Linked Events

  • Uttarayani - उत्तरायणी कौतिक(मकर संक्रान्ति): January 14, 2014

Author Topic: Uttarayani घुघुतिया उत्तरायणी (मकर संक्रान्ति) उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा पर्व  (Read 129067 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0


 Dhruv Pandey
काले कौव्वा, खाले,
 ले कौव्वा पूड़ी,
 मैं कें दे भल-भलि,
 ले कौव्वा ढाल,
 दे मैं कें सुणो थाल,
 ले कौव्वा तलवार,
 बणे दे मैं कें होश्यार।


Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0

Anil Arya / अनिल आर्य

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 1,547
  • Karma: +26/-0
आप सभी को मकर संक्रांति (घुघूती )  की हार्दिक शुभकामनाएँ .:)

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
मकर संक्रांति पर तीर्थनगरी में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। मकर संक्रांति पर्व को लेकर इस बार लोगों में असमंजस की स्थिति बनी रही।

कई दशकों बाद इस बार मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को पड़ा है। शनिवार 14 जनवरी को मकर संक्रांति स्नान का योग होने के कारण गंगा में डुबकी लगाने के लिए लोगों की खासी भीड़ उमड़ी। तीर्थनगरी के विभिन्न घाटों पर सुबह से ही लोग गंगा स्नान के लिए जुटने शुरू हो गए थे। गंगा के त्रिवेणी घाट, सांई घाट, बहत्तर सीढ़ी, नाव घाट, मुनिकीरेती के पूर्णानंद घाट, शत्रुघ्न घाट और स्वर्गाश्रम के परमार्थ निकेतन घाट, नाव घाट व लक्ष्मणझूला घाट आदि पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ी। इस बार मकर संक्रांति स्नान को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति भी रही। त्रिवेणी घाट पर गंगा स्नान को आए श्रद्धालुओं के लिए गंगा सेवा समिति ने चाय व चेंजिंग रूम की व्यवस्था की। समिति के महामंत्री कमल शर्मा ने बताया कि 15 जनवरी को भी समिति की ओर से व्यवस्थाएं की गई हैं।



Jagran News


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0



 Shikha Rawat
Makar Sankrati ke liye ghar mein ban rahe hain 'Ghughute'.. Aale kauwa, kha le kauwa.. :)

Rajen

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,345
  • Karma: +26/-0
सभी मित्रों को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभ कामनाएं.    :D :D

Gourav Pandey

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 88
  • Karma: +5/-0
उतरानी के मेले पर यह गाना.

उत्तरानी कौतिक मेरो आमा हैरागे
चाना चाना बुबू की कमर पतागे

meri amma haraigai.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
..... मकर संक्रान्ति ( उत्त्रैनी  त्यौहार ) का महत्व-

 शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्य (भगवान) अपने पुत्र शनि
 से मिलने उनके घर जाते हैं। अब ज्योतिष के हिसाब से शनिदेव हैं मकर राशि के
 स्वामी, इसलिये इस दिन को जाना जाता है मकर संक्रांति के नाम से। सर्वविदित है
 कि महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर
 संक्रांति का ही दिन चुना। यही नही, कहा जाता है कि मकर संक्रान्ति के दिन ही
 गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली
 थी। यही नही इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर प्रस्थान करते हैं, उत्तर दिशा
 में देवताओं का वास भी माना जाता है। इसलिए इस दिन जप- तप, दान-स्नान,
 श्राद्ध-तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी भी मान्यता है
 कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है।
 मकर संक्रान्ति के दिन से ही माघ महीने की शुरूआत भी होती है। मकर संक्रान्ति
 का त्यौहार पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन देश के अलग
 अलग हिस्सों में ये त्यौहार अलग-अलग नाम और तरीके से मनाया जाता है। और इस
 त्यौहार को उत्तराखण्ड में “उत्तरायणी” के नाम से मनाया जाता है। कुमाऊं
 क्षेत्र में यह घुघुतिया के नाम से भी मनाया जाता है तथा गढ़वाल में इसे खिचड़ी
 संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। इस अवसर में घर घर में आटे के घुघुत बनाये
 जाते हैं और अगली सुबह को कौवे को दिये जाते हैं (ऐसी मान्यता है कि कौवा उस
 दिन जो भी खाता है वो हमारे पितरों (पूर्वजों) तक पहुँचता है), उसके बाद बच्चे
 घुघुत की माला पहन कर कौवे को आवाज लगाते हैं – काले कौव्वा काले, मेरी घुघुती
 खाले।

कुमाँऊ के गाँव-घरों में घुघुतिया त्यार (त्यौहार) से सम्बधित एक कथा प्रचलित
 है। ऐसा कहा जाता है कि किसी एक एक राजा का घुघुतिया नाम का कोई मंत्री राजा
 को मारकर ख़ुद राजा बनने का षड्यन्त्र बना रहा था लेकिन एक कौव्वे को ये पता
 चल गया और उसने राजा को इस बारे में सब बता दिया। राजा ने फिर मंत्री घुघुतिया
 को मृत्युदंड दिया और राज्य भर में घोषणा करवा दी कि मकर संक्रान्ति के दिन
 राज्यवासी कौव्वों को पकवान बना कर खिलाएंगे, तभी से इस अनोखे त्यौहार को
 मनाने की प्रथा शुरू हुई।

 यही नही मकर संक्रान्ति या उत्तरायणी के इस अवसर पर उत्तराखंड में नदियों के
 किनारे जहाँ-तहाँ मेले लगते हैं।

इनमें दो प्रमुख मेले हैं – बागेश्वर का
 उत्तरायणी मेला (कुमाँऊ क्षेत्र में) और उत्तरकाशी में माघ मेला (गढ़वाल
 क्षेत्र में)


 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22