Dosto,
Gone were the days when we used to see many wooden architecture made in our Houses Door & windows etc dipecting the old culture & art but now these thigns are likely to disappear
Last time, i had gone to my hometown and i took photos of some houes where these Wooden Architecture was available.
हमारे उत्तराखंड की संस्कृति मे एक बहुत अहम् चीज है , लकड़ी के ऊपर वास्तुकला |
जो हर किसी के घर के दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर बहुत आसानी से देखने को मिल जाती थी लेकिन जहाँ लकड़ी के घरों की जगह पक्के (सीमेंट) घरों ने ले ली हैं वहीं आज हम इस महत्वपूर्ण कला को भी खोते जा रहे हैं |
आज यदि आप उत्तरांचल के गावो मे भ्रमण करे टू आप पाएंगे की पुरानी शैली के मकान आज विलुप्त होते जा रहे है | पुराने जन्मे की तिबार, डिन्डालया,मोरी छाज्जा, खम्ब और न जाने कितनी ही प्राचीन वास्तुकला विलुप्त हो गई है | दुःख की बात यह है की आज के इस आधुनिक युग मे इस प्राचीन वास्तुकला के कर्मकार और पारखी धुन्दने से भी नही मिलते | लोगो के पास पैसा आ गया है जो अच्छी बात है परन्तु वे अपने पुरखो की निशानी और धरोहर को पुराने मकानों को तोड़ कर नए मकानों का निर्माण कर मिटाते जा रहे है |
आज आपको केवल दूर दराज के पहाड़ी स्थानों मे ही कदाचित ऐशी प्राचीन वास्तुकला का दर्शन करने को मिल जाए, कई जगह अब गाव आधुनिक और शहरिकृत होते जा रहे है M S Mehta