे गढ़वाल और हिमालय के अन्य भागों में जन सामान्य की लोकप्रिय देवी हैं। नन्दा की उपासना प्राचीन काल से ही किये जाने के प्रमाण धार्मिक ग्रंथों, उपनिषद और पुराणों में मिलते हैं।
 

नन्दा के इस शक्ति रुप की पूजा गढ़वाल और कुमाऊँ दोनो जगह ही की जाती है। नैनीताल में नन्दादेवी मेला अपनी सम्पन्न लोक विरासत के कारण कुछ अलग ही छटा लिये होते हैं परन्तु अल्मोड़ा नगर के मध्य में स्थित ऐतिहासिकता नन्दादेवी मंदिर में प्रतिवर्ष भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगने वाले मेले की रौनक ही कुछ अलग है ।
मुख्य मेला अष्टमी को प्रारंभ होता है।
अष्टमी की रात्रि को परम्परागत चली आ रही मुख्य पूजा चंदवंशीय प्रतिनिधियों द्वारा सम्पन्न कर बलिदान किये जाते हैं । मेले के अन्तिम दिन परम्परागत पूजन के बाद भैंसे की भी बलि दी जाती है । अन्त में डोला उठता है जिसमें दोनों देवी विग्रह रखे जाते हैं । नगर भ्रमण के समय पुराने महल ड्योढ़ी पोखर से भी महिलायें डोले का पूजन करती हैं । अन्त में नगर के समीप स्थित एक कुँड में देवी प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है ।
मेले के अवसर पर इस दौरान लोक गायकों और लोक नर्तको की अनगिनत टोलियाँ। झोड़े, छपेली, छोलिया जैसे नृत्य हुड़के की थाप पर सम्मोहन की सीमा तक ले जाते हैं। मेले का एक अन्य आकर्षण परम्परागत गायकी में प्रश्नोत्तर करने वाले गायक हैं, जिन्हें बैरिये कहते हैं । वे काफी संख्या में इस मेले में अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं ।
 
(Source -http://www.themountainpeople.com)
 
 

Devbhoomi,Uttarakhand

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पूजा अर्चना के साथ ही मां नंदा का मेला सम्पन्न




   कपकोट (बागेश्वर): पिंडर घाटी के मल्लादानपुर क्षेत्र के प्रसिद्ध मां भगवती नंदा कुल देवी मंदिर में विशेष पूजा अर्चना के बाद मेला सम्पन्न हो गया। इस अवसर पर धामी परिवार के लोगों ने मंदिर में परिक्रमा कर पूजा अर्चना की। मां भगवती मंदिर में आयोजित मेले में उगियां, सोराग, किलपारा, बदियाकोट में मां भगवती के श्रद्धालुाओं ने सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की। इस अवसर पर कपकोट के विधायक शेर सिंह गढि़या व जिपं सदस्य गोविंद सिंह दानू ने भी मंदिर में जाकर पूजा अर्चना की।





Source dainik jagran

   

