पं. केवल आनंद जोशी ( kajoshi 46 @yahoo.co.in)
शुक्रवार दिनांक 27 मार्च से नवसंवत्सर यानी हिन्दू पंचाग का नया वर्ष विक्रम 2066 आरंभ होगा। दिनांक 13 अप्रैल सोमवार को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेगा। इस पद्धति के अनुसार 1 जनवरी 2009 से 26 जनवरी 2009 तक राजा चन्द्र और मंत्री सूर्य रहेंगे। 27 मार्च 2009 को नए साल का स्वामी राजा शुक्र और मंत्री चन्द्रमा होगा। विक्रम वर्ष 2066 में सभी नवग्रहों का मंत्रीमंडल और संवत्सर का फल विचार इस प्रकार से रहेगा।
नव संवत्सर ' शुभ ' का फल विचार
इस वर्ष संवत्सर का नाम शुभ है। इसका अभिप्राय यही होता है कि पृथ्वी पर वर्ष 2009-10 में खेलकूद आदि के अनेक उत्सव और आयोजन होंगे। चारों ओर मौज-मस्ती और आनंद ही आनंद रहेगा। कानून व्यवस्था अति ढीली रहेगी। खाने-पीने की वस्तुओं मे मिलावट का जोर रहेगा। इसके कारण रोग व्याधियां और लालची एवं लम्पट लोगों की गतिविधियां बढेंगी। कानून और दंड व्यवस्था की कमजोरी के कारण लुटेरों और चोरों का भय रहेगा। बड़े-बड़े राष्ट्रीय नेता और राज्य अधिकारी एक-दूसरे पर आरोप लांछन लगाते हुए अपने को निर्दोष सिद्ध करेंगे। पड़ोसी राज्य युद्ध के लिए ललकारेंगे। महंगाई और बेरोजगारी के बावजूद पृथ्वी पर विलास और वैभव के बड़े-बड़े आयोजन होंगे। आनंदमय वातावरण रहेगा।
राजा शुक्र फल: इसके कारण चारों तरफ गीत-संगीत रस और राग का माहौल रहेगा। तंत्र-मंत्र पर ज्यादा विश्वास करेंगे। वर्षा अधिक होगी। फल-फूलों का व्यापार ज्यादा बढे़गा। दूध-दही आदि की प्रचुरता रहेगी। फैशन और कामवासना से भरे सार्वजनिक उत्सव लोकप्रिय होंगे। महिलाएं ज्यादा मुखरित और पावरफुल होंगी।
मंत्री चंद्रमा का फल: चंद्रमा के मंत्री रहने से भारत के चारों तरफ कृषि के लिए जल उपलब्ध रहेगा । गेहूं , दलहन , तिलहन की फसल अच्छी होगी। दूध-दही की इफरात रहेगी। साग-सब्जी और फल सस्ते होंगे। ब्राह्मण और विद्वान लोगों की कद्र बढ़ेगी।
बृहस्पति फल: बृहस्पति के कारण गेहूं और मीठे पदार्थ महंगे होंगे। सोना-चांदी सस्ता होगा। फल-फूल और अनाज की कमी नहीं रहेगी।
धान्येश और दुर्गेश मंगल का फल विचार: मंगल और सूर्य , धान्येश और दुर्गेश होने से उत्तरी और पूर्वी उत्तर भारत में सीमा पर झड़पें हो सकती हैं। पुलिस और प्रशासन के बीच जहां-तहां संघर्ष होगा। कोई भयंकर लड़ाई तो नहीं होगी , लेकिन पाकिस्तान चीन नेपाल की सीमाओं पर छिटपुट झड़पें होती रहेंगी।
शनि फल: इस वर्ष रसीले पदार्थों का स्वामी शनि रहेगा। वर्षा ऋतु में रोग व्याधियां अधिक होंगी तथा बाढ़ एवं रसायनिक अपमिश्रण के कारण साग-सब्जी आदि पर जहरीले कीटाणु व्याप्त होंगे। गन्ने की फसल खराब हो सकती है। दुध देने वाले पशु बीमारी के कारण रोगी रहेंगे। भेड़-बकरी , ऊंट , गधे-घोड़े आदि पर मानवीय अत्याचार बढ़ जाएंगे।
धनेश बुध फल: बुध के प्रभाव से मीडिया प्रचार और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की शिक्षा पर जोर रहेगा। अच्छे पढ़े-लिखे लोगों की कद्र होगी। पाखंडी , आडम्बर की अनरगल वार्तालाप से लोगों को ठगने में कामयाब होंगे। नकली वैद्य-डॉक्टरों तथा शिक्षक-प्रशिक्षक आदि चारों तरफ फैल जाएंगे।
मेघेश: इस वर्ष दस अधिकारों में पांच अधिकार शुभ ग्रहों को , पांच अधिकार पाप ग्रहों को मिले हैं। बादल का नाम संवर्तक है , जिसका अर्थ यही है कि घनघोर घटाएं आच्छादित होंगी। हवाएं चलेंगी लेकिन , बादल बिन बरसे ही आगे बढ़ जाएगा। रोहिणी का निवास समुद्र तट पर और समय का निवास माली के घर में है। इसका अभिप्राय यह है कि जहां सिंचाई व्यवस्था है और कृषि कार्यों के साधन हैं , वहां खेती अच्छी होगी। कुल मिलाकर वर्ष 2066 भारत और आस पास के देशों के लिए मध्यम फलदायक है।