चन्द्रशेखर करगेतीकिसके लिए बना उत्तराखण्ड ?
देहरादून में विधानसभा पर प्रदर्शन कर रहे शिक्षा मित्रों को उत्तराखंड पुलिस ने एसएसपी केवल खुराना की अगुवाई में ना केवल लाठी-डंडों से पीटा बल्कि पुलिसिया बूटों से भी उनपर प्रहार किया, इंसान कम पड़े तो घोड़े दोड़ाये गए. राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कहते हैं कि शिक्षा मित्रों को धर्य रखना चाहिए. मुख्यमंत्री जी धैर्य रखने की सीख देनी हो तो अपनी पुलिस को दीजिए. जिनको डंडों और बूटों से आपकी पुलिस ने पीटा,वो कोई अपराधी, आतंकवादी या माफिया के आदमी नहीं थे,वो ध्याडी के शिक्षक थे,जिनके बूते इस राज्य के सरकारी स्कूल चल रहे हैं !
मुख्यमंत्री जी आपका पेट तो सिर्फ मुख्यमंत्री बन जाने मात्र से नहीं भरता,आप खुद मुख्यमंत्री हो गए तो आपने सोचा कि अपने बेटे को भी संसद में पहुंचा कर पेंशन पक्की कर ली जाए (हो ना सकी,ये अलग बात है). तो आपके खानदान में तो बाप,बेटा,पोता,बहन सब सरकारी पेंशन खाने के पुश्तैनी हकदार हैं और गरीब आदमी का बेटा-बेटी कहे कि हमारी मजदूरी (मानदेय तो उन्हें छलने के लिए गढ़ा गया शब्द है) बढ़ा दो तो आप पहले उन्हें डंडों से पिटवाओ और फिर धैर्य रखने का उपदेश दो,इसे मक्कारी कहने पर तो आप नाराज हो जायेंगे मुख्यमंत्री जी,पर मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि इसे और क्या कहूँ ?
आपके शिक्षा मंत्री भाई मंत्री प्रसाद नैथानी की बोलती क्यूँ बंद है,इस प्रकरण में ? मंत्री भाई अभी कुछ साल पहले तक आप बेरोजगारों को लेकर रोजगार यात्राएं निकाला करते थे और आज आप कैबिनेट मंत्री हो गए हैं तो बेरोजगारों-अर्द्ध बेरोजगारों पर लाठी-डंडे बरसवा रहे हैं. अपने को विधायकी का टिकट ना मिला तो फूट-फूट कर,जार-जार कर,बुक्का फाड़ कर रोओ और जिनका भविष्य दांव पर लगा है, उनको नियम-क़ानून का ठेंगा दिखाओ, वाह क्या कांग्रेसी होशियारी है. लेकिन बहुगुणा साहेब और मंत्री दीदा रे जनता बड़ी कारसाज चीज है, जिस दिन अपनी पे आ जाए तो ना तो साहबी अकड रहेगी और ना आंसुओं का ड्रामा चल सकेगा.
निहत्थे शिक्षा मित्रों पर अपने पुलिसिया पराक्रम का प्रदर्शन करने वाले एसएसपी केवल खुराना साहेब, कल अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर आपने जो पराक्रम दिखाया, उसे देख कर एक बार फिर समझ में आया कि क्यूँ वर्षों पहले इलाहबाद उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने पुलिस को वर्दीधारी गुंडों की संज्ञा दी थी ! महिला शिक्षा मित्रों से जोर आजमाइश करने वाले- खुराना साहेब पराक्रम इस कदर हिलोरें मार रहा हो और भुजाएं इतनी फडफडा रही हों तो अपराधियों पर आजमाओ उन्हें जो देहरादून में लूट, डकैती, ह्त्या, चैन-स्नैचिंग जैसे अपराध आये दिन कर रहे हैं. पर उन के साथ आप ताकत दिखाओगे कैसे ? सुखदेव सिंह नामधारी जैसे अपराधी,माफिया को तो आपको सलाम ठोकना पड़ता है. किसी को पकड़ते भी हैं तो पता चलता है कि ये तो अपनी ही बिरादरी वाला है, जैसा कि अभी दो तीन दिन पहले ही हुआ दूँन में हुआ. नशे का कारोबार करने वालों को आपकी पुलिस ने पकड़ा तो पता चला कि उनमें से एक तो आप ही के मातहत एक कोतवाल का बेटा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लाठीचार्ज की न्यायिक जांच करवाई जायेगी. लेकिन स्वतंत्र, निष्पक्ष जांच की तो शर्त यही है कि पहले एसएसपी से लेकर सिपाही तक सब निलंबित किये जाएँ और तब जांच हो !
सवाल तो ये भी है कि नौजवानों की शहादत और माता-बहनों की कुर्बानियों से बने इस राज्य में हमारे हिस्से में सिर्फ पुलिस के डंडे और बूट ही आने हैं तो ये डंडे और बूट तो उत्तर प्रदेश की सरकार भी हमें खुशी-खुशी दे ही रही थी,तब इस अलग उत्तराखंड राज्य का औचित्य क्या है ?
(मित्र इन्द्रेश मैखुरी की वाल से)