Uttarakhand > Culture of Uttarakhand - उत्तराखण्ड की संस्कृति
Our Tradition Vs. New Generation - हमारे संस्कार: आज की पीढी को कितने स्वीकार्य
Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
sir ji main jara bahar hun
पंकज सिंह महर:
राजेन भाई,
बहुत अच्छा विषय आपने इस मंच में उठाया है, वैसे संस्कार तो मानव जीवन में १६ होते हैं परन्तु इन संस्कारों को कितना स्वीकार किया जा रहा है, यह अलग बात है. मुद्दा यह है कि हम लोग, जिनका यह संस्कार हो चुका है, हम उसका कितना सम्मान कर पा रहे हैं क्योंकि जो चीज निभायी नही जा सकती उसका प्रयोग नहीं करना चाहिये. धर्म का अपमान भी नही होना चाहिये, जो निभा सकता है, उसी को यह सब कराना चाहिये, जनेऊ कराना तो आसान है, लेकिन बाद में उसमें गांठ लगा देना या उसे पकड़ कर संध्या पूजन नही कर पाये तो उसका महात्तम्य क्या रहेगा? इसलिये यही उचित है कि काम चलाने या करना है, करके फार्मेल्टी के लिये यह संस्कार कराने के मैं खिलाफ हूं....
Rajen:
ओ हो, ये बात है. अपना खयाल रखियेगा.
Please take care of yrself.
--- Quote from: Anubhav / अनुभव उपाध्याय on November 27, 2007, 07:20:36 PM ---sir ji main jara bahar hun
--- End quote ---
Rajen:
बात आपकी बिल्कुल ठीक है पंकज जी. लेकिन हमारी मान्यताओं का क्या?
वैसे भी आज के बदलते युग में बहुत कुछ वदल रहा है फ़िर संस्कॄति और संस्कार भी बदलते हैं तो इसमें बुराई क्या है. जैसा आपने कहा, संस्कॄति और संस्कार वही ठीक हैं जो आसानी से निभाये जा सकें।
--- Quote from: पंकज सिंह महर on November 27, 2007, 09:00:34 PM ---राजेन भाई,
बहुत अच्छा विषय आपने इस मंच में उठाया है,
जो निभा सकता है, उसी को यह सब कराना चाहिये, ....
--- End quote ---
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Sir Ji,
In the speed of modernization, changes are taking place in all the tradition. Take it Sardar Ji log, a lot of Sardarji's are bound to leave pagdi (turban). Similarly, some old traditions of ours are also changing.
There are some demerits behind is also which i have already explained.
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