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Hemant KapkotiMerapahad (A Community  of Uttarakhand Lover's)Subscribe · 9 hours ago
सुप्रभात मित्रो,
 फोटो देखकर तो आप समझ ही गए होंगे की ये क्या कर रहे है. जी हाँ दोस्तों ये लोग माँ भगवती की भक्ति में लीन होकर झांझर नृत्य कर रहे है..
 दोस्तों ये फोटो कपकोट में लगने वाले "सोपाती" पूजा की है जिसका आयोजन हर ३ वर्ष में होता है .. ये पंचमी से सुरु होता है.. तथा भंडारा astami को लगता है .. मित्रो ये फोटो सप्तमी की है .. इस दिन पोथिंग गाँव से देवताओ को न्योता दिया जाता है ... पोथिंग गाँव से आने वाले देवता पुल बाज़ार नामक स्थान पर रुकते है.. और कपकोट से भक्तजन ढोल, दमो, झाझर आदि वाद्यों के साथ नृत्य करते हुए पुल बाज़ार पहुचते है..क्या कभी आपने ऐसे पूजा में झाझर नृत्य किया है.. अगर नहीं तो कभी कर के देखिये ....जब ढोल, दमाऊ और झांझर की ध्वनि आपस मे मिलती है तो खुद ब खुद हाथ पाव चलने लगते है.. और जहा जहा तक इसकी मधुर ध्वनि जाती है वहा तक का वातावरण शुद्ध हो जाता है ...... पुल बाज़ार से देवताओ को भक्तजन अपने कंधे पर उठाकर कपकोट गाँव स्थित माँ भगवती के मंदिर तक लाते है .... दोस्तों सप्तमी की रात जागरण की रात होती है.. कोई भक्त आरती में मगन रहता है,, कोई चाचरी में तो कोई भजन कीर्तन में,, मैं तो ज्यादातर भजन कीर्तन में ही रहता हु .. गाँव की सारे भाई लोग, बहने, माताए, बुजुर्ग सभी इसमें भाग लेते है .... हम सब लोग दरी बिछा कर जमीन पर बैठते है .... गाना तो मुझे नहीं आता लेकिन में ढोलकी जरूर बजा लेता हु थोडा बहुत... एक तरफ महिलाई और एक तरफ मर्द बैठते है और सबसे पहले जो भजन गाया जाता है वो है " खोली दे माता खोल भवानी धार मे किवाड़ा " फिर चलता है भजन कीर्तन का ऐसा दौर जिसकी यादे कई दिन तक हमारे मन मे बसी रहती है ... दूसरी तरफ आरती भी हो रही होती है.. उस समय हम भजन कीर्तन को विश्राम दे देते है और आरती का आनंद लेते है... आरती समाप्त होने पर दोबारा भजन कीर्तन का दौर सुरु हो जाता है ... तीसरी तरफ कही चाचरी की आवाज भी आ रही होती है " शिखर डाना घाम लागो छोड़ी दे भीना मेरी धोपेली " . साथ में हमारे कुछ भाई लोग जलेबी और छोले आदि की दूकान भी डालते है .. वहा छोटे छोटे बच्चो की लाइन लगी रहती हो.. उनके पास ज्यादा रुपये तो होते नहीं बस ५-१० रुपये होते है और वो समझ नहीं पाते की क्या खाए. किसी को जलेबी खानी है तो किसी को छोले... किसी को biscuit तो किसी को कुछ और ... उन्हें जो भी चाहिए वो पेट भर के चाहिए होती है.. इसी बात पर वो दुकानदार से लड़ने लगते है की और दो और दो ..... अब बच्चे तो बच्चे है उन्हें कैसे समझाए की इतने रुपये में इतना ही आता है.. फिर भी दूकान वाला मात्रा को बड़ा ही दे देता है .... ऐसा रात भर चलता है... दूसरे दिन भंडारे का आयोजन होता है... भंडारा "नाना नोऊ" स्थान पर होता है ... मंदिर से वहा तक देवताओ को कंधे पर ही ले जाया जाता है .... इस भंडारे में दूर दूर से लोग आते है .. पहले दूर दराज से आने वाले पुरुषो, बच्चो तथा महिलावो को लाइन से बैठकर खिलाया जाता है... प्रशाद बाटने में मैं भी शामिल रहता हु... जब सब खाकर चले जाते है तब हम गाँव के लडके खाते है ...
 मित्रो ऐसे पूजा आदि कार्यक्रम का गाँव में बड़ा महत्व है.. भगवती माँ की पूजा के साथ साथ लोगो का आपस में प्यार भी बढता है... सब एक साथ मिलकर काम करते है जिससे भाईचारा भी बढता है .....
 धन्यवाद
 जय माता दी
 हेमंत कपकोटी


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Nanda Devi Fair nainital
(Sour Nainitaltourism.com
  Nanda Devi Mela | NAINA DEVI  FESTIVAL height=186
 
Nanda Devi Mela :-
 
 Nanda Devi Mela is held as a symbol of prosperity, both material and spiritual, of the hill regions.
 
 Nanda Devi Mela is a fair of great religious and cultural significance. This fair is held in the month of September.
 
 Originally conceptualized by Baj Bahadur Chand, a contemporary of the Mughal king Aurangzeb.
 
 

 
 
  The procession carrying the Dola of Nanda Devi in Nainital & Almora witnesses huge crowds of devotees. People pray for prosperity, both material and spiritual, at the fair.
 

 
Nanda Devi Mela | NAINA DEVI  FESTIVAL height=333
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