Author Topic: Rajula Malushahi Immortal Love Story - राजुला मालूशाही: अमर प्रेम गाथा  (Read 77629 times)

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Bilkul sahi kaha aapne Umesh ji yeh humare Uttarakhand ki ajar amar Prem katha hai.

***ya bhi Lella Majnu,Heer Ranja,ke samaan A Great Love Story hai****************


खीमसिंह रावत

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मेरे पहाड़ के भाई लोगो राजुला-मालूशाही, हरुसिंह हीत, की तरह तो नही किंतु ये भी एक पहाडी औरत की अपने पति के प्रति अपार प्रेम की कहानी है रमी बौराणी / स्व श्री गोपाल बाबु गोस्वामी जी ने इसे गीतों मे गया है /

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Ji maine bhi iske baare main thoda bahut suna hai. Rawat ji aapse nivedan hai ki kripya iski 1 nai thread bana ke humein iske baare main bataen.

मेरे पहाड़ के भाई लोगो राजुला-मालूशाही, हरुसिंह हीत, की तरह तो नही किंतु ये भी एक पहाडी औरत की अपने पति के प्रति अपार प्रेम की कहानी है रमी बौराणी / स्व श्री गोपाल बाबु गोस्वामी जी ने इसे गीतों मे गया है /

प्रहलाद तडियाल

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@ पंकज सिंह महर दाजु आपु हो एक नेबेदन छा आप मुझे ददा मत बोलो PLS.......

राजा हरु हीत की कथा लगभग २०० साल पुरानी है! उत्तराखंड मैं चार पटी सल्ट मैं राजा श्री समर सिंह हीत राज करते थे! राज - काज बड़े आनन्द पूडं ढंग से चल रहा था. राजा के ७ लड़के थे और राजा के पास अच्छे - अच्छे खेत (शयेर) थे! राजा के ७ राजकुमार बड़े ही बल शाली थे और वे अपने इस बल और धन वैभव मैं चूर थे!
राजा हरु हीत उत्तराखंड के स्थानी राजा थे लोगो उन्हें भगवान के रूप मैं पूजते है ! आज भी लोग उनके मंदिर मैं दूया मागते है और उनकी दूया पूरी होती है राजा जी के बारे आप ने बचपन से ही कई कहानिया सुनी होगी!
राजा जी के मंदिर से एक सुरंग है जो की मंदिर से अन्दर ही अन्दर निकलते हुई हँसीडुग ( जो के रामगंगा नदी पर है ) पर मलती है! राजा जी के ज़माने मैं वहा से उनके लिये पानी लाया जाता था, और राजा जी का परिवार वही नहाया करता था, एक दिन राजा की रानी ( मालू रोतेली) ने वहा पर नहा कर अपनी घागेरी (पेटीकोट) सुखाने के लिये एक पत्थर पर रखा तो वहा पर घागेरी की छाप आ गयी जो आज भी है, बड़ी मात्र मैं लोग उसे देखने के लिये बड़ी दूर - दूर से आते है.

ये मैंने जो सुना था उसपर तोडा भौत लिखा हाई राजा हरु हीत केबारे में  राजुला-मालूशाही के बारे में तो जायदा में भी नहीं जनता हु........

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Dhanyavaad Prahlad bhai +1 karma aappko is katha ke liye. Kuch aur jaankaari mile to jaroor share karna.

@ पंकज सिंह महर दाजु आपु हो एक नेबेदन छा आप मुझे ददा मत बोलो PLS.......

