आज संवत्सर प्रतिपदा है, आज से विक्रमी संवत २०६८ प्रारम्भ हो रहा है, आप सभी के समक्ष पं० राम दत्त जोशी जी के पंचांग के अनुसार इस वर्ष का वार्षिक फल तथा राशिफल प्रस्तुत है।
इस संवत्सर का नाम क्रोधी है, क्रोधी संवत्सर में लोग क्रोध तथा लोभ के वशीभूत रहेंगे, वर्षा एवं अन्न मध्यम तथा दैवीय कष्ट के सम्पूर्ण जगत त्रस्त रहेगा। क्रोधी संवत्सर में जगत में अव्यवस्था रहेगी तथा लोग रोग व्याधियों से पीड़ित रहेंगे। प्रजा में क्लेश तथा क्रोध का वातावरण बना रहेगा। वर्ष भर अनाज महंगा रहे, राजाओं में परस्पर विरोध, प्रजा पाप कार्यों में लिप्त तथा व्यापार में मंदी से लोगों में निर्धनता बनी रहेगी। चैत्र तथा वैशाख मासों में करकापात, रोग एवं महामारी होवें, ज्येष्ठ मास में अन्न महंगा होवे, आषाढ़ मास में वर्षा कम, भाद्रपद में खण्डवृष्टि तथा अन्न महंगा, आश्विन में सभी जगहों में वर्षा की स्थिति होवे। कार्तिकादि मासों में समता बनी रहे।
इस वर्ष ग्रहों के राजा सोम तथा मंत्री गुरु हैं, बुध के पास मेघेश, दुर्गेश एवं फलेश का कार्यभार हैआ सस्येश सूर्य, निरसेश एवं धनेश शनि, रसेश भौम तथा धान्येश शुक्र के आधीन हैं। इस तरह से दस पदों में से छह शुभ तथा चार पाप ग्रहों के पास हैं।
शुभ ग्रहों के बहुमत होने से अशुभ फलों का निराकरण स्वतः ही हो जायेगा, इस वर्ष पृथ्वी पर वर्षा यथोचित मात्रा में होगी तथा अन्न की पैदावार भी अच्छी होगी, परन्तु रोग-व्याधियों और प्राकृतिक आपदाओं से फसलों एवं जनमानस में नुकसान होगा। नये शासक के आने से जनमानस सन्तुष्ट रहेंगे। जीवन निरामय तथा सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहेगा। राजभय एवं रोगपीड़ा होने से जनमानस क्रुद्ध होंगे। किसान तथा व्यापारी वर्ग को आर्थिक कष्ट और बुद्धिजीवियों को मानसिक कष्ट होंगे। जनमानस आर्थिक स्तर पर विभाजित रहेगा।
वर्ष एवं वर्षेश लग्नानुसार पूर्व एवं पश्चिमी क्षेत्र में उग्रवाद, भूकम्प, दुर्भिक्ष आदि दैवीय प्रकोपों से जानमाल का नुकसान होगा। सीमावर्ती क्षेत्र युद्ध तथा आतंकवास से त्रस्त रहेंगे। शिवार्चन, देवाराशन तथा जपदान आदि से अशुभफलों में न्य़ुनता होगी। २, ५, ८ तथा ११ वें मास सामान्य फलकारक, शेष अन्य मास शुभ रहें।