Author Topic: Sarola Marriage Tradition of Uttarakhand- सरौला विवाह की प्रथा  (Read 3019 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

We are posting information about a old marriage tradition of Uttarakhand which has now almost closed to an end. This marriage is called Sarola marriage wherein bridegroom is not required at the time of marriage.

सरौला विवाह की प्रथा
पिथौरागढ़। पहाड़ पर विवाह की परंपराएं तेजी से बदल रही हैं। इस बदलाव के बीच यह जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि पहाड़ में पहले बिना दूल्हे के भी बारात जाती थी। इसे सरौला विवाह कहा जाता था। यह बात अलग है कि अब यह परंपरा समाप्त हो चुकी है। पिछले 40 साल से कोई सरौला बारात नहीं देखी गई। सरौला विवाह ज्यादातर उन युवाओं का ही होता था जो सेना में कार्यरत थे और विवाह के लिए उनको छुट्टी नहीं मिल पाती थी। क्षत्रिय समाज में ही इस तरह के विवाह की प्रथा थी। ब्राह्मण समाज सरौला बारात नहीं ले जाता था।! (source amar ujala)

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पहाड़ में पहले सरौला विवाह का प्रचलन था। यदि दूल्हा घर पर मौजूद न हो और सेहरा बांधने तथा अन्य धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हो पाने की स्थिति में न हो लेकिन दुल्हन को लगन के अनुसार घर पर लाना जरूरी हो जाए तो परिवार के कुछ लोग अपने पुरोहित को ले जाकर दुल्हन के घर जाते और दुल्हन को दूल्हे के घर ले आते। प्रतीक के रूप में एक नारियल ले जाया जाता। बाद में जब दूल्हा नौकरी से या परदेस से घर आता तब सात फेरे लगाए जाते थे। सरौला विवाह में ढोल, नगाड़े नहीं जाते थे। धार्मिक अनुष्ठान पूरा होता था। मांगलिक गीत गाए जाते थे। बारातियों की संख्या भी आठ, दस से ज्यादा नहीं होती थी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इतिहासकार डा. मदन चंद्र भट्ट का कहना है कि सरौला विवाह को सैनिक विवाह भी कह सकते हैं। वह इस प्रथा का बंद होना गलत मानते हैं। उनका कहना है कि सरौला विवाह को फिर से प्रचलन में लाया जाना चाहिए। इतिहासकार पद्श्री डा. शेखर पाठक ने कहा कि दूल्हे की गैर मौजूदगी में भी विवाह संपन्न कराया जाता था। कम से कम इस तरह के विवाह में आज की तरह ज्यादा तामझाम की जरूरत नहीं होती थी। यह दो परिवारों की बड़ी समझदारी को दर्शाता था।

 

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