चन्द्रशेखर करगेती
August 10 · Edited
रक्षा बंधन के मायने !
अब यह पर्व भी पता नहीं क्यों प्रतीकात्मक और बाजार का शिकार हुआ जा रहा है,मुझे यह भावनाओं का पर्व कम, अब दिखावा ज्यादा लगने लगा है, हो सकता अभी भी कई लोग इसे भावनाओं को मजबूत करने वाला पर्व मानते हों, लेकिन मेरा मानना है की भावनाओं को मजबूती के लिए किसी खरीदे गए तागे या बहुमूल्य राखी की जरुरत नहीं होती, क्योंकि भावनायें तो अनमोल होती है !
इस पर्व पर मुझे उन बहनों के रवैय्ये पर भी सख्त एतराज है जो खुद तो पर्याप्त रूप से सुरक्षित हैं, मगर अपने चौतरफा असुरक्षित दूसरी बहनों की सुरक्षा के प्रति बेहद असंवेदनशील हैं, और अपनी मित्र मंडली में उनकी बेचारगी पर ताने मारने से भी नहीं चूकती । ये बहनें अपने पर थोड़ा संकट आने पर आस पास की किसी बहन का जीवन तो छोड़ो वे अपनी सगी बहन के जीवन को भी दांव पर लगा देती है !
मुझे उन तमाम बैगरत भाइयों से भी बहुत नफरत है, जो पढ़े लिखे होने के बावजूद भी अपने निजी स्वार्थ और हितों के बदले ससुराल में पिट रही, या पूर्व में पिटती रही अपनी बहन को बचाना तो दूर रहा उलटे बहन के जीवन, मान सम्मान तथा हितों की भी दलाली कर जाते हैं, और जब बहन शिकायत करे तो उलटे उसे अपने पति और उसके परिवार से समझोते के लिए तैयार करते है !
मुझ नाज है उन भाई और बहनों पर जो समाज में भाई और बहन के हितों को संरक्षित रखने के लिए दलाली के बजाय अपना सर्वस्व त्यागने को हमेशा तत्पर रहते हैं, अब समाज उन्हें गाली दे या मौत ऐसा समाज मेरे ठेंगे पर ! दौलत तो फिर भी आ जायेगी, रिश्ते कैसे आयेंगे ?
पढ़ रहे हो ना समाज के ठेकेदारों, बहन-बेटियों की दलाली कर अपने हितों को साधने वालो, ये पोस्ट याद रखना जब तुम्हारी बहन-बेटी जान से जायेगी, उस दिन तुम्हे मेरी बात जरुर याद आयेगी,, काश बहनें भी रक्षाबंधन का सही अर्थ समझ पाती और उस भाई और बहन के रिश्ते की असलियत को पहचान पाती, जो अपने स्वयं के हितों को संरक्षित रखने के लिए अपनी पीडीत बहन के हितों को भी दांव पर लगाने से नहीं चुके ?
क्या ये दुनियां ऐसे ही रिश्तों पर चलती रहेगी, क्या बहन हमेशा ठगी जायेगी ?