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Samvatsar Pratipada : सम्वत्सर प्रतिपदा

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पंकज सिंह महर:
तुला- राशिवालों का वर्ष सामान्य फलकारक है, वर्ष में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। नई योजनाओं के कार्यान्वयन में बाधायें खड़ी होंगी, सन्तान और राज्यपक्ष से कष्ट सम्भव। पांचवे, नवें तथा बारहवें मास अच्छे रहेंगे। गुरु, शनि, भौम तथा केतु का जपदान शुभ रहे।

वृश्चिक- राशिवालों का वर्ष अच्छा है, घर पर शुभ कार्य सम्पन्न होंगे। शत्रु तथा विरोधी स्वतः ही परास्त होंगे। रुके हुए धन की प्राप्ति होगी। पहले, छठे तथा दसवें मास शुभ रहें। भौम, राहु और केतु का जपदान श्रेयस्कर रहे।

धनु- राशिवालों का वर्ष सामान्य है, पूर्ण होते हुये कार्यों में स्वतः ही अवरोश उत्पन्न होंगे। अत्यधिक पराक्रम करने के बावजूद भी उचित परिणाम नहीं प्राप्त हो सकेंगे। दूसरे, सातवें तथा ग्यारहवें मास शुभ फलदायक। शनि, भौम, राहु एवं केतु का जपदान हितकर रहे।

पंकज सिंह महर:
मकर- राशिवालों का वर्ष सामान्य है, रोग एवं शत्रु प्रभावी होंगे। पारिवारिक परेशानियां बढ़ेंगी। आर्थिक अवरोधों का सामना करना पड़ सकता है। तीसरे, आठवें  एवं ग्यारहवें मास अच्छे रहेंगे। शनि, राहु व भौम का जपदान श्रेयस्कर रहे।

कुम्भ- राशिवालों का वर्ष सामान्य फलदायक है। चोट, दुर्घटनाओं से सावधानी अपेक्षित है। आर्थिक एवं नयी योजनाओं में अवरोध। सन्तान कष्ट, पहले, चौथे तथा नवें मास अच्छे रहें। केतु, शनि एवं भौम का जपदान शुभ रहे।

मीन- राशिवालों का वर्ष सामान्य है, कार्यों में अवरोध होने से मनोबल में न्यूनता। सन्तान एवं परिवार को कष्ट। दूसरे, पांचवें तथा दसवें मासों में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध हों। गुरु, भौम, शनि, राहु व केतु जपदान शुभ रहे।

पंकज सिंह महर:
इस वर्ष मेष, सिंह एवं धनु राशि को संकरात अपेट है।
बौं पै - मेष राशि में अश्विनी, भरणी और कृतिका नक्षत्र में है। मीन राशि में अश्विनी नक्षत्र में भी आंशिक।

पंकज सिंह महर:
आज संवत्सर प्रतिपदा है, आज से विक्रमी संवत २०६८ प्रारम्भ हो रहा है, आप सभी के समक्ष पं० राम दत्त जोशी जी के पंचांग के अनुसार इस वर्ष का वार्षिक फल तथा राशिफल प्रस्तुत है।

इस संवत्सर का नाम क्रोधी है, क्रोधी संवत्सर में लोग क्रोध तथा लोभ के वशीभूत रहेंगे, वर्षा एवं अन्न मध्यम तथा दैवीय कष्ट के सम्पूर्ण जगत त्रस्त रहेगा। क्रोधी संवत्सर में जगत में अव्यवस्था रहेगी तथा लोग रोग व्याधियों से पीड़ित रहेंगे। प्रजा में क्लेश तथा क्रोध का वातावरण बना रहेगा। वर्ष भर अनाज महंगा रहे, राजाओं में परस्पर विरोध, प्रजा पाप कार्यों में लिप्त तथा व्यापार में मंदी से लोगों में निर्धनता बनी रहेगी। चैत्र तथा वैशाख मासों में करकापात, रोग एवं महामारी होवें, ज्येष्ठ मास में अन्न महंगा होवे, आषाढ़ मास में वर्षा कम, भाद्रपद में खण्डवृष्टि तथा अन्न महंगा, आश्विन में सभी जगहों में वर्षा की स्थिति होवे। कार्तिकादि मासों में समता बनी रहे।

