पहाड़ की रामलीला राष्ट्रीय धरोहर घोषित
संगीत नाट अकादमी को मिला संरक्षण का काम
पिथौरागढ़। लंबी जद्दोजहद के बाद पहाड़ की रामलीला को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया गया है। केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने संगीत नाट्य अकादमी को रामलीला के संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी है। फरवरी 2011 में अल्मोड़ा में होने वाले सेमीनार में राष्ट्रीय स्तर पर पहाड़ की रामलीला के मंचन की रूपरेखा तय की जाएगी।
संगीत नाट अकादमी की ओर से पहाड़ी रामलीला को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की जानकारी प्रो.डीआर पुरोहित और संगीतज्ञ डा.पंकज उप्रेती को दी गई है। अकादमी ने प्रो.डीआर पुरोहित को गढ़वाल और हिमालय संगीत शोध समिति के निदेशक डा.पंकज उप्रेती को कुमाऊं में रामलीला के जानकारों से जनसंपर्क का काम सौंपा गया है। हिमालय संगीत शोध समिति के निदेशक डा.पंकज उप्रेती ने पहाड़ की रामलीला पर काफी विस्तार से शोध का काम किया है।
डा.उप्रेती पहाड़ी रामलीला की गायनशैली पर एक तथ्यपूर्ण पुस्तक भी लिख चुके हैं। उन्होंने ही संस्कृति मंत्रालय के सामने पहाड़ की रामलीला का खाका रखा था। आखिरकार डा.उप्रेती का प्रयास रंग लाया और संस्कृति मंत्रालय ने पहाड़ (उत्तराखंड) की रामलीला को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया है।
डा.उप्रेती ने पहाड़ी रामलीला के राष्ट्रीय धरोहर घोषित होने को ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। क हा कि हमारे पुरखों द्वारा पोषित, संरक्षित रामलीला को अब राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। बताया कि एसएसजे परिसर अल्मोड़ा के निदेशक डा.डीएस पोखरिया ने फरवरी में परिसर में सेमीनार के लिए स्वीकृति दे दी है। राष्ट्रीय मंच पर रामलीला का मंचन किस प्रकार हो सेमीनार में यह तय होगा।
Source- Amar Ujala e-paper