Author Topic: Superstition In Uttarakhand Culture - उत्तराखंड के समाज मे फैले अंधविश्वास  (Read 32913 times)

हेम पन्त

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घर के अन्दर मुंह से सीटी बजाना अच्छा नहीं माना जाता है, कहा जाता है कि ऐसा करने से घर के अन्दर सांप या कोई अन्य विषैला कीड़ा आ सकता है..

इसी तरह हाथ-पैर के नाखून घर के अन्दर काटना वर्जित है, ऐसा करने से घर में बाघ गुस सकता है..

मेरी समझ के अनुसार ये सभी मान्यताएं/ अन्धविश्वास छोटे बच्चों को अच्छी आदतें सीखाने के लिये गढी गईं हैं..

हेम पन्त

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हमारे इलाके में ’काला महीना’ मनाने का अजीब सा रिवाज है- शादी के बाद आने वाले पहले चैत्र मास में पत्नी व पति को अलग रखा जाता है,  (लड़की मायके या किसी अन्य परिजन के घर चली जाती है).  इस रिवाज का कोई ठोस कारण मुझे पता नहीं लेकिन लगता है कि ऐसा लड़की को अपने मायके वालों के साथ रहने का मौका देने के लिये किया जाता होगा.

Rajen

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गाँव में बड़े बूढ़े ये भी सिखाते हैं:

 कहीं जा रहे हैं तो "अच्छा जाते हैं" मत कहो ये कहो "अच्छा फिर आते हैं"|

Rajen

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अगर आप रिश्तेदारी में गए हैं, या रिश्तेदार आपके घर आया है तो नवें दिन वापसी नहीं करना. 
(कहते हैं नवां माने न-आना) अर्थात अनिष्ट की आशंका ????

Rajen

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किसी का काम बिगाड़ना हो तो उसके घर से निकलते समय या तो खाली बर्तन दिखा दो या छींक दो.  ???? :-[

Rajen

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दही खाके घर से शुभ काम के लिए निकालो, कार्य पूरण होगा.????

Rajen

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 किसी से ये पूछ कर देखना जरा "चाचा कहाँ जा रहे हो"? >:(  >:(
 ऐसे पूछो चाचा कितनी दूर तक? 8)

Rajen

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ऐसे कितने ही अंध-बिस्वास हैं जो गाँव में रोजमर्रा की जिन्दगी का हिस्सा बन गए हैं.

Rajen

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लोग ऐसे अंध-बिस्वास को पूरी तरह अंगीकार कर चुके हैं .

पंकज सिंह महर

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गाँव में बड़े बूढ़े ये भी सिखाते हैं:

 कहीं जा रहे हैं तो "अच्छा जाते हैं" मत कहो ये कहो "अच्छा फिर आते हैं"|

ऐसा भी कहा जाता है, चलते समय कि बैठो फिर हां। (भैटो फिर हां, फिर ऊंला)

 

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