इस वर्ष ग्रहों के राजा सोम तथा मंत्री गुरु हैं, बुध के पास मेघेश, दुर्गेश एवं फलेश का कार्यभार हैआ सस्येश सूर्य, निरसेश एवं धनेश शनि, रसेश भौम तथा धान्येश शुक्र के आधीन हैं। इस तरह से दस पदों में से छह शुभ तथा चार पाप ग्रहों के पास हैं।

शुभ ग्रहों के बहुमत होने से अशुभ फलों का निराकरण स्वतः ही हो जायेगा, इस वर्ष पृथ्वी पर वर्षा यथोचित मात्रा में होगी तथा अन्न की पैदावार भी अच्छी होगी, परन्तु रोग-व्याधियों और प्राकृतिक आपदाओं से फसलों एवं जनमानस में नुकसान होगा। नये शासक के आने से जनमानस सन्तुष्ट रहेंगे। जीवन निरामय तथा सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहेगा। राजभय एवं रोगपीड़ा होने से जनमानस क्रुद्ध होंगे। किसान तथा व्यापारी वर्ग को आर्थिक कष्ट और बुद्धिजीवियों को मानसिक कष्ट होंगे। जनमानस आर्थिक स्तर पर विभाजित रहेगा।

वर्ष एवं वर्षेश लग्नानुसार पूर्व एवं पश्चिमी क्षेत्र में उग्रवाद, भूकम्प, दुर्भिक्ष आदि दैवीय प्रकोपों से जानमाल का नुकसान होगा। सीमावर्ती क्षेत्र युद्ध तथा आतंकवास से त्रस्त रहेंगे। शिवार्चन, देवाराशन तथा जपदान आदि से अशुभफलों में न्य़ुनता होगी। २, ५, ८ तथा ११ वें मास सामान्य फलकारक, शेष अन्य मास शुभ रहें।

पंकज सिंह महर:
इस वर्ष का राशिफल

मेष राशिवालों को वर्ष सामान्य फलकारक है, शत्रु तथा रोगों में वृद्धि होगी। सुख संशाधनों तथा धार्मिक कार्यों में धन व्यय होगा। आषाढ़, आश्विन तथा फाल्गुन मास शुभफलप्रद हैं। अशुभ फल परिहारार्थ गुरु, शनि तथा राहु जपदान हितकर रहे।

वृष राशिवालों के वर्ष में पहले से चले आ रहे गतिरोध समाप्त होंगे। सन्तान एवं  शिक्षा क्षेत्र से चिन्ता बनी रहेगी। नये अर्थ स्त्रोत प्रभावी होंगें, श्रावण, कार्तिक तथा चैत्र में शुभ फल प्राप्त होवें। शनि, गुरु एवं चैत्र में शुभ फल प्राप्त होंवें। शनि, गुरु एवं केतु के जपदान से अशुभ फलों का जपदान से अशुभ फलों का निराकरण सम्भव।

मिथुन राशिवालों के वर्ष का उत्तरार्श शुभ है, शनि की ढैय्या के फलस्वरुप आर्थिक कष्ट, शत्रु एवं रोगव्याधियां बढेंगी। भूमि तथा भवन निर्माण कार्यों में सफलता मिलेगी। वैशाख , भाद्रपद एवं मार्गशीर्ष में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध होंगे। शनि एवं केतु जपदान से अशुभ फलों में न्यूनता।

कर्क राशि वालों का वर्ष सामान्यकारक है, यद्यपि नयी आर्थिक योजनायें फलीभूत होंगी तथापि धन का अपव्यय भी होगा। घर पर धार्मिक कार्य संपन्न होंगे, ज्येष्ठ, आश्विन तथा पौष मास शुभप्रद रहें। शनि, राहु एवं गुरु का जपदान हितकर रहे। [

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