रामलीलाएँ अब पेशेवर भी होती जा रही हैं. भव्य और आधुनिक होने के साथ ही साथ कई रामलीलाओं में स्थानीय कलाकारों की जगह भी अब पेशेवर कलाकार लेने लगे हैं.
राम-सीता और रावण जैसे प्रमुख चरित्रों को निभाने के लिये स्थापित कलाकारों को अच्छी कीमत देकर बुलाया जाता है.

हर साल बढ़ रहा रावण का कद
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समय के साथ समाज में बुराइयां बढ़ती ही जा रही हैं। भ्रष्टाचार, अपराध, हिंसा जैसे दानवों से आम जनमानस आहत है और उनके खिलाफ उद्वेलित भी। उसकी इसी मुहिम का असर इस बार दशहरा पर भी देखने को मिलेगा। दशहरा कमेटियां बड़े कद के रावण का दहन कर समाज को बुराई के अंत का संदेश देना चाहती हैं।
जैसे-जैसे समाज में बुराइयां पनप रही हैं, वैसे-वैसे बुराई के प्रतीक रावण का कद भी बढ़ता जा रहा है। दशहरा पर कभी दून में 35 से 40 फुट तक के रावण के पुतलों का दहन होता था। वहीं इस बार उसकी लंबाई 60 फुट तक पहुंच गई है। इसके पीछे मंशा यह बताने की है कि वर्तमान में रावण रूपी बुराइयां तेजी से बढ़ रही हैं। यह जितनी तेजी से बढ़ेगी, उतना ही समाज के लिए घातक सिद्ध होंगी।
संदेश यही है कि अंधेरा चाहे कितना ही गहरा क्यों न हो, उजाला होकर रहेगा। समाज में जागृति आएगी तो भ्रष्टाचार, अपराध, हिंसा जैसे दानव खुद-ब-खुद परास्त हो जाएंगे। असल विजयदशमी यही है। दशहरा कमेटियों के अनुसार कार्यक्रम को खास बनाने के लिए रावण का कद बढ़ाया गया है। वह जितना बड़ा होगा, उतना ही अंत के करीब बढ़ता जाएगा।
'भ्रष्टाचार की दीमक सामाजिक ताने-बाने को चट करने में लगी है। हम यह भी बताना चाहते हैं अब पानी नाक से ऊपर आ गया है। इसी का प्रतीक है रावण का यह बढ़ा हुआ कद।' -संतोख सिंह नागपाल, प्रधान, दशहरा कमेटी बन्नू बिरादरी
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8309620.html