उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस की समस्त उत्तराखण्डवासियो को शुभकामनाएं,
’घास-लखड़ा हो, बोण अपड़ा हो,
परदेस क्वी न जोउ, सबि दगड़ा हो,
शिक्षा हो-दिक्षा हो, जख रोजगार हो,
क्वी भैजी-भुला न बैठ्यूं बेकार हो,
यनू उत्तराखण्ड चयेनू छ।
सुप्रभात दोस्तों,
उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस पर ढेर सारी शुभकामनाएं,
आप सब जानते हो की पिछले १४ सालो में हमने क्या पाया और क्या खोया,
शायद कुछ पाने से कही ज्यादा हमने खो दिया,
बोली-भाषा,रीती-रिवाज,वार-त्यौहार,संस्कृति,अपने पहाड़ और बहुत कुछ………
उम्मीद है आने वाला समय हमारे लिए कुछ अच्छे संकेत लेके आएगा,
इसके लिए हमे भी एक-जुट होना पड़ेगा,और विकास का भागीदार बनना पड़ेगा,
पलायन एक मात्र रास्ता नहीं है आज पहाड़ को जरुरत है हम सब की एक नई सोच की,कुछ करने की, आखिर हम कब तक सिर्फ पलायन का रोना रोते रहेंगे,
हम ऐसी सरकार ही क्यों बनाते है जो आज तक शहीदो के सपनो को साकार नहीं बना पाई,
अब भी समय है वरना १४ साल तो चले १४ और चले जायेंगे,और उन १४ सालो के बाद अगर यही हाल रहा तो शायद ही पहाड़ो में कुछ बच पायेगा,
अब भी खेत-मकान सब बंजर हो चुके है और यही हाल रहा तो परिणाम और बुरे हो सकते है,
ये समय है हम सब को अपनी जिम्मेदारी निभाने का,
चकबंदी के लिए लड़ी जा रही लड़ाई भी शायद सरकार समझ पायेगी,आखिर हमारी भी एक बहुत बड़ी आस है सरकार से,
जागना होगा और बहुत जल्द जागना होगा आखिर सोते हुए १४ साल बहुत हो गए
१७ का चुनाव भी नजदीक आ रहा है,एक क्रांति तो लानी ही पड़ेगी,
खासकर युवावो को तो अपना भविष्य सोचना ही होगा इन पहाड़ो में,
जय भारत जय उत्तराखंड
बोली -भाषा,रीती-रिवाज,और संस्कृति पहाड़ो की
विलुप्त हुँदा बार त्यौहार,कैमा सुणो पहाड़ो की।
१४ साल कु उत्तराखंड,पर खैर अभी तक कम नि ह्वे,
पलायन कु रूणू रुंदी पर,कोशिश भी त कुछ नई ह्वे।
रोजगार,शिक्षा,स्वास्थ्य व्यवस्था,हाल जन्या तनी अभी,
१४ साल त चली गी पर,सार त लग्या छो अभी भी।
हाल अगर जू इनि राला त,खाली ह्वे जाला यु पहाड़,
अभी भी बक्त च,सम्भली जाओ,फिर न बुल्या मेरु पहाड़।
विकास ध्यानी