फूली गया फुल, फुल्या पात,
फुलू -फुलू मा म्वारी छन रुणयाणी!
मेरा मन को भौर जी नी बौड्यो आज ,
दिन , मैना , बरस कथी हवे गया आज
मेरी मन की मन मा रै गई गाणी!
मेरी दुर्गता नी कैन जाणी l
स्वामी की याद वीं औण लैगी ;
आंख्यो अंसधारी टप-टप छुटण लैगी l
मेरा स्वामीन मै छोड्यो घर ,
निर्दया हवैगीन के लई मई पर l
स्वामी जी परदेश गैन l
मै तई एखुली छोड़ी गैन l
बाट पुंगडी मा रमदो जोगी खडू रैगे l
जोगी वी देखी पूछण बैठे :
बोल बोराणी क्या तेरो नौ छ ?
बोल बोराणी का तेरो गौ छ ?
बटोई जोगी क्या कदू पूछी ,
तेरी जुबान दयुलू लुछी l
तेरा स्वामी की खबर - नी सार l
बतौलू कब तै आला घार l
पैली अपणो नौ बतलो चेली ,
सब कुछ जाणदन संत ज्ञानी l
रौतू की बेटी छो रामी नौ छ ,
सेठु की ब्वारी छो पाली गौं छ l