राजा हरु हीत की कथा लगभग २०० साल पुरानी है! उत्तराखंड मैं चार पटी सल्ट मैं राजा श्री समर सिंह हीत राज करते थे! राज - काज बड़े आनन्द पूडं ढंग से चल रहा था. राजा के ७ लड़के थे और राजा के पास अच्छे - अच्छे खेत (शयेर) थे! राजा के ७ राजकुमार बड़े ही बल शाली थे और वे अपने इस बल और धन वैभव मैं चूर थे!
राजा हरु हीत उत्तराखंड के स्थानी राजा थे लोगो उन्हें भगवान के रूप मैं पूजते है ! आज भी लोग उनके मंदिर मैं दूया मागते है और उनकी दूया पूरी होती है राजा जी के बारे आप ने बचपन से ही कई कहानिया सुनी होगी!
राजा जी के मंदिर से एक सुरंग है जो की मंदिर से अन्दर ही अन्दर निकलते हुई हँसीडुग ( जो के रामगंगा नदी पर है ) पर मलती है! राजा जी के ज़माने मैं वहा से उनके लिये पानी लाया जाता था, और राजा जी का परिवार वही नहाया करता था, एक दिन राजा की रानी ( मालू रोतेली) ने वहा पर नहा कर अपनी घागेरी (पेटीकोट) सुखाने के लिये एक पत्थर पर रखा तो वहा पर घागेरी की छाप आ गयी जो आज भी है, बड़ी मात्र मैं लोग उसे देखने के लिये बड़ी दूर - दूर से आते है.

ये मैंने जो सुना था उसपर तोडा भौत लिखा हाई राजा हरु हीत केबारे में  राजुला-मालूशाही के बारे में तो जायदा में भी नहीं जनता हु........


प्रहलाद तडियाल

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अनुभव उपाध्याय दाजु जरुर आप लोगो के साथ बातोगा और जानकारी जेसे ही मुझे मलती हाई तो 

खीमसिंह रावत

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ताडीयल जी राजुला मालूशाही और हारुसिंह हीत की सीडी बाज़ार में है कृपया देखे /
हारुसिंह हीत आपके गाव के पास के ही थे ग्राम बौड़ के ही सज्जन की पहल पर ही गुज्जुदुकोट में मन्दिर का निर्माण हुवा है /

khim

मेरा पहाड़ / Mera Pahad

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Sabhi members ka dhanyavaad jinhone humein humare Pahad ki in prasidhh kathaon se parichit karwaya.

ताडीयल जी राजुला मालूशाही और हारुसिंह हीत की सीडी बाज़ार में है कृपया देखे /
हारुसिंह हीत आपके गाव के पास के ही थे ग्राम बौड़ के ही सज्जन की पहल पर ही गुज्जुदुकोट में मन्दिर का निर्माण हुवा है /

khim

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Rawat ji main bhi Gram Khumaad Tulla Sult se hun :)

ताडीयल जी राजुला मालूशाही और हारुसिंह हीत की सीडी बाज़ार में है कृपया देखे /
हारुसिंह हीत आपके गाव के पास के ही थे ग्राम बौड़ के ही सज्जन की पहल पर ही गुज्जुदुकोट में मन्दिर का निर्माण हुवा है /

khim

Dinesh Bijalwan

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This is really a wonderful love ballad.  It not only reflects the path adopted by Rajula in search of Malu Saha but also gives some references of the histroical events happening in the country at that time.  One Vijaypal  has been referred  as Bighni Vijaypal , who was probably from the Shahi Dynastry of  North West Sindh.   Who left his native place due to the pressure of  Turk attacks and came in search of shelter in Katuur Valley and started living like Hun traders. He assumed the title of "Rudia Hunia of Jullandhar desh".   He was killed by Malu Shah but Malu Shah was imprisoned by  Son pal's Army.   Haru Sem . Goria, and Suraj Kunwar and Sidwa Bidwa Ramola's from Garhwal  all went to rescue  Malu Shah.  In this battle both Malu Shah and Son pal sauka lost their life.    Whatever the case may be, it is really a story of a girl who faces every hardship to meet her beloved.  The Book Uttrakahnd ke Beer Bhar, by Dr. Ranbir Singh Chauhan, published by Shri Communication, Shri Shankar Niwas , Upper Bazar, Sri Nagar Garhwal  is a juicy history book which tries to throw light on the life of Katuuri period.

 

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