लुट गया आपदा पीड़ित किरायदारों का हक
जून 2013 में आई आपदा ने देहरादून जिले में हजारों घरों को नुकसान पहुंचाया। किसी का घर बह गया तो किसी की पूरी गृहस्थी मलबे में समा गई।
एक भी किरायेदार आपदा पीड़ित नहीं
इनमें कई किरायेदार भी थे। लेकिन प्रशासन ने जब आपदा राहत राशि बांटी तो उसे एक भी किरायेदार आपदा पीड़ित नहीं मिला।
जबकि एक अनुमान के मुताबिक राजधानी में दो लाख से अधिक किरायेदार रहते हैं। इनमें से अधिकतर आपदा प्रभावित इलाकों में रहते हैं। आपदा राहत राशि बांटने में जिला प्रशासन ने जमकर बंदरबांट की है।
एक को भी राहत राशि नहीं दी गई
इसका एक उदाहरण यह भी है कि सैकड़ों आपदा पीड़ित किरायेदारों में से एक को भी राहत राशि नहीं दी गई है। हालांकि शासनादेश में स्पष्ट प्रावधान है कि आपदा पीड़ित किरायेदारों को नुकसान पर मुआवजा उन्हें ही दिया जाए।
लेकिन पंडितवाड़ी, गल्जवाड़ी, माजरा, नेहरू कॉलोनी, मेहूंवाला माफी, धर्मपुर, बंजारावाला आदि क्षेत्रों में जून 2013 में आई आपदा के बाद राहत के नाम पर जो चेक बांटे गए उनमें एक भी किरायेदार नहीं है।
रजिस्ट्रार कानूनगो प्रेम सिंह साफ कहते हैं कि हमारे पास आपदा प्रभावित किराएदारों की सूची नहीं है। लेखपालों ने हमें जो रिपोर्ट दी उसी के हिसाब से प्रभावितों को चेक दे दिए गए।
आपदा राहत के नहीं बांटे 38 लाख रुपए
वित्तीय वर्ष 2013-14 में आपदा मद में जिले को तीन करोड़ 35 लाख रुपए मिले। इसमें से 38 लाख 48 हजार 807 रुपए प्रभावितों को वितरित नहीं किए गए।
जबकि सैकड़ों आपदा प्रभावितों को राहत राशि मिली ही नहीं है। कई प्रभावित राहत राशि के लिए तहसील और डीएम दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं।
यह है शासनादेश
आपदा प्रभावितों की पूरी और सही पहचान के बाद ही स्वीकृत राहत सहायता राशि दी जाए। राहत राशि के वितरण में किसी तरह की अनियमितता एवं दोहराव की स्थिति पाये जाने पर संबंधित जिलाधिकारी उत्तरदायी होंगे।
शासन ने समस्त जिलाधिकारियों को जारी शासनादेश में चेताया था कि कई किरायेदार राहत राशि से वंचित रह जाते हैं। ऐसे लोगों को चिह्नित कर मुआवजा दिया जाए।
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